Book Title: Jain Shwetambar Conferenceno Itihas
Author(s): Nagkumar Makatai
Publisher: Sohanlal Madansinh Kothari
Catalog link: https://jainqq.org/explore/005582/1

JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Hos. श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनो इतिहास AADARSA :लेखक: नागकुमार मकाती बी.ए., एलएल.बी Education International For Personal & Private Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनो इतिहास । वि. सं. १९५८ थी वि. सं. २०१५ सुधीनी सत्तावन वर्षनी यशस्वी कारकिर्दीनी तवारीख ] : लेखक : . नागकुमार मकाती बी.ए., एलएल.बी. वीर संवत २४८६ विक्रम संवत २०१६ : प्राप्तिस्थान : श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स गोडीजी बीलिंडग, २०, पायधुनी, कालबादेवी, मुंबई-२ For Personal & Private Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ : प्रकाशको : सोहनलाल मदनसिंह कोठारी जयन्तिलाल रतनचंद शाह मुख्य मंत्रीओ, श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स गोड़ीजी बील्डिंग, २० पायधुनी कालबादेवी, मुंबई-२ आवृत्ति पहेली किंमत वे रुपिया प्रत १००० मुद्रक : रमणलाल जीवणलाल पटेल, मेनेजर, महाराजा सयाजीराव युनिवर्सिटी ऑफ बरोडा प्रेस ( साधना प्रेस), पेलेस गेट, पेलेस रोड, वडोदरा. For Personal & Private Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकोन निवेदन श्री जैन श्वेतांवर कॉन्फरन्सना मुंबईमां श्री अमृतलाल कालीदास दोशी, बी.ए.ना प्रमुखस्थाने सने १९५२मां मळेला १९मा सुवर्ण जयंति अधिवेशन प्रसंगे आ महासंस्थाना कार्यो आलेखनार इतिहासनी आवश्यकता प्रतीत थई अने स्वागत समितिए पण चोकस रकम जुदी पाडी ते माटे प्रेरणा आपी. ___ आ कार्य न्हानुं सूनुं अने स्हेलं न हतुं. वर्षों पूर्वेना साधनो अप्राप्य स्थितिमा रहेला हता. जे साधन-सामग्री उपलब्ध थाय ते उपरथी इतिहास तैयार करवानुं कार्य श्रीयुत नागकुमार नाथाभाई मकाती, बी.ए., एलएल.बी.ने सोपवामां आव्यु. विखरायेली सामग्री तेओश्रीए महान परिश्रमपूर्वक एकत्र करी आ इतिहासमां मुंदर रीते रजू करी छे ते बदल संस्था तेओनो अत्यंत उपकार माने छे. अट्ठावन वर्षना दीघ समय दरम्यान कॉन्फरन्स अनेक तडका-छांयामांथी पसार थई छे. संस्थाए रचनात्मक शैलीए समाजने विविध सेवाओ अर्पली छे. तेनी कार्यवाही जनसमस्त विषयक बंधारणने अनुसरी चालु रही छे. श्री सकळसंघे तेने सर्व प्रकारे पोषण आपेल छे. श्रीसंघना अमोघ बळ समान आ संस्था समग्र जैन समाजना प्रतिनिधित्वने आवरी ले छे. तेने नवपल्लवित करवा माटे पंजाबनी वीरभूमी लुधीयानामां मळनार एकवीसमा अधिवेशन प्रसंगे जैन समाजना करकमलोमां आ इतिहास समर्पित करतां अमोने अत्यंत हर्ष थाय छे. समाजने ते उपयोगी नीवडशे एवी आशा छे. लि. सेवको, श्री जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्स सोहनलाल मदनसिंह कोठारी गोडीजी बील्डिग, .. जयंतिलाल रतनचंद शाह कालबादेवी, मुंबई-२ __ मुख्य मंत्रीओ - वीर संवत २४८६. श्री जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्स For Personal & Private Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्षमा-याचना कॉन्फरन्सनो इतिहास लखी आपवानुं मने कहेवामां आव्युं त्यारे में उत्साहभेर हा पाडी दीधी, परंतु ज्यारे लखवानुं शरू कयुं त्यारे ज कार्यनी गंभीरतानो अने मारी मर्यादाओनो मने ख्याल आव्यो. इतिहासकार नहिं छता, इतिहास लखी आपवानी हा पाडवामां में धृष्टता करी हती एम मने ते वखते समजायु. भारे मूंझवण साथे में लखवानुं शरू कर्यु अने लेणदारने जेम देणदार खोटा वायदाओ करे छे तेवा अनेक खोटा वायदाओ पछी पूरूं कयु. छेल्ले वायदे पण ऋणमुक्त थयानो आनंद मने जरूर थयो छे. इतिहासलेखन माटे जे साधनसामग्री उपलब्ध थई ते पूरती तो नहोती ज. घणां अधिवेशनो अंगेनी माहिती सनूळगी मळी शकी नथी. आवा संयोगोमा जे सामग्री कॉन्फरन्स कार्यालय तरफथी पूरी पाडवामां आवी तेना उपर ज मारे आधार राखवानो हतो, तेमां वळी मारी व्यक्तिगत मर्यादाओ भळी. तेथी जेवू आलेखायुं तेवू समाजने चरणे धरी द बुं. सफळता-निष्फळतानो तोल पण भले ते ज बांधे. संस्थानी सत्तावन वर्षनी कारकिर्दीना निरूपणमांथी जो कोईनेये प्रेरणा मळशे अने कॉन्फरन्सनी नैयाने आगळ धपाववा कृतनिश्चयी थशे तो मारो श्रम सफळ थयो मानीश. नहि तो वाचकनो समय व्यर्थ रीते लेवा माटे अत्यारथी ज क्षमा याचना करी लडं छं. संघसेवक. हाथीपोळ, वडोदरा. ) ता. ४-४-'६०. ) नागकुमार मकाती For Personal & Private Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विषय क्षमा-याचना अनुक्रमणिका अनुक्रमणिका प्रकरण १लं - पूर्व भूमिका प्रकरण २जुं -- कॉन्फरन्सना जन्म अने विकासना वीरा सीमास्तंभो —— फलोधी थी मुंबई पहेलं अधिवेशन ——फलोधी बीजुं अधिवेशन मुंबई त्रीजुं अधिवेशन- वडोदरा चोथुं अधिवेशन - पाटण पांचमुं अधिवेशन - अमदावाद अधिवेशन- - भावनगर छठ्ठे सातमुं अधिवेशन -- पूना आठमुं अधिवेशन -- मुलतान नवमं अधिवेशन - सुजानगढ दशमुं अधिवेशन - मुंबई अयगारमुं अधिवेशन - कलकत्ता बारमुं अधिवेशन - सादडी कन्वेन्शन - संमेलन - मुंबई खास अधिवेशन - मुंबई ( शत्रुंजय प्रश्न ) तेरमुं अधिवेशन - जुन्नर चौदमुं अधिवेशन -- मुंबई पंदरमुं अधिवेशन - नींगाळा For Personal & Private Use Only दृष्ट ४ ५ १ ७ ११ १४ २० २२ २.६ २६ २७ २८ २९ ३० ३० ३१ ३३ ३७ ४१ ૪૪ Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोळमुं अधिवेशन--मुंबई सत्तरमुं अधिवेशन-फालना अढारमुं अधिवेशन-जुनागढ ओगणीसमुं अधिवेशन-मुंबई वीसमुं अधिवेशन-मुंबई प्रकरण ३ जु-कॉन्फरन्सनुं दृष्टिबिंदु, ध्येय अने कार्यक्षेत्र प्रकरण ४\--कॉन्फरन्सनो रचनात्मक कार्यक्रम अने तेनी सिदिओ १. व्यावहारिक शिक्षण, धार्मिक शिक्षण अने जैन एज्युकेशन बोर्ड २. जीर्णोद्धार ३. जीवदया, पांजरपोळोनी तपास ४. समाज उत्ऋर्ष-निराश्रितसहाय अने वेकारीनिवारण ५. धार्मिक हिसाबतपासणी ६. तीर्थरक्षा १०१ ७. पुस्तकोद्धार, साहित्यसंशोधन अने प्रकाशन १०८ (१) जैन ग्रंथावली १०९ (२) जैन डीरेक्टरी ११२ (३) जैन श्वेतांबर मंदिरावली भाग १ लो (४) रासमाला (५) न्यायावतार ११४ (६) जैन गुर्जर कविओ भा.-१ ११४ (७) जैन गुर्जर कविओ भा.-२ ११४ (८) जैन गुर्जर कबिओ भा.-३ ११४ (९) जैन साहित्यनो इतिहास (१०) सन्मतितर्क ११५ (११) प्राकृत मार्गोपदेशिका - - ११३ - - - - - ११५. - For Personal & Private Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२ ) छात्रालय अने छात्रवृत्तिओ ८. जेसलमेर ज्ञान भंडार संरक्षण ९. बनारस हिंदू युनिवर्सिटीमां जैन चर १०. विश्वविद्यालयोमां जैनसाहित्य, अर्धमागधी अने प्राकृतनो अभ्यास ११. संस्कृति रक्षा १२. जैन हेरोल्ड, जैनयुग अने कॉन्फरन्सपत्रिका १३. कॉन्फरन्सनुं राष्ट्रिय स्वरुप १४. सगाजसुधारणा १५. सुकृतभंडार फंड १६. आक्षेप प्रतिकार १७. आशातनानिवारण १८. त्रणे फिरकानुं ऐक्य - संगठन १९. सर्वदेशीय साहित्यप्रचार २०. सखावतो प्रकरण ५ मुं— कॉन्फरन्सनुं बंधारण, अने तेनो विकास प्रकरण ६ हुं - कॉन्फरन्सना अगत्यना ठरावोनुं विहंगावलोकन प्रकरण ७ मुं - कॉन्फरन्सना विकासमां वेग अने मंदताना कारणोनी संक्षिप्त समीक्षा प्रकरण ८ मुं- कॉन्फरन्सना घडवैयाओ प्रकरण ९ मुं- अंतीम भावना परिशिष्ट १ लुं - कॉन्फरन्सना अधिवेशनोनी संक्षिप्त यादी For Personal & Private Use Only ११५ ११६ ११८ १२० १२४ १२७ १३१ १३८ १३६ १३७ १३८ १४० १४१ १४२ १४४ १५९ १८३ १९४ २०१ २०५ Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विजयनो पंथ Do not hope you are to gain the victory in a day. It may take months, it may take years. Inch by inch and step by step the battle must be faught. Over and over again you will be worsted and give ground, but do not, therefore, yield. Resolve never to be driven back quite so far as you have advanced. -WHYTE MELVILLE. एक दिवसमां तमने विजय मळे एवी आशा राखशो नहि. तेने महिनाओ थाय अने वर्षो पण थाय. तसु तसु अने कदम कदम माटे संग्राम खेलवो पडशे. वारंवार तमारे पाछा हठवुं पडशे अने जग्या छोडवी पडशे, पण तेथी शरणे जशो नहिं. ज्यां सुधी तमे आगळ वध्या छो त्यांथी पाछा नहि हठवानो मक्कम निरधार करो. -व्हाईट मेलवीले. For Personal & Private Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकरण १लुं पूर्व भूमिका जागृत जो तुज तनुज थयां त्यां आ नवचेतन भरती, प्राची दिशामां विविध रंगभरी उदय उषा झळहळती. - बचुभाई रावत. ओगणीसमी सदीना उत्तरार्धमा साराये भारत वर्षमा प्रजाकीय जागृतिनां पूर उधळी रह्यां तां प्रजानां नवचेतन अने नवी भावनाओनो उदय थई चूक्यो हतो. धर्म सुधारणा, समाज सुधारणा, केळवणीप्रचार, समाजसेवा, स्वदेशीप्रचार वगेरे संबंधी अनेकविध विचारोनां आंदोलनो पूरजोशथी बहेतां थयां हतां. आ माटे उत्साही समाजसेवकोए ब्रह्मोसमाज, प्रार्थनासमाज. अने आर्यसमाज जेवी अनेक संस्थाओ स्थापी हती. देशमां जे विविध आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कारिक अने राजकीय बळो काम करी रह्यां हृतां तेमांथी राष्ट्रिय एकतानी भावना पण जन्म पामी हती; जेना परिणामे सने १८८५मां हिन्दी महासभा ( इन्डीयन नेशनल काँग्रेस )नी स्थापना थई हती. देशभरमा जे नवजागृतिनां पूर वही रह्यां तां तेनाथी जैन समाज पण अलिप्त केम रही शके ? वीरप्रसू राजस्थानना एक शीलवंत सुशिक्षित, सन्निष्ठ, भावनाशाळी अने खमीरवंता नव युवकना दिलना तार पण झणझणी उठ्या. तेना हृदय सागरमा जैन समाजनी उन्नतिना तरंगो उछळवा लाग्या. For Personal & Private Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जब जुदी कौम और मजहबके आदमी भातृभावके साथ एक जगह इकठे होकर हर बातकी दलील तकरीर करके उन्नति करने पर कमर बांधते है, तो क्या अपनी जाति और धर्मके मनुण्य इकठे होकर स्वधर्मकी तरक्की और जातिका प्रबन्ध नहीं कर सकते है ? दरेक कोम अने धर्मना माणसो पोताना उत्थान माटे कदम उठावे अने मारो समाज पाछळ रहे ? जैन समाजनी प्रगति माटेतेना संगठन माटे कोई भगीरथ प्रयत्न थवो जोईए. जैन समाजमा उच्च शिक्षणनो फेलावो करवा, जैन तीर्थोनुं रक्षण करवा, प्राचीन अमुल्य जैन साहित्यनो उद्धार करवा, समाजमांथी कुरिवाजो दूर करवा, जैन कोमना अवाजने जोरदार रीते रजू करवा अने जैन समाजना परंपरागत जाज्वल्यमान गौरवने टकावी राखवा नवयुगने अनुरूप भारतना समस्त जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाजनी एक महान संस्था स्थापवी जोईए. दिवसे दिवसे युवक पोताना विचारोमां मक्कम थतो गयो. पोतानी भावनाओने मूर्तिमंत करवानां स्वप्नो सेवतो ते पोताना मनमा अनेक योजनाओ घडतो हतो. परंतु समस्त भारत वर्षना जैन समाजने एकत्र करवान कार्य नानुसूनुं न हतुं. कठिनाइओथी अने मुश्केलीओथी डरे तेवो आ युवान नहोतो. तेनी नसोमां राजस्थानना शूरवीर राजपूतोनुं लोही वहेतुं हतु. संग्रामथी भागी छूटे ते शूर नहि. तेना दिलमां प्रकटेलो आतश वधुने वधु झगारा मारवा लाग्यो. तेनुं हृदय पुकारी रह्यु हतुं "आगे बढो". तेना दिलमां समाजसेवानी-जैन समाजना उत्थाननी तालावेली लागी हती. For Personal & Private Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सेवाना आ अबल भेखधारी ते जयपुरनिवासी श्री. गुलाबचंदजी ढढ़ा एम. ए. जेओ पाछळथी कोन्फरन्सना आद्यपिता तरीकेनुं मानवंतु बिरुद पाम्या हता अने जेमनुं नामस्मरण आजे पण जैन समाजमां एटलुंज आदरणीय गणाय छे. श्री ढहाजीना मगजमां जे विचारो घोळाया करता हता तेनो ज जाणे पडघो न होय तेम आज अरसामां भावनगरना " श्री. जैन धर्मप्रकाश" पत्रना विख्यात संपादक धर्मनिष्ठ शेठ कुंवरजी आणंदजीना दिलने पण समाजोत्थानना विचारोए हलबलावी मूक्युं हतुं. तेमणे पोताना पत्रमा “ जैन काँग्रेस भरवानी जरुर" नामनो लेख लख्यो अने " जैन समुदायनी एक मोटी सभा दरसाल एकठी थइ जात्युन्नति अने धर्मोन्नति करे" ए. बाबतनी जरुरियातनुं सारी रीते समर्थन कर्यु. संवत १९५० (सने १८९३ )ना कारतक सुद १५ना रोज भावनगरनी श्री जैन धर्मप्रचारक सभा तरफथी पालीताणामां यात्रोआमां पांच हजार हॅन्डबिल वहेंचवामां आव्यां. जेमां जुदी जुदी बाबतो उपरांत जैन समुदायनी महा सभा भरवानी पण सूचना हती. बीज दिवसे यात्रालुओनी सभा थइ. तेमां एम ठयु के श्री आणंदजी कल्याणजीनी मुख्य पेढी अमदावाद छे अने धर्मकार्यमां अमदावादना शेठियाओ अग्रपदे छे माटे कारतक वद १३ना रोज, काँग्रेसनी बेठक मेळवता पहेलां, एक प्राथमिक सभा बोलावत्री. देशना जुदा जुदा भागोमांना घणा सद्गृहस्थोए तेमां हाजरी आपवानो कॉल आप्यो. अमदावादमां नगरशेठने बंगले त्रण दिवस सभा थइ. घणी चर्चा-विचारणा पछी शेठ आणंदजी For Personal & Private Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कल्याणजीना टूस्टीओने तथा अन्य आगेवानोने बोलावीने. जैनसमुदायनी एक मोटी सभा बोलाववानो निर्णय लेवायो.. ___ संवत ' १९५०ना फागण सुदि १२-१३-१४-१५, सने १८९३ना मार्च महिनानी १८-१९-२०-२१ तारीखोए चार दिवस सुधी अमदावादना नगर शेठने बंगले सभाओ मळी. आ सभा माटे जैन जनतानो उत्साह घणो सारो हतो. बहारथी आवेला उपरांत अमदावादना मळी दररोज बब्बे हजार माणसो सभामां भेगा थता हता. आ प्रसंगे अमदावादना श्रावकोए बहारना महेमानोनी खूब आगतास्वागता करी, एटलं ज नहिं पण महमानोने गांठनो एक पैसो पण खरचवो न पडे तेनी तेमणे काळजीभरी व्यवस्था करी हती. श्री ढढ्ढाजीना. शब्दोमां कहीए तो, लग्न वखते कन्याना बाप वरना पितानी कोथळीनुं म्हों बंध करावी मांडवे एक पैसो पण खरचवा देता नथी तेम अमदावादना शेठियाओए बहारना परोणाओने एक पैसो पण खरच न थाय तेवी सुंदर व्यवस्था करी हती. आ सभामां नीचेना ठरावो पसार करवामां जाव्या हता. (१) छापरीआली पांजरापोळमां एक वेटरनरी सर्जन राखवो (२) रखोपा टीप उत्साहपूर्वक भराववी. (३) पालीताणानी धर्मशालावाळाओए यात्रीओ पासेथी अमुक रकम लईने तेमने ऊतरवा देवानो जे धारो चलाव्यो छे ते बंध कराववो. (४) जर्णि मंदिरोनो उद्धार कराववो. For Personal & Private Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२) तीर्थोनो वहीवट सारी रीते चलाववा प्रबंध करवो. (६) पालीताणाना बारोट लोकोए जे आशातना अने अडचण प्रचलित करी छे तेनो प्रबंध करवो. (७) ज्ञानमंडार कराववा अने पुस्तकोद्धार कराववो. (८) बीजी जैन काँग्रेस मुंबईमां भरवी... आ सभानी कार्यवाहीथी बधाने घणोज संतोष थयो अने सौने लाग्यु के जैन समाजनुं उत्थान हवे हाथवेतमां छे. घणा लोको “ जैन काँग्रेस "नी बीजी बेठक मुंबईमां भराय तेनी राह जोई बेठा हता. परंतु थोडा दिवस पछी अमदावादना वीशा श्रीमालीओए एवो ठराव कर्यो के मुंबईनी काँग्रेसमां भाग लेवो नहि. मुंबईमा स्वागत समिति, विषयविचारिणी समिति वगेरेनी रचना थई पण बधुं त्यांथीज अटकी गयुं अने बीजी बैठक न मळी ते न ज मळी. श्री ढाजीना दिलने आथी घणो आघात लाग्यो. घडीभर हतोत्साह थया, छतां मनने मजबूत करी आशा अमर छे एम गणी प्रयत्न चालु राखवो एवो निश्चय कर्यो. खरु ज कहुं छे के “ प्रारब्धमुत्तमजना न परित्यजन्ति" ॥ तेमणे पोताना हेतुनी सिद्धि अर्थे गुजरात-काठियावाडनो प्रवास खेडवानुं नक्की कर्यु. वडनगर-पाटण-भावनगर वगेरे स्थळोए तेमणे सभाओमां कॉन्फरन्सना फायदा, कॉन्फरन्स भरवाथी परस्पर हित, प्रीति, एकता अन संप वधे छे वगेरे बावतो पर जोरदार भाषणो कर्या. दरेक स्थळे तेमने सहकारनां वचनो मळ्यां. वडनगरमां मुनिश्री For Personal & Private Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीरविजयजी, पाटणमां मुनिश्री कान्तिविजयजी, भावनगरमां शेट कुंवरजी आणंदजी, वहोरा अमरचंदजी जशराजजी, वकील मूल. चंदजी नाथुभाई तथा श्री मोतीचंद गीरधर कापडिया वगेरेए कॉन्फरन्सना विचारने अनुमोदन आप्यु. आथी श्री ढढाजीमां हिंमत आवी अने तेमने लाग्युं के पोताना जीवननी भावना साकार बनशे खरी. पालीताणामां एक, शेठ जमनादास भगुभाईना प्रमुखपदे अने बीजी मुनिश्री दानविजयजीना अध्यक्षपणा नीचे तेमणे बे सभाओ करी. बीजी सभामां लगभग दोढसो जेटला साधुसाध्वीओ हाजर हता. श्री ढवाजी उपरांत श्रीलालन, मुनिश्री कपूरविजयजी, मुनिश्री केसरविजयजी, मुनिश्री मणिविजयजी, वगेरेए कॉन्फरन्सनी जरुरियात उपर भार मूक्यो. त्यांथी तेओ अमदावाद आव्या. अहीं मुनिश्री नेमिविजयजीना प्रयत्नथी नगरशेठने बंगले मोटी सभा थई, जेमां शेठ लालभाई दलपतभाई, शेठ मनसुखभाई भगुभाई वगरे अमदावादना अग्रगण्य शेठियाओ हाजर हता. श्री ढहा जीए भारपूर्वक जणाव्यु के अमदावादना शेठियाओ धर्ममां अग्रेसर छे तेथी कॉन्फरन्स बोलाववानुं मान अमदावादने मळे ए सर्व रीते योग्य छे. परंतु आ सभामां कई निर्णय लेवायो नहि. छेवट आधिवेशन बीजे मळे तो अमदावादना शेठियाओना सह कारनी खातरी मेळवी जयपुर आव्या बाद आ जवामर्दै जरापण नाहिंमत ना थतां श्रीफलोधीतीर्थमां कॉन्फरन्स बोलाववानो निर्णय कर्यो. For Personal & Private Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकरण २जुं कॉन्फरन्सना जन्म अने विकासना वीश सीमास्तभो-फलोधीथी मुंबई पहेलुं अधिवेशन-फलोधी मारवाडमां फलोधी एक प्राचीन ख्यातनाम तीर्थ छे. एम कहेवाय छे के त्यांना श्री पार्श्वनाथ प्रभुजीनी वेळुनी प्रतिमा जमीनमांथी घणा चमत्कारिक संयोगोमां नीकळेली. एक गृहस्थनी गाय एक वृक्ष नीचे दूध झरी जती हती. बेचार दिवस दूध नहि देवाथी गृहस्थे गोवाळने पूछयु के गाय दूध केम आपती नथी. वृक्ष नीचे गाय दूध झरती हती ते दृश्य गोवाळे गृहस्थने बताव्यु. रात्रे अधिष्ठाता देवे तेने स्वप्न आप्यु के गाय ज्यां दूध झरे छे ते स्थळे प्रतिमाजी छे. तेने बहार काढी मंदीर बनावी तेमां तेने स्थापन करो. ते गृहस्थे ते स्थळे सुंदर मंदिर बंधावी प्रतिमाजी स्थापन कों. आ तीर्थनो आ बाजु घणो महिमा छे. दर वर्षे वार्षिकोत्सव प्रसंगे राजपूताना अने मारवाडना दश पंदर हजार माणसोनो त्यां मेळो भराय छे. श्री ढड्डाजीए कॉन्फरन्सनो पायो आ पुनित तीर्थमां नाख्यो. श्री फलोधी तीर्थोन्नति सभाना जनरल सेक्रेटरी श्री. गुलाबचंदजी ढहाजीनी सहीथी बे हजार कुमकुम पत्रिकाओ काढवामां आवी अने भारतभरना एक छेडाथी बीजा छेडा सुधीना जुदा जुदा शहेरो अने गामोमां रवाना करवामां आवी. For Personal & Private Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कॉन्फरन्सना अधिवेशन माटे विक्रम संवत १९५८ना भादरवा वद ८-९, तारीख २५-२६ सप्टेम्बर १९०२ना शुभ दिवसो पसंद करवामां आव्या. श्री फलोधी तीर्थनो वार्षिकोत्सव आवतो होवाथी आ दिवसो अधिवेशन माटे घणा ज अनुकूळ हता. राजपूताना, मालवा, पंजाब, बंगाळ, गुजरात, काठियावाड वगेरे स्थळोएथी सेंकडोना संख्यामां संदेशाओ आव्या हता. देशविदेशमाथी प्रतिनिधिओ पण सारी संख्यामां ऊतरी पडया हता. सौना मुख उपर अनेरो उत्साह जोवामां आवतो हतो. स्वागतप्रमुख शेठ हीराचंद ,सचेती अजमेरवाला वती उमळकाभेर आवकार आपतां जनरल सेक्रेटरी श्री. गुलाबचंदजी ढढाए जणाव्युं के, चन्द्रनी कलानी पेठे आप सौ भ्रातृभाव वधारी एकताना झंडा नीचे एवां शुभ काम कर जो के जेथी आ लोक अने परलोकमां सारां फळ आपनार नीवडे. तेमणे जिन प्रतिमा, जिन वाणीनो उद्धार, उच्च केळवर्णानो प्रचार, जैन कोमनां हाइस्कूल, कॉलेज, बोर्डिंग हाउस वगैरेनी जरुरियात, विद्यार्थीओने मदद, साधु मुनिराजोना शिक्षण माटे जोगवाइ, मारवाडमां साधुओनो विहार, निराश्रित जैन बंधुओनी दशा सुधारवाना उपायो वगेरे प्रश्नो तरफ प्रतिनिधिओनुं ध्यान खेंची योग्य प्रबंध करवा सौने अनुरोध को हतो. ___ आ प्रथम अधिवेशनना प्रमुख थवानुं मान जोधपुरनिवासी सुप्रसिद्ध शेठ श्री बख्तावरमलजी महेताने मळ्यु हतुं. अध्यक्षस्थानेथी तेमणे समाजमा विद्योन्नति, मंदिरो तथा तीर्थोनी आशातना, टूस्टोनी सुव्यवस्था वगरे प्रश्नो उपर भार मूकी जणाव्यु के, For Personal & Private Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जे शुभ कार्यनां बीज आ तीर्थ भूमि पर वाववामां आव्यां के ते हमेशां कायम रही तरेहतरेहना उत्तम अने रंगतदार वृक्षोमां परिणमशे. आ अधिवेशनमां नीचे प्रमाणे ठरावो पसार करवामां आव्या हता: (१) आ सभानुं नाम जैन कॉन्फरन्स राखंq. (२) आ कॉन्फरन्सनुं अधिवेशन अनुकूळ स्थळे वर्षमां एक वार जरुर भरवू. (३) आपणी जैन कोम केळवणीना संबंघमां बहु पछात छे तेथी ते बाबत आगळ वधारवा जैन वर्गना आगेवान गृहस्थोए योग्य प्रयास करवो जोइए. (४) सांसारिक केळवणीनी साथे बाल्यावस्थामांथी ज धार्मिक शिक्षण आपq. (५) अनाथ जैन बंधुओ अने निराश्रित श्रावकोने आश्रय आपवा वास्ते योग्यं गोठवण थवानी आवश्यकता छे.' (६) जे जे तीर्थ अथवा परचूरण जैन मंदिर जीर्ण स्थितिमा आवी गयां होय तेनुं एक लिस्ट तैयार करावी योग्य रीति अनुसार जीर्णोद्धार माटे योग्य प्रबंध करवो. (७) फलोधी तीर्थना मंदिरनी गैरव्यवस्था तथा आशातना दूर करवी. (८) ज्यां ज्यां आपणा पुस्तकभंडारो आवेला छे त्यां त्यांना पुस्तकोनी यादी पुस्तकोनी स्थितिसह आ कॉन्फरन्स तरफथी करावीने छपाववी जोइए. For Personal & Private Use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (९) पवित्र तीर्थो परनी आशातना अटकाववा प्रयत्न करवो. (१०) जैन कोममा प्रचलित हानिकारक सांसारिक रीति रिवाजोने दूर करवा प्रयत्न करवो. (११) हवे पछीनी कॉन्फरन्स पालीताणामां अनुकूळ समये. भरवी. (१२) आ कॉन्फरन्सनुं तमाम कामकाज करवा माटे जनरल सेक्रेटरी तथा प्रान्तिक सेक्रेटरीओनी निमणूक करवी. छल्ला ठराव अनुसार अपर इन्डीआ अने लोअर इन्डीआ एम बे भाग पाडी अपर इन्डीआना जनरल सेक्रेटरी श्री. गुलाबचंदजी ढढा अने लोअर इन्डीआना जनरल सेक्रेटरी अमदावाद निवासी शेठः लालभाई दलपतभाईनी नीमणूक करवामां आवी अने चौद. प्रांतिक सेक्रेटरीओ नीमवामां आव्या. आ प्रमाणे जैन समाजनी आ महान संस्थानी जड मजबूतपणे फलोधीमां नंस्वाई. प्रतिनिधिओए खूब ज उत्साहपूर्वक अधिवेशनमा भाग लीधो. जैन समाजमा पहेली ज वार अखिल हिंदना धोरणे समुचित विचारणा अने संगठननां बीज नंखायां. पहेला अधिवेशनना ठरावोनी विस्तारपूर्वक नोंध. एटला माटे लीधी छे के तेमां जैन समाजना ते वखतना मानस अने विचारोनुं सुंदर प्रतिबिंब पडे छे; जैन समाजनी नव जागृतिनां अने विकासशीलतानां तेमां दर्शन थाय छ; अने आजे पण जे प्रश्नो जैन समाजना प्राणप्रश्नो छे ते तरफ ते युगना आगेवानो पूरेपूरा सजाग हता एनी प्रतिती थाय छे. श्री ढढाजी जेवा फक्त एक ज निष्ठावान लोकसेवक पोतानी For Personal & Private Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११ अपूर्व श्रद्धा, अदम्य उत्साह, अजोड धगश अने निःसीम मनोबळथी शुं करी शके छे तेनु प्रशंसापात्र दृष्टान्त आ अधिवेशने पूरुं पाड्युं. इतिहासमां सुवर्णाक्षरे अंकित थयेला आ प्रथम अने मंगळ अधिवेशनमां समाजनी आगेकूचनी नोबतो गडगडती नथी संभळाती शुं ! aj अधिवेशन - मुंबई फळदाइ फलोदी पार्श्व करी, आदि ने द्वितीय मुंबानगरी " पालीताणामां भरवा नक्की थयेलुं अधिवेशन, श्री पालीताणा दरबार साथ केटलीक बाबतो संबंधी झघडो चालतो होवाथी, त्यां भरवानो विचार मांडी वाळवामां आग्यो अने अमदावाद खाते आगेवान जैनोनी मळेली सभामां मुंबईमां. बीजी कॉन्फरन्स संवत १९५९ना भादवा वद १३-१४ अमास ता. १९ २० २१ सप्टेम्बर सने १९०३ना दिवसोमां भरवानो ठराव करवामां आव्यो. ते वखतना जैन समाजना जाणीता' आगेवान अने जैन बंधुओनी उन्नति माटे तन, मन अने धनथी महेनत करनार शेठ श्री वीरचंद दीपचंद सी. आई. इने स्वागतप्रमुख तररीके, शेठ फकीरचंद प्रेमचंद रायचंदने चीफ सेक्रेटरी तरीके अने कलकत्तानिवासी राय ब्रदीदासजी कालीदास बहादुर नामदार बॉईसरॉय साहेबना मुक्कीम अने झवेरीने प्रमुख तरीके चूंटी काढवामां आव्या हता. तेमणे पोताना माननीय प्रवचनमां जणाव्युं के, ८८ एक आदमी अपनी शक्तिसे सातों क्षेत्रोंका संरक्षण नहीं कर सकता, यह कार्य समुदाय से ही हो सकता है । इस वास्ते इन For Personal & Private Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ कॉन्फरन्स में अनेक लाभ होना संभव है. •• तदुपरांत जुदे २ नगर और ग्रामों के विद्वान्, बुद्धिमान् तथा धनवान् और सद्गुणी मनुष्यों का परस्पर मेल होने से आपस में भ्रातृभाव और संपकी वृद्धि होना संभव है । आ सिवाय जैन समाजने लगता अनेक प्रश्नोनी तेमणे तलस्पर्शी छणावट करी हती. आ अधिवेशनमां थयेला अगत्यना ठरावोमां दिनप्रतिदिन जीर्णावस्थाने प्राप्त करता शास्त्र ग्रंथोना रक्षणार्थे भंडारोना ग्रंथोनी टीप तथा तेना जीर्णोद्धारनी आवश्यकता, स्त्री अने पुरुषवर्गमां व्यावहारिक तथा धार्मिक केळवणीना प्रचार माटे प्राथमिक स्कूलो, हाइस्कूलो तथा बोर्डिगो बगेरे खोलवा, स्कॉलरशिपो आपवा, संस्कृत तथा मागधी पाठशाळाओ खोलवा, कन्याशाळाओ तथा श्राविका शाळाओ तथा जैन लायब्रेरीओ खोलवा, तेम ज धार्मिक विषयो पर सस्तु साहित्य तथा विद्वत्ताभरेला तेम ज बोधदायक लखाणोवाळां जैन पत्रो तथा मासिको प्रकट करवा; जैनोने सारा उद्योगे लगाडवा अने तेमने यथाशक्ति मदद करवा, हिंसा अने पशुओ उपर गुजरतुं घातकीपणुं अटकाववा, जीवदयाने उत्तेजन आपवा, कॉन्फरन्सनी योजना पार पाडवा मोटा शहेरोमां वर्किंग ऑफिसो उघाडवा, पगारदार सेक्रेटरी नीमवा, जैन धर्मनी अने जैनोनी उन्नति माटे प्रथम साधुओनी एकता थी जोइए अने तेओने माटे कॉन्फरन्स भरवा, दरेक गच्छमां एक या बे पन्यासजी नीमा अने तेमने सर्टिफिकेट आपवा, साधुओना पुस्तको संघनी पासे राखवा, श्रावको माटे जैन कलाभुवनो खोलवा, लूला, लंगडा अने आंधळा माटे For Personal & Private Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निराश्रित फंड करवा, जीर्णोद्धार माटे बीजा पैसावाळा देरासरोमाथी पैसा वापरवा, कन्याविक्रय, मरण पाछळ खर्च, रडवाकूटवाना चाल बंध करवा, जीवदया माटे उपदेशको नीमवा, जैन समुदायनी वस्ती, जीन मंदिरो, जीन प्रतिमा, ज्ञानभंडारो, पाठशाळाओ, पूर्वाचार्योप्रणीत ग्रंथो, जैन सभा अने मंडळो बाबत माहिती मेळववा जैन डिरेक्टरी तैयार करवा, बाळलग्न, वृद्धविवाह अने बीजा हानिकारक रिवाजो बंध पाडवा, स्वधर्मी बंधुओमां थतो कुसंप अटकावी ऐक्य अने भातृभाव माटे संगीन उपायो योजवा, कॉन्फरन्सना जुदा जुदा खातांनां भरायेली रकमोनो विनियोग करवा, जीर्ण मंदिरोना उद्धार अने जीर्ण मंदिरो, तीर्थो अने पुरातन लेखोनुं लिस्ट करवा, धार्मिक खातां तथा शुभ खातांना हिसाब चोखवटवाळा राखी प्रकट करवा, शत्रंजय उपर पालीताणा राज्य तरफथी ते वर्षमां थएली आशातना बदल खेद प्रदर्शित करवा, संवत्सरीना तहेवारनी रजा आपवा वगेरे बाबतना मुख्य हता. ठरावाना उपर आपेला केवळ सार उपरथी जणाशे के कॉन्फरन्सनी स्थापनानी शरुआत वखते पण आपणा समाजना मोटेराओए समाजनो कोइ पण प्रश्न वणस्पो रहेवा दीधो नथी. तेमनी दीर्घदृष्टि विषे आपणा हृदयमां भारोभार मान उत्पन्न थाय छे. तेमना लगभग प्रत्येक ठरावमां समाजनी साची नाडीपरीक्षार्नु, समाजनी जरुरियातनुं अने समाज \ इच्छे छे तेनुं प्रतिबिंब पडे छे तेम ज ते वखतना समाजजीवनना धबकारा संभळाय छे. आ अधिवेशने फक्त ठरावो करीने बेसी नहीं रहेतां तेने अमली अने सक्रिय स्वरुप आपवा श्री कॉन्फरन्स निभावफंड, श्री For Personal & Private Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुस्तकोद्धार फंड, श्री मंदिरोद्धार फंड, श्री निराश्रित फंड, श्री जीवदया फंड अने श्री केळवणी फंड एम छ अगत्यनां खातां माटे टीप करी लगभग एक लाख रुपिया उपरांतनी रकम भेगी करी. केळवणीना उत्तेजनार्थे केटलीक स्कॉलरशिपो एण जाहेर थई हती. ___ आ आधिवेशन कॉन्फरन्सना इतिहासमां एक महत्त्वनुं अधिवेशन बन्यु हतुं अने कॉन्फरन्सनी लगभग बधी प्रवृत्तिओनां पगरण आ अधिवेशनथी मंडायां हता. मुंबई शहेरना जैन समाजमां चार दिवस उत्सव- मंगळ वर्ती रह्यो हतो..