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.पाप का फल
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" हे आयुग्मान् ! बुद्धिमान् मनुष्य ऐसा जानकर समस्त विश्व में - किसी की हिंसा न करे; संसार के वशीभूत न हो कर, सर्व प्रकार - से परिग्रह बुद्धिका त्याग कर के, सच्चे सिद्धान्त की शरण लेकर . - परम बोध को प्राप्त हो । पशु, पक्षी, देव, मनुष्य-ये सब कर्म-फल
के चक्र के अनुसार हैं, ऐसा जानकर, मतिमान् मनुष्य मरने तक - संयमधर्म पालने का ध्यान रखे । " .. --ऐसा श्री सुधर्मास्वामी ने कहा।