ते वखते टोकरशी कविए साचे ज गायुं हतुं के, धन्य दिन आज समाज जीनसंघy, उन्नतिकरण एकत्र मळियुं धर्मव्यवहार आचारविचारमां, सार शोधी सुधाराए भळियु. श्री ढहाजीने कवि-अंजलि आपतां गाय छे के, अंग उमंग जीनसंघ ढढ्ढा खरे जंग शुभ रंग अति तें जमाव्यु. कुशळ कळ केळवी प्रबळ दळ मेळवी, बुद्धिबळ सुयश गुलाब वाव्युं. त्रीजुं अधिवेशन-वडोदरा. _____ कॉन्फरन्सनुं त्रीजु अधिवेशन गुजरातना वीरक्षेत्र वडोदरा खाते ता. २७-२८-२९ नवेम्बर सने १९०४ : सं. १९६१ : ना कारतक वद ५-६-७ ना दिवसोमां श्री अजीमगंज : मुर्शीदाबाद : For Personal & Private Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निवासी रायबहादुर बुधसिंघजी दूधोडियाना प्रमुख पदे मळ्यु हतुं. वडोदराना श्री संघे सरकारी डंको, निशान, हाथी, घोडा, बगीओ, वाजिंत्रो वगरेथी प्रमुखश्रीनो सत्कार स्टेशने कर्यो हतो. प्रमुख साहेब तेमना भत्रिजा बाबु विजयसिंघजी साथे दबदबाभरेला पोषाकमां हाथी उपर चांदीनी अंबाडीमा बिराज्या हता. तेमनो उतारो सरकारी बंगले हतो अने तेमनी तहेनातमा सरकारी बगीओ अने स्वारो राखबामां आव्या हता. स्वागत प्रमुख झवेरी श्री फते. भाइ अमीचंदना आवकारना भाषण बाद अधिवेशननुं उद्घाटन वडोदराना प्रजाप्रिय प्रगतिशील उदारचरित नृपति श्रीमंत सयाजीराव गायकवाडना शुभ हस्ते थयुं हतुं. तेओ श्रीमंत, महाराणी साहेब तथा राजकुंटुंबसह पधार्या हता अने अधिवेशननी जुदी जुदी बेठकोमा हाजरी आपी सौने प्रोत्साहित कर्या हता. श्री. सयाजीरावे पोताना उद्घाटन-भाषणमां जणाव्युं के, जैनधर्म घणो जूनो छे, बौद्ध धर्म करतां पण जूनो छे. आ एवो सादो धर्म छे के जेने हयाती भोगवतां हजारो वर्ष थइ गयां अने हजारो-मत पंथ थइ गया तो पण ते हयाती भोगवे छे त्यारे तेमां अवश्य कंइ उच्चता होवी जोइए. जो तेम न होय तो ते अदृश्य थात. मांस न खावु तथा अहिंसा परमो धर्म ए जेनो मुख्य सिद्धांत छे, तेबा धर्मनो तमे तमारा वच्चे मजबुताइथी प्रचार करो एटलं ज नहीं पण परदेशमां तेनो प्रचार करवा प्रयत्न करो. तमारा जैनवर्ग पैकीनो घणो भाग वेपारी छे, अने परमेश्वरे तमने जे कंइ संपत्ति आपी होय तेनो सदुपयोग करी संसारमा पोतानी अने सर्वनी सारी रीते उन्नति थाय तेम करवू जोइए. For Personal & Private Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रमुख साहेबर्नु भाषण पण अत्यंत मननीय अने विचारणीय हतुं. तेमां तेमणे धार्मिक अने व्यवहारिक शिक्षण, स्त्रीशिक्षण, राजभाषा, व्यापारकर्म अने हुन्नरकळानी अगत्य, जैन साहित्यनो प्रचार, जैन शिक्षण सभा, प्राचीन पुस्तकोद्धार, जैन डिरेक्टरीनी जरुरियात वगेरे विषयो अंगे-तलस्पर्शी विवेचन कर्यु हतुं. दरेक सारा काममां मुश्केलीओ आवे छे तेथी नहि डरतां आगळ वधq जोइए ए विषे बोलतां तेमणे जणाव्यु के, हर रस्ता साफ नहीं है। हर, फूल बिना कांटा नहीं है...जहां संप है वहाँ ही ताकत है, जहां संप नहीं वहां हानि है। कॉन्फरन्समें छोटे बड़ेका या धनाढ्य-गरीबका या उत्तर-दक्षिणका कुछ भेद नहीं आना चाहिये। बल्कि श्रीमंत.अपनी दोलतके बलसे, बुद्धिमान् अपनी बुद्धिके बलसे और शक्तिवान् अपने तनके बलसे इस सर्व साधारण श्रेयकाममें तनमनधनसे मदद दे कर संपकी वृद्धि करके जैनधर्मकी ध्वजा फरकाते रहें। आ अधिवेशने सर्वसाधारण ठरावो करवा उपरांत कॉन्फरन्सना बंधारण अंगेना ठरावमां चारे जनरल सेक्रेटरीओने पातपोताना विभागमा दरेक खाताने माटे खर्च करवा, जुदी जुदी ऑफिसो स्थापवा तथा प्रांतिक अने स्थानिक कमिटिओ स्थापी प्रांतिक अने स्थानिक सेक्रेटरीओ नीमी ठरावोनो अमल करवानी बाबत उपर खास भार मूकयो हतो. वळी आ अधिवेशने लोकसंपर्क बाबतमा एक कदम आगळ उठावी एक मासिक चोपानियुं काढी कॉन्फरन्सना कार्यथी समाजने माहितगार राखवा अने कॉन्फरन्सना ठरावोने पुष्टि आपवानो महत्वनो निर्णय लीधो हतो. For Personal & Private Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आ अधिवेशन अंगे जैन साहित्यने लगतु एक सुंदर प्रदर्शन भरवामां आव्युं हतुं अने तेनु उद्घाटन श्रीमंत युवराज फतेसिंहराव गायकवाडना शुभहस्ते थयुं हतुं. तेमणे पोताना ढूंका प्रवचनमां घणा सरस मुद्दा चा हता. तेमणे कहयु : “Let us hope that such conferences and exhibitions as these would induce young Jain scholars to dig deeper into the mines of learning and bring out valuable ore now burried and hidden." आपणे एवी आशा राखीए के आवी कॉन्फरन्सो तथा प्रदर्शनो यवाथी युवान जैन विद्वानो विद्यानी खाणोमां वधुने वधु उंडा ऊतरशे तथा हालना समयमां गुप्तपणे भंडारायेल मूल्यवान द्रव्य प्रसिद्धिमा लाबशे. “Other people may plead poverty in defence to their ignorance but the enterprising Jains at least who have acquired a good deal of wealth of the trade cannot be excused on their plea, and specially on the present moment." बीजाओ पोतानी अज्ञानताना कारणमां गरीबाइनुं बहार्नु बतावी शके परंतु साहसिक जैनो जेमणे व्यापार वडे पुष्कळ धन पेदा कर्य छे तेमना तरफथी आq कारण; ने खसूस करीने आ वेळाए मान्य करी शकाय नहि. For Personal & Private Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन विद्वानो अने जैन श्रीमंतोने उद्देशीने आजथी पंचावन वर्ष उपर उच्चारायला आ शब्दो आजे पण केटला' साचा अने अर्थपूर्ण लागे छे ? आ अधिवेशनना मंडपमां पधारी परम पूज्य आचार्यश्री कमल विजयसूरिश्वरजीए प्रसंगने अनुसरतो उपदेश घणी ज असरकारक रीते आप्यो हतो अने मुनिश्री विनयविजयजीए संसारनी मोहमाया उपर भाषण कर्यु हतुं. __श्रीमंत महाराजा सयाजीराव अने आचार्य श्रीमद् विजयसूरिश्वरजीनी हाजरीए जेम अधिवेशनने गौरवतुं बनाव्यु हतुं त ज प्रमाणे प्रखर देशभक्त “ स्वराज्य मारो जन्मसिद्ध हक्क छे” ए सूत्रना प्रणेता श्री लोकमान्य बाळगंगाधर टिळकनी हाजरी अने तेमना विद्वतापूर्ण प्रवचने अधिवेशनने वधुं गौरवशाळी बनाव्यु हतुं. लोकमान्य टिळके कहयु : " जैनोनो शक महावीरथी चालतो आव्यो छे. इतिहास उपरथी धर्माचार्यना नामथी शक चलाववानी पहेल जैनोए करी छे." जैन धर्मनी अहिंसानी हिंदु धर्म उपरनी असर विषे बोलतां तेमणे जणाव्यु के, ___बे हजार वर्ष पहेलां ब्राह्मणो अने जैनो छुटथी एक धर्ममांथी बीजा धर्ममां जता हता, जो के ते वखते ब्राह्मण अने जैन धर्मनो मोटो झगडो हतो. ते वखते मीमांसक एटल यज्ञयाग करवाथी मुक्ति मळे, एवो ब्राह्मणमत चाल्यो हतो. मेघदूतमां पशुवधनुं वर्णन करतां कवि कालिदासे का छे के, नदीनुं पाणी पण वध थएलां प्राणीओना For Personal & Private Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लोहीथी लाल थइ जतुं एटलो बधो पशुवध थतो हतो, ते वखते जैनोए अहिंसा परमोधर्मनुं तत्त्व बताव्युं हतुं. ब्राह्मण जैनो वच्चेना टंटार्नु कारण आ रीते हिंसा ज हतुं. पशुवध करवाथी मोक्ष नथी एम ठरावी जो कोइए पण दयानी भावना उठावी होय, तो तेनु मान जैन धर्मने छे, छेवटे ब्राह्मणोए जैनोनो अहिंसा धर्म स्वीकार्यो अने जैन तथा बोद्ध धर्म पछी कुमारील भट्ट शंकराजार्ये वेदांत धर्म स्थाप्यो. तेमणे पण जैनोनुं तत्त्व पोताना सिद्धांतोमा दाखल कयु. जैन पछी बोद्ध धर्म नीकळ्यो तेमां पण अहिंसा तत्त्व जैन धर्ममांथी लीधुं छे. ए रीते बीजा धर्मो उपर अहिंसानी छाप बेसाडवामां जय मेळवी जैनोए " जैन" नाम अन्वर्थक कर्यु छे. जैनो हिंदुस्तानना Protestants धर्मसुधारको छे. ते सुधारो हिंदमां सा माटे घाली मूकवो जोइए ? लंडनमां मुसलमानोनी मस्जिद छे ते प्रमाणे एक जैन मंदिर पण त्यां केम न होवू जोइए ?" आ ऐतिहासिक अधिवेशन प्रसंगे एकत्र थएला जैन ग्रेज्युएटोनुं मंडल श्री. गुलाबचंदजी ढढाना प्रमुखपणा नीचे एकत्र मळ्युं हतुं. तेमां जैन-श्वेतांबर ग्रेज्युएटस एसोसीएशननी स्थापना करवामां आवी हती. तेना प्रमुख तरीके श्री. गुलाबचंदजी ढहा, एम.ए., उपप्रमुख वडोदराना डॉ. बालाभाइ मगनलाल नाणावटी एल.एम. एन्ड एस. ( जेओ पाछळथी कॉन्फरन्सना दशमा अधिवेशनना प्रमुख थया हता) अने सेक्रेटरी तरीके श्री. मोतीचंद गीरधरलाल कापडिया बी.ए., एल.एल.बीनी निमणूक करवामां आवी हती. आ एसोसीएशने कॉन्फरन्सना हेतुओ पार पाडवा माटे दरेक प्रयत्न करवा अने कॉन्फरन्स तरफथी श्री. ढढ्ढाजीना तंत्रीपणा नीचे नीकळनार मेगेझिनमां धार्मिक तेम ज सामाजिक विषयो संबंधी लेखो लखवा ठराव्युं हतुं. For Personal & Private Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २० आम वडोदरा अधिवेशन धणुं ज आशावंत, फतेहमंद अने हरेक बाबतमां आगेकूच करनारुं निवडयुं हतुं, श्रीमंत महाराजा सयाजीरावे कॉन्फरन्समां बीजी मदद उपरांत रु. १,०००नी देणगी आपी हंती. सेन्ट्रल कमिटिना सेक्रेटरीओ वैद्य मगनलाल चुनीलाल, शेठ गोकळभाइ चुनीलाल तथा पादराना वकील श्री. मोहनलाल हेमचंद तेम ज वकील श्री. नंदलाल लल्लुभाइए अधिवेशनने सफळ बनावा माटे अथाक महेनत करी हती. राजकीय दबदबा साथे भरायेल आ अधिवेशन, वडोदरा संघनो उत्साह अने अधिवेशनमां थयेली नक्कर कामगीरी जोतां "वटपत्तने वटथी बन्यो छे विजय जैन समाजनो" ए कविवचन तद्दन सार्थक लागे छे. चोथुं अधिवेशन- पाटण कॉन्फरन्सनुं चोथुं अधिवेशन महाराजा कुमारपाळनी राजधानी अने कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचंद्राचार्यनी यशोभूमि गुजरातना प्राचीन पाटनगर पाटण शहरमां मुंबईना सुप्रसिध्ध श्रेष्ट अने समाजसेवा माटे तनमनधनथी सदा तत्पर एवा शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई. ना प्रमुखपदे वि. सं. १९६२ना फागण सुद २- ३-४ना दिवसोमां मळ्युं हतुं आ ऐतिहासिक नगरीमां अधिवेशन भारे उत्साह अने प्रेरणात्मक वातावरणमां मळ्युं हतुं. पट्टणीओए महेमानोनुं भावभर्यु स्वागत कर्यु हतुं. आज पाटणमां एक वखते जैनोनो जाहोजलालीनो सूर्य मध्याह्ने तपतो हतो. जैन चाणक्यो अने शूरवीर मंत्रीश्वरोनी आ कर्मभूमि हती जेने “ कलिकाल सर्वज्ञे ” पोताना अपार पांडित्यथी भारतभरमां विद्वानोनी दुनियामां मशहूर बनावी हती. For Personal & Private Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाटण अधिवेशने समाजसेवाना क्षेत्रमा एक कदम आगळ उठावी प्रथम महिला परिषद भरी अने स्त्रीसमाजनी उन्नति माटे व्यवस्थित रुपे विचार करवानी तक स्त्रीओने आपी. कॉन्फरन्सरुपी वृक्षतुं जे बीज फलोधीमां रोपायुं, जेने मुंबईए जळसिंचन करी अंकुर आण्या, वडोदरामां जे अंकुर वृद्धि पामी कुमळा छोडरुप थया तेने पाटणमां नक्कर डाळीपत्र आव्यां. ___आ वर्षमा, वडोदरा खाते नक्की थया मुजब, श्री गुलाबचंदजी दृढाना अधिपतिपणा हेठळ श्री जैन कॉन्फरन्स हेरोल्ड नामर्नु मासिक शरु करवामां आव्यु. पाटण अधिवेशनमा धार्मिक खाताओना हिसाबो चोख्खा राखवानी आवश्यकता उपर खास भार मूकवामां आव्यो हतो अने शेठ गोकळभाई दोलतराम अने शेठ चुनिलाल नहानचंदनी उदारतापूर्वकनी आर्थिक सहायथी हिसाबो तपासवा एक अलग खातानी शरुआत थई हती. फलोधि-मुंबई-वडोदरा अने पाटणमा जे ठरावो करवामां आव्या हता तेनो सक्रिय अमल करवा मुख्य मंत्रीओ अने प्रांतिक सेक्रेटरीओ खूब ज उत्साहथी काम करता हता. कॉन्फरन्सना सतत प्रचार अने प्रयत्नथी चार वर्षना ढूंका गाळामां ज जैन समाजमां असाधारण जागृति आवी हती अने घणी लोकोपकारक प्रवृत्तिओ अने धर्मकार्यो थयां हता. मारवाड अने मेवाडनी तिर्थभूमिमां आवेलां केटलांक जीर्ण चैत्योनो उद्धार करवामां आव्यो हतो. केळवणीनी बाबतमा केटलाक निराश्रित पण लायकात धरावनार For Personal & Private Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ विद्यार्थीओने तेमनो अभ्यास चालु राखवा योग्य मदद कॉन्फरन्स फंड तरफथी आपवामां आवी. पाटण अने जेसलमेरना प्राचीन जैन भंडारोनी टीप थई. देशना जुदाजुदा भागोमां पाठशाळाओ तथा कन्याशाळाओ स्थापवामां आवी. पेथापुरमां मळेली प्रांतिक कॉन्फरन्स बखते एकठां थएलां नाणांमांथी त्यां जैन बोर्डिगनी स्थापना थई. कॉन्फरन्से समाजमां केळवणीना प्रश्न उपर जे झोक आप्यो अने जे वातावरण जमाव्यं तेना परिणामे मुंबईमां पनालाल जैन हाइस्कूल खुल्ली मुकाई. अमदावादमां नागोरीसराहमां लल्लुभाई रायचंदना प्रयासथी एक बोर्डिग खुली. मुंबईमां लालबाग खाते एक बोर्डिंग स्थपाई. दशेरा उपर अने बीजा तवाना दिवसोए पशुवध बंध करवा अनेक देशी राजाओ अने ठाकोरोए फरमानो कर्या. निराश्रितोने वेपार माटे पण कॉन्फरन्से सारी मदद करी. मुंबइमां श्राविकाशाळा अने उद्योगशाळा स्थपाई. युनिवर्सिटीओना बी. ए. अने. एम. ए.ना अभ्यासक्रमोमां जैन साहित्यनां पुस्तको दाखल थयां आम कॉन्फरन्से करेला ठरावो कागळ उपर नहि रहेतां तेना अमल माटे पूरतो परिश्रम लेवामां आव्यो हतो. गामेगामना संघो पण तेमां पोतानो फालो आपता हता. ट्रंक समयमां ज कॉन्फरन्से जैनसमाजना मानसपट उपर अदश्य ते एवी सारी असर करी हती के तेना परिणामे जैनसमाजमा जाहेर जुस्सो ( Public spirit) नवां स्वरूपे स्वतंत्रतानी सुगंधी वासित थयेलो प्रकट रीते जोवा मळतो हतो. पांचमुं अधिवेशन -- अमदावाद आवा उत्तेजित वातावरणमां अमदावादमां पांचमुं अधिवेशन For Personal & Private Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि. सं. १९६३ना फागण सुदी ४-५-६, सने १९०७ना फेब्रुआरी मासनी ता. १६-१७-१८ना दिवसोमां मळ्यु. आ अधिवेशनना स्वागतप्रमुख तरकेि नगरशेठ चीमनभाई लालभाईनी अने प्रमुख तरीके अजिमगंजनीवासी राय सीताबचंदजी नाहार बहादूरनी वरणी थई हती. स्वागत समितिना चीफ सेक्रेटरी तरीके शेठ जेसंगभाई हठीसींग अने अंडर-सेक्रेटरी तरकि शेठ मणीभाई जेसंगभाई तथा झवेरी भोगीलाल ताराचंदनी पसंदगी करवामां आवी हती. शेठ मनसुखभाई भगुभाई, शेठ लालभाई दलपतभाई, शेठ चीमनभाई नगीनदास, शेठ सांकळचंद मोहोलालभाई, शेठ अमरतलाल वाडीलाल, शेठ मयाभाई नथुभाई अने शेठ मोहनलाल लल्लुभाई स्वागत समितिना उपप्रमुखो तरीके चुंटाया हता. प्रमुख श्रीनुं भव्य स्वागत करवामां आव्युं हतुं. घोडेस्वार, सायक्लिस्ट अने पायदळ स्वयंसेवकोनी टुकडीओना सरघसमां प्रमुख चार घोडानी बगीमां विराज्या हता. राजनगरना धोरी मार्गो खूब सरसरीते शणगारवामां आव्या हता. आ जैनपुरीना शेठियाओए प्रणालिकागत रीते सौ महेमानोनुं बादशाही रीते स्वागत कर्यु हतुं. आ अधिवेशने जे महत्त्वना ठरावो कर्या तेमां जैनकोममां व्यावहारिक केळवणीनी साथे नैतिक, धार्मिक अने शारीरिक केळवणांनी वृद्धि माटेना, जैन, संस्कृत अने प्राकृत साहित्यना अने दर्शनना ग्रंथो युनिवर्सिटीओमां दाखल करवा प्रयत्न करवानी आवश्यकता माटेना अने प्राचीन शीलालेखोनी शोध, संग्रह अने रक्षण करवानी आवश्यकताना ठरावो खास ध्यान खेंचे छे. जे जे For Personal & Private Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धार्मिक पुस्तको मूळ, भाषांतर अथवा नवी कृतिना छपाववामां आवे ते सर्वे कोइ पण विद्वान मुनिराजने बताबीन तेमना प्रमाणपत्र सहित छपाववानी आवश्यकता उपर कॉन्फरन्से भार मूक्यो. आ अधिवेशने सामाजिक बाबतोमा समाजने स्पष्ट दोरवणी आपवानी फरज समजी बाळलग्न, वृद्धविवाह, कन्याविक्रय, बहु पत्नित्व, मृत्यु पाछळना जमणवार, अयोग्य फरजियात खर्ची वगेरे हानिकारक रीत रिवाजोने दूर करवा अनुरोध को. श्रावको सीझाय नहि अने दीनहीन हालतमा धर्मातर थतां अटके ते माटे निराश्रीत जैनोने धंधे लगाडवानी, अनाथ बाळकोने तथा अनाथ विधवाओने आश्रय आपवानी, बाळाश्रम स्थापवानी अने जन्मपर्यंतना असाध्य रोगोथी पीडाता निराश्रित स्वधर्मी बंधुओने माटे आश्रयस्थान स्थापवानी आवश्यकता स्वीकारी. हिंदुस्तानना जुदाजुदा भागोनी अंदरथी मळी आवती जैन प्रतिमाओ मेळववामां घणी मुसीबत पडती होवाथी ट्रेझर ट्रोव अॅक्टमां जरुरी सुधारा करवा हिंदी सरकारने मेमोरीअल करवानी शेठ आणंदजी कल्याणजीनी पेढीने सूचना करतो ठराव पण करवामां आव्यो. विविध क्षेत्रोने स्पर्शता अने समाजना प्राणप्रश्नोने लगता सर्वग्राही ठरावो करी राजनगर अधिवेशन कॉन्फरन्सना इतिहासमा सीमाचिह्नरुप बनी गयु छे. आ अधिवेशनमां साधु-साध्वीओए पण सारा प्रमाणमां हाजरी आपी हती. मुनि( पाछळथी आचार्य )श्री. बुद्धिसागरजीए " महावीर शासन विजयरंगमां करो न किंचित् खामी" अने “जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सथी, शीघ्र उन्नति हि मानी" जेवां काव्यो रची आपी कार्यकरोमां उत्साहनां पूर वहाव्यां हतां. For Personal & Private Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५ नगरशेठ चिमनलाल लालभाइए पोताना स्वागत प्रवचनमां रजू करेली नीचेनी हकीकत आजे पण केटली अद्यतन अने आदरणीय लागे छे ! “बंधुओ, राजनगरमा जुदाजुदा गच्छो होवानो संभव छे; तो पण १५५८मां इंग्लांड उपर अजितसेना ( Invincible Armada) सहित चढाइ करनार स्पेइनना लोकोने हराववाने रोमन केथोलिक अने प्रोटेस्टन्ट नामना बे विरोधी धार्मिक पंथो एकत्र थया हता, ते माफक भिन्न भिन्न विचारवाळा कोमना आगेवानो कुरिवाजोरुपी शत्रूनी सेनानो संहार करवाने, धर्मनो उद्योत करवाने, अने आ कॉन्फरन्सनो विजयवावटो फरकाववाने एकमेक थया छे, ते बनावनी नोंध लेतां मने अति आनंद थाय छे. आ प्रसंग अमदावादना जैनोना इतिहासमां सुवर्णाक्षरे कोतराशे. . . आपणे इच्छीए के अमदावादना जैनो भूतकाळनो भव्य सुवर्णाक्षरी इतिहास पुनः सर्जे, अने कॉन्फरन्सनो विजयवावटो फरकतो राखवाने भिन्न भिन्न विचारसरणीवाळाओने पुनः एकत्र बेसाडी समाजने आदर्श पूरो पाडे. .. प्रमुख साहेबे पण “संपमां जय छे” ए महान सूत्रनी भेट पोताना विद्वताभर्या वक्तव्यमां आपी हती. __ आ अधिवेशन प्रसंगे कॉन्फरन्सना मंडपमा महिला परिषद योजवामां आवी हती जेना सेक्रेटरी श्री अनसूया साराभाई हतां अने प्रमुखस्थाने शेठाणी शृंगार शेठ जेसंगभाई हठीसींगनां पत्नी बिराज्यां हता. आ परिषदमां स्त्रीओने लगता खास प्रश्नोनी चर्चाविचारणा थई महत्वना ठरावो करवामां आव्या हता. For Personal & Private Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छ; अधिवेशन--भावनगर भावनगरना आगेवानो शेठ कुंवरजी आणंदजी, श्री मोतीचंद गीरधरलाल कापडिया अने अन्य गृहस्थो कॉन्फरन्सना जन्मकाळथी तेनी साथे जोडाएला हता. सौराष्ट्रमां जैनपुरी भावनगरनुं स्थान अनोखं छे. जैनसाहित्य प्रकाशननी प्रथम सरवाणीओ आ भूमिमा ज फूटेली छे. जैनपत्रकारित्वनुं पण आ उगम स्थान छे. आवा धर्म अने साहित्य क्षेत्रमा कॉन्फरन्सचं छठं आधिवेशन सं. १९६४ना चैत्र मासमां अमदावाद निवासी धर्मनिष्ठ शेठ मनसुखभाई भगुभाईना प्रमुखपदे भरायु हतुं अने तेमां अनेक महत्त्वना ठरावो थया हता. __ कॉन्फरन्सनां तमाम खातांनी रचनात्मक प्रवृत्तिआनी नोंध लई कॉन्फरन्सनो संदेशो गामेगाम पहोंचतो करवा माटे आ अधिवेशनमा अनुरोध करवामां आव्यो हतो. ___ कॉन्फरन्से अमदावाद अधिवेशन पहेलां श्री जैन श्वेतांबर मंदिरावळी भाग १लो बहार पाड्यो हतो. त्यार पछी श्री जैन श्वेतांबर डिरेक्टरीना भाग १-२ बहार पाडी आ दिशामां पण सक्रिय कामगीरी चालु राखी हती. सातमुं अधिवेशन--पूना कॉन्फरन्सनुं सातमुं अधिवेशन दक्षिणना पाटनगर पूनामां सं. १९६५मां शेठ नथमल गोलेच्छाना प्रमुखपदे मळयुं हतुं. कॉन्फरन्सनी अगाउनी बेठकोमा नीचेनां जुदांजुदां छ खातांमां रकमो भरवामां आवती हती अने जे ते खातामा खरचवामां आवती For Personal & Private Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हती. (१) श्री कॉन्फरन्स निभाव. खातुं, (२) श्री जीर्ण पुस्तकोध्धार खातुं, (३) श्री जीर्ण मंदिरोद्धार खातुं, (४) श्री निराश्रित खातुं, (५) श्री जीवदया खातु, अने (६) श्री केळवणी खातुं. कॉन्फरन्से हाथ धरेल तमाम खातां माटे नाणांनी जरुर छतां दर वरसे कॉन्फरन्सनी आवक ओछी थती जती होवाथी बधां खातां सारी रीते चलाववां अशक्य लाग्यु. तेथी चालु जमानामां केळवणी मुख्य साधन छे एम विचार करी आ अधिवेशनमा केळवणी अने निभाव ए बे फंड टकावी राखवाना इरादाथी “ सुकृतभंडार फंड "नी योजना घडवामां आवी अने एवो ठराव करवामां आव्यो के केळवणी खातानो खर्च तथा बीजा खर्चा चलावा दरेक स्त्रीपुरुषे दर वर्षे ओछामा ओछा चार आना कॉन्फरन्सने आपवा. पूना अधिवेशनमां एक बीजू पण महत्त्वनु पगलु लेवायुं. धार्मिक परीक्षाओ लेवा माटे जैन एज्युकेशन बोर्डनी स्थापना करवामां आवी अने व्यावहारिक केळवणीनो भार पण आ बोर्डने सोपवामां आव्यो. स्वतंत्र केळवणी खातुं बंध करवामां आव्यु. आ बोर्डनी प्रशंसनीय कामगीरी अद्यापिपर्यंत अविरतपणे चालु छे. धार्मिक परीक्षाओ बाबतमां आ बोर्ड एक धार्मिक शिक्षणनी विद्यापीठ बनी गई छे अने धार्मिक केळवणीने वेग आपवामां तेणे पायानु नक्कर काम कयु छे. आठमुं अधिवेशन--मुलतान अत्यार सुधी कॉन्फरन्सना आधिवेशनो दर वर्षे मळतां हता. For Personal & Private Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परंतु सातमा अधिवेशन पछी लगभग चार वर्षने गाळे सं. १९६९मां पंजाबमां मुलतान खाते आठम अधिवेशन शेठ पन्नालाल जोहरीना प्रमखस्थाने मळयु हतुं. पंजाबी भाइओनो उत्साह अवर्णनीय हतो. आखा पंजाबमांथी अने दूरदूरथी प्रतिनिधिओ अने प्रेक्षको अधिवेशनमा हाजरी आपवा उतरी पड्या हता. आ अधिवेशनमा घणा महत्त्वना ठरावो थया हता. अत्यार सुधीनां प्रथम शिवायनां तमाम अधिवेशनो गुजरात, सौराष्ट्र अने महाराष्ट्रमां थयेलां होई आ अधिवेशन पोताने आंगणे भरावाथी पंजाब गौरव अनुभवतुं हतुं. कॉन्फरन्सनी कामगिरी वधु जोरदार बनाववा आ अधिवेशनमा मक्कम निर्णया लेबाया हता. . नवमुं अधिवेशन--सुजानगढ नवमा अधिवेशनने पोताने त्यां नोंतरवार्नु मान सुजानगढ खाटी गयु. राजपुतानामां सुजानगढ महत्त्वचें स्थान भोगवे छे. मुलतान अधिवेशन पछी बे वर्षे शेठ मोतीलाल मुलजी जे. पी.ना प्रमुखपदे सं. १९७१ना माघ सुदी ११-१२-१३, ता. २७, २८, २९ जान्युआरीना रोज श्रीयुत शेठ पनेचंद जी संघवीना आमंत्रणथी सुजानगढ मुकामे अधिवेशन भरायु. आ अधिवेशनमां समाजहितने लगता अनेक सवालोनी विचारणा थई घणा महत्त्वना ठरावो थया हता. परंतु सौथी महत्त्वनो ठराव जैनोनी संख्यामा वृद्धि थवा केम पामे ते दर्शाववा सारु सदरहु ठरावनी पांचमी कलममां जैनोमा मृत्युप्रमाण For Personal & Private Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विशेष होवाना कारणो अने तेने अटकाववाना उपायो सूचववा एक समिति डॉ. नानचंद कस्तुरचंद मोदी, डॉ. मुनशी हिरजी मैशेरी, झवेरी मोहनलाल मगनभाई अने श्री नरोत्तम बी. शाहनी नीमवामां आवी हती. आ समितिए पूरतां नाणांना अभावे पोतानुं क्षेत्र मुंबई शहेर पूरतुं मर्यादित राख्यु हतुं. परंतु तेणे पोताना रिपोर्टमां करेली घणी भलामणो मुंबई बहारनाने पण तेटली ज उपयोगी थई पड़े तेवी हती. दशमुं अधिवेशन-मुंबई दशमुं अधिवेशन मुंबईमां सं. १९७२ ना चैत्र वद ४-५-६ ता. २१-२२-२३ एप्रिल १९१६ना दिवसामां डॉ. बालाभाई मगनलाल नाणावटीना प्रमुखपदे मळ्युं हतुं. आ अधिवेशनमां कॉन्फरन्सनुं रीतसर बंधारण पसार थयु हतुं. ए कारणे आ अधिवेशन महत्त्वनुं कही शकाय. बंधारण ए प्रत्येक संस्थानो प्राण छ. ए प्राणप्रतिष्ठा आ अधिवेशने करी. ते उपरांत आ अधिवेशने एज्युकेशन बोडनी निमणूक करी तेने जैनोमां हस्ती धरावती धार्मिक तेम ज व्यावहारिक केळवणीनी संस्थाओ संबंधी हकीकत मेळवी तेमने सारा पाया उपर मूकवा, पाठशाळाओमां एक सरखो अभ्यासक्रम चलाववानी गोठवण करवा, जैन वाचनमाळा तैयार करवा, वार्षिक परीक्षाओ लेवा, प्रमाणपत्रो आपवा वगेरे बाबतनी सत्ता आपी अने ते बोर्डना मानद मंत्रीओ तरीके श्री. मोतीचंद गिरधरलाल कापडिया सोलिसिटर तथा श्री. मोहनलाल दलीचंद देशाई ने नीमवामां आव्या. अत्रे For Personal & Private Use Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ याद आपq ठीक थई पडशे के श्री. मोहनलाल देशाई जेओ आपणा समाजना एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार तरीके जाणीता थई चूक्या हता तेओ कॉन्फरन्सना मुखपत्र श्री जेन कॉन्फरन्स हेरोल्ड पत्रिकाना तंत्री तरीके पण थोडा वर्षोथी सेवा आपता हता. आ उपरांत जैन युवानोंने उच्च वेपारी केळवणी आपवा बाबत, स्त्रीकेळवणी बाबत अने युनिवर्सिटीओमां जैन साहित्यने वधु ने वधु स्थान आपवा बाबतना महत्त्वना ठरावो थया हता. अगियारमुं अधिवेशन-कलकत्ता ___कॉन्फरन्सर्नु अगियारमुं अधिवेशन बंगालना पाटनगर कलकत्तामा शेठ खेतसी खीअसी जे. पी.ना प्रमुखपदे सं. १९७४ मां भरायु हतुं. आ अधिवेशनमा घणा अगत्यना ठरावो थया हता. ते उपरांत सुकृत भंडार फंडनी वसूलात बराबर थती न होवाथी त्यांना आगेवानोनी सूचनाथी एकीसाथे चार वर्षनुं फंड वसूल करवामां आव्यु हतुं. कलकत्तावासीओनो उत्साह अवर्णनीय हतो, अने स्वागत अपूर्व हतुं. बारमुं अधिवेशन-सादडी लाला दोलतराम नहारना प्रमुखपदे सं. १९७६मां गोड. बाडमां बार, अधिवेशन अति उत्साहजनक वातावरणमा मळ्यु हतुं. साराये मारवाड अने गोडवाडमांथी मरु देशनी धींगी धरतीना संतानो अधिवेशनमा हाजरी आपवा ऊतरी पड्यां हता. स्वागतप्रमुख तरीके शठ नथमलजी छजमलजीए महेमानोनो भावभीनो सत्कार कर्यो हतो. For Personal & Private Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आ अधिवेशने अनेक महत्वना ठरावो द्वारा समाजने मार्गदर्शन कराव्युं हतुं. अनेक विद्वान वक्ताओना प्रवचनो थयां हतां. प्रमुखश्रीए पोताना अति विद्वत्तापूर्ण व्याख्यानमां समाजना अनेकविध प्रश्नानी घणी ज झीणवट अने विस्तारथी समालोचना करी हती. कन्वेन्शन सम्मेलन-मुंबई समुद्रमां भरती अने ओट आवे छे. मानवजीवनमां पण चढतीपडतीरुप भरती अने ओट आवे छे. तेवी ज रीते संस्थाना जीवनमां पण भरती अने ओट आवे ए सामान्य बीना छ. भरती अने ओट सनातन छे; अने सनातन छे एटले जरुरी छे. जो भरती पछी ओट न आवे तो समुद्र छलकाई जायदुनियानो नाश करे. मानवजीवनमां भरती पछी ओट न आवे तो ते अभिमानी बनी जाय. संस्थामां पण भरती पछी ओट न आवे तो संस्थान चेतन हराई जाय, तेनो विकास अटकी पडे. कार्यकर्ताओमां अभिमान, संकुचितता अने सत्तानी साठमारी दाखल थाय. ओट आवकारदायक छे. ओटमां मानवीनी अने संस्थानी कसोटी थाय छे. धीरपुरुषो तेनाथी कदी गभराता नथी. निराश नही थतां साचा नाविकनी पेठे तेओ भरतीनी राह जुए छे अने भरती आवतां पोतानुं वहाण सहीसलामत हंकारी जाय छे. कुदरतना आ क्रममांथी आपणी कॉन्फरन्स पण मुक्त केम रही शके ?. फलोधीथी पुना सुधीना अधिवेशनोमां जैन समाजमां जे उत्साहनां पूर आव्यां हतां ते धीमे धीमे ओसरतां जतां हतां. For Personal & Private Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समाजमां जे धगश, जुस्सो अने जोम जणातां हतां ते नरम पडी गया हता. जाणे एक जातनो उदासीन भाव आवी गयो हतो. संस्थामां प्राणवायु खूटी पड्यो हतो. कार्यकर्ताओ मूंझाता हता. संस्थाने टटार केम करवी ए तेमनी चिंतानो विषय हतो. विरोधीओ संस्थाने तोडी पाडवा मथता हता अने जनसमूहनी उदासीनतानो तेमने लाभ मळी जाय एवा संयोगो ऊभा थया हता. जे संस्थाए पूरी पच्चीशी सुधी समाजना विचारवातावरण उपर जब्बर असर करी, सेवानां अनेक कार्यो कीं, पद्धतिसर काम करवानी दिशा देखाडी, समाजमां जागृति आणि, मध्यम वर्गना बंधुओने समाजप्रगतिमां अने सामाजिक खाताओमां हित छे एम बतावी आप्यु, समाजजीवनमा एक जातनी उष्मा प्रकटावी अने कई सेवको जेना पायाना पथ्थर बन्या तेने मरवा केम देवाय ? ___ आ चिंताजनक मामलामांथी तोड काढवा कार्यकर्ताओए विचारकोर्नु एम सम्मेलन बोलाववा निर्धार को. आ कटोकटीना प्रसंगमाथी पार उतारे तेवा नाविको पण जोईए. शेठ देवकरण मूळजीने स्वागतप्रमुख बनाव्या. प्रमुखपद माटे सौनी नजर जैन समाजना सर्वमान्य नेता अने बाहोश सुकानी शेठ कस्तुरभाई लालभाई तरफ गइ. तेमना पिता अमदावादनिवासी शेठ लालभाई दलपतभाईए चीफ सेक्रेटरी तरीके वर्षो सुधी जे संस्थानी सेवा करी तेमना सुपुत्र संस्थानी कटोकटीने टाणे मददे न आवे ए बने ज केम ? तेमना नेतृत्व नीचे सं. १९८१ना चैत्र वद २-३ ता. ११-१२ एप्रिल, १९२५ ना दिवसोमां मुंबई खाते कन्वेन्शन-विचार संमेलन योजवामां आव्यु. For Personal & Private Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३ स्वागतप्रमुखे पोताना भाषणमां दिलनी दाझ रजू करी. 66 छेला दश वर्षथी कॉन्फरन्सनुं नाव भरदरिये अथडाया करे छे. अमुक थोडा अपवाद बाद करतां समाजहितना प्रश्नने जाणे आखी कोम साथे कांई लागतुंवळगतुं न होय तेवी स्थिति उत्पन्न थई छे " अने तेमांथी मार्ग काढवा विज्ञप्ति करी. अमदावादना नगरशेठ श्री कस्तुरभाई मणीभाई पण आ टाणे हाजर हतां. सौए परामर्श करी नक्की कर्यु " कॉन्फरन्स जीववी ज जोईए ". शेठ कस्तुरभाईए प्रमुखस्थानेथी बोलतां भारपूर्वक कहां, के 66 " कोमना अभ्युदयना उत्तम विचार आपणी समक्ष रजू करी, तेने व्यवहारु रुपमा मूकवा कॉन्फरन्सनी खास जरुर छे. जाणे कॉन्फरन्सने आशीर्वाद आपका ज न आव्या होय तेम आ कन्वेन्शनमां राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजीनां पगलां पण थयां हां. सौमां अवर्णनीय उत्साह आव्यो. 'हिन्दनी सेवामां जैन कई रीते भाग लई शके ए. विषे तेमणे मननीय व्याख्यान आपी साची अहिंसा शुं होई शके ते समजावी ऐक्य उपर भार मूक्यो. जैन धर्ममां अस्पृश्यताने स्थान होई शके नहि एम जणावी तेना निवारण माटे तेमणे जैनोने अनुरोध कर्यो. 27 हतोत्साह थपला कार्यकर्ताओमां आ कन्वेन्शने आशानो पुनः संचार कर्यो, अने समाजना उद्धार माटे द्विगुणित उत्साहथी तेणे कमर कसी. खास अधिवेशन - - मुंबइ -- जैन कोमनो एक महत्त्वनो प्राणप्रश्न "तीर्थरक्षानो " छे. सारा भारतवर्षमां श्री जिनेश्वर भगवंतोनी कल्याणभूमिओ अने " For Personal & Private Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४ बीजी रीते महिमावाळां अनेक तीर्थो आवेलां छे. खास करीने श्री शत्रुजय, गिरनारजी, तारंगाजी, आबुजी, मक्षीजी, अंतरीक्षजी, केसरीयाजी, राणकपुरजी अने समेतशिखरजी जेवां विश्वविख्यात तीर्थोनो वारसो आपणने मळेलो छे. तेनी कलाकारीगीरी, तेनी भव्यता, अने तेनी दर्शनीयता आपणा पूर्वजोनी अचळ धर्मश्रद्धा अने कलाप्रेमनां जीवंत स्मारको छे. तीर्थोनी रक्षण करवानी फरज विषे कॉन्फरन्स हरहमेश जाग्रत हती अने ते माटे तेना दरेक अधिवेशनमा भार मुकातो आव्यो हतो. सिद्धक्षेत्र शत्रुजय ए जैनोनुं अबल नंबर- तीर्थ छे. ते वखते ते पालीताणा स्टेटनी स्थानिक हदमां आवेलुं हतुं. महान अकबर बादशाहना फरमानोथी श्री शत्रुजयनो पहाड ते उपर आवेलां आपणां भव्य मंदिरो, गढ, कुंड वगेरे आपणी संपूर्ण मालकीमां सोंपायां हता. ते उपरांत मोगल बादशाहनी वधु महेरबानीना परिणामे एक सनदमां तीर्थनी तळेटीमां वसतुं पालीताणा गाम पण तीर्थनी सेवा माटे इनामी जागीर तरीके आपणने अर्पण करायु हतुं. शत्रुजयनी यात्रा माटे परापूर्वथी देशना जुदा जुदा भागोमांथी संघो जता हता. आ संघोने मोगल साम्राज्यनी पडतीना वखतमां अंधाधुंधीना समयमा केटलकि मुश्केलीओ वेठवी पडती हती. ते वखतना पालीताणा दरबारे, जो श्रावको यात्रीओना जानमालनी रक्षा माटे काइक रकम आपे तो चोकीपहेरो राखी शकाय तेम जणाव्यु. सने १८२१मां पालीताणा दरबार अने जैनो वच्चे एवं ठयु के जैनाए पालीताणा दरबारने दर वरसे रुपिया पिस्तालीससो आपवा अने दरबारे For Personal & Private Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५ यात्रीओनुं रखोपु - रक्षण कर. सने १८६१मां ते वखतना दरबार श्री सुरसिंहजीए वधु रकमनी मागणी करवाथी, मूळ रकम वधारी रुपिया दस हजारनी करवामां आवी. सने १८८६थी चालीस वर्ष माटे आ रकम बनेनी संमतिथी पंदर हजारनी करवामां आवी. सने १८७७ना मुंबई सरकारना चुकादाथी एम ठराववामां आव्युं हतुं के : ( १ ) गढनी अंदर पोलिससंरक्षणना काम पूरतो ज ठाकोरनो काबू गणाय. (२) श्रावकोना शिष्टाचार विरुद्ध ठाकोर साहेब कोई पण भागनो उपयोग करी शके नहिं . ( ३ ) पहाडने आश्रय रहेती श्रावक कोमने तेमनी तरफथी कांई कनडगत थई शके नहि. सने १८८६मां थयेलो पटो सने १९२६मां पूरो थतो हतो. गढ़, कुंड, देरीओ वगेरे सर्व जैन कोमनी संपूर्ण मालकीना होई ते माटे कोई जातनो टेक्ष के मुंडकावेरो लेवानो पालीताणा दरवारने अधिकार नहोतो. तेम छतां तेमणे यात्राळुओ उपर कर नाखवानो पोतानो कहेवातो हक्क आगळ करी ते हक्कना बदलामां जैन कोम पाथी अतिशय मोटी रकमनी मागणी करी. जैनोना प्राचीन अने स्थापित हक्को उपर आथी तराप पडती हती. दरबार अने जैनो वच्चेनो झघडो वेस्टर्न इन्डिया स्टेट्सना नामदार गवर्नर जनरलना एजन्टने सोपायो. तेमणे पालीताणा दरबारनो यात्रालुओ उपर कर नाखवानो अधिकार मान्य राखी दरबारने जैन कोम पासेथी दर वरसे एक लाख रुपिया लेवानो अगर तेम न बने तो यात्रालुओ उपर For Personal & Private Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माथादीठ बे रुपिया मुंडकावेरो लेवानो हक छे एवो जैन कोमने हडहडतो अने घोर अन्याय करतो चुकादो आप्यो. वीजळीनो आंचको लाग्यो होय तेम आखो जैन समाज खळभळी ऊठ्यो. जैन कोमनी प्रतिष्ठा, गौरव अने तेना मालकी हक्कने पडकारवामां आव्या हता. जैन समाजमां लोकमत केळवी आ पडकारने झीलवायोग्य प्रचार अने झुंबेश चलाववानी जरूर हती. कॉन्फरन्सनी फरज कॉन्फरन्स केम चूके ? तीर्थरक्षानो आ प्रश्न हल करवा, पालीताणा दरबारे अखत्यार करेला वलण संबंधमां जैन समाजनो संगठित अवाज रजू करवा अने उभी थयेली परिस्थितिने पहोंची वळवा योग्य उपायो योजवा, जैन कोमना जन्मसिद्ध चिरस्थापित हको पर थयेला आक्रमणना सख्त आघातथी समस्त कोमनी दुःखित लागणीने एकत्रित रीते जाहेर करवा अने ते संबंधी शीघ्र संतोषकारक परिणाम लाववानी आवश्यकता उपर ब्रिटिश सरकारनुं ध्यान खेंचवा कॉन्सफरन्सजें खास अधिवेशन ता. ३१ जुलाई अने १-२ ऑगस्ट, १९२६ना रोज मुंबई खाते बाबु बहादुरसिंह जी सिंघीना प्रमुखपदे मेळववामां आव्यु. तेमां पालीताणा दरबारना जैनो प्रत्येना वलणनी सखत झाटकणी काढता अने तेमना वेरो नाखवाना हक्कोने पडकारता ठरावो थया हता अने ते विरुद्ध समाजने जाग्रत करवा आंदोलन चलाववानुं नक्की थया मुजब सखत आंदोलन चलाववामां आव्युं हतुं. घणां अगत्यनां जैन तीर्थोनो सदीओथी सफलतापूर्वक वहीवट करती आपणी सुप्रसिद्ध अमदावादनी शेठ आणंदजी कल्याणजीनी पेढीने पण पालीताणा दरबार सामेनी लडतमां आथी घणुं बळ मळ्यु. परिणामे जैनोए पालीताणा दरबारने एकता, धैर्य अने शांतिपूर्वक सफळ लडत आपी. यात्रानो For Personal & Private Use Only Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७ बहिष्कार करवा सुधीनी हदे झघडो पहोंच्यो. पुष्कळ कसोटी अने लांबी लडत पछी पाछळथी सिमला मुकामे आ प्रश्ननु सुखद समाधान थयुं अने खास अधिवेशननुं साफल्य थयु. ऐक्य अने संगठनथी समाज शुं करी शके छे तेनुं आ लडत झळहळतुं उदाहरण छे. तेरमु अधिवेशन-जुन्नेर छेल्ला सातेक वर्षथी जैन समाजमां क्लेश अने कुसंपनी एक भयंकर आंधी ऊछळी रही हती. अनेक विवादग्रस्त प्रश्नोए अने खास करीने दीक्षाना प्रश्ने जैन समाजमां भागला पाडी दीधा हता. शासनपक्ष निरंकुश दीक्षानी तरफेण करतो हतो, ज्यारे सुधारकपक्ष अयोग्य दीक्षा सामे जोशभेर झुबेश चलावी रह्यो हतो. जैन युवकसंघोनी प्रवृत्तिओ अने शासनपक्षनी यंग मेन्स जैन सोसायटीनी प्रवृत्तिओए सामसामा मोरचा मांड्या हता. समाजमां खुल्लंखुल्ला एकबीजाथी विरुद्ध मत धरावनाराओ प्रत्ये द्वेषभाव केळवाई रह्यो हतो. घरे घेर, गामे गाम अने शहरे शहेर पक्षो पडी गया हता. संघोमां, संस्थाओमां, स्वामिवत्सलोमां, जाहेर मेळावडाओमां, अने धार्मिक वरघोडाओमा ठेरठेर तेना पडघा पडता हता. ढूंकमां आखा समाजनुं वातावरण संक्षुब्ध बनी गयुं हतुं अने सलाहसंप करवाना अनेक दिशाना तमाम प्रयत्नो निष्फळ नीवड्या हता. ___ आ संयोगोमां कॉन्फरन्सनी बेठक केटलांएक वर्षोथी भरावी बंध पडेली हती, अने तेनां कार्योंमां शिथिलता आवी गई हती. आ शिथिलता दूर करवा अने जैनोमां नवचेतन रेडवाना प्रशस्य उद्देशथी महाराष्ट्रीय आगेवानोए जुन्नेर खाते तेरमुं अधिवेशन भरवा हाम भीडी. आ ते ज ऐतिहासिक भूमि हती ज्यां हिंदुपत For Personal & Private Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पादशाहीन रक्षण करनार प्रतापी छत्रपति शिवाजी महाराजनो जन्म थयो हतो. अत्रे कहेQ प्राप्त थाय छे के महाराष्ट्र हमेशां कॉन्फरन्सनो ध्वज फरकतो राखवा सतत प्रयत्नो करेला छे. कॉन्फरन्सना आदेशोनो वधुमां वधु अमल महाराष्ट्रमा थएलो छे. कॉन्फरन्सने महाराष्ट्र शेठ चुनीलाल स्वरुपचंद राजुरीकर, शेठ बालचंद हीराचंद चांदवडकर, श्री पोपटलाल रामचंद्र शाह अने श्री मोतीलाल वीरचंद शाह जेवा प्रखर देशभक्त सुकानीओ आपेला छे. ___ कॉन्फरन्स जुन्नरमां भरवानुं नक्की थतां तेमां दीक्षाने लगतो अमुक ठराव रजू थशे एम मानी लई तेनी तरफेण अने विरुद्धमा टीकानो एटलो मोटो राफडो फाट्यो के जैनसमाजनी स्थिति धूंधवाता ज्वाळामुखी जेवी होई तेने जुन्नेर खाते फाटवानी अनुकूळता मळतां भारे अनर्थ अने उल्कापात थई जशे एवो भय सेवावा लाग्यो. अधिवेशन पहेलां ज वातावरणमां एवा भणकारा संभळाता हता के जुन्नेर खाते कॉन्फरन्सनी सुधारानी किस्ती दीक्षाना सवालनी चर्चा उपर भांगीने भुक्को थई जशे. वातावरण गमे त्यारे स्फोटक बनवा संभव छे एम जाण्या छतां कॉन्फरन्सने पोताने आंगणे आमंत्रण आपी हिंमतपूर्वक मुसीबतोनो सामनो करवानी तैयारी बदल महाराष्ट्रना आगेवानोनी धर्मधगशने धन्यवाद घटे छे. अधिवेशन सं. १९८६ना महा सुद १०-११-१२ ता. ८-२१० फेब्रुआरी सन १९३०ना दिवसोमां मुंबई निवासी आगेवान श्रेष्ठी रावसाहेब शेठ रवजी सोजपालना प्रमुखपदे मळ्यु हतुं. For Personal & Private Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्वागताध्यक्ष शेठ चुनीलाल स्वरुपचंद राजुरीकर अने स्वागतसमितिना चीफ सेक्रेटरी समाजना अग्रणी कार्यकर शेठ मोतीलाल वीरचंदना अविरत प्रयासोथी आधिवेशन सफळताने वर्यु हतुं, स्वागतप्रमुख अने प्रमुखनां व्याख्यानो, विचारोनी पारदर्शकता, स्पष्ट मार्गदर्शन अने नीडर रजूआत माटे ध्यान खेंचे तेवां हतां. कॉन्फरन्स प्रत्येनी अपूर्व श्रध्धानो रणको तेमां वाक्ये वाक्ये उठतो हतो. कॉन्फरन्स प्रत्ये विरोधी वृत्ती धरावतो एक वर्ग परिषदमां भंगाण पडाववा कटिबद्ध थयो हतो; अने परिषदने तोडी पाडवा ठीक ठीक प्रमाणमां विरोधी जूथना माणसो जुन्नेरने आंगणे उतरी पड्या हता. शरुआतमां तेमणे गरम पाणी वगेरेना झघडा शरु करी प्रमुखना भाषणमाथी साधुओ अने दीक्षाने लगता फकरा रद करवा मागणी करी हती. वगर टिकिटे मंडपमा दाखल थवा दरवाजा उपर धसारो को हतो अने तेमां नहि फाववाथी स्वयंसेवको उपर हल्लो करी पथ्थरमारो शरू को हतो. धसतां टोळांने खाळवाना अने तेमने समजाववाना तमाम प्रयत्नो निष्फळ गया हता. घवाया छतां स्वयंसेवकोए अने महाराष्ट्रना कार्यकर्ताओए खूब ज संयम जाळव्यो हतो. छेवटे तोफान शांत थयु हतुं. परिषदने तोडी पाडवानी मुराद बर नहिं आववानी खातरी थतां ते मंडळी जुन्नर छोडी चाली गई हती. आ बनाव पछी परिषदनुं कार्य शांतिपूर्वक चाल्युं हतुं. आ बनावे जैनसमाज अने तेना अहिंसाना सिद्धान्तने जनसमुदायमां हांसीपात्र बनाव्यो हृतो. पोतानी मान्यता स्वीकाराववा For Personal & Private Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४० तोफानोनो आश्रय लेवानी वृत्ति बिनतंदुरस्त मानसनी निशानी छे अने कोई पण प्रगतिशील समाज, राष्ट्र के लोकशाही माटे खतरनाक छे. कोई पण संजोगोमां धर्मने नामे उग्रता आटली हदे न ज जई शके-न जवी जोईए. .. __आ अधिवेशनमा धार्मिक अने व्यावहारिक केळवणी तेम ज धार्मिक पाठ्यपुस्तको अने युनिवर्सिटीना अध्ययनने योग्य प्राकृत अने संस्कृत जैन साहित्यग्रंथो तैयार कराववा उपर भार मूकवामां आन्यो हतो. हिंदी व्यापारीने देशी वहाणवटानी उद्योगनी उन्नतिअर्थे श्री साराभाइ नेमचंद हाजी तरफथी वडी धारासभामां रजू थएल कोस्टल रीझर्वेशन बिल तथा बाललग्न अटकाववा श्री चांदकरण शारदाए रजू करेला शारदा अॅक्टने टेको आपवामां आव्यो हतो. जैन बेंक, शुद्धि अने संगठन, सार्वजनिक धर्मादा खाताओनी व्यवस्था, अतिहासिक साधनो जेवां के शिलालेखो, धातुप्रतिमालेखो वगेरेनो उद्धार, हूंडीनो दर, बँकवहीवट शारीरिक विकास, वस्तीगणतरी वखते जैनोनी वस्तीना आंकडा जुदा पाडवा, डेक्कन एग्रीकल्चरिस्ट रीलिफ अॅक्ट रद करवा, हानिकारक प्रथाओ बंध करवा, जैनोनी आर्थिक परिस्थितिनी तपास करवा योग्य प्रबंध करवा, स्वदेशी वस्तुओ वापरवा वगेरे अगत्यना ठरावो करवामां आव्या हता. सौथी अगत्यनो बनारस हिंदु युनिवर्सिटीमां जैन तत्त्वज्ञाननी चर स्थापवा रुपिया चालीस हजार ते युनिवर्सिटीने सोंपवानो ठराव थयो हतो. बीजो अगत्यनो ठराव दीक्षासंबंधी हतो जेमां कॉन्फरन्सनो एवो अभिप्राय दर्शाववामां आव्यो हतो के दक्षिा लेनारने तेनां मातापिता आदि अंगत सगाओ तथा जे स्थळे दीक्षा For Personal & Private Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१ आपवानी होय त्यांना श्री संघनी संमतिथी योग्य जाहेरात पछी दीक्षा आपवी. पाछळथी अमदावादमां भरायेला साधुसंमेलने दक्षिा बाबत जे धोरणो अन नियंत्रणो नक्की को हतां तेनी सरखामणीमां आ ठराव बहु ज नम्र, संयमशील अने मोळो छतां तेनी सामे जे जब्बर ऊहापोह थयो ए पण एक कोयडो ज छे. चौदमुं अधिवेशन-मुंबई ___ कॉन्फरन्सनुं चौदमुं अधिवेशन मुंबई मुकामे सं. १९९०ना प्रथम चैशाख वद ७-८-९, ता. ५-६-७ मे सन १९३४ना दिवसोमां बाबुसाहेब निर्मलकुमारसिंहजी नवलखाना प्रमुखपदे मळ्युं हतुं. स्वागतप्रमुख तरीकेनी जवाबदारी श्रीमान अमृतलाल कालीदास शेठे संभाळी हती. जुन्नेर कॉन्फरन्स पहेलां अने पछी आखाए समाजमां जे कुसंपर्नु वातावरण व्याप्त थयुं हतुं अने तड पडी गया हता ते सांधवा, समाजमां पुनः ऐक्यनी स्थापना करवा अने शासनपक्षना बंधुओ कॉन्फरन्सना मुंबई अधिवेशनमां भाग ले ते माटे शेठ अमृतलाल काळीदास अने अन्य कार्यकर्ताओए तनतोड प्रयत्नो कॉन्फरन्सचें अधिवेशन मळता पहेलां कर्या हता. स्वागतप्रमुख पोताना भाषणमां तेनो उल्लेख करतां का के, "बधा पक्षो वच्चे ऐक्य प्रसराववा वास्ते, ज्यारथी कॉन्फरन्स भरवानो निरधार थयो त्यारथी में माराथी बनी शकता दरेक प्रयत्नो छेक हेल्ली घडी सुधी कर्या छे. प्रयत्नो करवामां में मारा मानापमाननी दरकार राख्या सिवाय, दरेक पक्षने समजाववामां मारी छेल्लामा छेल्ली शक्ति अने लागवगनो उपयोग कर्यो छे, पण गृहस्थो, कहेवाने हुं दिलगीर छु के तेनुं परिणाम आशाजनक आव्यु नथी." For Personal & Private Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समाजनी छिन्नभिन्न अवस्था जोईने, समाजनी अंदर कुसंपनी होळी जोईने अने ककळती आंतरडीओना ककळाटने जोईने तेमनो दुःखी आत्मा पोकारी उठ्यो के सात सात वर्षोथी, “समाजनी अंदर घेरघेर क्लेश, कुसंप अने सत्यानाशीना पाया रोपवामां अने ते पायाने पाणी पाइने मजबूत बनावी मोटी इमारतो चणवामां जेणे जेणे अग्रभाग लीधो हशे, जेणे जेणे सीधी या आडकतरी रीते उत्तेजन आप्यु हशे, अने जेणे जेणे आ विद्रोहने अने ज्वाळाओने सतेज राखवाना प्रयत्नो कर्या हशे अने हजु भविष्यमां करशे ( मारा सुद्धांने ) तेने तेने जरुर कदाच आ जन्ममां तो नहि, पण परलोकमां तो पोतानां कृत्योनो जवाब जरुर आपवो ज पडशे." युवकसंघोने टकोर करतां तेमणे कह्यु के, ___ " जेनी अंदर समाजनो मोटो भाग तमाराथी विमुख रहे तेम लागतुं होय तो, तेवा प्रश्नो भविष्यने वास्ते रहेवा द्यो; हाल तो जेटलु कार्य सहेलाइथी, समाजना मोटा भागने साथे राखीने थइ शकतुं होय, तेटलं ज कार्य हाथ धरो.” तेवी ज रीते बीजा पक्षने चीमकी आपतां तेमणे कह्यं के, “शासनपक्षने पण हुं एटलं तो जरूर कहीश अने विनंतिथी कहीश के, जो आपना मनमा एम होय के, अमारा सिवाय बीजो कोई जैन अत्यारे धर्मना सिद्धान्तोनुं पालन करतो नथी, अमारे लीधे ज अत्यारे जैनधर्म टकी रह्यो छे, अमे ज जैनधर्मने टकावी राखनारा स्तंभो छीए, अमे ज श्री महावीर प्रभुना साचा पुत्रो छीए, तो अस्तुः तेम मानवानो तमने पूरेपूरो हक अने अधिकार छे; पण ते मान्यता बीजाओनी अंदर ठसाववाना तमारा प्रयत्नोमां एवं कांई पण तत्त्व हशे के जेथी समाजनी थोडीघणी रहेली शांतिनो पण भंग थशे तो, तेना जवाबदार तमे गणाशो." For Personal & Private Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रमुखसाहेबे पण समाजने स्पर्शता अनेक प्रश्नो उपरांत "ऐक्य" उपर पोताना भाषणमा खास भार मूकी एक कविना शब्दो टांक्या के, न जातिप्रेम हो जिसमें, मोहब्बत हो न भाईकी । वह मुंर्दा कोम है, जिसमें न बू हो एकताईकी । आ अधिवेशने अनेक ठरावोद्वारा हुन्नर, उद्योग अने वेपारधंधाना शिक्षण उपर भार मूक्यो, तीर्थोना रक्षण माटे एक सर्वग्राही ठराव कर्यो, बेकारीनिवारण माटे मार्गदर्शन आप्यु, नवकारशीमां कच्छी भाईओने आमंत्रण आपवान ठराव्यु, शुद्धि अने संगठन अने एक ज संप्रदायमां तेम ज फीरकाफीरका वच्चेना ऐक्य उपर भार मूक्यो, ज्ञातिओ पूरतुं ज लग्नक्षेत्र मर्यादित राखवाने बदले तमाम जैनो पूरतुं विस्तृत करवा अनुरोध को अने सार्वजनिक खाताओनी सुव्यवस्था बावत मार्गदर्शन आप्यु. वळी श्री केसरियाजी तीर्थना संरक्षण बाबत योगीराज श्री शांतिसूरिजी महाराजे करेला उपवास बदल तेमना प्रत्ये भक्ति प्रकट करतो अने ध्वजादंडनो हक्क, पंड्याओना त्रास तेम ज केसरियाजी तीर्थनी जैन श्वेतांवर संघनी मालकी बाबत योग्य इन्साफ आपवा उदयपुरना महाराणाने अनुरोध करतो, केसरियाजी तीर्थपर बोली न बोलवा बाबत, बिहार धरतीकंपथी संकटमां आवी पंडेली प्रजाने सहायता बाबत, केळवणी संस्थाओना संगठन अने स्कॉलरशिपो आपतां खातांओर्नु “ फेडरेशन" रचवा बाबत, श्री आणंद जी कल्याणजीनी पेढीना बंधारणमां समयानुकूल फेरफार करवा बाबत, साधुसंमेलने सर्वानुमतीथी करेला ठरावो बदल अभिनंदन आपवा वगेरे बाबत For Personal & Private Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ ठरावो कर्या हता. आ उपरांत आ अधिवेशने “ सकळसंघ "नी व्याख्याने विस्तृत करतो ठराव कर्यो अने “संघमां” जुदा जुदा हेतुंथी काम करती सामाजिक, धार्मिक अने साहित्यिक संस्थाओनो समावेश थाय छे एम ठराव्यु. आ ठरावना गर्भितार्थनी अत्यार सुधी कोईए खास नोंध लीधी नथी परंतु आ ठरावथी 'संघ'ना प्रणालिकागत ख्यालमां तद्दन पलटो आवे छे. बंधारणनी केटलीक कलमोमां फेरफार करी आ ऐतिहासिक अधिवेशन पूरुं थयुं हतुं. __ आ अधिवेशननी कार्यवाही उपरथी एम स्पष्ट जणाय छे के " अनैक्य अने कुसंपनां माठां परिणामोनुं सौने भान थवा लाग्यु हतुं अने तेथी चर्चाओमां एक जातनो संयम, सौहार्द अने विचारशांति देखाती हती अने " ऐक्य" थवामां बाध आवे एवी कार्यवाही हाथ धरवी नहि के भाषाथी पण वातावरण बगाडनूं नहि एवी सौना हृदयमां स्वयंस्फुरणा थई हती. पंदरमुं अधिवेशन-नींगाळा ___ मुंबई अधिवेशन पछी लगभग सात वर्षे सं. १९९७मां नींगाळा :( सौराष्ट्र )मां पंदरमुं अधिवेशन ता. २५-२६-२७ डिसेम्बर, १९४०ना दिवसोमां मळ्यु. ___ आ सात वर्षो दरम्यान दरियानां घणां पाणी वही गयां हता. जैनसमाजनी मनोदशा उपर पण काळनी अंधाण जणाती हती. क्लेश अने पक्षापक्षीनी उग्रता ओसरवा लागी हती. शांतिनी खंजरी बजी रही हती. For Personal & Private Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५ कॉन्फरन्स लांबा लांबा अने संख्याबंध ठरावो करे तेने बदले अमल करी शकाय एवा थोडा ठरावो करे ए इष्ट छे एवी सूचनाओ थती हती. तेथी मुंबईमां सन १९४०ना एप्रिलनी २६-२७ तारीखोए ऑल इन्डिया स्टेन्डिग कमिटीनी मीटिंग बोलाववामां आवी. तेणे आगामी अधिवेशने (१) कॉन्फरन्सना बंधारणमां जरुरी फेरफार, (२) आर्थिक उद्धार अने (३) केळवणीप्रचार आ त्रण मुख्य प्रश्नो उपर कार्य केन्द्रित करवानी भलामण करी. ____ अत्यारसुधी घणांखरां अधिवेशनो मोटां शहेरोमां मळतां हता. जुन्नेरे ए प्रणालिका तोडी. जुन्नर अधिवेशन पछी नींगाळा अधिवेशन ए बीजुं ग्रामविस्तारमा भरायेलुं अधिवेशन होई तेटले अंशे तेनी विशिष्टता हती. ___ आ अरसामां देशभरमां सत्याग्रहनां आंदोलन पूज्य महात्मा गांधीजी तरफथी वहेतां थयां हतां अने दरेक प्रांतमां सत्याग्रहनी लडत शरू थई हती. ऑल इंडिया काँग्रेस कमिटिना सभ्यो अने बॉम्बे प्रोविन्शियल काँग्रेस कमिटिना सभ्योने सत्याग्रह करी जेलयात्रा स्वीकारवानो आदेश मळ्यो हतो. आ आदेशना परिणामे कॉन्फरन्सनी स्वागतसमितिना मुख्य मंत्री श्री. मणिलाल जेमलभाई शेठे जेलवास स्वीकार्यो, परंतु तेमनुं काम तेमना बंधु फूलचंदभाई अने बीजाओए उपाडी लीधुं. केरी नदीना रम्य किनारा उपर “कोठारीनगरनु" सर्जन थयुं हतुं. आ आधिवेशन अनेक प्रकारे लाक्षणिक हतुं. अत्यारसुधीनां अधिवेशनोना प्रमुखो मोटे भागे गर्भश्रीमंत वर्गमांथी आवता हता. आ वखतना सेवाभावी प्रमुख श्री. छोटालाल For Personal & Private Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त्रीकमलाल पारेख सीधेसीधा आमवर्गमांथी आवता हता, अने ए रीते एक नवीन चीलो पाडयो हतो. पंदरमुं अधिवेशन होइ शणगारेला पंदर बळदना रथमां प्रमुखनु सरघस स्टेशनेथी उतारे गयुं हतुं. हाथी, मोटर के बगाने बदले पंदर वृषभोथी खेंचातो प्रमुखनो रथ ग्रामअधिवेशनने वधारे बंधबेसतो हतो. आ अधिवेशनमां भावनगरना दीवानश्री अनंतराय पटणीए खास हाजरी आपी प्रतिनिधिओना उत्साहमां वधारो को हतो. स्वागतप्रमुख श्री भगवानदास हरखचंद शाहे समाजना विकास माटे संपनी जरुरियात तरफ ध्यान खेंच्यु हतुं. प्रमुखश्रीए पोताना भाषणमा जणाव्यु के " कॉन्फरन्सनी हस्ती जूनां तथा नवां बळोना जरुरी मिश्रणनी प्रतीकरुप होवाथी एना विषे अनादर, उपेक्षा के विरोध धारण कर वो कोई पण जैनने माटे योग्य नथी." तेमणे सुधारकवर्ग अने स्थितिचुस्तवर्गने मध्यस्थ दृष्टि केळवबा अने उदासीनवर्गने उदासीनतानो त्याग करवा अने त्रणेए खभेखभा मिलावी समाजसेवाना काममा लागी जवा अनुरोध को हतो. ____ आ आधिवेशने करेला ठरावो पैकी शेठ कान्तिलाल इश्वरलाले कॉन्फरन्सने रुपिया पचीस हजारनी रकम केळवणीप्रचार माटे आपेली ते बदल तेमने अभिनंदन आपी आ योजना चालु राखबानो ठराव महत्त्वनो हतो. बीजो अगत्यनो ठराव बेकारीनिवारण अंगेनो हतो. ते उपरांत जैन बँक, अर्धमागधी शिक्षणनो प्रचार, स्वतंत्र शिक्षणसंस्थानी जरुरियात, छात्रालयोनी जरुरियात वगेरे प्रश्नोने लगता ठरावो थया हता. For Personal & Private Use Only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७ निंगाळामां छात्रालय खोलवा श्री यशोविजय जैन गुरुकुळना उत्साही गृहपति श्री फुलचंद हरिचंद दोशीए पोतानी जोरदार जबानमां नाखेली टहेलना परिणामे आ अधिवेशनमां सारं फंड थयुं हतुं. बंधारणमां पण तेणे केट लाक फेरफार कर्या. पारसी पंचायत फंड जेवू एक विशाळ अने सर्वसामान्य जैन पंचायत फंड करवानी जरुरियात स्वीकारवामां आवी. ऐक्यनी बाबतमा नक्कर पगलां भरवा अने कॉन्फरन्सन प्रचारकार्य सतत चालु राखवा सात गृहस्थोनी एक समिति चूंटवानी सत्ता प्रमुख श्रीने आपवामां आवी हती. सोळमुं अधिवेशन-मुंबई ___ अंदरखानेथी अने बहारथी ऐक्य माटेना समाजना शुभेच्छकोना प्रयासो चालु ज हता. दरम्यान मालेगाम खाते केटलाक हितचिंतक बंधुओना प्रयासथी एकत्रीस जणनी स्वतंत्र ऐक्य समिति नीमवामां आवी हती. सदर ऐक्य समितिए ता. ९मी जान्युआरी १९४२ना दिने बे ठरावो, समाजमां ऐक्य साधवाना हेतुथी कॉन्फरन्समां पसार करवा मोकल्या हता. कॉन्फरन्सनी स्थायी समितिए ता. ७ एप्रिल, १९४३नी सभामा ऐक्य समितिए मोकलेला मजकूर ठरावानुं हार्द स्वीकारी बे ठरावो कर्या. त्यारबाद अखिल हिंद जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्सनी समितिनी ता. १५-१६ एप्रिल, १९४४ना रोज सुरत मुकामे भरायेली बेठकमां ऐक्य समितिना उपरोक्त ठरावो अक्षरशः पसार करवाथी समाजना सर्व पक्षोना सहकारनी शक्यता थशे एवी मान्यताथी ते बने ठरावो अक्षरशः स्वीकारवा भलामण करतो ठराव करवामां आव्यो. For Personal & Private Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८ आ ऐक्यना वातावरण वच्चे कॉन्फरन्सन सोळमुं अधिवेशन मुंबई खाते शेठ मेघजीभाई सोजपालना प्रमुखपदे ता. ७-८-९ एप्रिल, १९४५ना दिवसोमां गोवालिया टेंकना मेदानमा मळ्युं. ___आ आधिवेशने हिंदनी राजद्वारी विषम परिस्थितिनो उकेल लाववा देशनेताओ अने राजद्वारी केदीओने मुक्त करवा ब्रिटिश सरकारने आग्रह करतो ठराव कर्यो. साधुसंमेलनना दीक्षा संबंधी ठरावने सत्कारतां तेना यथायोग्य पालन माटे काळजी लेवा मुनिवर्यो अने संघोने अनुरोध करी तेमने सतत जाग्रत राखवा पांच व्यक्तिओनी समिति नीमवानुं ठराव्युं. त्रणे फिरकाओनी कॉन्फरन्स बोलाववा वातावरण तैयार करवा भलामण करी. मध्यमवर्गने राहत माटे स्टोरो खोलवा, भोजनशाळाओ खोलवा, नाना हुन्नर उद्योगोने मदद करवा सहकारी मंडळो उभा करवा, इन्डस्ट्रीअल बेन्क खोलवा, सस्ता भाडानां मकानो बांधवा, जैन विद्यामंदिर खोलवा, धार्मिक केळवणी माटे क्रमिक वांचनमाळा तैयार करवा, केळवणीप्रचारनी योजना चालु राखवा, वगेरे ठरावो कर्या हता. ऐक्य समितिए भलामण करेला बे ठरावो अधिवेशन समक्ष रजू थतां ते उपर खूब गरमागरम चर्चा थई हती. ऐक्य समितिनो आग्रह हतो के बन्ने ठरावो कानामात्रनो फेरफार कर्या सिवाय पसार करवा जोईए. आनुं परिणाम ए आव्युं के, प्रतिनिधिओमां ऐक्यनी भारे तमन्ना छतां, कानोमात्रा फेरकार नहि करवानी शरते एक जातनो प्रत्याघात निपजाव्यो अने भारे रसाकसीपूर्वक मत लेवातां अल्प बहुमतीथी बन्ने ठरावो ऊडी गया. कार्यकर्ताओए For Personal & Private Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४९ बीडं झडपेखें, अने सुरत अखिल हिंद समितिए भलामण करेली होई बन्ने ठरावो निर्विघ्ने पसार थई जशे एवी पूरी आशा हती अने तेथी कॉन्फरन्सना प्लेटफोर्म उपर बन्ने पक्षना आगेवानो एकत्र मळ्या हता. परंतु भारे उश्केराटना वातावरणमां ठरावो ऊडी जवाथी केटलाक गृहस्थो वॉक-आउट करी गया हता. परिणाम कोईने गमतुं नहातु छतां बहुमतीनो निर्णय स्वीकार्या सिवाय छूटको न हतो. लोकमानसना जुवाळy माप काढवू घणी वखते कठिन थई पडे छ. सत्तरमुं अधिवेशन-फालना अनेक तडकीछांयडीमांथी पसार थई चूकेली कॉन्फरन्सनी नैया धीमे धीमे मजल कापी रही हती. घडीक किनारो देखातो तो घडीक अदृश्य थतो, आशानिराशा वच्चे झोलां खाता नाविको मधदरिये वहाण हंकारी रह्या हता. क्वचित् दरियो तोफाने चढतो अने वहाण झोलां खातुं त्यारे नाविकोना जीव पडीके बंधाता. क्वचित् दरियो शान्त थतो अने नाविकोमां हिंमत आवती के वहाण सफळतापूर्वक किनारे पहोंची जशे. घोर निराशामां ये अखूट श्रद्धापूर्वक तेओ सुकान उपर काबू राखवा प्रयत्न करी रह्या हता. छेल्लं मुंबई अधिवेशन भराये पांच वर्ष बीती गयां हता. आगळना अधिवेशन माटेनो समय परिपक्व थई चूक्यो हतो. एवामा फालनामां अधिवेशन भरवा श्री गोडवाड संघर्नु आमंत्रण मळ्यु जे सहर्ष स्वीकारवामां आव्यु. समाजसेवा माटे जीवन अर्पनार प्रखर विद्याप्रेमी प्रगतिशील अने धर्मना उद्योतनी धगश जेना हैये For Personal & Private Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हती एवा शेठ कान्तिलाल ईश्वरलाल जैवा प्रमुख आ.अधिवेशनने मळ्या. आंतरराष्ट्रीय ख्यातिने वरेला जैनसमाजना मुकुट समान शेठ कस्तुरभाई लालभाईना हाथे तेनुं उद्घाटन थयु, अने आ सर्व उपर कळश समान पूज्यपाद जैनाचार्य श्री. विजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराज साहेबनी हाजरी अने छत्रछायाद्वारा तेने आशीर्वाद सांपड्या. आवा सुंदर त्रिवेणीसंगम जेवा त्रण महापुरुषोनो योग आ अधिवेशन- प्रेरक बळ बनी रह्यु. ___ स्वागतप्रमुख शेठ मूलचंद छजमलजीए धार्मिक पाठ्यपुस्तको तैयार करवानी तेमज समाजनी विपुल ज्ञानसमृद्धिना उपयोग माटे विद्वानो तैयार करवानी आवश्यकता जणावी समाजमां ऐक्यनी जरुरत उपर खास भार मूक्यो. प्रमुखश्रीए पण धीरगंभीर भाषामा जणाव्यु क, " हुं दरेक वर्गनो साथ भेळववा तनतोड महेनत करीश... कॉन्फरन्सनो आजे नवो जन्म थयो छे.'' तेमणे जैन विद्यापीठ अने साधुसंस्थामा संगठननी आवश्यकता उपर भार मूकी केळवणी अने मध्यम वर्गनी स्थिति सुधारवा माटे सर्व कांइ करी छूटवा आग्रह को हतो. गोडवाड प्रदेशने नंदनवन बनावनार ने ज्ञाननी परबो जेवी विद्यालयो रचनार आचार्यश्री विजयवल्लभसूरिजीए पूर्ण गंभीरतापूर्वक अधिवेशनमा जणाव्युं हतुं के, " जो समाजमा ऐक्य सधातुं होय तो हुँ मारु आचार्यपद छोडी देवा पण तैयार ." For Personal & Private Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वयोवृद्ध आचार्यश्रीना आ शब्दो सांभळी सौनां हैयां गदगद् थइ गयां हता. सं. २००६ना महा सुद १५ अने वद १ ता. २-३, फेब्रुआरी, १९५०ना रोज भरायेलं आ आधिवेशन ब्रिटिश शासनमांथी मुक्ति मेळवी भारत देश आझाद थया पछी- सौथी पहेलं आधिवेशन होई भारतना स्वतंत्र लोकतंत्रने आवकारतो ठराव सौ प्रथम पसार थयो हतो. बाद देवद्रव्य, जिनमूर्ति अने जिनमंदिर सिवाय बीजे वापरी शकाय नहि तेवो, धी बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट अॅक्टमा सुधारा सूचवतो तेम ज भिक्षाप्रतिबंधक कायदामांथी जैन साधुसाध्वीओने बातल करवा बाबतनो, मध्यमवर्गने राहतनो, गौवधप्रतिबंध अने दारुबंधी, माटे सरकारने आभिनंदन आपतो, कॉन्फरन्सना बंधारणने सुधारवानो, कॉन्फरन्स कार्यालयनी प्रथा तथा आगामी अधिवेशननी कार्यवाही राष्ट्रभाषा हिंदीमा ज करवानो, केसरियाजी तीर्थ, जैन श्वेतांबर तीर्थ होई ते वहेलामां वहेली तके जैन श्वेतांबर समाजने सोंपी देवानो, चस्तीगणतरीमा जैनो माटे जुएं कॉलम राखवानो अने कॉन्फरन्सचें मुखपत्र चालु करवानो वगेरे अगत्यना ठरावो थया हता. सौथी अगत्यनो ठराव ऐक्य बाबतनो हतो. मुंबई कॉन्फरन्से मालेगाम ऐक्य समितिना ठरावो बहुमतीथी उडावी दीधा हता तेथी घणा आगेवानो अने समाजना हितचिंतकोना दिलमां वसवसो रही गयो हतो के जो आ ठरावो पास थया होत तो जरुर ऐक्य थात. तेथी केवळ ऐक्यने खातर अने विरोधी पक्षने मनावी लइ एक मंच उपर एकत्र करवानी एक मात्र शुभ निष्ठाथी फालना अधिवेशनमा एकत्र थएला प्रतिनिधिओ " कडवो चूंटडो" उतारी गया हता For Personal & Private Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२ अने आगला अधिवेशनमां ऊडी गएला ठरावो .सर्वानुमतीथी पसार कर्या हता. " ऐक्य "नो आ ऐतिहासिक ठराव नीचे प्रमाण छ : " जैन धर्म अने समाज उपर जुदां जुदां क्षेत्रोमांथी जे आक्रमणो हाल थई रह्यां छे तेनो प्रतिकार करी जैनोनी सर्वांगी प्रगति साध्य करवा कॉन्फरन्स ए ज एकमेव कार्यक्षम संस्था के अने तेने संपूर्ण मजबूत बनाववा माटे बधी जातना प्रयत्नो करवानुं आपणुं ध्येय होवू जोईए ए उद्देश ध्यानमा राखी ऐक्य माटे वधु अनुकूळ वातावरण निर्माण करवू जोईए. ते माटेना प्रथम पगला तरीके मालेगाम ऐक्य समितिए पसार करेला अने सुरत मुकामे मळेली स्टेन्डिंग कमिटिए पसार करेला नीना ठरावो आ कॉन्फरन्स पसार करे छे: ठराव नं. १ श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक कॉन्फरन्स सने १९३४मां अमदावाद मुकामे साधुसंमेलने करेला दीक्षा संबंधी ठरावने वधावी ले छे अने तेणे (कॉन्फरन्से) अथवा तेनी कोई पण पेटासमितिए करेला वडोदरा राज्यना दीक्षा संबंधी अने बीजा दीक्षा संबंधीना ठरावो आथी रद करे छे. ठराव नं २ ऐक्य समिति जैन समाजने भारपूर्वक भलामण करे छे के श्वेतांबर मूर्तिपूजक धर्मना सिद्धांतो अने प्रचलित अनुष्ठानो जे प्रमाणे मान्य रखाता आव्या छे ते प्रमाणे जैन संस्थाओ तेने मान्य राखशे, एटलं ज नहि पण तेना अधिकारी के ओढेदारो तरफथी तेने हीणपत पहोंचे तेवू बोलवामां के लखवामां आवशे नहि." For Personal & Private Use Only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आ ठराव पछी समाजनुं वातावरण जरुर हळवू बन्युं छे, अने जे गृहस्थो कॉन्फरन्सथी दूर रहेता हता ते कॉन्फरन्सना मंच उपर आवता थया छ परंतु कॉन्फरन्समां सौ दिलपूर्वक एकत्र थइ तेनी पूर्वनी जाहोजलाली अने सोनेरी दिवसो तेने पुन: प्राप्त करावशे एवी आशा राखवामां आवी हती. ए आशा हजी परिपूर्ण थवी बाकी छे. आ स्थळे आपणा समाजना सर्वमान्य नेता शेठ कस्तुरभाईना पिता स्व. शेठ लालभाई दलपतभाइना वडोदरामां भरायला त्रीजा अधिवेशनना मंच उपरथी उच्चारायेलां नीचेनां शब्दमौक्तिको आजे पण सौए विचारवा जेवां छे. ___ " जो आपणने एम लागे के, आपणो अमुक भाई अमुक चूक करे छे तो तेने ते बताववी ए आपणी फरज छे. तेम करवाथी ते सुधरे तो घणुं सारं अने न सुधरे तो दर गुजर करवी, पण ते बाबत विरोध करी तेनाथी जुदा पडवू ते आपणने उचित नथी. आवा सामुदायिक काममा अडचणो घणी आववानी पण जो दरेक जण एक कुटुंबना सभ्य मुजब वर्ते तो कोई पण वखते गेरसमज नहि थाय. दाखला तरीके गरीब कुटुंजमां अमुक मतभेद पडतां माणसो रिसाईने जता रहेता नथी ने वखते रिसाय छे तो तेने मुरब्बीओ मनावी ले छे. ते ज तोरपर आगणे न्यातमां, संघमां अने कॉन्फरन्समा काम लईशं तो कदी पण खेंचताण थशे नहि अने सदा नभ्या करशे." अढारमुं अधिवेशन-जूनागढ फालना अधिवेशन पछी कॉन्फरन्सने तेना गौरवशाळी पदे पुनः स्थापन करवा कार्यकर्ताओए तेम ज प्रमुख शेठ कान्तिलाल इश्वरलाले भारे परिश्रम उठावी गामेगाम फरी मध्यम वर्गनी आर्थिक For Personal & Private Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४ स्थिति सुधारवा खूब ज प्रयत्नो कर्या हता अने आशरे एक लाख रुपियानुं फंड एकटुं कर्यु हतुं. फालना अधिवेशनना ठरावो कागळ उपर नाहं राखतां तेना अमल माटे शेठ कान्तिलालभाईए निष्णातो, सरकारी अमलदारो वगेरेने मळी व्यवहार योजना घडी गृह उद्योगो माटे केन्द्रो उघाडवानी, सस्ता स्टोरो खोलवानी, रेशनमां राहत माटे मदद आपवानी अने मेट्रिक सुधीना विद्यार्थीओने फी अने पाठ्यपुस्तको माटे सहाय करवानी रचनात्मक प्रवृत्तिओ शरु करावी. तेमनी धगरा, लागणी, कॉन्फरन्सना उत्थान माटेनी अविरत प्रवृत्तिओ अने समाजनी सुंदरतम अनेकविध सेवाओने लक्ष्यमा लई अढारमा अधिवेशननो ताज पण फरीवार तेमना शिरे पहेराववामां आव्यो, फालनानी जेम जूनागढ अधिवेशननुं उद्घाटन पण शेठ श्री कस्तुरभाई लालभाईना वरद हस्ते थयुं हतुं. ता. २७-२८ मे १९५१ना दिवसोमां मळेला अधिवेशनना स्वागतप्रमुख शेठ परसोत्तम सुरचंदे सौराष्ट्रने तीर्थोनी, संतोनी, साक्षरोनी, स्वप्नदृष्टाओनी अने शहीदांनी भूमि तरीके ओळखावी हती. तेमणे “ साधर्मीना सगपण समुं अवर न सगपण कोई " ए. सूत्र उपर भार मूकी तेमना माटे सर्व कई करी छूटवानो अनुरोध कर्यो हतो. प्रमुखश्रीए पण श्रावक श्राविकाक्षेत्र ने मजबूत करवा उपर ज भार मूकी नाना नाना उद्योगो शरु करी दूंका तथा लांबा गाळानी योजनाओ अपनाववा जणाव्युं हतुं. आ अधिवेशने पसार करेला ठरावोमां श्रम उपर खास भार मूकवामां आव्यो, मध्यमवर्गने राहत आपवानी योजना चालु For Personal & Private Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राखवा- ठरावी तेने पहोंची वळवा फंड अने श्रावकश्राविकाक्षेत्रना उत्कर्ष माटे संपूर्ण योजना तैयार करवा स्थायी समितिने भलामण करी, जेसलमेर ज्ञानभंडारना उध्धारार्थ पूज्य मुनिश्री पुण्यविजयजीमहाराजसाहेबे अथाग परिश्रम सेवी ते भंडारने सुव्यवस्थित करवा बदल तेओश्रीने अभिनंदन आपी कॉन्फरन्से आ प्रवृत्ति हाथ धरी तेमां जुदा जुदा ज्ञानभंडाराने सहायता आपवा विनंति करी, जैन धर्म अने सिद्धांतो उपर अवारनवार थता आक्षेपोना प्रतिकारार्थे समुचित फंड आदिनी व्यवस्था करी एक समिति नीमवा स्थायी समितिने भलामण करी. कॉन्फरन्सनी स्थापनाने ते वर्षे पचास वर्ष पूर्ण थतां होई योग्य रीते खास आधिवेशन द्वारा सुवर्ण महोत्सव ऊजववा नक्की कर्यु. कॉन्फरन्सना बंधारणमा सुधारा कर्या. बावीसमा तीर्थकर श्री नेमनाथ अने सती राजुलनां पगलांथी पुनीत बनेला गरवा गढ गिरनारनी तळेटीमां वसेला आ जूनागढनुं अधिवेशन संख्यामां थोडा छतां महत्त्वमां जरा पण ओछा नहि एवा ठरावो करवा माटे यादगार वनी गयु. केळवणीप्रचार अने मध्यम वर्गना उत्कर्ष माटे संगीन योजना घडी तेना अमलनो मक्कम निर्धार करवा बदल आ अधिवेशने कॉन्फरन्सनी तवारीखमां आगळ पडतुं स्थान मेळव्युं छे. आ अधिवेशननी साथे साथे जैन महिला परिषदनुं अने जैन स्वयंसेवक परिषदर्नु छर्छ आधिवेशन पण मळ्युं हतुं. स्वयंसेवक परिषद तरफथी एक सुंदर चित्रप्रदर्शन तथा प्रचार साहित्यनी गेलेरी उभी करवामां आवी हती. For Personal & Private Use Only Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ओगणीसमुं सुवर्ण जयंती अधिवेशन--मुंबई कोई पण संस्थाने माटे पचास वर्षनुं आयुष्य ए गौरवना विषय कही शकाय. जे संस्था लोकोपयोगी कार्यों करती रहे, जे समाज ने ऊर्ध्व गतिमां दोरे, जेने निष्ठावान सेवकोनी सेवा मळे अने जे संस्थामां प्राण अने चैतन्य धबकतुं होय त ज दीर्घायुष्य प्राप्त करे छ. आवी संस्थानो पचास वर्षनी यशस्वी कारकिर्दीनो उत्सव - सुवर्ण महोत्सव ऊजवाय ए केवळ उचित ज नहि पण जरुरी छ, कारण के आवी संस्थानी यशोज्वल कारकिर्दीतुं स्मरण करवानो अने तमाथी प्रेरणा लई भविष्यमां धर्म अने समाजने वधु उन्नत करवा माटे दृढनिश्चयी बनवानो आवा प्रसंगो तक पूरी पाडे छे. कॉन्फरन्सनी पचास वर्षनी सुदीर्घ सेवान गौरव करवा, तेने श्रद्धांजलि आपवा मुंबई खाते सुवर्ण जयंती अधिवेशन सं. २००(ना जठ वद ६-७-८ ता. १३-१४-१५ जून १९५२ना दिवसोमां योजवामां आव्युं हेतु. कॉन्फरन्सना आद्य संस्थापक श्री गुलाबचंदजी ढढ्ढा जेमणे आ संस्थाने जन्म आप्यो अने पाळी पोषी मोटी करी तेओ तेमनी आ अपत्य संस्थानी सुवर्ण जयंती जोवा हयात हता. तेमनुं आ प्रसंगे योग्य गौरव अने सन्मान करवामां आव्युं हतुं. सहृदयी समाजसेवक अने आ अधिवेशनना स्वागताध्यक्ष श्री खीमजी एम. भुजपुरीआ जे. पी.ए पोताना आवकारना भाषणमा खरं ज कहूं के, “बहु थोडा ज भाग्यशाळी आत्माओ एवा होय छे, के जेमनां स्वप्नांओ समाजने उन्नतिना मार्ग लई जतां, पोतानी सगी आंखे दशकाओ सुधी जोई शके छे. आQ सद्भाग्य माननीय मुरब्बी श्री ढहाजीने सांपडयु ए जाणी कयो जैन आनंद अने गौरव न अनुभवे ?" For Personal & Private Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 210 अधिवेशनना प्रमुख तरीके शेठ श्री अमृतलाल कालिदास दोशीनी वरणी पण तद्दन सुयोग्य हती. जेमनामां श्री अने सरस्वतीनो संयोग थएलो होय एवी विरल व्यक्तिओमांना तेओश्री एक हता. जैन धर्मना तत्त्वोनी ऊंडी समज, साहित्यनी उपासना अने सेवा, अने समाजनी साची नाड पारखवानी तेभनी सूक्ष्म दृष्टि आ वगेरे गुणोथी तेओ आ अधिवेशनना योग्य कर्णधार तरीके साबित थया हता. तेमना विद्वत्तापूर्ण अने मननीय व्याख्यानमा तेमनां आ लक्षणोनी बराबर छाप उठती हती. जैनसमाज माटे पोतानुं सर्वस्व न्योछावर करनार, समाजउत्कर्षनी हरहमेश चिंता करनार, समाजमां शिक्षणप्रचार अने मध्यमवर्गनी सहाय माटे झझूमनार आचार्य श्रीमद् विजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराजे, फालना पछी बीजी वार आ अधिवेशनने पोतानी हाजरीथर्थी पावन कर्यु हतुं. तमणे समाजना दीनहीनो माटे सक्रिय कार्य करी बताववा अन नाणांकोथळीनी दोरी छोडी नाखवा सौने अनुरोध को हतो. लेभनी प्रेरणाथी मध्यमवर्गना उत्कर्ष माटेना फंडमां आ अधिवेशनमा रु. १,६४,६३५-१२-० लखाया हता. मध्यमवर्गना उत्कर्षनो प्रश्न एटलो मोटो छे के आचार्यश्रीने आ रकम घणी नानी लागी. तेमणे आ फंडने विकसाववा माटे प्रतिज्ञा करी जेना परिणामे कुल रु. ४,४९,४४२१४-३नी रकमनां वचनो मळ्यां हता. आचार्यश्रीनी धगश अने तेमना पुण्यप्रभावथी कॉन्फरन्सना कार्यने घणो वेग मळ्यो अने सुवर्ण जयंती अधिवेशन सूरश्विरजीना सुप्रभावे थयेली सुवर्णवर्षाथी सफळ थयु. For Personal & Private Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८ आ अधिवेशने जुदा जुदा ठरावोद्वारा जैनबाळकोने धार्मिक शिक्षण आपवा उपर तम ज व्यावहारिक शिक्षणमा हुन्नर उद्योगर्नु शिक्षण आपवा उपर भार मूक्यो. श्रावकश्राविकाक्षेत्रना उत्कर्ष माटेनुं फंड विस्तृत करवा उपर झोक आप्यो. राष्ट्रोन्नतिना काममां जैनोए वधु ने वधु भाग लेवा अनुरोध को. ते उपरांत संस्कृतिरक्षण अंगेनो, जैनधर्म अपनावनार कोइ पण देश, वर्ण के ज्ञातिनी व्यक्तिने जैन गणवानो अने जैन तरीकना हक्को आपवा बाबतनो बंधारणमां फेरफार करवानो, केसरियाजी तीर्थनी बोली तथा श्वेतांबर समाजना हक्को बाबतमां रिपोर्ट करवा समिति नीमवानो, जैन समाजना तमाम फिरकाओना संगठननो वगेरे ठरावों थया हता. सुवर्ण जयंती अधिवेशननी कार्यवाही पण कॉन्फरन्सना इतिहासमा सुवर्ण युग लावनारी नीवडशे एवी आगाहीओ थती हती. सुवर्ण जयंती अधिवेशनना प्रमुख श्री अमृतलाल कालिदास दोशीए पाछळथी १९५३मां राजीनामु आप्युं हतुं. तेमना स्थाने जाणीता समाजसेवक, प्रखर वकता अने महान देशभक्त पुनानिवासी श्री पोपटलाल रामचंद्र शाह, एम.एल.ए.नी निमणूक करवामां आवी हती अने पछीन अधिवेशन मळता सुधी तेओ चालु रह्या हता. चार वर्षनी पोतानी प्रमुख तरीकेनी कारकिर्दीमा तेमणे गामे गाम फरी पोतानी अद्भुत वक्तृत्वशक्तिथी अने कॉन्फरन्स प्रत्येनी अगाध भक्तिथी कॉन्फरन्सना संदेशने लोकहृदय सुधी पहोंचाडवा समर्थ प्रयत्न कर्यो हतो. वीसमुं अधिवेशन-मुंबई कॉन्फरन्सनुं वीसमुं अधिवेशन ता. २९-३० जून अने १ जुलाई, For Personal & Private Use Only Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९५७ना दिवसोमा पोताने आंगणे मेळववानुं मान पण मुंबई खाटी गयुं हतुं. वीस अधिवेशनोमांथी छ अधिवेशनो तेम ज कन्वेन्शन अने शत्रुजय अंगेनु खास अधिवेशन मळी कुल आठ अधिवेशनो मुंबई खाते भरायां हतां. आ हकीकत जेम मुंबई माटे गौरवप्रद छ तेम मुंबई बहारनाओ पासेथी गंभीर विचारणा मागी ले छे. कॉन्फरन्स समस्त भारतना जैनोनी होई मुंबई बहारना जैनोनी जवाबदारी मुंबईना जैनो करतां सहेजे उतरती नथी. तेधी जुदा जुदा प्रदेशना जैनोनो कॉन्फरन्सने पोतपोताना प्रदेशमा निमंत्रवानो धर्म थई पडे छे. स्वागतप्रमुख श्री हरखचंद वीरचंद गांधीए पोताना स्वागतप्रवचनमां समाजनी आर्थिक परिस्थिति, केळवणी, धर्म, समाज, साहित्य, वगेरे प्रश्नो उपर मननीय विचारो प्रदर्शित करी जैन विद्यापीठ, मध्यवर्ती समृद्ध पुस्तकालय अने जैनकला, शिल्प अने स्थापत्यना संरक्षणार्थे संग्रहालयनी स्थापनानी आवश्यकता उपर भार मूक्यो हतो. ___अधिवेशन- उद्घाटन शेठश्री मेघजीभाई पेथराज शाहे कर्यु हतुं. त्यारबाद आचार्यश्री विजयधर्मसूरीश्वरजीए मंगळस्तोत्र संभळावी मार्गदर्शक अने प्रेरक प्रवचन करी साधर्मिक बंधुओना उत्कर्ष माटे “ उदारभावे धननो वरसाद " वरसाववा अनुरोध करी " कॉन्फरन्स तीर्थरक्षा, शासनरक्षा अने साधर्मिक बंधुओना उत्कर्षनां सुंदर कार्यों करवा द्वारा सफळताने वरो" एवी अभिलाषा व्यक्त करी हती. आचार्यश्री गुणसागरसूरीश्वरजीए आ आधिवेशनमां छेल्ला दिवसे जैन संस्कृति, केळवणी, राजकारणमां सक्रिय भाग लेवानी जरुर अने एकता वगेरे प्रश्नो उपर अमूल्य मार्गदर्शन आप्यु हतुं. For Personal & Private Use Only Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६० आ अधिवेशनना प्रमुखनो ताज जाणीता उद्योगपति अने समाजसेवक कलकत्तानिवासी शेठ मोहनलाल लल्लुभाई शाहने पहेराववामां आव्यो हतो. तेमणे पोताना मननीय व्याख्यानमा दुनियानी वर्तमान परिस्थितिनुं विहंगावलोकन करी श्रावक-श्राविका उत्कर्ष, जैनो अने राजद्वारी क्षेत्र, व्यापार उद्योग, धार्मिक केळवणी, व्यावहारिक केळवणी, जीर्णोद्धार, वगरे महत्त्वना प्रश्नो चची अधिवेशनने मार्गदर्शन आप्यु हतुं. आ अधिवेशने पसार करेला महत्त्वना ठरावोमा जैनोए राजकारणमां वधु अने वधु रस लेवा बाबतनो, सरळ भाषामां जैनधर्मनां पुस्तको तैय र कराववा बाबतनो, श्री केसरियाजी तीर्थमां चालती आशातना, गेरव्यवस्था अने पंड्याओना त्रासद् निवारण करवा वहीवट जैन गृहस्थोनी कमिटीने सोपवा बाबतना, आक्षेप प्रतीकारनो, धार्मिक अने नैतिक केळवणी शाळाओमां आपवा बाबतनो, पब्लिकटूस्टनां नाणां नियत करेला उद्दशथी बीजी रीते खरचवामां खोटी रीते सीप्रेनो सिद्धान्त लागु कराय छ ते बंध करवा बाबतनो, ग्रामपंचायतोने यात्राळुवेरो नांखवानो अधिकार आपती कलम ग्रामपंचायतना कायदामाथी रद करवानो, रतलामना श्री शांतिनाथजी देरासरनो कबजो जैनसंघने सोंपी देवा बाबतनो, बधा फिरकाओ वच्चे भ्रातृभाव अने निकटता केळवी संगठन करवा बाबतनो, समाजउत्कर्ष माटेनो अने बंधारणमा सुधारावधारा करवा बाबतना ठरावोनो समावेश थाथ छे. ... आ अधिवेशने बंधारणमां धरमूळथी फेरफार करी प्रमुखनी पसंदगीनी केबिनेट पद्धतिनी कार्यवाही समिति नीमवानो ठराव For Personal & Private Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्वीकार्यो. संस्थान काम एकराग अने एकमतथी थई शके ए मुख्य उद्देश आ फेरफारनी पाछळ रहेलो छे. ___कॉन्फरन्सना वीस अधिवेशनो ए कॉन्फरन्सना विकासना वीस सीमास्थंभो ( Milestones) छे. प्रत्येक स्थंभनी पाछळ तेनो स्वतंत्र इतिहास छे. कंईक समाजसेवकोनी सेवा, स्वार्पण अने कुरबानीथी ए स्थंभो धरबायेला छे. जैनधर्म सनातन छे अने शाश्वत छे, तो जैनसमाज पण सनातन अने शाश्वत छे. शाश्वत समाजनी आ महान संस्था शाश्वत बनी अनेक सीमास्थंभो अने कीर्तिस्थंभो काळनी अनंत केडी उपर खोडावे ए ज अभ्यर्थना. For Personal & Private Use Only Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकरण ३जुं कॉन्फरन्सनु दृष्टिबिंदु, ध्येय अने कार्यक्षेत्र भगवान महावीरे साधु, साध्वा, श्रावक अने श्राविकारुप चतुर्विध संघनी स्थापना करी तेना हाथमां जैनसमाजनी नाड सोंपी, त्यारथी लगभग अत्यारसुधी सर्व धार्मिक प्रवृत्तिओनुं मध्यबिंदु " संघ" रह्यो छे. आ संघD बंधारण, आजनी परिभाषामां, लोकशाही कही शकाय. परंतु ते धर्मपरंपरा पूरतुं. धार्मिक प्रवृत्तिओ सिवाय ईतर प्रवृत्तिओ " संघ" संघ तरीके भाग्ये ज करतो होय छे. __अंग्रेजो आ देशमां आव्या त्यां सुधी अने त्यारपछी पण केटलाक वखत सुधी जैनसमाज भारतवर्षमा समृद्धिना शिखरे हतो. व्यापारधंधामां जैनो मोखरे हता. तेमनो अतुल वैभव भारतभरमां पथरायेलां गगनचुंबी अने कलात्मक धर्ममंदिरोद्वारा व्यक्त थतो हतो. अंग्रेजोए जेम जेम व्यापारनां क्षेत्रो सर करवा मांड्यां तेम तेम भारतीओनो व्यापार तूटवा मांड्यो. जैनकोम व्यापारी कोम हती. तेना उपर परदेशीओना राजकीय आक्रमणनी जेम, आ व्यापारी आक्रमणनी माठी असर थई अने तेनो धंधोधापो पडी भागवा लाग्यो. देशकाल फरवा लाग्यो हतो. समस्त भारतीय प्रजामां केळवणीनी भूख जागी हती. जैनसमाजमां मध्यमवर्गने पोतानुं स्थान For Personal & Private Use Only Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ टकावी राखवा केळवणी अने धंधो बनेनी जरुर हती. कोइ पण बुद्धिजीवी वर्ग आ बनेमां पछात होय तो अन्य समाजोनी हरोळमां टकी शके नहि ए देखीतुं हतुं. ___ मुख्यत्त्वे धार्मिक प्रवृत्तिओ माटे रचायेला आपणा “ संघो" आ प्रवृत्तिओ करी शके तेम नहोता. तेमनामां आ दृष्टि पण नहोती. नवयुगनी समस्याओने हल कर शके एवी साराये भारतवर्षनें प्रतिनिधित्व धरावती संगठित संस्थानी जैनसमाजने जरुर हती. युगबळने पारखनार श्री गुलाबचंदजी ढढाए ते उद्देशथी कॉन्फरन्सनी स्थापना करी हती. मूळ स्थापकोनुं आ दृष्टिबिन्दु पहेला फलोधी अधिवेशनना स्वागतप्रमुख शेठ हीराचंदजी सचेतीना व्याख्यानमां बराबर प्रतिबिंबित थाय छे. " हम लोगोमें विद्या का प्रचार ज्यादा नहीं है. प्रायः कर के व्यापार धंधे के अभाव से हम लोगों की आम हालत उमदा नहीं है. ताहम हमलोग इस बात को अंतःकरण से चाहते हैं कि अपने धर्म और जाति की जो गिरी हुई हालत इस वक्त नजर आती है तथा जो जो नुकशान अपने धर्म और जाति को पहुंच रहे हैं वे बंद होकर आयंदा अपनी धर्म और जाति की बहबूदी हो. और इस खयाल से हमने आप लोगों का आमंत्रण करके आपके वतन में बुलाये हैं." बीजी मुंबई कॉन्फरन्सना स्वागताध्यक्ष शेठ वीरचंद दीपचंद सी. आई. ई.ना भाषणनो नीचेनो फकरो कॉन्फरन्सना दृष्टिबिन्दु अने तेना स्वरुप उपर विशेष प्रकाश फेंके छे. For Personal & Private Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 66 बंधुओ, आवा मेळावडा, आगळ एक जुदी ज पद्धति उपर आपणा जैन तीर्थोमां थता हता अने तेओ संघने नामे ओळखाता हता; ते जमानानां साधनो अने आजनां साधनो जुदा प्रकारनां छे. आजे रेलवे वगेरेथी बहु सुगमता थई पडी छे अने सुधरेली ढब उपर सभाओ भरवानां साधनो अने रीतरिवाजो आजे ऊभा थया छे. ते नो लाभ लेवानो आजे शुभ प्रसंग मळ्यो छे ते खरेखर आनंद पामवा जेवो छे. जे तीर्थ उपर जात्रारुपे संघ एकठो थाय छे ते अमुक देशनो अथवा वर्गनो होय छे, पण बंधुओ, जेम एक मोटा दूधना जथ्थामांथी साररुपे माखण-वी काढवामां आवे छे, ते सुजब आखा हिंदुस्ताननी आपणी जैनवस्तीमांथी जुदां जुदां शहेरो अने गामोमांथी आप सर्वे चूंटाईने आव्या छो, तो खरूं जोतां अहीं बिराजेश संख्याबंध प्रतिनिधिओ, जैनोनी पंदर लाख माणसनी वस्तीना प्रतिनिधि तरीके छो. ' >> ६४ कॉन्फरन्सना उद्देश विषे तेमणे कह्यं के, “ कॉन्फरन्स अथवा महान सभानो हेतु एकसंप थवानो छे... एकदिलथी संप करीने आपणुं अने आपणा जैन भाईओनुं भलु करवानो छे; पवित्र जैनधर्मनी उन्नति करवानो छे; ज्ञानभंडार तथा तीर्थोनुं रक्षण करवानो छे. "> आपणा साक्षरवर्य स्व. श्री मोहनलाल दलीचंद देशाईना तैलचित्रना अनावरणविधिप्रसंगे विद्वदूवर्य पंडित सुखलालजीए प्रमुखस्थानेथी कॉन्फरन्सना दृष्टिबिन्दु विषे पोतानी लाक्षणिक भाषामा जणान्युं हतुं के— " हुं जाणुं हुं त्यां लगी श्वेतांबर मूर्तिपूजक परंपरानी बीजी कोई पण संस्था करतां कॉन्फरन्पतुं दृष्टिविन्दु अने बंधारण उदार For Personal & Private Use Only Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेम ज विशाळ रह्यां छे. परिस्थितिवश तेनुं मुख्य कार्यालय मुंबईमां होवा छतां तेनी बेठको अने वार्षिक अधिवेशनो मात्र मुंबईमां पुराई रह्यां नथी. पूर्वमां कलकत्ता, उत्तरमां पंजाब, पश्चिममां काठियावाड, राजस्थान अने गुजरात तेम ज दक्षिणमां पूना लगी समये समये एनां अधिवेशनो थतां रयां छे, अने ते ते प्रान्त के देशप्रदेशना सद्गृहस्थो प्रमुखपद पण शोभावता रह्या छे. आ सूचवे छे के प्रथमथी ज कॉन्फरन्सनुं दृष्टिबिन्दु समग्र मूर्तिपूजक संघने पोतानी साथे लेवान रह्यं छे अने ए पण कबूल करवू जोईए के आ दृष्टिबिन्दुने संघे हृदयथी आवकायु पण छे. तेथी ज तेने दरेक प्रान्त अने प्रदेशमांथी हार्दिक आवकार मळेलो अने उद्दाम, मध्यम तेम ज जूनवाणी विचारसरणी धरावनार भाईबहेनो पण कॉन्फरन्सने अपनावतां रह्यां छे." कॉन्फरन्सना उद्देश अने कार्यविस्तार संबंधीनी बंधारणनी कलमो अहीं टांकवी रसप्रद थई पडशे : (१) उद्देश. जैनधर्म अने समाजनो उत्कर्ष थाय तेवा प्रयत्नो करवा अने तेनां सर्व प्रकारनां हितो, रक्षण थाय एवा प्रयासो करवा. . (२) वखतोवखत समग्र जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाजना प्रतिनिधिओनां सम्मेलनो अथवा अधिवेशनो भरीने मजकूर समाजने स्पर्शता धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, शिक्षणविषयक अने अन्य जाहेर हितना सवालोनुं अवलोकन करी ते अंगे योग्य निर्णयो करवा अने तेने अमलमां मूकवा प्रयासो करवा. (३) जुदा जुदा .फिरकाओ बच्चे भ्रातृभाव अने निकटता केळवाय तेवा प्रयासो करवा. For Personal & Private Use Only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४) उपर जणावेल उद्देशोने आधीन रही मजकूर समाजना लाभार्थे थएला कोई पण ट्रस्टनो स्वीकार कर वो. . प्रथम ज्यारे बंधारण घडायुं त्यारे उद्देशनी भाषामां थोडो फरक हतो पण उद्देशना तत्त्वमां कोई फरक नहोतो. २. कार्यविस्तार समस्त जैनसमाजने लागु पडता सवालो ज कॉन्फरन्स हाथ धरशे. संगठनना ध्येयने लक्ष्यमां राखी न्यातना, स्थानिक संघना, महाजनना अने पंचना तकरारी विवादग्रस्त विषयो कॉन्फरन्सना कार्यक्षेत्रनी बहार गणाशे. कॉन्फरन्सना कार्यप्रदेशनी बाबतमां पंडित सुखलालीन पृथक्करण आ प्रमाणे छे :-. “ कॉन्फरन्से पोतानो कार्यप्रदेश मुख्यपणे व्रण बाबतोमां मर्यादित करेलो एम हुँ समजुं छुः (१) धार्मिक, (२) साहित्यिक अने ( ३ ) सामाजिक, धार्मिक बाबतमां तीर्थना प्रश्न उपरांत धर्माचार अने तात्त्विक शिक्षण वगेरेनो समावेश थाय छे. अने त्यां लगी नवा जमानानी मागणीने अनुकूळ थाय ए रीते कॉन्फरन्से साधन अने शक्तिना प्रमाणमां ए बाबतमां काईक ने कांईक कयु ज छे अने हजी ए कांईक ने कांईक करे ज छे. साहित्यनी बाबतमां एनुं काम विशेष ध्यान खेंचे एवं छे. प्रथमथी ज एणे प्राचीन साहित्यवारसाने प्रकाशमा लाववानी नेम राखी छे अने ए दिशामां यथाशक्ति पण नकर काम कर्य छे. सामाजिक बाबतोमां कॉन्फरन्से देशमां विकसता जता उदार विचारोने झील्या अने यथाशक्ति प्रचार्या पण छे." कॉन्फरन्सनी नबळाई अने कार्यकर्तानी मूझवण बाबतमां पण तेमना विचारो जाणवा जेवा छ : For Personal & Private Use Only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७ 66 एक तो जैनसमाज व्यापारप्रधान, आर्थिक दृष्टिए तद्दन स्वाधीन होय एवा लोको गण्यागांठ्या, मध्यमवर्गीय बधा जैनोने कॉन्फरन्समां सम्मिलित करवानी दृष्टि, साधुओना अन्दरोअन्दरना पक्षभेद अने तेने लीधे श्रावकवर्गमां पडती फूटना कॉन्फरन्स उपर पडता प्रत्याघातो - आ बधुं कॉन्फरन्सनी दृष्टि, शक्ति अने प्रवृत्तिने मर्यादित करनारुं पहेलेथी ज हतुं अने हजीये छे. दिशामां विचारस्वातंत्र्यनो पवन फूंकातो होय, प्रवृत्ति देशमां विकसती जती होय अने बीजी बाजुथी कॉन्फरन्स ए साथै ताल मेळवी न शकती होय तो साचा धगशवाळा कार्यकर्ताने मूंझवण थाय. एक बाजुथी बघी अनेक उपयोगी "" दशमा मुंबई अधिवेशनना प्रमुख डॉ. बालाभाई मगनलाल नाणावटीए तो पोताना प्रमुख तरीकेना व्याख्यानमां एटले सुधी कह्युं छेके, " कॉन्फरन्स ए जैन कोमनुं जीवनबळ छे. कोमनी अंदर जे अनहद शक्ति, गौरव, सामाजिक बळ अने प्रगतिनो जुस्सो आवी रहेलां छे ते दर्शावनारी संस्था छे. ते जैन कोमना उत्तम विचारों, उत्तम केळवणी, सामाजिक सुधारो अने अनहद धर्मज्ञान प्रवर्तावनार मंडळ छे. वळी जैन कान्फरन्स हिंदुस्तानमां मळती बीजी घणी कॉन्फरन्सोनी माफक मात्र त्रण दिवस मळी ठरावो करी वीखेर । ई जनारी संस्था नथी. आ संस्था कोमना हितार्थे हरहमेश काम करे छे. कॉन्फरन्सना बंधारण विषे तेणे कह्यं के, "" " कॉन्फरन्सना हेतु पार पाडवाना साधनरुप संस्थाने ( Working unit ) तरीके मुख्यत्वे संघने ज स्वीकारवामां आव्यो छे; एटले कॉन्फरन्सनुं स्थानिक काम जे ते स्थानना संघनी For Personal & Private Use Only Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८ मारफते ज करवानु राखेखें छे. आ धोरण आप स्वीकारशो तो मने आशा छे के आ कॉन्फरन्स जैन श्वेतांबर कोमना संघोना संघ (Parliament of Sanghas)नी स्थिति उपर लावी शकीशुं." कॉन्फरन्से पोताना बंधारणमां आ धोरण अपनाव्युं छे, अने दरेक स्थळना संघो अधिवेशनमां पोताना प्रतिनिधिओ मोकली शके छे. संघोने कॉन्फरन्से प्रथमथी ज मानभर्यु स्थान आपेलं होई संघोनी पार्लमेन्टनुं तेने आपवामां आवेलु बिरुद सार्थक लागे छे. आ कॉन्फरन्सनुं दृष्टिबिन्दु अने ध्येय समस्त जैनकोमनी सेवार्नु अने तेनु कार्यक्षेत्र समाजना धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, शिक्षणविषयक अने अन्य जाहेर हितना सवालोमा व्याप्त थयेलुं छे. पहेला अधिवेशनथी मांडीने वीसमा अधिवेशन सुधीना तेना ठरावोनी परंपरा पाछळ आ मुख्य दृष्टि रहेली छे. पोताना सिझाता बंधुओना उद्धारनी साथे साथे कॉन्फरन्स जैनधर्म, तेनुं साहित्य अने तेना तत्त्वज्ञाननी विशिष्टताओ दुनिया समक्ष मूकवा मागे छे. अहिंसानी साची ताकातथी विश्व परिचित थाय एम इच्छे छे. प्रभावनाना साचा अर्थमां ते जैनधर्मनी "प्रभावना" करवा मागे छे. आ युग, सर्व धर्मोमां जे श्रेष्ठ तत्त्वो होय ते सहानुभूतिपूर्वक समजवा अने स्वीकारवानी मनोदशा धरावे छे. आ महान तकनो उपयोग कॉन्फरन्स त्यारे ज करी शके ज्यारे तेनी पाछळ पूरतुं पीठबळ होय. कॉन्फरन्स समाजना कोई वर्गनी के चतुर्विध संघना कोई अंगनी द्वेषी नथी. सौनी सर्वदेशीय उन्नति ए एनुं ध्येय छे. गामेगामना नाना नाना संघो बीजी रीते एकत्र थई शके तेम नथी. तेमनो कार्यप्रदेश जे ते गाम के शहर पूरतो अने For Personal & Private Use Only Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तमनुं ध्येय “ स्थानिक प्रश्नो"ना उकेल पूरतुं ज मर्यादित होय छे. आवा संघोनो एक महासंघ ज समस्त कोमना सवालोनो उकेल विचारी शके. सत्तावन वर्षनी सुदीर्घ सेवाना परिणामे कॉन्फरन्से लगभग आवा एक " महासंघ"नुं स्थान प्राप्त करेलुं छे. पोतानी स्थानिक विशिष्टता गुमाव्या सिवाय गामेगामना संघो तेने बळ आपी शके छे अने तेमाथी बळ मेळवी शके छे. For Personal & Private Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकरण ४थु कॉन्फरन्सनो रचनात्मक कार्यक्रम अने तेनी सिद्धिओ Actions speak louder than words. -Hosea Ballou. "धर्मसगाइ” सौ सगाइओमा श्रेष्ठ छे. तेना जेवी निःस्वार्थ सगाइ बीजी कोई नथी. सहधर्मीपणाना रेशमी तंतुओथी बंधायला संबंधो घणा ज मजबूत अने अतूट होय छे. जे संस्थाना जन्म, उछेर अने विकास पाछळ आ "धर्मसगाइ" याने साधर्मी बंधुओ प्रत्येनी प्रेमलक्षणा भक्तिनुं उद्दात्त तत्त्व रहेखें होय छे, ते संस्थाना सिद्धान्तो अने आदर्शो महान होय छे. आवी संस्था पोताना बांधवो अने भेरुओना उद्धार माटे अने समाजने आगळ ने आगळ विकासना पंथे दोरवा माटे कृतनिश्चयी अने कटिबद्ध बने छे. ___ जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनो पायो “धर्मसगाइनी" प्रबळ. लागणीना कारणे नंखायो हतो अने तेथी ज तेणे जैन समाजनी सर्वदेशीय प्रवृत्तिओ तेना जन्मकाळथी आरंभी हती. कॉन्फरन्से पोताना दीर्घ जीवनमा जे रचनात्मक प्रवृत्तिओ उपाडी ते केटली वैविध्यभरी अने समाजहितकारी हती ते नीचेनी संक्षिप्त यादी उपरथी जणाशे : For Personal & Private Use Only Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१ (१) व्यावहारिक शिक्षण, धार्मिक शिक्षण अने जैन एज्यु केशन बोर्ड. (२) जीर्णोद्धार. (३) जीवदया, पांजरापोळोनी तपास. (४) समाज-उत्कर्ष-निराश्रित-सहाय अने बेकारी निवारण. (५) धार्मिक हिसाब तपासणी. (६) तीर्थरक्षा. (७) पुस्तकोद्धार, साहित्यसंशोधन अने प्रकाशन. (८) जेसलमेर ज्ञानभंडारसंरक्षण. (९) बनारस हिंदु युनिवर्सिटीमां जैन चॅर. (१०) विश्वविद्यालयोमां जैन साहित्य, अर्धमागधी अने प्राकृतनो अभ्यास. (११) संस्कृतिरक्षा. (१२) जैन हेरोल्ड, जैन युग अने कॉन्फरन्स-पत्रिका. (१३) कॉन्फरन्सचें राष्ट्रीय स्वरुप. (१४) समाजसुधारणा. (१५) सुकृत भंडारफंड.. (१६) आक्षेप-प्रतीकार. (१७) आशातनानिवारण. (१८) त्रणे फिरकानुं औक्य-संगठन. For Personal & Private Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२ (१९) सर्वदेशीय साहित्यप्रचार. (२०) सखावतो. हवे आ विविव रचनात्मक प्रवृत्तिओनुं अने कॉन्फरन्से तेमां मेळवेली सिद्धिओर्नु आपणे संक्षिप्त सिंहावलोकन करीशु. - (१) व्यावहारिक शिक्षण, धार्मिक शिक्षण अने जैन एज्युकेशन बोर्ड. वीसमी सदीना प्रारंभमां ज्यारे, कॉन्फरन्सनो जन्म थयो ते अरसामां जैनसमाजनी केळवणीविषयक अने खास करीने उच्च केळवणीविषयक स्थिति अत्यंत शोचनीय हती. ते वखतना छेल्ला सरकारी रिपोर्टना आधारे जैनोमां २,४१,५३३ पुरुषोमांथी फक्त २१,६४६ अभ्यास करनाराओ अने ९४,१०० वांचीलखी जाणनाराओ हता. बाकीना १,२५,७८७ एटले लगभग पचास टका केळवीथी तद्दन वंचित हता ज्यारे २,०७,३६४ स्त्रीओमाथी फक्त ६०१ बाळाओ अभ्यास करनारी, १,०७१ स्त्रीओ वांचीलखी जाणनारी अने बाकीनी २,०५,६९२ बहेनो तद्दन अभण हती. उच्च शिक्षण लेनारनी संख्या तो आंगळीने वेढे गणाय तेटली हती. ____ कॉन्फरन्सने आ केळवणी विषयक दुःखद परिस्थितिनुं निवारण करवु हतुं. आपणा ते वखतना आगेवानो ए वातथी संपूर्ण ज्ञात हता के विद्याकळामां प्रवीण होय ते प्रजा ज सरसाइ भोगवे छे अने तेमां पछात होय छे ते प्रजा सर्व बाबतमा पछात रहे छे. ओगणीसमी सदीना अंतभाग सुधीमां भारतनी प्रणालिकागत आध्यात्मिक पाया उपर रचायेली शिक्षणपद्धति लगभग नष्टप्राय For Personal & Private Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३ थइ चूकी हती. तेने बदले स्थळे स्थळे नवी ढबनी प्राथमिक शाळाओ, माध्यमिक शाळाओ तथा केटलेक स्थळे महाविद्यालयो स्थपायां हता. अंग्रेजी भाषानुं शिक्षण मेळववामां गौरव मनावा लाग्युं हतुं. पाश्चिमात्य ढबना नूतन अने उच्च शिक्षण माटे कलकत्ता अने मुंबइ खाते युनिवर्सिटीओ पण स्थापाइ चूकी हती. भारतनो बुद्धिजीवी प्रजावर्ग आ केळवणीथी प्रभावित थइ ते तरफ वळ्यो हतो. ज्यारे जैनसमाजनो मोटो भाग व्यापारोन्मुखी होवाना कारणे ते आ केळवणी प्रत्ये कंइक वधारे पडतो उदासीन रह्यो हतो. वळी आ शिक्षणमां धार्मिक केळवणीनो समावेश थतो नहि होवाथी धार्मिक संस्कारो टकावी राखवा माटे शुं करवू ए पण एक कूट प्रश्न हतो. आ प्रसंगे कॉन्फरन्से समाजने स्पष्ट दोरवणी आपी के, "धर्मप्रमुख चारे पुरुषार्थो सिद्ध करवाने शक्तिमान थवा सारं स्त्रीवर्ग अने पुरुषवर्गमां व्यावहारिक तथा धार्मिक ऊंची केळवणीनो प्रचार" थवो जोइए तेमज "आवा कार्योनी सिद्धिनो धनाढ्य जैनोनी उदारता उपर मुख्य आधार होवाथी ओछा जरुरियाती मार्गमा पैसा खरचवाने बदले विद्यादान जेवा पुण्यक्षेत्रमा पोताना पैसानो सदुपयोग करवाने, भाविक गृहस्थोने आ कॉन्फरन्स खास भलामण करे छे, तथा जुदे जुदे स्थळे मोटा पाया उपर आ बाबत संबंधी फंडो उपाडवानी आ कॉन्फरन्स घणीज आवश्यकता विचारे छे." ( बीजं अधिवेशन-- मुंबई, ठराव नं. ४ ) कॉन्फरन्से करेला आ मार्गदर्शने साराये भारतवर्षना जैनोनी दृष्टि खोली नाखी. तेनो संदेशो गामेगाम अने नगरेनगर पहोंची For Personal & Private Use Only Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४ गयो. केळवणी प्रत्येनी लोकोनी उदासीनता दूर थवा लागी अने समाजमां एक जातनी ज्ञानपिपासा जाग्रत थई अने चैतन्यनुं मोजूं प्रसरी गयु. स्थळे स्थळे धार्मिक पाठशाळाओ, कन्याशाळाओ, श्राविकाश्रमो, स्कूलो, छात्रालयो, गुरुकुलो, बालाश्रमो खूलवा लाग्या. अझानरुपी तिमिरथी अंध थयेलाओने कॉन्फरन्से जाणे, सळी वडे ज्ञानरुपी सुरमो आंज्यो. कॉन्फरन्से केळवणी अने समाजना बीजा जे प्राणप्रश्नो उपर भार मूक्यो तेना रचनात्मक अमल अने सिद्धि माटे मुंबई शहरमां भरायला बीजा अधिवेशनमां जैन भाईओए उदारताथी कॉन्फरन्सनी झोळी छलकावी दीधी जे नीचेनी विगत उपरथी जणाई आवे छे : खातानुं नाम । (१) श्री कॉन्फरन्स निभाव फंड (२) ,, पुस्तकोद्धार फंड (३) ,, मंदिरोद्धार फंड (४) ,, निराश्रित फंड (५) ,, जीवदया फंड (६) ,, केळवणी फंड भरायेली रकम रुपिया १८,७४९-०-० १९,१६६-०.० २०,१६७-८-० २४,७५८-८-० १७,२८८-४-० १८,७१६-०-० कुल रु. १,१८,८४५-४-० कार्य बराबर योग्य व्यवस्थापूर्वक चाली शके ते माटे, चार जनरल सेक्रेटरीओए उपला अनुक्रमांक २थी ६ना पांच विषयो For Personal & Private Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५ तथा स्थळोनी व्हेंचणी तथा विभाग नीचे जणाव्या मुजब कर्या हताः (१) बाबु रायकुमार सिंहजी मुक्कीम (कलकत्ता)ने पंजाब, वायव्य प्रांतो, बंगाळ, ब्रह्मदेश अने ओरिस्साना विभागो सोपवामां आव्या तथा जर्णि तीर्थोद्धारनो विषय खास तेमने हस्तक मूकवामां आव्यो. (२) श्री गुलाबचंद ढढ्ढा (जयपुर)ने राजपूताना, माळवा अने मध्यप्रान्तो तथा जीर्ण पुस्तकोद्धार अने निराश्रित जैनाने आश्रय आपवाना विषयो सोंपवामां आव्या. (३) शेठ लालभाई दलपतभाई ( अमदावाद) हस्तक काठियावाड, कच्छ अने सुरतथी पालनपुर सुधी गुजरातना विभागो तथा सिंध प्रांत, अने जैन समुदायमां धार्मिक तथा व्यावहारिक केळवणीनो प्रचार करवा अर्थे योग्य प्रयास करवानो विषय सोपवामां आव्यो. (४) शेठ फकीरचंद प्रेमचंद जे. पी. (मुंबई ) हस्तक सुरतथी दक्षिणे मुंबई सुधीनो प्रदेश तथा खानदेश, बिहार अने दक्षिणं हिंदुस्तानना तमाम विभागो तथा जीवदयाना विषयनो प्रचार करवानुं काम सोपवामां आव्यु. आ बधी हकीकत विगती एटला माटे आपी छे के कॉन्फरन्सनी बाल्यवयमां पण केटली व्यवस्थापूर्वक अने वैज्ञानिक रीते कार्यक्षमातानी दृष्टि नजर समक्ष राखी कामनुं विभाजन करवामां आवतुं हतुं. For Personal & Private Use Only Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६ सं. १९६०थी १९६१ सुधीमां जैन कन्याशाळाओ, पाठशाळाओ, श्राविकाशाळाओ अने उद्योगशाळाओ मळीने २९ संस्थाओने कॉन्फरन्स तरफथी आर्थिक मदद आपवामां आवी हती. आ २२ संस्थाओमां १,४८५ बालको, बालिकाओ अने बहेनो अभ्यास करती हती. आ उपरथी जणाशे के कॉन्फरन्सनी मदद केटली विशाळ संख्याने आवरी लेती हती. वळी कॉन्फरन्सनी मदद पाठशालाओने सरकारी ग्रान्ट-इन-एइडनी रीत आपवामां आवती हती. तेथी कॉन्फरन्स तरफथी खरचायेली रकमो करतां घणी वधु रकम स्थानिक बंधुओ खर्चता हता. प्राथमिक तथा ऊंचा प्रकारनी केळवणी लेनार बावीस गामना विद्यार्थीओने फी, चोपडीओ वगैरेनी मदद आपवामां आवी हती. मदद लेनार माटे धर्मनुं शिक्षण फरजियात हतुं ___ वखतोवखत प्रान्तिक कॉन्फरन्सो भरीने प्रचार चालु राखवामां आवतो हतो. संवत १९६१मां शेठ गोकळदास मूलचंदे मुंबई शहेरमां विद्यार्थीओने रहेवा सारु मोटा पाया उपर एक बोर्डिग काढवामां, जो कॉन्फरन्स तरफथी रु. २५,०००नी रकम आपवामां आवे तो, पोताना तरफथी एक सारी रकम आपवानी इच्छा जणावी अने ते मुजब जनरल सेक्रेटरीओए कबूलात आप्याथी शेठ गोकळभाईए रु. ७५,०००नी रकम आपवानुं कबूल कयु. आवी रीते एकत्र थयेला रु. १,००,००० (एक लाख )थी एक बोर्डिग काढवानु नक्की करवामां आव्युं. आ उपरांत श्री लालबाग जैन बोर्डिंग For Personal & Private Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७ कॉन्फरन्सना खर्चे स्थापन करवामां आवी हती. तेमां विद्यार्थीओने सारा प्रमाणमां राखवामां आवता हता अने तेनी व्यवस्था मानद सेक्रेटरी श्री मोहनलाल हेमचंद संभाळता हता. आ बने संस्थाओमां विद्यार्थीओने धार्मिक शिक्षण तेम ज शारीरिक शिक्षण पण आपवामां आवतुं हतुं. कॉन्फरन्स तरफथी मुंबईमां एक श्राविकाशाळा पण चालु करवामां आवी हती. तेमां बहनोने धर्मशिक्षण अने गुजराती व्यावहारिक शिक्षण उपरांत कलाशिक्षण जेवुं के सीवणकाम, भरतकाम, गूंथणकाम, कोचेटवर्क, सेटलवर्क, जरीकाम, वेतरवानुं काम वगेरे शीखत्रवामां आवतु हतुं जेनो लगभग दोढसो बहनो लाभ लेती हती. पाछळथी आ श्राविकाशाळानो कार्यभार मुंबईनी प्रख्यात संस्था मांगरोळ जैन सभाए उपाडी लीधो. त्यारबाद कॉन्फरन्स तरफथी आ समाने आ शाळा चलाववामां केटलोक वखत मदद आपवामां आवी हती. सं. १९६०थी १९६४ सुधीमां कॉन्फरन्स तरफथी ३१३ विद्यार्थीओने रु. ९,१५१ अने २०१ पाठशाळाओने रु. १२,९६९ मळी कुल रु. १८,८३०नी मदद आपवामां आवी हती. सं. १९६६ सुधीमां आ मददनो आंकडो रु.२८, ७४३ सुधी पहोंच्यो हतो. मुंबईनी श्री मांगरोळ जैनसभा, सुरतनी श्री रत्नसागरजी जैन विद्याशाळा तेम ज शिक्षको तैयार करनार महेसाणानी श्रीमद यशोविजयजी जैन पाठशाळाने मासिक मददो कॉन्फरन्स तरफथी आपवामां आवती हती. For Personal & Private Use Only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८ पुना अधिवेशनमा सने १९०९नी सालमा एज्युकेशन बोर्डनी स्थापना करवामां आवी. आ बोड व्यावहारिक केळवणीनो भार उपाडी लेवाथी केळवणी खातुं विसर्जन करवामां आव्युं हतुं. आ बोर्डना प्रवृत्तिओ आज सुधी एकधारी चाली रहेली छे. तेनी स्थापना संबंधीना ठराव उपरथी तेना कार्यक्षेत्रनो ख्याल आवशे. एज्युकेशन बोर्ड आ बोर्ड जैनसमाजमां केळवीना प्रचार अर्थे जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स नीचे स्थापायेलुं छे. तेनो उद्देश सातमी जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सना ठराव प्रमाणे केळवणी संबंधी योजनाओ तथा तमाम प्रकारना कार्यो करवा ए छे, अने आ वर्षमां मुंबईनी दसमी कॉन्फरन्सनी बेठकमां ते माटे नीचे प्रमाणे ठराव करवामां आव्यो छ : बोर्डने आ ठरावमा जणाबेल कार्यो करवा आ कॉन्फरन्स सत्ता आपे छे. कार्यो : (१) जैनोमा हस्ती धरावती धार्मिक तेम ज व्यावहारिक केळवणीनी संस्थाओ संबंधे विगतवार हकीकत मेळववी अने ते सारा पाया पर मुकाय तवा प्रयासो करवा (२) दरेक धार्मिक पाठशाळामां एक ज जातनो अभ्यासक्रम चलाववामां आवे तेवी गोठवण करवी. (३) जैन वाचनमाळा तैयार करवी. For Personal & Private Use Only Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९ ( ४ ) जीवविचार, नवतत्त्वदंडक, क्षेत्रसमास, संग्रहिणी, कर्मग्रंथ तेम ज प्रतिक्रमणादि पुस्तको सरळ अर्थसहित हालनी शिक्षणपध्धति पर तैयार कराववा. ( ५ ) उपर जणाव्या प्रमाणे एक ज जातनो अभ्यासक्रम जे जे शाळामां चाले ते वार्षिक परीक्षा एकीसाथे लेवी. ( ६ ) तेवी वार्षिक परीक्षामा पास थनार विद्यार्थीओने प्रमाणपत्र ( सर्टिफिकेट), इनामो वगेरे आपवा. ( ७ ) गरीब तथा सामान्य स्थितिना विद्यार्थीओने व्यावहारिक शिक्षण लेवा माटे स्कॉलरशिपो तथा पुस्तको, फी वगेरे मदद आपवी. ( ८ ) आवा विद्यार्थीओ जे ते स्थळे जैन बोर्डिंग होय तेमां दाखल कराववा प्रयत्न करवो. ( ९ ) जैन तीर्थस्थळो वगेरेमांथी जैनोने आपवानी पहोंचनी बुकमां जैन केळवणी माटेनुं एक जुदुं कोलम राखवा माटे प्रयत्न करतो तेम ज बीजी अनेक रीते केळवणी फंड एकटुं करवा प्रयास करवा आ बोर्डना ऑनररी सेक्रेटरीओ तरीके रा. रा. मोतीचंद गीरधरलाल कापडिया सोलिसिटर तथा रा. रा. मोहनलाल दलीचंद देसाई वकीलने नीमवामां आव्या छे. बोर्ड तरफ धार्मिक परीक्षाओनुं तथा पाठशाळाओनी मददनुं काम पूरजोसमां चालतुं हतुं. परंतु स्कॉलरशिपो वगेरेनी व्यावहारिक केळवणीनी मददनुं काम नाणांना अभावे पातळं पडी गयुं हतु, संवत १९६०थी सं. १९७२ सुधीमां कॉन्फरन्सने मळेली मदद अने तेना हस्तक खर्चायेली रकमोना नचिना आंकडाओनो अभ्यास रसप्रद थई पडशे : - For Personal & Private Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खातानुं नाम 'कॉन्फरन्स निभावफंड सुकृत भंडार केळवणी पुस्तकोद्धार मंदिरोद्धार जीवदया निराश्रित ८० आवक रु.. ४२,४३१ २८,९६४ ३०,१७० २५,८७६ २९,९११ २०,९३७ २९,८१३ खर्च रु. ४०,९७० २८,८४२ २,०८,१०२ १,९८,७०८ आ उपरथी जणाशे के समाजोपयोगी कार्योमा पहेला बार वर्ष दरम्यान कॉन्फरन्स, लगभग बे लाख रुपिया जेटली जंगी रकम, जैन समाजनी उदारताने कारणे खर्चवा शक्तिमान थई हती. ३०, १७० १९,३०२ २७,९११ २०,७१० ३०, ८०३ बनारस हिन्दु युनिवार्सेटीमां जैन साहित्य, तत्त्वज्ञान वगेरेनो अभ्यास करता बी.ए., एम.ए. तथा पी. एच. डी. ना विद्यार्थीओने तेम ज पंडित, शास्त्री अने आचार्यनी परीक्षा माटेना विद्यार्थीओने शिष्यवृत्तिओ आपवानुं कॉन्फरन्स तरफथी नक्की करवामां आव्युं हृतुं. आ शिष्यवृत्तिओनो लाभ जे कोई जैन के जैनेतर विद्यार्थी आ अभ्यासक्रममां दाखल थाय तेने मळे एवी योजना करवामा आवी हती. एज्युकेशन बोर्ड द्वारा धार्मिक केळवणी बाबतमां घणुं ज संगीन काम थई रह्युं हतुं. दर वर्ष लगभग १,२०० विद्यार्थी भाई For Personal & Private Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बहेनो हिंदना जुदा जुदा भागना एकसो केन्द्रोमां धार्मिक परीक्षाओ आपतां हता. परीक्षाकार्य खूब व्यवस्थित थतुं हतुं अने सने १९३७ मुधीमां दरेक वर्षे लगभग १,००० रुपियाना इनामो उत्तीर्ण थनारने अपाता हता. आ कार्यमां शेठ साराभाई मगनलाल मोदी अने तेमना अवसान पछी श्रीमती चंपाबहेन साराभाई तथा शेठ मेघजी सोजपाल उत्साहथी सहकार अने सहायता आपता हता. समग्र जैनसमाज आ प्रवृत्ति प्रत्ये आकर्षाया हतो अने एज्युकेशन बोर्डनी परीक्षाओ आपवामां गौरव मनातुं हतुं. आ बोर्ड पोताना जन्मकाळथी अद्यापि सुधी पोतानी प्रवृत्तिओ एकसरखी चलावी रह्यु छे. बोर्ड तरफथी जुदा जुदा केन्द्रोमां एकीसाथे विविध कक्षाना विद्यार्थीओनी लेखित धार्मिक परीक्षा लेवाय छ तम ज तेमां उत्तीर्ण थनार विद्यार्थीओने प्रमाणपत्र अपाय छे. दरेक धोरणना विद्यार्थीओ माटे रोक्कड रकमना पारितोषिको अपाय छे. धार्मिक अभ्यास माटे अभ्यासक्रम वखतोवखत विद्वानोना अभिप्रायो मेळवी नक्की करवामां आवे छे. तेमां आवश्यक क्रियानां सुत्रो साथे चरित्रग्रंथो तेम ज तत्त्वज्ञानना ग्रंथो पण राखबामां आवे छे. जैन आगमोनी भाषा अर्धमागधी छे ते पण सरळताथी शीखवा धोरणवार प्रबंध छे, उपलां धोरणोमां न्याय, कर्मसिद्धांत, अध्यात्म, तत्त्वज्ञान, इतिहास, पुरातत्त्व, संस्कृत, व्याकरण तेम ज साहित्य तथा प्राकृत--एवा सात विभागो राखवामां आव्या छे, जेथी जे विद्यार्थीने जे विषयमां. रस होय ते तेनो अभ्यास करे अने परीक्षा आपे. आ आखा अभ्यासक्रममा पुरुषो तथा स्त्रीओ माटेनो अभ्यासक्रम जुदो जुदो योजबामां आव्यो छे. For Personal & Private Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ OM बोर्ड तरफी पाठशाळाओने आर्थिक मदद आपवामां आवे छ. बोर्डनी परिक्षाओमां केवळ नानी उमरना बाळको ज नहीं पण युवानो अने प्रौढो पण बसे छे. ___ आम एज्युकेशन बोर्ड आपणा समाजनी केवळ ऊछरती पेढीमां ज नहीं पण प्रौढ वर्गमां सुद्धां धार्मिक शिक्षण प्रत्ये सुरुचि उत्पन्न करी धर्म अने संस्कारर्नु सिंचन करी रहेल छे. कॉन्फरन्सना महत्त्वना अंग अने गौरवरुप एज्युकेशन बोर्ड आपणी धार्मिक परीक्षाओ लेती जीवंत विद्यापीठ छे. अत्यारे दर वर्षे रुपिया त्रणथी चार हजार जेटली रकम इनाम, पाठशाळाओने मदद तेम ज केळवणीप्रचारना कार्य माटे खरचाय छे. पाठ्यपुस्तको प्रकट करवानुं कार्य पण बोर्ड द्वारा चाली रहेल छ. एज्युकेशन बोर्डनो धार्मिक परीक्षाओनो विभाग दिवसे दिवसे विकसतो जतो हतो त्यारे तेनो व्यावहारिक केळवणीमां मदद अंगेनो विभाग नाणांना अभावे, खास संगीन मदद करी शके तेवी स्थितिमा रह्यो नहोतो. सने १९३७ना मार्च मासमां समस्त भारतीय स्टेन्डिग समितिनुं अधिवेशन मुंबई शहेरमा मळयुं हतुं. त्यारपछी कार्यवाहक समितिनी स्थानिक मीटिंगो बोलावी कॉन्फरन्सनी विविध प्रवृत्तिओने सजीवन करवा विचारणा चलावबामां आवी हती. दीर्घ विचारणाना परिणामे केळवणी अने बेकारीनिवारणना प्रश्नो हाथ घरवामां आव्या अने केळवणीना प्रश्न बाबत एक व्यापक योजना ता. १६-५-३७ना रोज तैयार करवामां आवी. तेम ज प्राथमिक, मॅट्रिक सुधीनी माध्यमिक तथा For Personal & Private Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ औद्योगिक केळवणी लेता स्थळ स्थळना विद्यार्थीओने आर्थिक सहाय आपवानुं ठराबवामां आव्यु. आ योजनाना अमल माटे स्थळे स्थळे स्थानिक समितिओ स्थापवामां आवी. स्थानिक समितिओ जेटली रकम एकत्र करे तेटली रकम मुंबईनी केन्द्रस्थ समिति आपे अने आम एकंदर रकम केळवणीमां खरची केळवणीने वेग आपवानुं नक्की करवामां आव्यु. केळवणीनी आ नूतन योजना माटे दानवीर शेठ कांतिलाल ईश्वरलाले रु. २५,००० पचीस हजारनी रकम कॉन्फरन्सने आपी. परिणामे जुदा जुदा स्थळोए पचास स्थानिक समितिओ रचवामां आची. सने १९३७थी १९४० सुधीमां त्रण वर्षमां केन्द्रस्थ समिति तरफथी रु. १८,०००नी मदद आपवामां आवी हती. स्थानिक समितिओना रु. १४,००० मळी लगभंग रु. ३२,००० खरचाया हता. लगभग बे हजार विद्यार्थीओने आ योजनानो लाभ मळ्यो हतो. तदुपरांत समाजमां औद्योगिक शिक्षणार्थे बारसा अने उंझामां उद्योगशाळा स्थपाई तेम ज अगाशीमां प्राथमिक शिक्षणशाळानी शरुआत थई. ए रीते व्यावहारिक केळवणी अने औद्योगिक शिक्षणना कार्यने कॉन्फरन्से वेग आपबानी पुन: सक्रिय शरुआत करी. आ समितिना कार्यथी कॉन्फरन्सनुं नाम देशदेशावरमां जागतुं थई गयु अने एनी साथ रही स्थानिक कार्य करनारनो एक सेवाभावी वर्ग तैयार थई गयो. आनो सीधो लाभ केळवणीनी जरुरियात पूरी पाडवामां थयो अने कॉन्फरन्सनो संदेशो गामेगाम पहोंच्यो. .. शेठ कान्तिलाल इश्वरलालनी उदार सहायताथी शरु थएली For Personal & Private Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ केळवणी प्रचारनी आ योजना सं. १९९३थी अमलमां आवी छे जे आज पर्यंत चालु छे. केन्द्र तथा जुदी जुदी स्थानिक समितिओनी मळी आज सुधीमां लगभग बे लाख रुपियानी मदद केळवणी खाते अपायेली छे. कॉन्फरन्सनी आ सिद्धि जेवी तेवी न कहेवाय. स्त्रीकेळवणी प्रत्ये कॉन्फरन्सनु दृष्टिबिन्दु हमेशां प्रगतिशील रह्य छे. तेथी आ योजनानो लाभ कन्याओने पण पूरता प्रमाणमां मळे छे. ए याद राखवू घटे छे के कॉन्फरन्स कन्याकेळवणी उपर शरुआतथी ज भार मूकी, ते माटे वखतोवखत ठरावो करी समाजनुं ध्यान दोरती रही छे. आ योजनानुं बीजं एक महत्त्वनुं परिणाम ए आव्यु के स्थानिक समितिओ जे रकमो एकत्र करे छे तमा श्रीमंतो उपरांत मध्यम वर्गना अनेक भाईबहेनोनो फाळो होय छे. आ रीते कॉन्फरन्स एक विशाळ वर्गनी श्रद्धा अने सेवार्नु पात्र अने वाहन बनी गई छे. दर वर्षे फाळा माटे समाज पासे जवान होई स्थानिक कार्यकर्ताओ लोकसंपर्क पण सारी रीते जाळवी शके छे. सत्तावन वर्षना कॉन्फरन्सना सतत प्रयासोना परिणामे समाजमां विद्यानी आवश्यकतानी जे हवा जामी तेना परिणाम जैन समाज आजे केळवणीमां मोखरे आवी गयो छे. एक सुशिक्षित अने केळवायेला समाज तरीके ए अभिमान लई शके तेम छे. आजे पुरुषोमां तेम ज बहेनोमां साक्षरताना प्रमाणमां निरक्षरतानुं प्रमाण घणुं जूज रहयुं छे. फरजियात प्राथमिक केळवणीनी सरकारी नीतिए पण साक्षरताने वेग आप्यो छे, छतां माध्यमिक अने उच्च शिक्षण वाबतमां आपणा समाजनां संख्याबंध छात्रालयो, गुरुकुळो For Personal & Private Use Only Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अने महावीर जेन विद्यालयो जेवी प्रगल्भ संस्थाओनो फाळो नानोसूनो नथी. आजे आपणा समाजना संख्याबंध नवयुवको अने युवतीआ परदेशमा जईने उच्च शिक्षण लई आवल छे. परिणाम जाहेर जीवनमां पण तेओ आगळ पडतो भाग लईने जैन समाजने गौरववंतो बनावी रहेल छे. युगवीर आचार्य श्रीमद् विजयवल्लभसूरीश्वरजीनी दीर्घदृष्टि अने प्रेरणाना परिणामे शिक्षणक्षेत्रमा मारवाड अने पंजाब बीजा प्रदेशो करतां पण आगळ वधी गया छे अने त्यांनो जैन समाज पोतानी स्वतंत्र केळवणीनी संस्थाओ अने कॉलेजो काढवा समर्थ थयो छ. जैन समाजना युवानो अने युवतीओ केळवणीनुं साचुं हार्द समजी धर्मना तत्त्वोथी पोतानी केळवणीने ओप आपी साचा चारित्र्यवान अने सेवाभावी " नागरिको” बनी जगतमां स्वधर्मनुं नाम रोशन करे तो आ दिशामां कॉन्फरन्सना दीर्घ प्रयासो अने खरचेला लाखो रुपिया सफळ गणाय. २. जीर्णोद्धार जैन शास्त्रमा नवरं देवालयो बंधाववा करतां जूनांनो जीर्णोद्धार करवामां आठ घणुं पुण्य कहेलुं छे. साराये भारतवर्षमां जैन देरासरो पथरायेलां छे. केटलांक तो शिल्प अने कलाना अद्भुत नमूना जेवां होई जैनोना ज नहि पण साराये भारतवर्षना गौरव समान छे. आमांनां घणां देरासरो बंधाये सेंकडो वर्षो थई गया. तेथी स्वाभाविक रीते ज ते जीर्ण थाय अने दुरस्ती मागे. कॉन्फरन्स पोताना जन्मकाळथी ज आ प्रश्न प्रत्ये सजाग हती. लगभग दरेक अधिवेशनमा जीर्णोद्धार उपर खास भार मूकवामां आवतो हतो. For Personal & Private Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आ बाबतमां ते वखतना शेठ आणंदजी कल्याणजीनी पेढीना प्रमुख अमदावादवाळा शेठ लालभाई दलपतभाईए मुंबई मुकामे भरायेला द्वितीय अधिवेशनमा जे अगत्यनो ठराव रजू को हतो ते आ रह्योः "श्री संप्रति महाराजाए, कुमारपाळ आदि प्रतिष्ठित राजाओए तथा ते पहेलां थएला राजाओ बहादशा, विमळशा, वस्तुपाळ, तेजपाल, वगेरे मंत्रीओए, धनाशा, जावडशा वगेरे शेठशाहुकारोए श्री जैन धर्म-ज्योतिना चिरकाळ प्रकाशने माटे अढळक दोलतना व्यये, आ पंचमकाळमां आधारभूत एवां भव्य मंदिरो, तीर्थों तथा शिलालेखो अखिल भारत वर्षमा अगे जगे करावेलां छे, जेने आजे घणो. लांबो वखत थई जवाथी तेमनो सत्वर जीर्णोद्धार करवा माटे, १. जीर्ण थई गयेला मंदिरो, तिर्थो अने पुरातन लेखोनुं लिस्ट करवा, २. तथा जुदा जुदा विभागोमां सारा पाया उपर जीर्णोद्धार खातां उघाडवानी आ कॉन्फरन्स घणी ज आवश्यकता विचारे छे. जैन समाज भारतवर्षमां हजारोनी संख्यामां मंदिरो धरावे छे. तेथी तेना जीर्णोद्धारनो प्रश्न जुगजुनो अने कायमी आजे पण छे अने त्यारे पण हतो. शेठ लालभाई दलपतभाई जेवा आपणा समाजना एक. अग्रगण्य अने मान्य नेताए तं वखते जे शब्दो उच्चारेला ते मनन करवा योग्य छे. “ अमूल्य देवालयो के जे वारसानी आपणाथी किंमत थाय नहि ते आपणने मळेलो छे; ते वारसाने शी रीते जाळवत्रो अने तेने नाश पामतो केवी रीते बचाववो ते आपणुं कर्तव्य छे. साधारण नीतिमां पुत्रो पण त्रण जातना कहेला छे. तेमां जे सुपुत्रो कहेवाय छे ते पोतानाः For Personal & Private Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७ पिताए मूकेली लक्ष्मी अने यशनो वधारो करे छे, अने मध्यम पंक्तिना पुत्रो जे मूकेली लक्ष्मी तथा यश होय छे तेनुं रक्षण करे छे; त्यारे त्रीजी पंक्तिना अधम पुत्रो ते बने खोइ बेसे छे. तो जो आपणे आपणा तीर्थोमां आवेलां जूनां देवालयोनी जाळवणी न करीए तो आपणे कई पंक्तिमा आवीए तेनो विचार करशो. " मुंबई अने त्यारपछीना अधिवेशनोमां जीर्णोद्धारना आ महत्त्वना खातामां सारी रकम एकत्र करवामां आवी हती. आज सुधीमां आ खातामां कॉन्फरन्स तरफथी लगभग रु. ४४,००० चूंबाळीस हजार रुपियानी रकम तीर्थक्षेत्रोमां, कल्याणक भूमिओमां तथा अन्य क्षेत्रोना मंदिरोमां खर्चवामां आवी छे; तेनी संक्षिप्त यादी आ प्रमाणे छेः ( १ ) श्री शौर्यपूर, ( २ ) श्री मिथिलानगरी ( प्रसिद्धनाम सीतामढी ), ( ३ ) श्री भेलुपुरजी, ( ४ ) श्री बनारस, ( ५ ) श्री वैभारगिरि, (६) श्री बडगांव, (७) श्री कापर्डाजी, (८) श्री शामलाजी, (९) खोखरा, (१०) सोजत, (११) चंडावल, (१२) पटणा, (१३) पीपाड, (१४) भदेली, (१५) पालीयाद, (१६) इंदोर, ( १७ ) थराद, (१८) संभार, (१९) कुंभारियाजी, ( २० ) सीतापूर, ( २१ ) वळा, (२२) कोंढ, ( २३ ) अमदावाद, (२४) वराई, (२५) उनावा, (२६) टीकर, (२७) रांदेर, (२८) पाटण, (२९) कावीठा, (३०) चंदुर, (३१) वागोल, (३२) सतारा, (३३) जामनगर, (३४) रांधेजा, (३५) गुजरवदी, ( ३६ ) मुळसण, ( ३७ ) वणथली, (३८) सुरत, (३९) बेडा, (४०) कलीपुर, ( ४१ ) मानपुर, (४२) जीवनलडी, (४३) रण, ( ४४ ) लाज, ( ४५ ) आसोदर, (४६) ओशीया, (४७) धांगधा, For Personal & Private Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४८) टेरा, (४९) जसपुर, (५०) वडोदरा, (५१) जामखंभाळीया, (५२) वसंतगढ, (५३) पालडी, (५४) पालीयाद, (५५) पलसीणा, (५६) रुपपर. आ यादी उपरथी जणाशे के आ खातानी मदद भारतभरना घणा प्रदेशोमां पहोंची हती. आ सिवाय केटलेक स्थळे प्रतिमाजीओ आशातना थाय एवा स्थळे बेसाडवामां आवेला. ते बाबतमां पण योग्य तजवीज करवामां आवी हती. आ बाबतमा शेठ लल्लुभाई जेचंदे जाते प्रवास खेडी घणी ज प्रशंसनीय कामगीरी बजावी हती. ए आपणा सद्भाग्यनी खामी छे के कॉन्फरन्स आ उपकारक प्रवृत्ति चालु राखी शकी नथी. ३. जीवदया-पांजरापोळोनी तपास ___ जैनोनो महान सिद्धांत "अहिंसा परमो धर्म" छे अने तेथी " जीवदया" उपर जैन शास्त्रोमां खूब ज भार मूकवामां आव्यो छे. जैनोनी अहिंसा ए सक्रिय अहिंसा छे अने तेथी साचा जैन पासेथी मानसिक, वाचिक अने कायिक रीते तेना पालननी अपेक्षा राखवामां आवे छे. सर्व जीवो समान होई एक जीवने बीजा जीवने हणवानो कोई अधिकार नथी. पछी ते बोलतुं प्राणी होय के मूगुं प्राणी होय, मनुष्य होय के पशुपक्षी होय. पोताना प्रत्ये एक व्यक्ति जेवा वर्तननी अपेक्षा राखती होय तेवु वर्तन बीजा प्रत्ये आचरवानी तेनी परम पवित्र फरज छे. कॉन्फरन्से तेना जन्मकाळथी " जीवदया" उपर भार मूकी जीवहिंसा अटकाववा For Personal & Private Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ टरावो करवा उपरांत अन्य क्रियात्मक प्रवृत्तिओ शरु करी हती. दशेरा तेम ज अन्य पवित्र दिवसोए थती हिंसा बंध कराववा सबळ प्रयासो कर्या हता. आ प्रयत्नोमां तेने ठीक ठीक सफलता मळी हती अने अनेक मूंगा प्राणीओनुं जीवन बचावी लीधं हतुं. जीवदया संबंधी उपदेश करवा माटे कॉन्फरन्स तरफथी उपदेशको रोकवामां आव्या हता. तेमने श्री जैन कॉन्फरन्सना प्रतिनिधि तरीके नीर्माने ऑफिस तरफथी श्रीसंधो प्रत्येना पत्रो साथे मोकलवामां आवता हता. पहेला वर्षे उपदेशको तरीके श्री टोकरसी नेणसी लोदाया नामना गृहस्थने नीमवामां आव्या हता. तेमणे दश मास सुधी खानदेश, बिहार, मध्य प्रान्तो, मध्य हिंद, माळवा, वायव्य प्रांतो, पंजाब अने कच्छना प्रदेशोमां फरीने जुदा जुदा ७२ स्थळोनी मुलाकात लीधी हती. तेमणे रेलवे मार्गे ८,२५० तथा पगरस्ते ५५० मळी कुल ८,८०० माइलनी मुशाफरी करी हती अने दरेक ठिकाणे जीवदया संबंधी तथा कॉन्फरन्सना हेतुओ विषे जाहेर तथा जैन वर्गने उपदेश को हतो. श्री साकरचंद माणेकचंद घडियाळीने हैद्राबाद, सकिंदराबाद, वगेरे स्थळे उपदेश करवा नीमवामां आव्या हता. श्री नारणजी अमरसी नामना गृहस्थे मानद उपदेशक तरीके काठियावाडना पंदर गामोमां उपदेश को हतो. पुरोहित पूर्णचंद्र नामना ब्राह्मण गृहस्थने मारवाडमां उपदेश माटे नीमवामां आव्या हता. श्री वाडीलाल सांकळचंद शाह, पुंजालाल प्रेमचंद अने गुलाबचंद शामजीए उपदेशको तरीके वर्षों सुधी प्रशस्य कामगीरी बजावी हती. For Personal & Private Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाटण कॉन्फरन्स पछी श्री अमरचंद पी. परमार, श्री सौभाग्यचंद मोहनलाल, श्री मोतीचंद पानाचंद, श्री नरसिंहभाई जादवजी, श्री त्रिभोवनदास जादवजी-आ पांच गृहस्थोए मानाधिकारी (ऑनररी ) उपदेशको तरीके काम कर्यु हतुं अने कॉन्फरन्सनो संदेशो गामेगाम पहोंचाड्यो हतो. हानिकारक रिवाजो दूर करवा बाबतमा तेम ज सुकृत भंडार फंड एकत्र करवामां पण तेमणे सारो फाळो आप्यो हतो. ___कॉन्फरन्स तरफथी सं. १९६५ सुधीमां गढडा वांकानेर, वडोदरा, बोरसद, धोलेरा, कडी, धांधलपुर, माणसा, पाणशीणा अने डेरवाडा वगेरे गामोनी पांजरापोळोने आर्थिक मदद आपवामां आवी हती. जीवदयाना काममां मदद करवा कॉन्फरन्सनी एडवाइझरी बोर्डे ता. ३०-५-१९०८ना रोज एक पांजरापोळ कमिटी नीमी हती. आ कमिटीनी सूचना प्रमाणे हिदुस्ताननी तमाम पांजरापोळोनी तपास करवा, तेमांना अवाचक प्राणीओनी सारी देखरेख संभाळ रखाय छे के केम ते जोवा अने तओनी ऊपज तथा खर्च अने दवाखाना संबंधी सगवड वगेरे बाबतोनो मुंबई हेड ऑफिसने रिपोर्ट करवा कॉन्फरन्स तरफथी एक ट्रावेलिंग पांजरापोळ इन्स्पेक्टर तरीके जामनगरवाळा वेटरिनरी सरजन श्री मोतीचंद कुरजी झवेरीने नीमवामां आव्या हता. आ पशुवैद्ये कुल १०७ पांजरापोळो तपासी घणी अगत्यनी सूचनाओ पांजरापोळोनी सुधारणा माटे करेली. वळी तेओ ज्यां ज्यां जता त्यांना मांदा जानवरोनी सारवार तथा. दवा अने जरुर पडे ऑपरेशन पण करता हता. ___ मुंबईनी ग्रान्ट मेडिकल कॉलेजना विद्यार्थीओनी ( Perfect way in diet अने Diet and Food) ए बे पुस्तकोमां. For Personal & Private Use Only Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परीक्षा लइ ऊंचे नंबरे आवनार विद्यार्थीओने इनामो आपवा माटे कॉन्फरन्स तरफथी सा. २५०, मंजूर करवामां आव्या हता. आ परीक्षानो हेतु भविष्यना डॉकटरोने आमिष खोराकथी थतुं नुकसान तेम ज निरामिष-वेजीटेरियन खोराकथी थता फायदा संबंधी माहितगार करवानो हतो जेथी तेओ पोताना दरदीओने वेजीटेरियन खोराकनी ज भलामण करे. सने १९०६थी जुदा जुदा रजवाडाओने पशुवध अटकाववा माटे कॉन्फरन्स तरफथी विनंतीओ करवामां आवती हती जे तेमांना धणाओए स्वीकारी हती. आ विनंतीमां सने १९०८मां दयानी लागणी धरावनारा मुंबईमां वसता अंग्रेज, हिंदु. पारसी अने मुस्लिमो पण जोडाया हता. ता. २२-९-१९०८ना रोज दरेक कोमना शहेरीओनी एक सभा माधवबागमां ऑनरेबल श्री गोकुळदास कहानदास पारेखना प्रमुखपदे मळी हती अने तेमनी सहीथी जुदा जुदा रजवाडाओ उपर धर्म निमिते दशेराना तहेवारो उपर पाडा वगेरे पशुओना वध थाय छे ते कार्य धर्मविरुद्ध अने दयानी लागणी साथे असंगत होवाथी ते बंध करवा विनंतीपत्रो मोकलाया हता. परिणामे सरवनना ठाकोरसाहेब रघुनाथसिंह, कोठारियाना दरबार श्री जाडेजा प्रतापसिंह जी, छोटाउदेपुरना महाराजा, महीकांठामां आवेला बरसोडाना ठाकोर, मध्य हिंदुस्तानमां आवेला सुठलीआना ठाकोरसाहेब, सौराष्ट्रमा आवेला जसदणना राजकर्ता, लींबडीना ठोकोरसाहेब तथा महीकांठा एजन्सीना घणाखरा तालुकदारोए तहेवारोए पशुवध बंध करवाना फरमानो काढ्यां हतां. For Personal & Private Use Only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सं. १९६६मां दशेरा उपर थतो पशुवध अटकाववा त्रणे फिरकाओ तरफथी एकत्र अरजी करवामां आवी हती. परिणामे घणा रजवाडामां दशेरा उपर पशुवधनो रिवाज बंध करवाना फरमानो थयां हतां. वेरावळ तरफना कंकाळना रबारीओनो दशेरा उपर मेळो भराय छे. ते वखते तेओ पशुवध करे छे एवी खबर मळतां सं. १९६५नी दशेरा उपर मानद उपदेशक श्री नारायणजी अमरसाने मोकलवामां आव्या हता. तेमणे वेरावळना महाजननी मददथी पशुवधबंधीना अगत्यना ठरावो कराव्या हता. सं. १९६६मां गांगावाडा मुकामे पार्टीदार परिषदमां पण तेमने मोकलवामां आव्या हता, ज्यां तेमणे आ बाबतना उपयोगी ठरावो कराव्या हता. बकरीइद, पर्युषण वगेरे दिवसोए जीवहिंसा अटकाववा जीवदया खातामांथी मदद आपवामां आवती हती. जीवदया अटकाववाना प्रयास माटे जुदी जुदी चोपडीओ तथा हाथीदांतनां हेन्डबिलो, गूदाना टलीया संबंधी हेन्डाबलो " How people are poisoned", " An appeal to Bengali Humanitarians" "वाघरीना निर्दय धंधाने पांजरापोळो तरफथी उत्तेजन न मळवू जोईए", " England's Insidious Enemy", कलकत्तामां दुर्गापूजा उपर थता पशुवध विरुध्ध अपील " घरेणांथी छोकरांनां थतां खूनो', "मांसाहार" खोराक विरुद्ध अपील", " पक्षीओने पांजरामां नहीं पूरवा संबंधी" वगेरे जुदा जुदा हेन्डबिलो छपावी वहेंचवामां आव्यां हता. लोको तेने रसपूर्वक वांचता हता अने तेनी घणी सारी असरो थती हती. आ उपरांत कॉन्फरन्सना उपदेशको दारू, मांस वगेरे नहिं For Personal & Private Use Only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वापरवा, वाडीनी पत्री (घास ) नाहिं बाळवा, पाडाने कमाई अने कबाडीने नहि वेचवा, हिंसाना दोषवाळी पीछाटोपी वगेरे नहिं वापरवा, परदेशी चीजोनो बहिष्कार करवा तेम ज बाळलग्न, रोवं, कूटवू वगेरे हानिकारक रिवाजो बंध करवा स्थळे स्थळे सभाओ भरता हता, उपदेश आपता हता अने ठरावो करावता हता. कॉन्फरन्सनी स्थापना पछीना बार वर्षमां कॉन्फरन्से जीवदया पाछळ लगभग रु. २०,०००, वीस हजार खरच्या हता. कॉन्फरन्सना सतत प्रयत्नोथी लगभग १६० देशी राज्योमा पशुवध बंध थयो हतो. जीवदयार्नु काम पाछळथी जीवदयाज्ञानप्रसारक फंडे उपाडी लवाथी कॉन्फरन्से ए बाबतनी सक्रिय कामगीरी आटोपी लीधी हती. कॉन्फरन्से बार वर्षना गाळानां जीवदयानुं जे कार्य कर्यु ते तेना इतिहासमुं एक अति उज्ज्वळ प्रकरण छे.. ४. समाज-उत्कर्ष-निराश्रित सहाय अने बेकारी-निवारण जे समाज मूंगा पशुपक्षीओनी दया चिंतवे ते पोताना सिझाता अने दुःखी भांडुओ माटे हाथ जोडीने बेसी रहे ए तो बने ज नहिं. छप्पनिया (सं. १९५६ना) दुकाळमां घणा स्वामिभाई निराश्रित थई गया हता अने त्यारपछी वेपारधंधा भागी पडवाथी समाजनो घणो वर्ग आर्थिक संकडामणमा आवी गयो हतो. कॉन्फरन्से शरुथी ज आ प्रश्न उपर भार मूक्यो हतो अने लगभग दरेक अधिवेशनमा शाब्दिक फेरफार साथे सिझाताओ माटें कंई ने कई करी छूटवाना ठरावो थया हता. पहेली कॉन्फरन्समां नीचेनो ठराव थयो हतो. For Personal & Private Use Only Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ " यतीम जैन बंधु और निराश्रित श्रावकोंको आश्रय देनेके वास्ते योग्य गोठवण होनी चाहिये" आटला ढूंका ठरावमां पण पिडाती जैन समाजनी आरजूनो पडघो पडतो हतो अने दुःखीओना दुःखनिवारणनी तमन्नानां तेमां दर्शन थतां हतां. बीजी मुंबई कॉन्फरन्से एक डगलुं आगळ भरी तेमने सारा उद्योगे लगाडवा उपर भार मूकी सारा जेवू फंड एकत्र कर्यु हतुं. पांचमा अमदावाद अधिवेशने नीचेनो ठराव पसार कर्यो हतो: "मरणांते पण याचना नहि करनार श्रावकश्राविकाओ तेमना बाळबच्चा साथे के ई स्थळे सिझाय नहि अने दीनहीन हालतमा धर्मान्तर करतां अटके ते माटे १. निराश्रित जैनोने धंधे लगाडवानी, २. माबाप विनानां अनाथ बाळकोने तथा अनाथ जैन विधवा ओने आश्रय आपवानी तथा बाळाश्रम स्थापवानी, ३. जन्मपर्यंतना असाध्य रोगोथी पिडाता निराश्रित रवधर्मी बंधुओने माटे आश्रयस्थान स्थापवानी आ कॉन्फरन्स खास आवश्यकता स्वीकारे छे अने सर्व जैन बंधुओने तथा श्रीमान् शेठियाओने आ बाबत उपर खास लक्ष आपवा विनंती करे छे". आ ठरावोना सक्रिय अमल माटे मुंबईमां सने १९०३मां एक उद्योगशाळा उघाडवामां आवी हती जे पाछळथी बंध करवामां आवी हती. आ सालमां रजपूतानामां दुकाळना संकटमां आवी पडेला जैनो माटे रु. १,००० मोकलवामां आव्या हता अने For Personal & Private Use Only Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५ घणाओने व्यक्तिगत मदद पण आपवामां आवी हती. त्यारपछीना वर्षोमां वृद्ध पुरुषोने, विधवाओने अने अशक्तोने खोराकी माटे तेम ज लगभग ५७ गामना निराश्रितोने वेपार करवा मदद आपवामां आवी हती. सं. १९६०थी सं. १९७२ सुधीमां कॉन्फरन्से रु. ३०,८०३नी रकम निराश्रितोनी मदद माटे वापरी हती. आ मदद आपवामां सूक्ष्म विवेकबुद्धि वापरवानी जरुर पडती हती. वळी निराश्रितो कॉन्फरन्सना द्रव्यनो लाभ लई आळसु बनी प्रमादी न बने तेनी पण तकेदारी राखवी पडती हती. तेथी तेओ धंधे लागी आजीविका प्राप्त करे ए मुख्य दृष्टि कार्यकर्ताओ पासे हती. त्यारपछी केटलोक वखत आ प्रवृत्ति मंद पडी, परंतु बेकारी-निवारणना प्रश्नना निराकरणनी अगत्य सौना दिलमां वसी हती. तेथी कॉन्फरन्सनी वर्किंग कमिटीए आ बाबत अक पेटासमिति नीमी. तेणे ता. ९,५-'३७ना रोज एक योजना रजू करी. तेणे नानी मूडीथी थई शके अवा ५१ धंधानी यादी शिक्षित बेकारो अने अशिक्षित बेकारो माटे तैयार करी. तेमने मूडीनी सगवड करी आपवा पांचेक लाखनी ऑथोराईझड केपिटलवाळी कुां. ऊभी करी तेमां डीपोझिटो लई औद्योगिक धंधाओ माटे लोन आपवान सूचव्यु. तेम ज नोकरी शोधता बंधुओ माटे कॉन्फरन्स ऑफिसमां रजिस्टर राखी अॅम्प्लॉयमेन्ट एकसचेन्जनी पद्धतिथी काम करवा भलामण करी. पंदरमा निंगाळा अधिवेशनमां आ प्रश्न ठीकठीक चर्चायो अने तेणे आ बाबतमा त्रण ठरावो कर्या. पहेला . ठरावथी नोकरीधंधा माटे स्थायी समितिना आश्रय नीचे एक सेन्ट्रल For Personal & Private Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ब्युरो खोली नोकरी रहेनार अने नोकरीमा राखनारनी नोंधो राखी बनेनो सहयोग मेळवी आपवा ठराव्यु. जैनो हस्तकनां कारखानामां बने तेटली संख्यामां बेकाराने समावी लेवानी हिलचाल करवा ठराव्यु अने गृहउद्योगो अने ग्रामउद्योगोने उत्तेजन आपवा नक्की कयु. बीजा एक ठराव द्वारा जैन बेंकनी जे योजना १४मा अधिशनमां मंजूर थयेली ते तरफ समाजनुं ध्यान खेंच्यु. त्रीजा ठराव द्वारा पारसी पंचायत फंड जेवू एक विशाळ अने सर्वसामान्य जैन पंचायत फंड ऊभुं करवानी जरुरियात स्वीकारी जेथी केळवणीप्रचार, बेकारीनिवारण तथा निराश्रित भाईओने मदद करी शकाय. सने १९५०ना सत्तरमा फालना अधिवेशने मध्यम वर्गने राहत आपवाना प्रश्नने सक्रिय रीते हल करवा स्पष्ट मार्गदर्शन आप्यु अने केटलीक योजनाओ सूचवी. ते मुजब (१) जीवन निर्वाहनी वस्तुओ ओछा दरे ( Subsidised rates )थी पूरी पाडवा, स्टोर्स खोलवा, (२) नाना हुन्नरउद्योगोने मदद करवा सारी केपिटल साथेना सहकारी मंडळो ऊभा करवा तेम ज तेवा उद्योगो शीखववा जरुरी शिक्षण संस्था स्थापवा, (३) नाना नाना हुन्नरउद्योगो शीखववा तेम ज गृहउद्योगो शीखववा तथा चलाववा उद्योगमंदिर स्थापवा, (४) स्त्रीउपयोगी गृह उद्योगो सीवण, भरतगूंथण, चित्रकाम आदिनुं शिक्षण आपनारी संस्था स्थापवा अने (५) धंधारोजगार माटे नाणांनी सहाय आपवा सहकारी धोरणे एक मोटी औद्योगिक अने नागांकीय संस्था स्थापवानो ठराव करवामां आव्या अने आ योजनाने मूर्त स्वरुप आपवा एक कमिटी नीमवा ठराव्यु. समाजे आ योजनाने वधावी लीधी अने तेने माटे एक For Personal & Private Use Only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फंड करवामां आव्युं जे रूपिया एक लाख सुधी पहोंची गयु. सने १९५१मां जूनागढ अधिवेशनमां आ योजनाने वधु वेग मळ्यो अने तेने विकसाववा त्यां रु. ४३,००० लगभगनुं फंड थवा पाम्यु.. त्यारबाद सने १९५२ना जून मासमां मुंबईमां कॉन्फरन्सन १९९ सुवर्ण जयंती अधिवेशन मळ्यु. तेमां रु. १,६४,६३५-०-० लगभग आ फंडमां लखाया. त्यारबाद पूज्यपाद स्व. जैनाचार्य श्रीमद् विजयवल्लभसूरिश्वरजी महाराजसाहेबे आ फंडने विकसावी पांच लाख सुधी लई जवा प्रतिज्ञा करी जेना परिणामे श्री खीमजी हेमराज छेडा अने अन्य भाईबहेनोए ते प्रतिज्ञा पूर्ण करवा प्रयत्नो करतां कुल रु. ४,४९,४४५-१४-३नां वचनो मेळव्यां. आ फंडना उपयोग अंगे नीचे प्रमाणेनी योजना घडी काढवामां आवी हती: १. समग्र भारतमा जैन भाईबहेनोने नाना नाना गृह उद्योगो शीखववा माटे उद्योगकेन्द्रो उघाडवा प्रबंध करवो. २. रेशनराहत आपवानी व्यवस्था करवी. ३. जीवननिर्वाहनी वस्तुओ सस्ती अने सहेलाईथी मळी शके ते माटे स्टोर्मोनी योजनाने शक्य होय त्यां मदद करवी. ४. मॅट्रिक सुधीना विद्यार्थीओने पुस्तको अने स्कूल-फी आपवानी व्यवस्था करवी. ५. आ उपरांत तद्दन निराधार अने अशक्त भाईबहेनोने व्यक्तिगत आर्थिक सहायता पहोंचाडवानी बाबतनो पण स्थायी समितिना निर्णयानुसार उपरोक्त योजनामा समावेश करवामां आव्यो. ___ उपर्युक्त फंडने श्री श्रावकश्राविका उत्कर्ष फंड एq नाम For Personal & Private Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आपवामां आव्युं छे अने तेमाथी संख्याबंध केन्द्रोने तथा व्यक्तिओने मदद आपवामां आवी रही छे. तेमाथी अखिल भारत जैन श्वेतांबर कॉन्फरम्सनी महासमितिना ठराव अनुसार ता, १-८-'५५ना रोज मुंबईमां श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स उद्योगगृहनी स्थापना करवामां आवी छे. आ उद्योगगृह अत्यारे घणी सारी स्थितिमा चाले छे अने संख्याबंध भाईबहेनोने आशीर्वादरूप थई पडथु छ: वळी आ योजना अनुसार कॉन्फरन्सनी स्थानिक समितिओ ६० टका रकम एकत्र करे तो ४० टका कॉन्फरन्स तरफी मदद आपवामां आवे छे. आवी समितिओ मुंबई, वडोदरा, अंबाला; उंझा, डभोई, राधनपुर, बोडेली, चाणस्मा, जूनागढ, महुवा, वलसाड; बारडोली, जूना डीसा, मोरबी, व्यारा, पालीताणा, लाकडीआ, ईडर, शिरोही, आदि स्थळोए चाले छे. कॉन्फरन्स तरफी दर वर्षे लगभग रु. ४० थी ४५ हजारनी मदद आ समितिओने अपाय छे. आ रीते बधे मळी लगभग रुपिया एक लाख जेटली रकम दर वर्षे समाजहितार्थे खरचाय छे. आ उपरथी जणाशे के समाजनी करोडरज्जु जेवा श्रावकश्राविकाक्षेत्रनी स्थिति सुधारवा अने तेमने स्वाश्रयी अने स्वावलंबी बनाववा कॉन्फरन्स एक भगीरथ प्रयत्न करी रही छे. सात क्षेत्र पैकीनु आ महामूलं अंग करमाय नहीं अने सदा नवपल्लवित रहे ए जोवानी सौ कोईनी फरज छे. ५. धार्मिक हिसावतपासणी ___“केटलाक कारभारी तो एम म जाणे छे के देरासरनो कारभार तो अमारा वारसामां आवेलो छे ते अमे ज करीए. पोतानी शक्ति न For Personal & Private Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ होय ते छतां बीजाने कारभार सोंपे नहि, ने पोताथी काम थाय नहि तेथी केटलाक प्रकारनी देवद्रव्यनी हानि थाय ने पोतानुं दुर्गतिमा जयं थाय, आग्रहथी कारभार राख वो, कोई जोवा मांगे तो बताववो नहीं ए जिनशासननी मरजादथी उलटुं छे." भरुचवाळा शेठ अनुपचंद मलुकचंदे उपरना शद्बो पोतानी लाक्षणिक शैलीमां बीजा मुंबई अधिवेशनमा उच्चारतां धमाढा खातांओना हिसाबो चोख्खा राखवानी आवश्यकता उपर खास भार मुक्यो हतो अने नीचेनो ठराव रजू को हतो..... १. “आपणां जैन धर्मनां सार्वजनिक खातांओ जेवां के देव-द्रव्य, ज्ञान-द्रव्य अने साधारण द्रव्यसंबंधी खाताओ बहु ज चोस्ववटवाळा राखवां, २. चालु जमानाने अनुसरीने ते खातांओना आवकजावकना हिसाबो अने सरवैयां प्रत्येक वर्ष बराबर तैयार करवां, ३. अने बनी शके तो ते खातांओनो हिसाब प्रगट करवा माटे दरेक शहेरना तथा गामना जैन आगेवानोने आ कॉन्फरन्स स्वास सूचना करे छे." आ ठराव पसार थया पछी घणी धार्मिक संस्थाओना वहीवटकर्ताओ आ बाबतमां सावचेत थई गया. उपदेशको मारफत पण हिसाब चोखा राखवानी फर न बाबत उपदेश आपवामां आवतो हतो. बाद कॉन्फरन्सनु चोथु अधिवेशन पाटण खाते मळ्यु. तेना दशमा टराव मुजब अने शेठ गोकळभाई दोलतराम अने शेठ चुनीलाल नहानचंदनी उदारताथी जैन श्वेताम्बर संस्थाओना हिसाबनी तपासणी बाबत स्वतंत्र नवु खातुं उघाडवामां आव्यु For Personal & Private Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० हतुं. अने ते ते खाते खास पगारदार माणसो नीमी जुदा जुदा गामनी संस्थाओनी हिसाब तपासवानी शरूआत करवामां आवी हती. - विघ्नो आववा छतां आ खाताए सुंदर कामगीरी बजावी हती. मुंबई, खेडा जिल्लो, अमदाबाद जिल्लो, वडोदरा जिल्लो, मारवाड, पटणा, राजपूताना, मध्य भारत वगेरे घणां स्थळोनी संस्थाओना तथा गिरनारजी, राणकपुरजी वगेरे तीर्थक्षेत्रोना हिसाबो तपासवामां आव्या हता. केटलीक संस्थाओ स्वेच्छापूर्वक हिसाबो तपासवा देती हती, केटलीक संस्थाओना वहींवटदारो हिसाब तपासवा देवामां आनाकानी करता हता तो केटलाक काम ढीलमां नाखता हता, छता एकंदरे आ खातानुं काम सारं चाल्युं हतुं. आ खातानी कामगीरीना परिणामे घणी संस्थाओना हिसाबो चोख्खा थई गया. संस्थानी मिलकतोनो दुरुपयोग थतो अटक्यो, केटलीक आसामीओ धर्मादाना लेणा रुपिया बाबत दाद देती नहोती तेमने समजावीने नाणुं वसूल कराव्युं तेम ज केटलाके बाकीओ काढी आपी, आशातनाओ दूर थई, देवद्रव्य अने साधारण खातां जुदां राखवानुं लोको शिख्या, गोटाळो करी नाणां खाई जनाराओने उघाडा पाडी पैसा वसूल करवामां आव्या, जीर्णोद्धार थतो अटक्यो होय ते समजावी कराव्यो, केटलेक स्थळे प्रतिष्ठाओ पण करावी हिसाब तपासाय छे एवं भान थतां वहीवटकर्ताओ अगाउथी चेती नाणांनो दुरुपयोग करता अटक्या. आम आ खातुं सामाजिक अने धार्मिक दृष्टिए धणुं उपयोगी नीवडयुं. सरकारी दखलगीरी सिवाय पण आखा समाजना पीठबळवाळी संस्था केटलं असरकारक काम करी शके छे तेनुं आ खातुं प्रत्यक्ष उदाहरण छे. For Personal & Private Use Only Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१ ___ आ खाताए लगभग पंदर वर्ष सुधी समाजनी सतत सेवा बजावी हती. हालमां बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट अॅक्ट अमलमां आवबाथी हिसाबो चोख्खा राखवानुं अने ऑडिट कराववानुं लगभग फरजियात जेवू बनी गयु छे. परंतु ते वखतमां कॉन्फरन्से पोते ज आ पायानुं काम घणी सफळ रीते बजाव्यु हतुं. ६. तीर्थरक्षा: जैनतीर्थो साराये भारतवर्षना विस्तीर्ण प्रदेशमा आवेला छे. मोटां भागनां तीर्थोमां जैनोनी वस्तीनो अभाव होय छे. तीर्थो बाबत श्वेतांबर-दिगंबर बच्चे, जैनो अने अजैनो वच्चे तेम ज आपणा समाज अने सरकार बच्चे पहेलेथी ज झगडाओ अने घर्षण चाल्या करे छे. तेथी तीर्थरक्षानो प्रश्न जैन समाजनो एक महत्त्वनो अने जटिल प्रश्न छे. ज्यार ज्यारे तीर्थरक्षा माटे जरुर पडी त्यारे त्यारे कॉन्फरन्से आगेवानी लीधी छे अने जैनसमाजनी एक मुख्य संस्था तरीकेनी पोतानी फरज बजावी समाजने दोरवणी आपी छे. वाटाघाटो करवी पडे त्यां वाटाघाटो करी छे, विरोध नोंधाक्वानो होय त्यां विरोध नोंधाव्यो छे अने लडत आपी पडे त्यां लडत पण आपी छे. शेठ आणंदजी कल्याणजीनी पढी के जे जैन तीर्थव्यवस्थानो मोटो बोज वहन करे छे अने आपणा समाजनी मान्य संस्था छ तेना सहकारमा तेम ज स्वतंत्ररीत तेणे तीर्थरक्षणना प्रश्नने उकेलवा सबळ प्रयत्नो कर्या छे. . पालीताणाना दरबार तरफी वारंवार आपणा महान तीर्थ शत्रुजय उपर आशातना थती हती. शेठ आणंद जी कल्याणजीनी For Personal & Private Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ पेढी तरफी सुलेहशांति जाळबवाना प्रयत्नो ठाकोरसाहेब तरफी निष्फळ बनाक्वामां आवता हता. तेथी कॉन्फरन्सने त्रीजा वडोदरा अधिवेशनमा ज शत्रुजय तीर्थनी आशातना माटे खेद प्रदार्शत करतो ठराव करवो पड्यो हतो. त्यारबाद हजारीबागना डेप्युटी कमिश्नरे पोताना जिल्लामा आवेला आपणा पवित्र तीर्थ श्री समेतशिखरजी उपर पालगंजना राजानी मिलकतना वहीवट करनार तरीके जमीन पटे आधी युरोपियनोना बंगला बांधवानी योजना जाहेरमा मूक्याथी आपणी धार्मिक लागणी दुखवी गंभीर अन्याय को हतो. ते सामे बांधो उठाववाने कॉन्फरन्से बनता तमाम प्रयत्नो कर्या हता. एटलं ज नहिं पण शेठ वीरचंद दीपचंद, शेट लालभाई दलपतभाई, शेट रतनचंद रखीमचंद, झवेरी मोहनलाल मगनभाई, श्री. मोतीचंद गिरधर कापडीआ तथा श्री न्यालचंद लक्ष्मीचंद सोनीने बंगालना लेफटेनन्ट गवर्नर सन्मुख श्री शिखरजी उपर जनारा डेप्युटेशनमां भाग लेवा मोकल्या हता. घणा प्रयत्नोना अंत बंगला बांधवानुं बंध रघु हतुं. बाबुसाहेब राय बद्रीदासजीए आ प्रश्नमा घणी ज लागणीपूर्वक अत्यंत जहेमत उठावी हती. सं. १९६५ना फागण मासमां मुंबईथी एक संघ श्री अंतरिक्षजी गयेलो अने तेनी साथ पं. आणंदसागरजी तथा तेमना शिष्यो पण हता. संघ दर्शने गयो ते वखते पूजा करवानो वखत-वारो श्वेतांबरोनो छता केटलाक दिगंबरो देरामां बेठेला हता. तेमणे संघ साथे तकरार करी अने मारामारी सुधी वात पहोंची. बने पक्षे केसो थया. साधुओ उपर पण थया हता. साधुओ छेवटे निर्दोष छूटी गया. कॉन्फरन्स For Personal & Private Use Only Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३ तरफथी श्री धीरजलाल पी. श्रोफ बॅरिस्टर, श्री मोतीचंद गिरधरलाल कापडीआ तथा अन्य बंधुओए आ केसमां घणो ज श्रम लीधो इतो.... ' आबुजी उपर विझिट लेनारा युरोपियनो जोडा पहेरीने मंदिरमां जई जैनकोमनी लागणी दुःखवता हता. तेने माटे अत्रेथी सरकारमा मोकलवा एक मेमोरियल तैयार करी बाबुसाहेब रायकुमारसिंगजी उपर मोकलवामां आव्यु हतुं. परिणामे आपणी मागणी स्वीकारवामां आवी हती अने युरोपियन प्रेक्षको बूट पहेरीने मंदिरमां न जाय तेवी व्यवस्था सरकार तरफयी थई हती. - आ सिवाय श्री केसरियाजी तीर्थमां श्री ऋषभदेवजी महाराजना मंदिर उपर ध्वजादंडने वावाझोडाथी नुकसान पहोंच्याना अने ते ध्वजादंड पुनः जैनेतर विधिथी चढाववामां आवनार होवाना खबर आवतां ते सामे उदेपुर महाराणा समक्ष सखत विरोध मोंधाववामां आव्यो हतो. उदेपुर राज्ये आ तीर्थनो भंडार, नोंध करवाना बहाना नीचे, जैनकोमनो तीव्र विरोध छतां, खोल्यो त्यारथी असंतोष शरु थतां पंड्याओ प्रत्ये राज्ये जे वलण अखत्यार करी बोलीनी वधी आवक तेमने आपवानो हुकम काढ्यो तेथी कोमनी लागणीए तीव्र रुप लीधुं हतुं अने दरेक स्थळे असंतोषनां पूर प्रकट थतां कॉन्फरन्सनी कार्यवाही समितिए सने १९३३ना जान्युआरीमां आ तीर्थ संबंध ऊभी थएली परिस्थिति माटे विचार करी योग्य करवा एक पेटा कमिटि नीमी हती अने कॉन्फरन्सनी कार्यवाही समितिए आ संबंधे शेठ आणंदजी कल्याणजी साथे रही कार्य करवा ठराव्युं हतुं. आ कमिटीए एक मेमोरियल उदेपुरना For Personal & Private Use Only Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ महाराणाने मोकल्यु हतुं अने एक माणस.खास त्यां राखवा गोठवण करी हती. आ प्रश्न उपर योगीराज आचार्य श्री शांतिविजयजी महाराजे अनशननो निर्धार करेलो होई तेमने कॉन्फरन्सना श्री माणेकलाल मोदीए वखतोवखत मळी सर्व माहिती आपी हती. केटलाक आगेवानां जाते उदेपुर गया हता. ___कुडची दिगंबर मंदिर उपर मुसलमानोए अने जखो-कच्छ जैनमंदिर उपर वावर लोकोए हुमलो करी आशातना कर्या बदल योग्य विरोधो नोंधाववामां आव्या हता. घेलाशाना बरवाळाना जैन देरासर उपर ता. २५-२-'३९ना रोज धाड पडेली ते बाबत बरवाळानी प्रजा जैनमंदिर, मूर्ति तथा मिलकतना रक्षणार्थे घटतां पगलां लेवा मुंबई सरकारना होम मेम्बरने तार करवामां आवतां पोलीससंरक्षणनो बंदोबस्त थयो हतो. ___ शत्रुजयनी यात्राए जता यात्रीओ पासेथी पोताने कर लेवानो हक्क छ एम जणावी माथा दीठ बे रुपियानो मूंडकावेरो नाखवाना पालीताणा दरबारना प्रयत्नो सामे कॉन्फरन्से प्रचंड बंड उठाव्यु हतुं अने कॉन्फरन्सनुं खास अधिवेशन सं. १९८२मां बाबु बहादुरसिंह जी सिंधीना प्रमुखपदे भयुं हतुं. पवित्र संवत्सरीना दिवसे गोधरामां वरघोडाना प्रसंगे त्यांना घांची मुसलमानोए भयंकर अत्याचार कर्यों हतो अने तोफान मचाव्युं हतु, जैनो अने हिंदुओ घणा भयमा हता. आ प्रश्नमां बने तेटली सहाय करवामां आवी हती. कॉन्फरन्सना तारथी मुंबईनी धारासभामां पण ते संबंधी ऊहापोह थयो हतो. .. For Personal & Private Use Only Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५ - अंतरीक्षजी संबंधे प्रिवी काउन्सिलमा दिगंबरोए आपणा विरुद्ध जे अपील करी हती तेनो चुकादो आपणा तरफेणमां आव्यो हतो. कॉन्फरन्सना एक वखतना मुख्य मंत्री श्री मोतीचंद गि. कापडीआए विलायत जई आ केसने अंगे खूब आत्मभोग आप्यो हतो. १४मा मुंबई अधिवेशनमा तीर्थसंरक्षणनो एक ठराव करवामां आव्यो हतो. तेमां नीचेनी बाबतो उपर खास भार मूकंवामां आव्यो हतो. (१) प्राचीन तीर्थोनी जूनी शिल्पकळाने क्षति न पहोंचे-शिला-लेख भंसाय नहि ए रीते मरामत कराववी. ( २ ) सरकारी शोधखोळ खातामा जैनोना शिल्पशास्त्रना ज्ञाताने नियुक्त करवो अने तेम न बने तो जैन शिल्पशास्त्रनो अभ्यास करी जन प्राचीन तत्त्वोनी ज शोधखोळ कर्या करे तेवो सरकारी अधिकारी रहे ते माटे सरकार साथे गोठवण करवी.. ... (३) जूनां जैन खंडेर के दटायेला स्थानोमां खोदकाम कराववा माटे सरकार साथे गोठवण करवी. ( ४ ) तीर्थ संबंधी जे जे ऐतिहासिक प्रमाणो, ग्रंथो के ग्रंथना अमुक भागो होय तेनो संग्रह करी नकशासहित छपाववो, तेमां तीर्थोना फोटा मूकी ब्लाक करावी मूकवा... . (५) हाल अस्तित्व धरावता हजारो बिंब परना शिलालेखो, मंदिरना शिलालेखो वगेरेना रबींग (प्रतिकृति) लेबरावी संग्रहवा अने ते सर्वने एकत्रित करी छपाववा.. . (ठराव नं. ३मांथी) For Personal & Private Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७मा फालना अधिवेशनमां श्री केसरियाजी तीर्थ विषे खास ठराव करी त्यांन सामंतशाही राज्य नष्ट थई स्वतंत्र भारतमा गणराज्यना सिद्धांत उपर चालनारी राजस्थान सरकारने जैनोना अन्मसिद्ध अधिकारोने विनाविलंबे स्वीकारवा अने केसरियाजी तीर्थ जैनोनुं होई ते जैनोने सौंपी देवा जोरदार मांगणी करी हती. १९मा अधिवेशनमां केसरियाजी तीर्थ संबंधमां बोली अने श्वेतांबर समाजना हक्क वगेरे बाबतमां कॉन्फरन्स द्वारा कई कार्यवाही करवी योग्य छे तेनी तपास करी रिपोर्ट करवा श्री फुलचंद शामजी-मुंबई, श्री मोहनलाल दीपचंद चोकसी-मुंबई, श्री मनोहरलालजी चतुर-उदेपूर, श्री चतुरसिंहजी गोरवाडा-उदेपुर, श्री मगनलालजी सींगरवाडीया-उदेपूर एमनी एक समिति नीमवामां आवी हती. सने १९५४ना नवेम्बर मासमां रतलाममा केटलाक तोफानी अने बेजवाबदार तत्त्वोए सनातन धर्मना नामे जैनो विरुद्ध भय अने त्रास, वातावरण सयुं हतुं अने बहुमती कोमने जैनो विरुध्ध उस्केरी मूकी हती. लोकशाहीमां बनता आवा बनावो प्रत्ये खेद दर्शावतो अने आगेवान जैनोए जेलयात्रा तथा अनेक कष्टो सहन कर्या ते बदल सहानुभूति बतावतो अने रतलाम जैन संयुक्त संघनी लडतने टेको आपतो ठराव कॉन्फरन्सना २०मा अधिवेशनमा थयो हतो. रतलामना श्री शान्तिनाथजी मोटा देरासरनो कबजो त्यांनी सरकारे सने १९५४ना नवेम्बरथी हस्तगत कर्यो ते संघने परत सोंपी देवा जोरदार मागणी करी हती. ... रतलाम जिनालयप्रकरण अंगे नियमित पत्रव्यवहार, तार आदि, For Personal & Private Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपरांत कॉन्फरन्स तरफथी उपप्रमुख श्री मोहनलाल दीपचंद चोकसी अने मुख्यमंत्री श्री रतिलाल सी. कोठारीने जाते तपास करवा मोकल्या हता. श्री. आणंदजी कल्याणजीना संपर्कमा रही संतोषप्रद निराकरण लाक्वा माट शेठ कान्तिलाल ईश्वरलाल तथा शेठ रमणलाल दलसुखभाई जे. पी.नी नियुक्ति करवामां आवी हती. . रतलामप्रकरणनो फैसलो आपणी तरफेणमां आवी गयो छे. श्री भोयणी तीर्थना यात्रालुओ उपर भोयणी ग्रामपंचायते यात्रालुवेरो नांखवानो ठराव करेलो ते अंगे विरोध दर्शाववा शेठ वाडीलाल चत्रभुज गांधीना प्रमुखस्थाने स्थायी समितिनी सभा मळी हती, अने सख्त विरोध दर्शावतो ठराव पसार करवामां आव्यो हतो. .. आम तीर्थरक्षाना प्रश्न परत्वे कॉन्फरन्से सतत जागृत रही समाजने दोरवणी आप्या करी छे. पोते एकाकी लडी शके त्यां पोते लडी छे अने जरुर पडी त्यां संयुक्त मोरचो रच्यो छे. छेवटे तो समाजनुं बळ ए ज कॉन्फरन्सनुं बळ छे. सामान्य प्रश्नो उपर. अंदरोअंदरना मतभेदो बाजु उपर मूकी सौए एकत्रपणे झझूमकुं जोईए. राज्य सामे के अन्य समाजो सामे ज्यारे पण लडत आपवी पडे त्यारे आपणुं संगठन जेटलं जोरदार एटली ज आपणी लडत उग्र बनशे अने एटलां ज लडतनां परिणामो शुभ अने जल्दी आवशे. +United we stand, divided we fall ' ए सूत्र देशने, समाजने के हरकोई संस्थाने एकसरखं लागु पडे छे. For Personal & Private Use Only Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८ ७. पुस्तकोद्धार-साहित्यसंशोधन अने प्रकाशन ___ जैनधर्म जेटलो प्राचीन छे तेटली ज तेनी संस्कृति पण प्राचीन छे. मुख्यत्वे धर्मबोध माटे संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश अने प्राचीन तेम ज अर्वाचीन गुजराती भाषामां रचायेला जैनसाहित्यनो विपुल वारसो आपणने मळेलो छे. आपणा पूज्य त्यागी वर्गे पोताना ज्ञान, ध्यान, स्वाध्याय, अध्ययन, चिंतन अने मननद्वारा तेना परिपाक रुप अनेक कीमती ग्रंथो रची केवळ जैनसमाजनी ज नहीं परंतु साराये भारतवर्षनी शान वधारी छे. स्थळे स्थळे तेमणे ज्ञानभंडारो ऊभा करेला छे. जेमां धर्म अने साहित्यना कीमती ग्रंथो, हस्तलिखित प्रतो, ताडपत्रो वगेरे वधतेओछे अंशे आजसुधी सचवाई रह्यां छे. तेमांना केटलाये ग्रंथो अपूर्व अने श्रेष्ठ विद्वत्ताथी भरेला होई तेमना ज्ञानवैभव समक्ष आपणां मस्तक नमी पडे छे. आपणा आ अमूल्य वारसाने साचववानी अगत्य तरफ कॉन्फरन्सनुं ध्यान शरुथी ज गडे हतुं. पहेली कॉन्फरन्से आ • बाबतमां नीचेनो ठराव को हतो : " जहां जहां अपने पुस्तकों के भंडार होवे वहां वहां के पुस्तकों की टीप पुस्तकों की स्थिति के साथ इस कानफ्रन्स की तर्फ से कराकर छपानी चाहिये" आ ठरावना समर्थनमां बोलतां भावनगरनिवासी शेठ कुंवरजी आणंदजीए कह्यु हतुं के, ___ "आपणा पूर्वजोनी पारावार दोलतमाथी कालना क्रम बडे प्राप्त थयेल अनेक प्रकारना उपद्रवोर्नु उल्लंघन करीने तेमांथी केटली दोलत For Personal & Private Use Only Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०९ बची छे. आ बाबत ज्यारे आपणे प्रयत्न करीशुं त्यारपछी आपणने भान थशे के अरेरे! शुं आटली बधी दोलतमांथी आटली ज रही ? खेर, हवे बन्युं ते खरं; पण हवे आमांथी घटवी न जोईए, नहि तो पछी आपणे निर्धन थई जईशुं. 92 बीजी मुंबई कॉन्फरन्से आ बाबतनो पुनः ठराव करी तेना सक्रिय अमल माटे रु. १९, १६६नुं फंड भेगुं कर्यु हतुं. १. जैन ग्रंथावली - कॉन्फरन्सनुं पहेलुं प्रकाशन आपणा सर्व भंडारोमां जेसलमेरनो भंडार सुप्रसिद्ध छे. खुद कलिकालसर्वज्ञ हेमचंद्राचार्य पोते आ भंडार जोवा पधार्या हता. तेथी कॉन्फरन्से सौथी प्रथम आ भंडारनां पुस्तकोनी टीप करवानुं नक्की कर्यु. आ भंडार सौ भंडारोमां श्रेष्ठ गणाय छे. तेने माटे एम कहेवाय छे के ज्यारे मुसलमानोनुं प्राबल्य थयुं अने तेओ हिंदुओनी मूर्तिओ तथा पुस्तकभंडारो वगेरेनो नाश करवा लाग्या त्यारे ते खतना दूरंदेशी जैन भाईओए जेसलमेरना महारावळ श्री रजपूत होवाथी तेओ आ समये आपण आश्रय आपी आपणा धर्मना स्थंभरुप अमूल्य पुस्तकोने साचवी आपणा उपर उपकार करशे एम जाणीने तेमनी सहानुभूति मेळवी पाटणना भंडारोमांना जथ्थाबंध पुस्तको मध्यरात्रिना समये ऊंटो उपर चढावी जेसलमेर मोकलांव्यां हतां. आ अगणित पुस्तको महारावळ श्रीना आश्रयाधीन भयरहित स्थळमां (जेसलमेरना किल्लामां ) सुरक्षित रीते राखवामां आव्यां तां अने हाल पण छे. जेसलमेर 'भंडारना वहीवटकर्ताओ कोईने भंडार खोली बतावता न हता. भंडार खोली आपवा माटे कॉन्फरन्से लगभग For Personal & Private Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८ गृहस्थोना भलामणपत्रो मेळव्या पण वहीवटकर्ताओए भंडार न खोली आप्यो. छेवटे जेसलमेरना दीवानसाहेब तथा ठाकर शिवदानसिंहजी भाटीनी सहायताथी श्री गुलाबचंदजी ढवाना मोटा भाईश्री लक्ष्मीचंदजी ढढाना अयाग प्रयत्न पछी भंडार खोलाववामां सफळता मळी अने पंडित हीरालालजी जामनगरवाळाने किल्लाना भंडारनी टीप करवानुं काम सोपवामां आव्यु. थोडीक नोंध थया पछी भंडार बंध करवामां आव्यो. वहीवट करनार पंचो ते फरी खोली आपवा अखाडा करवा लाग्या. छवट समजावट्थी बधा समज्या पण एक साधारण 'माणस माथु ऊंचकीने भंडार उघाडवा दीधो नहि अने दंगो करवानी तैयारी करी. छेवटे जेसलमेर पंचे अकळाइने मे. दीवानसाहेब पासे जईने प्रार्थना करी के अमे कॉन्फरन्सना आ कार्यने सारं समजी भंडार उघाडवा इच्छीए छीए पण जेठमल काछवा उघाडवामां दंगोफीसाद करीने हरकत करे छे. दीवानसाहेबे पोलीसबंदोबस्त कराव्यो ने ते पछी ज भंडार उघाडी शकायो. टीपन काम आगळ चाल्युं तेम ज बीजा भंडारोनी पण लहियाओ तथा पंडितोन मोकली अपूर्ण ग्रंथोनी तथा जीर्ण थई गयेला पुस्तकोनी नकलो उतारवार्नु काम चालु थयु. आ काममां रतलामनिवासी शेठ चांदमलजीए घी सारी सहाय करी हती. पाछळथी मुनिराज प्रवर्तक श्री कांतिविजयजीनी देखरेख हेठळ पाटणना भंडारोनी टीप करवाने शरू करवामां आव्यु हतुं. तेआश्रीए जाते तेम ज तेमना मुख्य शिष्य चतुरविजयजीए त्यांनी टीप करवा.. मां घणी अनुकूळता करी आपी हती अने तेओ जाते पण आ कार्यमां सारी मदद करता हता.. For Personal & Private Use Only Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १११ एकंदरे नीचेना भंडारांनी टीप थई हती. पाटण भंडार नं. १-२-३-४-५ जेसलमेरनो भंडार लींबडीनो भंडार खंभातनो भंडार कोडायनो भंडार • अमदावादनो डेलानो भंडार मुंबईनो दशाओशाळनो भंडार मुंबईन भोईवाडामांनो दिगंबरी भंडार डेक्कन कॉलेज, पुनानो भंडार भावनगरनो भंडार राधनपुरनो भंडार भरुचनो भंडार. मेळवेली टीपो उपरथी तेat farmart arraणी करी तेमा आगमने लगती टीकाओ, ग्रंथकारो, पुस्तकरचायानी साल अने श्लोकसंख्या वगेरे तैयार करी जैनागम-लिस्टो छपाववामां आव्यां हतां. आम आ लिस्टोने विषयवार जैनागम, जैनन्याय, जैनफिलसूफी, जैन औपदेशिक, जैनमाहात्म्य, जैन भाषासाहित्य, जैनविज्ञान एवां नाम आपी कुल नव लिस्टो छपाववामां आव्यां हतां. प्रूफ जोवानुं कार्य ते वखतना पन्यास ( पाछळथी आचार्य ) श्री आनंदसागरजी महाराजे उपाडी लीधुं हतुं अने तेओश्रीए पूर्ण सहकार आप्यो हतो. For Personal & Private Use Only Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आ तमाम लिस्टोनो समुच्चय करी तेने " जैनग्रंथावळी" नाम आपवामां आव्यु हतुं. कॉन्फरन्सनी चार वर्षांनी सतत अने सखत महेनतनुं फळ ते आ तेनुं सौथी प्रथम प्रकाशन. जैनग्रंथावळी ग्रंथ विद्वद्-समाजमां एटलो आदरपात्र थयो हतो के तेना विषे विल्सन कॉलेजना संस्कृतना विद्वान प्राध्यापक श्री. एच. एम. भांडारकरे का हतुं के, “ Conference has done signal service to their own religion as well as to literature in general in offering the information of all these records in so detailed a form". प्रोफेसर हर्मन जेकोबीए पण. आ ग्रंथने भावभर्या शब्दोमां अंजलि आपी हती. २. जैन डिरेक्टरी ___मुंबईखाते सं. १९५९मां मळेला कॉन्फरन्सना बीजा अधिवेशनमा अमदावादवाळा श्री भगुभाई फतेहचंद कारभारीए रजू करेलो नीचे मुजबनो आठमो ठराव सर्वानुमते पास थयो हतो:... १. आपणा जैन समुदायनी वस्ती केटली छे, २. जिन मंदिरो, ३. जिनं प्रतिमा, ४. ज्ञानभंडारो, ५. पाठशाळाओ, ६. पूर्वाचार्योप्रणित ग्रंथो, ७. जैनसभा अने मंडळो केटलां छे ते वगेरे आपणा जैनसमुदाय संबंधी उपयोगी बाबतनी पूरती माहिती मेळववा माटे, तेवी विगतोथी भरपूर एक उपयोगी ग्रंथ (जैन डिरेक्टरी) तैयार थवानी आ कॉन्फरन्स बहु ज आवश्यकता विचारे छे." ठराव थया पछी थोडा ज वखतमां तेना सक्रिय अमल माटे डिरेक्टरी अंगे माहिती मेळववानुं दरेक प्रांतमा चालु करी देवामां आव्यु हतु. For Personal & Private Use Only Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३. जैन श्वेतांबर मंदिरावली-भाग रलो जैन डिरेकटरी तैयार करवामां उपलब्ध थएली माहितीना आधारे जे जे गामना देरासरोनी हकीकत आवी हती तेनी तारवणी करीने उपर्युक्त नामथी पहेलो भाग बहार पाडवामां आव्यो हतो. तेमां नंबर, गामनुं नाम, नजीकनुं स्टेशन या मोटुं गाम, तथा तेनाथी केटला माईल दूर, देरासरजीनुं गाममा ठेकाणुं, देरासरजीनी बांधणी तथा वर्णन, ते बंधावनार, नाम, बंधायानी साल, मूळ नायकजीनु नाम, मूर्तिनी संख्या, पाषाणोनी, रत्ननी के धातुनी केटली सिद्धचक्रनी संख्या, तेमां चांदीनां ने धातुना केटलां यंत्रो, नोकरोनी संख्या, तेओ जैन छे के अन्य धर्मी, पगलांनी जोड तथा रीमार्क आ प्रमाणनी उपयोगी हकीकतथी आ पुस्तक भरपूर अने समृद्ध बन्यु हतुं. त्यारपछी श्री जैन श्वेतांबर डिरेकटरी भाग १लो अने २जो बहार पाडवामां आव्या हता. पहेला भागमा उत्तर गुजरातनी अने बीजा भागमां दक्षिण गुजरातनी माहिती आपवामां आवेली छे. खास करीने तेमां जैनोनी वस्तीवाळा जिल्ला अने तालुकावार गाम, राज्य, देरासर, तीर्थस्थळ, धर्मशाळा, उपाश्रय, पुस्तकभंडार, लायब्रेरी, पाठशाळा, पांजरापोळ, सभा, मंडळ तेम ज गामवार ज्ञाति अने गच्छ कुंवारा, परणेल, विधुर, विधवा, भणेल तथा अभणनी संख्या वगेरे माहिती विगतवार आपेली छे. ४. रासमाला श्री मनमुखलाल कीरतचंदे केटलाएक रासो एकठा करेला For Personal & Private Use Only Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९४ तेनुं " रासमाला नामनुं पुस्तक पुस्तकोद्धार खाता मारफत वे भागमां प्रकट करवामां आगुं हतुं. तेमां लगभग ६४९ रासोनो समावेश करवामां आवेलो हतो. " पुस्तकोद्धार खाते सं. १९६० श्री सं. १९०२ सुत्रीमा कॉन्फरन्से रु. १९,३०२ जेटली गंजावर रकमनो खर्च कर्यो हतो. ५. न्यायावतार श्री सिद्धसेन दिवाकरविरचित आ ग्रंथ डॉ. पी. एल. वैद्य, एम.ए., डी. ली. ( पेरिस ), सांगली विलिंग्डन कॉलेजना संस्कृत अर्धमागधीन विद्वान प्रोफेसरे तैयार करेल अंग्रेजी विवेचन अने प्रस्तावना सहितनो आ ग्रंथ कॉन्फरन्से छपावी प्रसिद्ध कर्यो हतो. आ पुस्तक युनिवर्सिटीना बी.ए. ना अभ्यासक्रममां दाखल येलं हतुं. जैन न्यायनो आ एक अपूर्व ग्रंथ ले ६. जैन गुर्जर कविओ भा. १. ७. जैन गुर्जर कविओ भा. २. ८. जैन गुर्जर कविओ भा. ३. ९. जैन साहित्यनो इतिहास कॉन्फरन्स तरफथी बहार पाडवामां आवेला उपर्युक्त ग्रंथोए विद्वद् समाजमा घणी सारी प्रतिष्ठा प्राप्त करी छे; अने जैन साहित्यनी विपुलता, वैविध्य अने उंडाणनुं साहित्यजगतने दर्शन करान्युं छे. छल्ला चार ग्रंथो सद्गत साक्षर श्री मोहनलाल दलीचंद देसाईना अथाग परिश्रमी तैयार थयेला ले. " आ ग्रंथो तैयार कराने भारतीय भाषाओमा आधुनिक दृष्टिए अने संशोधक विद्वानाने उपयोगी For Personal & Private Use Only Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११५ या ए प्रकारना साहित्यिक इतिहासनो अति अल्प पण महत्त्वनो पायो श्री मोहनभाईए नाख्यो " ( पंडित सुखलालजी ) श्री मोहनलाल देशाईए पोतानी तबियतनी पण परवा कर्या विना एकले हाथ आ ग्रंथो माटे जे अमूल्य सामग्री एकत्र करी हती अने तेनी पाछळ तेमणे जे लोहीनुं पाणी कर्यु हतुं तेनो सामान्य माणसाने एकदम ख्याल आवत्रो मुश्केल छे. परंतु वर्षोनी जहमत, उजागरा, अने सतत अध्ययनना परिपाकरुपे आ ग्रंथो तैयार थरला छे. तैयार भोजननी पतराळी उपर बेसनारने रांधनारनी तकलीफनो ख्याल भाग्ये ज आवे छे. कॉन्फरन्से आ अमूल्य ग्रंथो प्रकट करीने साहित्यजगतनी अने जैन संस्कृतिनी अनुपम सेवा बजावी छे. आ ग्रंथो उपरथी सहज ख्याल आवे छे के गुजराती साहित्यमां जैनोए शुं अने केटलो विपुल फाळो आपेलो के. १०. सन्मतितर्क श्री सिद्धसेन दिवाकरनी आ अमूल्य कृतिना उपोद्घातनुं अंग्रेजी अवतरण छे अने एज्युकेशन बोर्डे प्रकाशित करेल छे. २१. प्राकृत मार्गोपदेशिका - प्राकृत प्रवेश. प्राकृत भाषानुं शिक्षण सहेलुं करवाना अने युनिवर्सिटीमां पाठ्यपुस्तक पूरुं पाडवाना उद्देशथी आ पुस्तक आपणा बहुश्रुत पंडित श्री बहे चरदास दोशी पासे तैयार कराववामां आव्युं हतुं. १२. छात्रालय अने छात्रवृत्तिओ जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाजनां छात्रालयो अने छात्रवृत्ति आपती संस्थाओनो समुयच्च परिचय आपती आ पुस्तिका विद्यार्थी For Personal & Private Use Only Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११६ जगतने मार्गदर्शिकानी गरज सारे तेम छे. पोतानो अभ्यास चालु राखवा क्यां क्यांथी मदद के स्कॉलरशिपो मळी शके तेम छे, क्यां रहेवांनी सगवड छे वगेरे हकीकतोथी आ पुस्तिका सभर भरेली छे. मां संस्थाओ विषे विगतवार माहिती आपवामां आवेली छे. आडकतरी रीते आ पुस्तिका समाज अने देशनी शिक्षणप्रगतिमां पण फाळारूप छे. तेनुं संपादन आपणा जाणीता लेखक अने अग्रणी समाजसेवक साहित्यवारिधि शतावधानी पंडित श्री धीरजलाल टोकरशी शाहे करेलुं छे. तेमां मुंबई, गुजरात, सौराष्ट्र, कच्छ, राजस्थान, महाराष्ट्र वगेरे विभागना ६३ छात्रालयो अने १६ छात्रवृत्ति आपती संस्थाओनी माहिती आपवामां आवी छे. प्रो. हीरालाल कापडियानुं — — The Jain Religion and Literature ' ए नामनुं पुस्तक पण प्रसिद्ध थये घणुं उपयोगी नीवडवा संभव छे. ते बहार पाडवा कॉन्फरन्स तरफथी तजवीज चालु छे. कॉन्फरन्से पुस्तकोद्धार, साहित्यसंशोधन अने प्रकाशन द्वारा संस्कृति अने धर्मरक्षानी जे यशस्वी प्रवृत्ति करी छे ते चिरस्मरणीय रहेवा अने कॉन्फरन्सना इतिहासनी एक सुवर्ण रेखा समी बनी जवा सर्जायेळी छे. ८. जेसलमेर ज्ञानभंडार संरक्षण जैन साहित्य अने संस्कृतिना अणमोल संग्रहसमान जेसलमेर ज्ञानभंडारना ग्रंथोना संशोधन, संरक्षण अने उद्धार माटे विद्वद्वर्य आगमप्रभाकर पूज्य मुनिश्री पुण्यविजयजी महाराजसाहेबे जे प्रवृत्ति उपाडी हती ते कॉन्फरन्सनी स्थायी समितिए सत्कारी ए For Personal & Private Use Only Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११७ सत्कार्यमां संपूर्ण सहकार आपवा छ सभ्योनी समिति नीमी हती. पू. मुनिश्री पुण्यविजयजी महाराजसाहेबे विद्वद् मंडळीना सहकार वडे लांबो समय जेसलमेरमा स्थिरता करी आ भंडारना पुस्तकोनुं संशोधन करी तेना संरक्षण माटेनं अत्यंत कपलं कार्य पूरुं कर्यु छे. आ कार्य माटे खर्च करवा कॉन्फरन्सने विविध संस्थाओ तथा व्यक्तिओ तरफथी लगभग रु. १७,०००, उपरांतनी रकम प्राप्त थई हती. आ भंडारनी प्रतो अने प्राचीन कलाकारीगरीनी वस्तुओने ऊधईना पंजामाथी उगारी तेना संरक्षणार्थे योग्य पगलां भरवामां आव्यां छे. हस्तलिखित प्रतो सुरक्षित राखवा माटे कलकत्तामा एल्युमिनियमना ४१७ डाबडाओ बनाववामां आव्या छे. तदुपरांत लोखंडना दरवाजा-कबाटो बनाववानी व्यवस्था थई छ. प्रतोनी प्रेसकॉपी, फोटोकॉपी वगेरे तैयार थई गयेल छे. आ प्रवृत्तिद्वारा कॉन्फरन्से जैनोनी भूतकालीन संस्कृतिना संभारणाने जाळवी राखवामां घणा सुंदर फाळो आप्यो छे. पू. मुनिश्री पुण्यविजयजी महाराजसाहेबे अति परिश्रमथी जे महत्त्वन कार्य कर्यु छे तेनाथी तेओश्री पोते चिरतन यशना भागीदार बन्या छ, एटलुं ज नहि पण तेमणे जैनसंस्कृति अन साहित्यने आधुनिक जगतमां वधु आदरपात्र बनाव्यां छे अने तेना गौरवनो ख्याल अन्य विद्वद् समाजने कराव्यो छे. तेओश्रीनी महेनत अने विद्वत्तानी फलश्रुतिरुपे ग्रंथोनुं विगतवार विस्तृत सूचिपत्र प्रसिद्ध करवानी कॉन्फरन्से योजना करी छे. ते पण कॉन्फरन्सनी यशकलगीमां एक पीछं उमेरी जशे.. ' कॉन्फरन्स अने समग्र जैनसमाज पूज्य मुनिश्री पुण्यविजयजी महाराजनो ऋणी बन्यो छे. For Personal & Private Use Only Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११८ ९. बनारस हिंदु युनिवर्सिटीमां जैन चॅर संवत १९७४मा बंगालमां कलकत्ता खाते मळेली कॉन्फरन्सनी बेठक वखते बनारस हिंदु युनिवर्सिटीमां "जैन चर' स्थापवान विचारायुं हतुं अने तेने मूर्त स्वरुप आपवा माटे एक फंड ऊभु करवामां आव्युं हतुं. आ चॅर स्थापवानो मुख्य उद्देश विद्यार्थीओ जैन तत्त्वज्ञान अने न्यायनो अभ्यास करी शके अने ए रीते ते विषयमा निष्णात विद्वानो तैयार थाय, तेमनी परंपरा चालु रहे अने जैनशासनने उपकारक नीवडे ए ज हतो. तेथी जैन चॅरनी स्थापनानी एक मुख्य शरत ए हती के, " आखो वखत काम करे तेवा एक प्रोफेसर नी निमणूक करवी अने आर्ट अने शास्त्रीना प्रथम वर्षना वर्गाथी मांडी ऊंचामां ऊंची परीक्षा पर्यंत जैन अभ्यासक्रम दाखल करवो.” आ बाबत घणो पत्रव्यवहार थया बाद छेवटे युनिवर्सिटीना वाइस-चेन्सेलर पंडित मदनमोहन मालवियाजी साथे कमिटीना सभ्यो श्री मकनजी जे. महेता, श्री मोतीचंद कापडीआ, श्री मोहनलाल बी. झवेरी, श्री रणछोडमाई रायचंद झवेरी अने श्री लल्लुभाई करमचंद दलाले मळी छेवटना पत्रनो ड्राफ्ट घडी रु. ५२,०००नी फेस वॅल्युनी गवर्नमेन्ट प्रोमिसरी नोटो युनिवर्सिटीना सत्ताबाळाओने मोकली आपी हती. चर स्थपाया पछी एक भाईने त्यां अध्यापक तरीके मोकल्या पण चरनुं तंत्र डामाडोळ थई गयु. तेथी कटोकटी आवतां पोते गुजरात विद्यापीठ अने गुजरात छोडी बहार जवा तैयार नहिं, छतां For Personal & Private Use Only Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आपणा प्रखर विद्वान पंडित सुखलालजी सने १९३३ना जुलाई लगभगमां काशी गया. पंडितजीए पोते कह्युं छे तेम पाते काशी जवा तैयार थया तेनी पाछळ बळ कॉन्फरन्सनुं हतुं. कॉन्फरन्सनी प्रवृत्तिना आ एक अने अति महत्त्वत्ना अंगथी जैन समाज अने कॉन्फरन्सनी आवती पेढीना कार्यकर्ताओं परिचित रहे ए अति आवश्यक छे एम जणावी आ चर स्थापनानां परिणामो विषे तेओश्रीए श्री मोहनलाल दलीचंद देसाईना तैलचित्रनी अनावरणविधि प्रसंगेना अध्यक्षपदेथी ता. १२-७-५६ना रोज आपला व्याख्यानमां जणाव्यं हृतुं के, छल्ला २३ वर्षमा काशीमां जे अध्ययन-अध्यापन, लेखन, संशोधन अने प्रकाशननी प्रवृत्ति थई के ते जैन चॅरने आभारी छे. एने लोधे भणनार तो केटला आव्या अने गया पण तेमांथी केटलाकनी योग्यता अने पदवी गणनापात्र छे. केटलाक जैनदर्शनना आचार्य धया तो केटलाक साथ साथ एम. ए. अने पी. एच. डी. पण एमांथी पांचेक तो प्रोफेसरना ऊच्च पद ऊपर प्रतिष्ठित छे. काशी जैन चॅरनी भावनाए केटलाक साम्प्रदायिक मानस धरावनार पंण जैन तत्त्वज्ञान अने साहित्यनो उत्कर्ष इच्छनार पंजाबी भाईओने प्रेर्या अने १९३७थी श्री प्रार्श्वनाथ विद्याश्रमनी स्थापना थई. आगळ जतां जैन कल्चरल रिसर्च सोसायटी स्थपाइ आम जैन चर अध्यापननुं काम पूरं पाडे, पार्श्वनाथ विद्याश्रम विद्यार्थीओने रहेवा, खावापीवा आदिनी सगवड पूरी पाडे, विशिष्ट पुस्तकालयनी सगवड आपे अने कल्चरल रिसर्च सोसायटी सुनिष्णात विद्वानोना चिन्तनलेखनने मूर्त रूप आपे. आ त्रणेय अंगो एवी रीते संकलित थया छे के ते एकबीजानां पूरक अने पोषक बैनी मात्र जैन परंपरानी ज नहि, भारतीय - अभारतीय विद्वानोनी नवयुगनी अपेक्षाने अमुक अंशे संतोषी रह्यां छे. 53 (: ११९ For Personal & Private Use Only Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० त्यांथी जे संस्कृत, हिन्दी अने अंग्रेजीमां पुस्तको अने पत्रिकाओ प्रसिद्ध थयां छे ते उच्च कक्षानां विद्यावर्तुलोमां आदरपूर्वक वंचाई रह्यां छे. आजे उच्च उच्चतर अध्ययननी मागणी बघती जाय छे तेवे प्रसंगे कॉन्फरन्से आजथी बीस वर्ष उपर लीघेलुं जैन चर स्थापवानुं पगलुं केटलुं दीर्घदृष्टिभरेलुं हतुं तेनो ख्याल आवे छे. जैन साहित्यने विश्वसाहित्यमां योग्य स्थान आपवा माटे, तेना योग्य मूल्यांकन माटे अन जैनदर्शन अने तत्त्वज्ञाननुं अध्ययन अन्य दर्शनीयो पण आवश्यक गणे तेवी परिस्थिति सजवा माटे हजी समाजे घणुं करवानुं बाकी रहे छे. खेदनी बात एटली छे के जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाजना विद्यार्थीओआ चॅरनो पूरतो लाभ लेता नथी. १०. विश्वविद्यालयोमां जैनसाहित्य, अर्धमागधी अने प्राकृतनो अभ्यास जैनागमो अने अन्य महान धर्मग्रंथो अर्धमागधी भाषामां लखायेला छे. तेथी जैनदर्शन अने तत्त्वज्ञाननी साची समज माटे अर्धमागधी अने प्राकृत भाषानो अभ्यास अत्यंत आवश्यक छे. वळी आजे शिक्षणनीबाबतमां दृष्टि व्यापक बनती जाय छे अने साम्प्रदायिक दृष्टिथी पर रही सर्व दर्शनोना तुलनात्मक अभ्यास तरफ वलण फेरवाइ रह्युं छे त्यारे जैनतत्त्वज्ञान अने धर्मनां साचां अने मूळभूत रहस्य जाणवा माटे अने बहार लाववा माटे भाषांतरो करतां मूळ ग्रंथो ज वधारे आधारभूत छे. आ कारणे अर्धमागधी भाषानो अभ्यास जेटलो वधे तेटले अंशे धर्मनी साची तात्त्विक For Personal & Private Use Only Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२१ समज वधवानी छे. जैनसाहित्यना मूळ ग्रंथोने विश्वसाहित्यमां योग्य स्थान अपाववा पण तेनो अभ्यास जरुरी छे. तेथी कॉन्फरन्से पोतानी घणी बेठकोमा आ अभ्यास उपर खूब भार मूकेलो छे. कॉन्फरन्सना मोवडीआने एक वात ए पण समजाइ हती के नवी पेढीना युवानो जेओ पाश्चिमात्य उच्च केळवणी ले छ तेमना युनिवर्सिटीना अभ्यासक्रमोमां जो जैनसाहित्यना ग्रंथानो अभ्यास चालु थाय तो जैनसाहित्यनी विशिष्टताओ जगत समक्ष रजू करवानुं कार्य वधु सरळ बने. कॉन्फरन्सना प्रयासोथी मुंबई युनिवर्सिटीना बी.ए.ना तथा एम.ए.ना अभ्यासक्रमोमां जैनसाहित्य अन्य साहित्यानी साथे दाखल करवामां आव्युं हतुं. मागधी भाषाना उद्धार माटे दशमा मुंबई आधिवेशने नीचेनो ठराव पसार कयों हतो : " आपणां शास्त्रोनी भाषा मागधी (प्राकृत ) होवाथी ते यथार्थ समजी शकाय ते माटे तेने सजीवन राखवानी अती आवश्यकता छे, माटे(१) मागधी भाषानो सरळ अभ्यास थई शके तेने माटे मागधी (प्राकृत) भाषानो कोष तयार कराववा तमाम जैनोनुं लक्ष आ कॉन्फरन्स खेंचे छे; तथा (२) मागधी भाषानुं संपूर्ण व्याकरण सरळ पद्धतिए तैयार करवानी अतिजरूर आ कॉन्फरन्स स्वीकारे छे, अने आ बाबतमां जे प्रयास अत्यार सुधीमां थयो छे तेने माटे धन्यवाद आपी ते दिशामां वधारे प्रयास करवा खास भलामणो करे छे; (३) जेनोहस्तक चालती संस्कृत पाठशाळाओमा तेम ज ऊंची जैन For Personal & Private Use Only Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ धार्मिक शाळाओमां मागधी भाषानुं खास शिक्षण आपवुं जोईए एवो आ कॉन्फरन्स आग्रह करे छे; ( ४ ) हिन्दुस्ताननी जुदी जुदी युनिवर्सिटीओमां मागधी भाषा बीजी भाषा तरीके जैन विद्यार्थीओ लई शके तेने माटे प्रयास करवा जैन साक्षरो तथा संस्थाओने आ कॉन्फरन्स आग्रहपूर्वक भलामण करे छे. "" ते ज अधिवेशनमां नीचेनो बीजो अगत्यनो ठराव पण पसार करवामां आव्यो हतो : " ( १ ) मुंबई, कलकत्ता तथा मद्रास यूनिवर्सिटीमां जैनसाहित्य दाखल थएलं छे ते उपर समस्त जैनकोमनुं लक्ष आ कॉन्फरन्स खेंचे छे अने ते ते युनिवर्सिटीमा अभ्यास करनार जैन विद्यार्थीओ जैनसाहित्य ले ते माटे ते विद्यार्थीओने तथा तेमना वालीओने भार मूकी आग्रह करवामां आवे छे; (२) उपली युनिवर्सिटीओमा जे जैनपुस्तको दाखल करवामां आव्यां छे अने आवे ते पुस्तको टीका तथा विवेचनसहित तैयार करवा जैन विद्वानोनुं अने तेने छपावी प्रसिद्ध करवा जैन संस्थाओं तथा श्रीमंतोनुं लक्ष खेचवामां आवे छे; (३) मुंबई युनिवर्सिटीमां जैनसाहित्य माटे खास स्कॉलरशिप स्व. शेठ अमरचंद तलकचंद तरफथी स्थापवामां आवी छे तेवी बीजी युनिवर्सिटीमां पण स्कॉलरशिपो स्थापवा जैन श्रीमंतोने भलामण करवामां आवे छे. >> आ उपरांत युनिवर्सिटीओने जैनसाहित्यनां पुस्तकोमां युनिवर्सिटीना अभ्यासक्रममां चुंटणी थाय ते मांट उत्तम पुस्तको भेट आपवा पण अनुरोध करवामां आव्यो हतो. For Personal & Private Use Only Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२३ आर्यभाषाना विकासनो इतिहास जाणवा माटे अर्धमागधी अगत्यनी भाषा छे तेमज भारतवर्षना आर्यदर्शनोमा महत्त्वना गणाता जैन दर्शनने समजवा माटे पण अर्धमागधी एक आवश्यक भाषा छे . एम जणावी निंगाळामां कॉन्फरन्से "" 66 'संयुक्त प्रान्त, बंगाळ अने पंजाब वगेरे प्रान्तोनी युनिवर्सिटीओने मुंबई युनिवर्सिटीनी जेम अर्धमागधीने स्थान आपवा खास "> (6 ―― भलामण करी हती अने जैनदानवीराने ते माटे योग्य स्कॉलरशिपो योजवा अने अभ्यासक्रममां चालतां पुस्तको शुद्ध अने सस्ता भाव प्रकट करवा जैन प्रकाशन संस्थाओने आग्रहपूर्वक भलामण करी हती. सोलमा अधिवेशने - "6 • जैन विद्यामंदिर के जेमां पुरातत्त्वनुं तेमज शोधखोळनुं तथा युनिवर्सिटीना अर्धमागधी अभ्यासक्रम माटे सहाय मळे अने मां अभ्यासीओना अभ्यास दरम्यान तेम ज अभ्यास पछीना निर्वाहनी योजनापूर्वक ऊच्च अभ्यास माटे संस्कारी वातावरण होय तेम ज जैनी द्वारा गुजराती, हिन्दी, प्राकृत, संस्कृत, पुरातन तेम ज अद्यतन साहित्यनो संग्रह, प्रचार अने प्रकाशन थाय तथा तत्त्वज्ञान, इतिहास अने क्रियानी रुचिकर चर्चा तथा व्याख्यानो थाय ते एक सुंदर केन्द्रस्थ स्थान स्थपाय "; वो ठराव कर्यो हतो. कॉन्फरन्सनुं आ स्वप्नं मूर्तिमंत थतुं होय तेम अमदावादमां शेठ कस्तुरभाई लालभाई अने तेमनां कुटुंबीजनोनी सहायथी " श्री लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर बे वर्ष पूर्वे स्पायुं छे, अने ते द्वारा कॉन्फरन्सनी आ महेच्छा पूरी थशे एम लागे है. For Personal & Private Use Only Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४ कोने खबर हती के आवुं विद्यामंदिर कॉन्फरन्सना एक बखतना जनरल सेक्रटरीना नामथी कॉन्फरन्सना मुंबई कन्वेन्शन -संमेलनना प्रमुख ज स्थापशे ? ओगणीसमा सुवर्ण जयंति अधिवेशने पण संस्कृतिरक्षण माटे भारतवर्षनी विद्यापीठोमां अर्धमागधी भाषानुं अध्ययन ऊचित स्थान पामे तेवो ठराव कर्यो हतो. कॉन्फरन्सना सतत अने दीर्घ प्रयासोना परिणामे जैनसाहित्य अने अर्धमागधीनो अभ्यास घणां विश्वविद्यालयोमां दाखल थयो छे अने तेने परिणामे घणा ऊच्च कोटिना जैन अने जैनेतर विद्वानो तैयार थया छे. कॉन्फरन्स आ सिद्धि माटे जरूर गौरव लई शके तेम छे. ११. संस्कृतिरक्षा : 66 66 फालना अधिवेशन वखते कॉन्फरन्सना मुख्यमंत्री श्री फुलचंद शामजीए जे निवेदन कर्यु हतुं तेमां तेमणे “ संस्कृतिरक्षा " माटेना कॉन्फरन्सना अथाग प्रयत्नोनो संक्षिप्त पण सुंदर ख्याल आप्यो छे. तेमणे कहधुं के, 99 " भारतीय संस्कृतिना उज्ज्वल मुकुटमणिसमी जैन संस्कृति तेना योग्य स्वरूपमां जळवाई रहे ते माटे पण कॉन्फरन्स पूरी तकेदारी राखे छे " जैनधर्म उपर थता आक्षेपो अने जैनसिद्धांतोनी खोटी रजूआत बाबत कॉन्फरन्से वखतोवखत सखत विरोध नोंधावी आक्षेप प्रतिकार अंगे तेणे जुदा जुदा लेखको, वक्ताओं तथा प्रकाशन संस्थाओ साथै पत्रव्यवहार करेलो छे. तेमांना घणाखराने For Personal & Private Use Only Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५ साची परिस्थितिनुं मान करावीने योग्य सुधाराओ करवानी फरज पाडेली छे. आ उपरांत सरकार तरफथी जे जे बिलो जैनसंस्कृतिना मूळमांघा करनारा जणाया छे तेनी सामे पण कॉन्फरन्से विरोधनो मक्कम सूर उठावीने योग्य आंदोलनो करवामां पाछी पानी करी नथी. बॉम्बे बेगर्स अॅक्ट १९४५ नो जे आपणी पवित्र श्रमण संस्कृति पर आडकतरो घा करनारो हतो तथा साधु-साध्वीओने निर्दोष आहारपाणी मेळववामां पण तकलीफ ऊभी करनारो हतो ते माटे प्रथम मेमोरियल मोकलीने तथा पाछळथी सभाओ भरीने अने डेप्युटेशन मोकलीने योग्य कार्यवाही करेली छे. श्री फुलसिंहजी डाभीए मुंबई धारासभामां रजू करवा धारेलुं बिल जे आडकरी रीते जैनोनो हिंदुओमां समावेश करीने तेमनी धार्मिक स्वतंत्रता उपर तराप मारनारुं हतुं तेने अटकांववामां सफळता मळेली छे. हरिजनप्रवेश विल अंगे पण तेणे पोतानुं दृष्टिबिन्दु सरकार समक्ष स्पष्ट रीते रजू कर्यु हतुं तथा मुंबई सरकारे पब्लिक ट्रस्टो अंगे तपास करीने योग्य भलामण करवा माटे जस्टिस टेन्डुलकरना प्रमुखपदे जे समिति नीमी हती तेनी आगळ आ संस्थाना प्रतिनिधिओए शास्त्रीय पुरावाओ साथे महत्त्वपूर्ण जुबानीओ आपी ते अंगेनुं मूर्तिपूजक समाजनुं दृष्टिबिन्दु बराबर व्यक्त कर्यु हतुं अने पाछळथी ए समितिनी भलामणो परथी "धी बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट अॅक्ट (१९४९)" मुंबई धारासभा समक्ष रजू थवानी जाहेरात थतां ते माटे अखिल हिंद जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स समिति अने अग्रगण्य जैनोनुं एक खास संमेलन ता. ८-९ सप्टेम्बर, १९४९ना रोज मुंबई खाते श्री शकुंतला कांतिलाल जैन गर्ल्स हाईस्कूलना For Personal & Private Use Only Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हॉलमा शेठ श्री मेघजी सोजपालना प्रमुख स्थाने भरीने योग्य ठरावो करी मुंबई सरकार पर मोकली आप्या हता. आ उपरांत जैन आगमशास्त्रो, देवव्यनो उपयोग जिन बिंब अने जैन चल्य माटे ज करवा फरमान करे छे ते दर्शावनार अंग्रेजी अने गुजराती पुस्तक जैनदर्शनना प्रसिद्ध विद्वान श्रीयुत मोहनलाल बी. झवेरी, बी.ए., एलएल. बी. सोलिसिटर पासे तैयार करावी प्रकट करवामां आवेल छे. आ पुस्तकमा २९ आगमग्रंथोनां आधारभूत शास्त्रीय प्रमाणो रजू करवामां आव्यां छ. बिहार धारासभा तरफथी पण आq बिल आवतां कॉन्फरन्से श्रीयुत हीरालाल हालचंद दलाल, बार-ऍट-लॉने ते माटेनी खास कामगीरी सुप्रत करी हती जेनुं परिणाम तआना खंतभरेला प्रयासोथी संतोषकारक आवेलुं छे." ____ मुंबई ग्रामपंचायत अॅक्ट सने १९३३नी कलम ८९ प्रमाणे ग्रामपंचायतोने यात्राळुवेरो नाखवा अधिकार आपती कलम रद कराववा कॉन्फरन्से झुंबेश उपाडी हती अने ते बाबत वीसमा मुंबई अधिवेशने खास ठराव पसार कर्यो हतो. राजस्थान ( मारवाड )मां " अनोपमंडळ " नामनी जैनो प्रत्ये हडहडतो द्वेष राखती अने भारोभार झेर ओकती संस्था स्थपायेली छे. तेणे जैनसमाज विरुद्ध सखत प्रचार शरु करेलो अने कोमी अथडामणो उभी थाय तेवी परिस्थिति सर्जेली. ते अंगे रेवेन्यु मंत्री अने अन्य लागतावळगता खाताना अधिकारीओद्वारा कॉन्फरन्से पुष्कळ कार्यवाही करी हती. जैनतहेवारोनी रजाओ पडाववा माटे पण कॉन्फरन्से घणो ज प्रयत्न कर्यो छे. For Personal & Private Use Only Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैनधर्मना सिद्धांतो अने संस्कृतिनी रक्षाने खातर महात्मा गांधीजी जेवा लोकमान्य नेताना विचारो सामे पण कॉन्फरन्से पोतानो पुण्यप्रकोप जाहर को हतो. ता. १०-१०-२८ना रोज स्टेन्डींग कमिटीनी बेठके मुंबईमां शेठ जीवतलाल परतापशीना प्रमुखपदे नीचेनो ठराव पसार को हतो. " श्रीयुत गांधीजीए पशुओ, वांदराओ, वगेरेना वधसंबंधी जाहेर करेला विचारो तरफ श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनी स्टेन्डींग कमिटीनी आ सभा सखत विरोध जाहेर करे छे. कोई पण प्राणीनो कोई पण संजोगोमां वध कर वो तेने हिंसा तरीके आ सभा माने छे अने तेवी हिंसा कोई पण संयोगोमां करवी इष्ट नथी तेवु भारपूर्वक जाहेर करे छे.” आ रीत ज्यारे जैन संस्कृतिनी मौलिक भावनाओगें अने सिद्धांतोनुं रक्षण करवानो प्रसंग उभो थयो छे त्यारे त्यारे कॉन्फरन्से बराबर कमर कसी छे अने ए रीते समाजे तेनामां मूकेला विश्वासन तेणे जवाबदारीपूर्वक पालन कयु छे. आम कॉन्फरन्स जैनसंस्कृतिरक्षा माटे ऊभेली एक अडीखम अने अणनम संस्था छे. १२. जेन हेरोल्ड, जनयुग अने कॉन्फरन्सपत्रिका सं. १९६१मां वडोदरामां भरायेला कॉन्फरन्सना त्रीजा अधिवेशनमा जे अगत्यना ठरावो थया हता ते पैकीनो एक ठराव कॉन्फरन्सने मजबूत बनाववाना उपायो सूचवतो हतो. ते पैकी एक उपाय ए हतो के, “एक मासिक चोपानिय काढी दर वखतना कॉन्फरन्स संबंधी कार्यनी दरेक स्थानके खबर आपवी अने कॉन्फरन्सना ठरावोने पुष्टि आपची." For Personal & Private Use Only Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८ . दरेक संस्थाने पोतानुं मुखपत्र होय छे. संस्थाना सिद्धांतोना प्रचार माटे, संस्थानो संदेशो घेर घेर पहोंचाडवा माटे, संस्थानी कामगीरीथी समाजने परिचित राखवा माटे, समाजमां विचारोनो फेलावो करवा माटे, समाजमां नवजागृति लाववा माटे अने लोकसंपर्कना सातत्य माटे मुखपत्र जेवू कोई साधन नथी. - वडोदरा कॉन्फरन्सना ठराव अनुसार सं. १९६१मां ज कॉन्फरन्स तरफथी "जैन कॉन्फरन्स हॅरोल्ड” नामनु मासिक श्री गुलाबचंदजी ढहाना अधिपतिपणा नीचे शरु करवामां आव्यु हतुं अने तेमां घणा उपयोगी अने विद्वत्ताभर्या लेखो आवता हता. सं. १९६२मां श्री ढट्ठाजीनुं जयपुरने बदले मालपुरामा रहेवान थतुं होवाथी आ मासिकना लेखो संबंधी तेमनाथी ध्यान आपी शकातुं नहोतुं तेथी कॉन्फरन्सना आसिस्टन्ट सेक्रेटरी भावनगरवाळा शेठ कुंवरजी आणंदजी अने मुंबईवाळा श्री मकनजी जूठाभाई बी.ए., एलएल.बी., बधी देखरेख राखता हता. कॉन्फरन्सना हेतुओ पार पाडवा माटे, तेना ठरावो अमलमां मूकवा माटे प्रचार माटे हेरोल्डे सरस झुंबेस उपाडेली. आ मासिक सारा ऊंचा कागळ उपर सारा टाईपथी बत्रीस पानानुं छपातुं हतुं, ज्यारे तेनु लवाजम वार्षिक फक्त एकज रुपियो राखवामां आव्यु हतुं. मासिकमां जाहेरखबरो लेवामां आवती नहोती. हिंदुस्तानना जुदी जुदी भाषा बोलता प्रदेशोमां तेनो फेलावो होवाथी तेमां थोडां पानां अंग्रेजीमां तथा देवनागरी लिपिमा छपातां हता. तेमां जुदी जुदी पाठशाळाओ, कन्याशाळाओ तथा बीजी जैन केळवणी खाताओ माटे स्वास उपयोगी केळवणीने लगता भिन्न भिन्न विषयो उपरना लेखो माटे For Personal & Private Use Only Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२९ खास ४ थी ८ पान अनामत राखवामां आवतां हतां, “हॅरल्ड "मां गृहस्थो उपरांत मुनिमहाराजाओ पण धार्मिक तेम ज साहित्यने लगता विद्वत्तापूर्ण लेखो लखी मोकलता हता. श्री ढड्ढाजी पछी कॉन्फरन्सनं तंत्रीपद आपणा विद्वदूरत्न साक्षर श्री मोहनलाल दलीचंद देसाई बी. ए., एलएल. बी. ए केटलांक वर्षो सुधी संभाळयुं हतुं अने तेमणे "हॅरल्ड "नी प्रतिष्ठामां घणो वधारो कर्यो हतो. तेमना अने अन्य लेखकोना प्रतिभासंपन्न लेखोथी हॅरल्डनी लोकप्रियता घणी वधी हती अने जैनेतर समाजमा तेने सारो आवकार मळ्यो हतो. पाछळथी तेओ फारेग थया बाद आत्रा उपयोगी मासिकनुं प्रकाशन सं. १९७२ लगभगमां बंध पड्र्युं हतुं. -- कॉन्फरन्स जेवी संस्थाने मुखपत्र वगर केम चाले ? एटले थोडा वखत पछी संवत १९८१मां जाणे " हॅरोल्ड "ना नवा अवताररुपे ना होय तेम " जैनयुग" मासिक शरु करवामां आव्युं. तेना मानद तंत्री तरीके कार्य करवा श्री मोहनलाल दलीचंद देसाईए माथे लीधुं. पहेला ज बर्षे आ मासिके त्रण खास दळदार अने उच्च साहित्यसामग्रीथी भरपूर अंको काट्या हता. चैत्र मासमां श्री महावीर जयंती अंक, श्रावणमां कॉन्फरन्स खास अंक अने दिवाळी उपर श्री महावीर अंक. आ मासिके पोताना जीवनकाळ दरम्यान साहित्यनी प्रखर सेवा बजावी हती अने विद्वद् समाजमां ते अत्यंत लोकप्रिय युं हतुं. सं. १९८६-८७मां “ जैनयुग " ने पाक्षिक बनाववामां आव्यु हतु, अने श्री मोहनलाल दलीचंद देसाईए तेनुं तंत्रीपद संभाळयं For Personal & Private Use Only Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३० हतुं. केटलांय वर्षो सुधी समाजनी अने साहित्यनी आद्विर्ताय सेवा कर्या बाद ते संयोगोवशात् बंध पडयुं हतुं. . जैन युग बंध पड्या पछी कॉन्फरन्सने मुखपत्रनी खोट साल्या करती हती. प्रजाना सतत संपर्कमा रहेवा, संस्थानो संदेशो आमजनता सुधी पहोंचाडवा अने संस्थानी कार्यवाहीथी प्रजाने माहितगार राखवा मुखपत्रनी जरुरियात सौने लागती हती अने तेथी फालना अधिवेशने मुखपत्र फरी चालु करवानो ठराव कर्यो हतो. तेनी फलश्रुति तरीके श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स-पत्रिका नामनी मासिक पत्रिका ता. १५-५-१९५०थी शरु करवामां आवी हती. कॉन्फरन्सना प्रथम पंक्तिना सेवक, समाजना अग्रणी कार्यकर, अने प्रखर वक्ता श्री मोहनलाल दीपचंद चोकसीए तेनुं तंत्रीपद संभाळ्यु हतुं अने कॉन्फरन्सना कपरा दिवसोमां तेमणे कॉन्फरन्सनो ध्वज फरकतो राखवा तनतोड महेनत करी हती. कॉन्फरन्सना मुख्यमंत्री अने पाछळथी उपप्रमुख तरीकेनी तेमनी सेवाओ पण भुलाय तेवी नथी. पत्रिकाना तेमना अग्रलेखो नीडरता, स्पष्ट वक्तृत्व अने रचनात्मक विचारो माटे सारा पंकाया हता. पत्रिका जे स्वरूपे नीकळती हती ते स्वरूपमां अने तेना कलेवरमां फेरफार करवा समाजना घणा भागोमांथी वारंवार मागणीओ थती हती. तेथी छेवटे पत्रिकानुं प्रकाशन बंध करी " जैनयुग "ने पुनर्जन्म आपवामां आव्यो. छेल्लां बे वर्षथी श्री सोहनलाल म. कोठारी, बी.ए., बी.कोम, (लंडन), ए.सी.ए. (इंग्लंड) अने श्री जयंतिलाल र. शाह, बी.ए., बी.कोम (लंडन )ना तंत्री For Personal & Private Use Only Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .१३२ पणा नीचे " जैनयुग " दर मासे नियमित प्रकट थाय छे. तेने एक " क्लासिकल " मासिक बनाववा तंत्रीओसहित जैनसमाजना अग्रणी कार्यकर श्री चंदुलाल वर्धमान शाह, जे. पी., श्री सौभाग्यचंद सिंगी, एम.ए. अने श्री कांतिलाल डी. कोरा, एम. ए. एम पांच विद्वानोनुं एक मजबूत व्यवस्थापकमंडळ नीमवामां आव्युं छे. व्यवस्थापकमंडळ तरफथी श्री कांतिलाल डी. कोरा " जैनयुग "ने एक उच्च कोटिनुं सांस्कारिक अने साहित्यिक प्रकाशन बनाववा ततो महेनत करी रह्या छे. " जैनयुगे " तेना नवसंस्करणना बे वर्षना गाळामां अद्भुत प्रगति साधी छे, अने तेना बाह्य रुपरंग अने आंतरसामग्रीमां तेणे गुजराती भाषामा प्रकट थतां अन्य सामायिकोमां मोखरानुं स्थान प्राप्त कयुं छे. तेनी सुघड छपाई, तेनुं कलात्मक आवरण अने तेथी ये अधिकतर तेनी उच्च साहित्य अने विचारसामग्री, सिद्धहस्त लेखकोना हाथे लखाता संशोधन अने पुरातत्त्वने लगता लेखो, नयनमनोहर चित्रप्लेटो वगेरेथी आ मासिक खूब ज नमूनेदार बन्युं छे. जैनसमाजनी सेवा करवानी साथै साथै जैनसंस्कृतिनी सेवामां ते पोतानो गौरवभर्यो फाळो आपी रह्युं छे अने हजी विशेषपणे आपवानी ते उमेद धरावे छे. जैनयुग "नुं प्रकाशन ए कॉन्फरन्सनी अनेकविधि सिद्धिओ पैकीनी महान सिद्धि छे. १३. कॉन्फरन्सनं राष्ट्रिय स्वरूप 66 कॉन्फरन्सनुं दृष्टिबिन्दु हमेशां राष्ट्रिय रह्युं छे अने तेथी तेणे ते बाबत वखतखत ठरावो करी समाजने योग्य दोरवणी आपी छे. कॉन्फरन्स जेवी संस्थामां समाजे जे विश्वास मूक्यो हतो तेने पात्र For Personal & Private Use Only Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नीवडवानी तेनी फरज हती अने ते फरज तेणे हिंमतपूर्वक अदा करी छे.. . जुन्नर अधिवेशने पसार करेला वीशमा ठरावमां तेनुं आ दृष्टिबिन्दु बराबर व्यक्त थाय छे. __ "भारत देशना उद्धारमा ज जैनसमाजनो उद्धार ओतप्रोत समायेलो छे तेथी भारतना उद्धार माटे शुभ प्रजाकीय चळवळो अने प्रवृत्तिओ छे तेमां सक्रिय भाग लेवो जैनो माटे आवश्यक छ एम कॉन्फरन्स माने छे अने आपणा देशनी उन्नतिनो एक मुख्य मार्ग स्वदेशी वस्तुओनो उपयोग छे; तो आपणे त्यां तेम ज आपणा दरेक जाहेर स्थानोमां बने तेटली स्वदेशी वस्तुओ वापरवी ने तेमा स्वदेशी कापड अने विशेषे करी हाथसुतरनी, हाथवणाटनी खादी वापरवा आ कॉन्फरन्स आग्रहपूर्वक भलामण करे छे.” देशभरमा जे राष्ट्रिय जागृति आवी हती तेना पडघा जैनसमाज उपर एटला ज जोरथी पड्या हता अने ते कॉन्फरन्से पूरेपूरा झील्या हता. राष्ट्रलडतमा फाळो आपवा, स्वदेशी अने खादी अपनाववा अने स्वदेशी वस्तुओना वापरनो ज आग्रह राखवा कॉन्फरन्से जे हाकल करी हती ते तेना राष्ट्रिय स्वरूपने बराबर व्यक्त करे छे. . तेवी ज रीते देशना कोई पण भागमा आफत आवी पडे तो तेनी मददे दोडवानी फरज विषे पण तेणे जैन समाजने जागृत राख्यो हतो. देशना हरकोई भागनी आफत ए राष्ट्रिय आफत गणावी जोईए ए वात चौदमा मुंबई अधिवेशनमां बिहारना भूकंपथी पिडित देशबांधवोनी सहायतार्थे पूरेपूरो प्रयत्न करवानी कॉन्फरन्से जे हाकल करी तेमां प्रतिबिंबित ययेली छे. For Personal & Private Use Only Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३३ चौदमा अधिवेशने पण तेना एकवीसमा ठरावद्वारा दरेक जैन भाईबहेनने शुद्ध खादी अगर तो स्वदेशी कापड तथा जरुरियातनी बधी देशमां बनेली चीजो वापरवा आग्रह को हतो... ___ फालना अधिवेशने "भारतना स्वतंत्र लोकतंत्रने" आवकारतो अने " महात्मा गांधीजीए अहिंसा अने सत्यना पंथे चाली भारतने मुक्ति अपाववामां जे महान भाग भजव्यो छे तेने अंजली" आपतो. ठराव पसार को हतो तेम ज गौवध प्रतिबंध अने दारुबंधी माटे सरकारने अभिनंदन आप्यां हतां. - ओगणीसमा सुवर्ण जयंती अधिवेशने जैनाने “राष्ट्रोन्नतिना. कार्यमां वधु भाग लेवा" अने “मध्यस्थ सरकार, प्रादेशिक सरकारो अने बीजी सरकारी अने अर्धसरकारी संस्थाओमां दाखल थई राष्ट्र: हितना कार्यमा यथाशक्ति सेवा आपवा' खास अनुरोध को हतो. आपणी मातृभूमिना स्वातंत्र्यसंग्रामनुं जे प्रचंड पूर आव्यु: हतुं अने देशना महान नेता महात्मा गांधीजीए सन १९३०मां ऐतिहासिक दांडीकूच शरु करी सत्याग्रहना मंडाण करी ब्रिटिश सल्तनत सामे आहिंसक बळवो पोकार्यो हतो तेमां साथ आपवा. कॉन्फरन्सनी कार्यवाही समितिए जैनोने हाकल करी हती.. स्वदेशीना प्रचार माटे स्वदेशी प्रचार अने ब्रिटिश बहिष्कार समिति नीमी हती अने पत्रिकाओ, पोस्टरो अने भाषणोद्वारा प्रचार कर्यो हतो. वळी देशना आ आझादीना जंग दरम्यान हजारो भाईबहनो पोलीस अत्याचारना भोग बनी लोहीलहाण थई घवायेला अने केटलाक मृत्यु पण पामेला. बळी मान्यवर देशनायको अने हजारो देशबंधुओ जेल भोगवी रह्या होय त्यारे " आवा वखतमां For Personal & Private Use Only Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४ जमणवारो न शोमे" एवो ठराव करी सामुदायिक जमण बंध राखवा कॉन्फरन्सनी कार्यवाहीए हाकल करेली अने तेना परिणाम घणां स्थळोए जमणवारो बंध रह्या हता. सरकारी दमननीति अने अत्याचारो सामे पण कार्यवाही समितिए विरोधना ठरावो करेला हता. - आम कॉन्फरन्से पोताने एक महान राष्ट्रिय संस्था तरीके पूरवार करी छे, जैनसमाजना सांस्कृतिक हितो जाळववा साथे ते पोतानुं राष्ट्रसेवानुं ध्येय चूकी नथी. पोतानी दीर्घ अने यशस्वी कारकिर्दीमां तेणे कदि संकुचित के कोमी मनोदशा सेवी नथी. कोमकोम बच्चे वैमनस्य वधे के बीजी कोमना हितोने भोगे पोतानी कोम आगळ वधे एबुं तेणे कदि इच्छयु नथी. कॉन्फरन्सचें आ उदात्त स्वरुप ए कॉन्फरन्सनी गरवी गौरवगाथा छे. ____ कॉन्फरन्से एक रेटियाप्रचारप्रदर्शन पण सने १९३०मां भयु इंतु. १४ समाजसुधारणा . समाजमां प्रचलित हानिकारक रिवाजो दूर करवा ऊपर कॉन्फरन्से शरूआतथी ज भार मूक्यो हतो. बीजा मुंबई अधिवेशने सं. १९५९मां ते वखतना प्रचलित रिवाजो पैकी १. मरण पाछळ रडवुटवू, २. मरण पाछळ जमणवार, ३. बीजा खोटा फरजियात खर्ची, ४. कन्याविक्रय, ५. अन्य शास्त्र प्रमाणे व्यावहारिक क्रिया करवामां आये For Personal & Private Use Only Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३५ ६. बाळलन, ७. वृद्धविवाह, वगेरे रिवाजो कोमने अवनतिना रस्ते लई जनार होई ते बंध करवा अनुरोध को हतो, एटलं ज नाहिं पण लोको आ ठरावनी पाछळ रहेलं हार्द समजी तेनी नागचूडमांथी मूक्त थाय ते माटे उपदेशकोद्वारा पण लोकमत केळववा प्रयत्न कर्यो हतो. त्रीजी वडोदरा कॉन्फरन्से तेम ज पांचमी अमदावाद कॉन्फरन्से पण आ रिवाज़ो बंध करवा खास ठराव कर्यो हतो. कॉन्फरन्सना नेजा नीचे वखतोवखत भराती महिला परिषदो पण आ बाबतमां घटता ठरावो करती हती. आ बधाना परिणामे लोकोनी आंखो खूलवा लागी हती अने समाजजीवनने पायमाल करनार रिवाजो दूर करवा तरफनी धीमी छतां मक्कम प्रक्रिया चालु थई हती. . तेरमा जुन्नेर अधिवेशने पण जे हानिकारक प्रथाओ कोमर्नु जीवन चूसी रही हती ते दूर करवा जोशपूर्वक काम करवा, पुत्रने १८ वर्षनी नीचे अने पुत्रीने चौद वर्षनी नीचेनी ऊमरे नहि परणाववा, ४५ वर्षनी वय पछी कोई पण गृहस्थे लग्न नहि करवा, एक ऊपर. बीजी स्त्री करवा ऊपर प्रतिबंध मूकवा, मरण तेम ज सीमंत पाछळ भृतां जमणो बंध करवा तेम ज लग्नादि नातवरा तेम ज फरजियात खर्चा बंध अगर ओछा करवा, कन्याविक्रय के वरविक्रयनी प्रथा बंध करवा अने लगादि प्रसंगे वेश्याना नाच न कराववा बाबत खास ठरावो करी प्रजाने ते प्रमाणे अमल करवा आवाहन कर्यु हतुं. : आ रीते कॉन्फरन्से जैनसमाजने कोरी खाती बदीओ दूर करी जैनोनु सामाजिक जीवन तंदुरस्त, ताजगीभर्यु अने ऊर्ध्वगामी For Personal & Private Use Only Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६ बने ते माटे सतत प्रचार अने प्रयत्नो कर्या छे अने तेनां घणां मिष्ट फळो समाज आजे भोगवी रह्यो छे.. १५. सुकृतभंडार फंड ___ कॉन्फरन्स तरफथी जीर्ण पुस्तकोध्धार खातु, निराश्रित खातु, जीवदया खातु, केळवणी खातु, कॉन्फरन्स निभावखातु वगैरे खातांन कामकाज तेनी शरुआत थई त्यारथी हाथ धरवामां आव्यु हतुं. संवत १९६० तथा १९६१नां वर्षोमां दरेक खाताने नाणांनी सहाय एकसरखी रीते मळती रही हती अने तेथी ते वर्षोमां दरेक खातानुं काम पूरजोशमां चाल्युं हतुं. दरेक खातां अत्यंत उपयोगी कार्यो करतां होवाथी अने शरु थएलां कार्योने अपूर्ण स्थितिए मूकवामा विशेष हानि होवाथी सं. १९६२थी सं. १९६४ सुधी दरेक खातानुं खर्च, तेनी आवक करतां वधी गयुं हतुं. दरेक खातांनी स्थिति दिन पर दिन नबळी हालतमां आवी गई हती. आखरे नाणां अने सहायना अभावथी दरेक खाताने टकावी राखवू अशक्य जणायु. तेथी सुकृतभंडार फंड चालु करवामां आव्यु हतुं. सं. १९६५मां नवीन योजना घडी काढवानी जरुर पडी. मात्र केळवणी अने कॉन्फरन्स निभाव खातां कोई पण प्रयासे टकावा उचित जणायां. ते बनेन नाणां पूरी पाडवाना हेतुथी अने कॉन्फरन्सन कार्य हमेशने माटे चालु रहे तेवा हेतुथी दर वर्षे दरेक जैन चार आनानी रकम आपे तेवी रीतनी “श्री सुकृत भंडार" नामनी योजना पुना अधिवेशनमां अमलमां मूकवानुं ठराव्यु हतुं. ते संबंधमां रायबहादुर बद्रीदासजी तथा अन्य गृहस्थोए ते अमलमां मुकाववा सारु पुष्कळ प्रयत्न कर्यो हतो, अने ते माटे For Personal & Private Use Only Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३७ 66 कॉन्फरन्सना उपदेशकोए पण भाषणो आषी ते योजना अमलमां• मुकाववा माटे गामेगाम ठरावो कराव्या हता. त्यापछी पण जुदा जुदा अधिवेशनामां आ योजनाने पुष्ट करवा वारंवार ठरावो थया हता, केटलाक स्थळोए सुकृत भंडार फंडने समृद्ध करवा सारो प्रयत्न थयो हतो, त्यारे केटलाक स्थळे संतोषकारक काम नहोतुं पण तुंसुकृत भंडार फंड " कॉन्फरन्सनी जीवादोरीसमुं हतुं वर्षो सुधी आ योजनानो अमल चालु रह्यो हतो. सुकृत भंडार फंडमी · चार आनानी रकम एटली नानी हती के गरीब, तवंगर के मध्यमवर्गना सौ कोई ते द्वारा कॉन्फरन्सने सहाय करी शकता हता -टीपे टीपे सरोवर भराय ए न्याये चार आना कोईने भारे पडे नहि अने कॉन्फरन्सनी झोळी छलकाई जाय अने तेनाथी समाजनां अनेक हितवर्धक कार्यो थई शके ए तेनी पाछळनो मुख्य उद्देश हतो. !! आ सुंदर योजनानो अमल हाल अटकी गयो छे अने तेने ते स्वरुपे या बीजा स्वरुपे पुनर्जीवन आपवानी जरुर छे. १६. आक्षेप प्रतिकार घणी वखते जैनधर्म, तेनी संस्कृति, तेनो इतिहास अने तेना सिद्धांतोनी साची समजना अभावे के इरादापूर्वक जैनधर्म उपर जैनेतर लेखको तरफथी आक्षेपो अने प्रहारो थया करे छे. ज्यारे ज्यारे कॉन्फरन्सना ध्यान उपर आ हकीकत आवी छे अगर लाववामां. आवी छे त्यारे प्यारे कॉन्फरन्से तेना प्रतिकार माटे घटता प्रयत्नोकर्या छे. कॉन्फरन्सना प्रयत्नाने परिणामे घणां पाठ्यपुस्तकोमांथी बांधाजनक फकराओ काढी नाखवामां आव्या छे अगर जैन कोमनी. For Personal & Private Use Only . Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३८ लोगणी दु:खावनार पुस्तको पाठ्यपुस्तको तरकेि चलाववां बंध यां छे. श्री धर्मानंद कोसंबीए लखेल भगवान बुद्ध नामना पुस्तकमां श्री महावीरस्वामी अने श्रमणसंघ अंगे जे गेरसमज ऊभुं करनारुं मांसाहारनुं लखाण छे ते रद कराववा मुंबई खाते भरायेला वीसमा अधिवेशने खास ठराव कर्यो हतो. ते लखाण आ पुस्तकमांथी रद करवा माटे योग्य पगलां भरवाने कॉन्फरन्से भारत सरकारने तेम ज साहित्य अकादमीने आग्रह करतो ठराव करी विशेषमां ठराव्यं तं के. "1 आ अंगे साहित्य अकादमीए मजकुर लखाणना अर्थ अंगे नोट मूकवा जे ठराव कर्यो छे तेथी समग्र जैनसमाजने जरा पण संतोष थयो नथी अने आ लखाण सदंतर रद थवुं जोईए एवी मान्यता जैन समाज धरावे छे. आ भाटे कॉन्फरन्स समग्र जैनसमाजने आंदोलन चालु राखवा जणावे छे. >> कॉन्फरन्से पोते पण आ बाबतमां घणो ज पत्रव्यवहार, लखापटी वगेरे कर्या हतां. कॉन्फरन्सनी अनेक विधायक प्रवृत्तिओमां आ प्रवृत्ति पण समये समये अगत्यनी पूरवार थयेली छे. १७. आशातनानिवारण आपणा परमपूज्य तीर्थकरो, पवित्र मंदिरो अने माननीय गुरुदेव आदिनी विविध प्रकारे थई रहेली आशातनाओ टाळवा माटे पण कॉन्फरन्स तरफथी पूर्ण प्रयत्नो करवामां आव्या छे. सं. १९६४मां भरायेली पांचमी अमदावाद कॉन्फरन्समां आ बाबत खास ठराव करवानी जरुर पडी हती. For Personal & Private Use Only Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३९ हालमा आपणा पवित्र तीर्थकर भगवाननी छबीओ, फोटोग्राफो वगेरे आ देशमां तथा परदेशमां छपायेला अने पाडेला बजारमां वेचवामां आवे छे, तेथी घणीज आशातना थाय छे, माटे ते सामे आ कॉन्फरन्स पोतानी सखत नापसंदगी जाहेर करे छे अने ईच्छे छे के आवी छबीओने खरीद करीने अथवा बीजी कोई रीते कोईए उत्तेजन आप नहि तेमज आवी छबीओ कोई पण देसमांथी पाडवा देवी नहि अने कोई पण जैने पाढवी नहिं ( ठराव १४. .). " "" आ ठराव पछी तेना सक्रिय अमलनुं काम श्री अमरचंद पी. परमार तथा श्री त्रिभोवनदास ओघवजी शाह, बी.ए., एलएल., बी. ने सोपवामां आव्युं हतुं अने तेमणे घणो श्रम लई, समजावटी अने ज्या समजावट कामियाब न नीवडी त्यां पोलिस वगेरेनी मदद लईने तीर्थकरो अने मुनिमहाराजाओनी छबीओनुं अने पिक्टोरियल पोस्टकार्डीनुं जाहेर वेचाग मुंबई, पूना, वडोदरा, भावनगर, पालीताणा वगेरे स्थळोए बंध कराव्यं हतुं. 154 कॉन्फरन्सना प्रयासोथी, बटन उपर मूकवामां आवती ते प्रकारनी छवीओ बंध थई हती तथा जैनपात्रोनी फिल्मो लेवाती अटकी हती. केटलाक वखत उपर मुंबईनी शाह महेता प्रॉडकशन नामनी पेढीए वर्तमानपत्रोमा जाहेरखबर आपीने श्रीपाळकुमार अने मयणासुंदरी तथा चक्रवतीं भरतनी फिल्मो उतारवानी योजना बहार पाडी हती त्यारे कॉन्फरन्से स्थानिक समिति तथा अखिल हिंद समितिना सभ्यो, अग्रगण्य जैनो अने पूज्य मुनिवरो तथा संस्थाओना अभिप्रायो मंगावीने घटती कार्यवाही करी हती. आ सिवाय त्रणा नानामोटा प्रसंगोए आशातनानिवारण माटे For Personal & Private Use Only Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४० कॉन्फरन्स उचित कामगीरी बजावती आवी छे. समग्र भारतवर्षना जैनोनुं प्रतिनिधित्त्व धरावती होत्राना कारणे तेनो संगठित अवाज आवा प्रसंगोए घणां सुंदर परिणामो लाबी शक्यो छे. १८. त्रणे फिरकानुं ऐक्य - संगठन कॉन्फरन्स हमेशां जैनोना तमाम फिरकाओना संगठन उपर भार मूकती आवी छे. कोई पण जैन धर्मने लगतो सर्वसामान्य - सवाल होय त्यारे तमामनो संयुक्त अवाज जे कारगत नीवडे छे तेवो व्यक्तिगत नथी नीवडतो. वळी त्रणे फिरकाना संतानो एक ज भगवान महावीरना पुत्रो छे अने केवळ अमुक धार्मिक मान्यताओना, कारणे तेमनामां कुसंप न रहेबो जोईए. कोन्फरन्स पहेलेथी आ बात उपर भार मूकती आवी छे. तेणे वचमां त्रणे फिरकानी एक. कमिटि पण नीमेली. वळी आ महान आदर्शने कारणे श्वेतांबरो अने दिगंबरो बच्चे अंदरोअंदर घणा तीर्थस्थानो अंगे झघडा चालता होवा छतां ज्यारे ज्यारे दिगंबर मंदिरों, तीर्थो के मूर्तिओ उपर धर्मोधो तरफथी आक्रमण थयुं छे त्यारे त्यारे कॉन्फरन्स, अंदरोअंदरना मतभेदो भूली जई दिगंबर भाईओनी मददे पहोचेली छे. कुडची अने जबलपुरना अत्याचारोमा दिगंबर मूर्तिओनुं खंडन थयुं अने दिगंबर भाईओ उपर अत्याचारो गुजर्या त्यारे कॉन्फरन्से ते सामे प्रचंड विरोध उठाव्यो हतो अने दिगंबरो साथै पोतानी ताकात मिलावी हती तेम ज तेमना परना आक्रमण पोताना उपरनुं आक्रमण गण्युं हतुं. कॉन्फरन्से त्रणे फिरकाना ऐक्यनी जे हवा जमावी छे तेने लांघे घणा नानामोटा गामांमा भाईचारो अने एखलास वध्यां छे. स्थळे स्थळे महावीर जयंति For Personal & Private Use Only Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४१ ऋणे फिरकाना संयुक्त आश्रय हेठळ उजवाती थई छे अने बीजां घणां शुभ कार्यों संगठनपूर्वक थाय छे. नवयुगनी प्रजा त्रणे फिरकाओ वच्चे संप अने भाईचारो झंखे छे. कॉन्फरन्से वीसमा अधिवेशनमा एक ठरावद्वारा आ झंखनाने ज वाचा आपी छे. “जैनसमाजना बधा फिरकाओ वच्चे भ्रातृभाव अने निकटता :. केळववा तेम ज सर्वसामान्य प्रश्नो विषे सहकारथी कार्य करवा आ . अधिवेशन जैनसमाजने अनुरोध करे छ; अने आ अंगे योग्य कार्यवाही .. करवा कार्यवाही समितिने भलामण करे छे." .: कॉन्फरन्सनु आ वलण विचारपरिवर्तननी दिशामा घणु ज उपकारक नीवड्युं छे अने त्रणे फिरकाना जैनो एक ज पिताना पुत्रो छ ए भावना दिवसे दिवसे प्रबळ बनती जाय छे. १९. सर्वदेशीय साहित्यप्रचार युनिवर्सिटीओमां उच्च जैन शिक्षणना प्रचार माटे जैन साहित्यनां पाठ्यपुस्तको तैयार करवा उपर तेम ज अर्धमागधी अने प्राकृत भाषाना पुनरुद्धार उपर तेम ज जैन साहित्यनो इतिहास तथा जैन गुर्जर कविओ जेवा विद्वद्भोग्य ग्रंथोना प्रकाशन उपर कॉन्फरन्से ध्यान आप्युं छे तेवी ज रीते सामान्य माणस सरळताथी समजी शके तेवा साहित्यनी जरुरियात तरफ पण कॉन्फरन्सन ध्यान गयुं छे. तेथी ज वीसमा आधिवेशने श्री धीरजलाल टोकरशी शाहे रजू करेलो नीचेनो ठराव सर्वानुमते पास कर्यो हतो. “वीतराग देवथी प्रवर्तेला अने सद्गुरुथी प्रचार पामेला जैन धर्मना सिद्धांतो समस्त विश्वने हितकारी छे एवो आ अधिवेशन दृढ अभिप्राय धरावे छे. तेथी जाहेर जनता सरळताथी समजी शके तेवी For Personal & Private Use Only Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४२ रीते जैन.धर्मना पुस्तको दरेक भाषामा लखाय अने तेनो बहोळो प्रचार थाय तेने आवश्यक माने छे. आ दिशामां सस्ता साहित्यनो प्रचार - करवा योग्य प्रवृत्ति करवा कार्यवाही समितिने सूचववामां आवे छे.". जैन धर्मना सिद्धांतोनो प्रचार करवा माटे आधुनिक शैलीए साहित्य-सस्तु साहित्य जुदी जुदी भाषाओमा प्रकट करवानी घणी ज जरुर छे. जेथी जैनेतर प्रजा अने परदेशीओ सुद्धां जैन तत्त्वज्ञान सरळताथी समजी शंके. पन्यास श्री विकासविजयजी, शतावधानी साहित्यप्रिय मुनीश्री यशोविजयजी तथा शतावधानी मुनीश्री जयानंदविजयजीए पण 'कॉन्फरन्सना मंच उपरथी आ ठरावने अनुमोदन आपी जैन साहित्यनी जैन तेम ज जैनेतर समाजमा प्रचारनी आवश्यकता उपर भार मूकी जैन समाजने आ बाबतनी पोतानी फरज प्रत्ये जागृत थवानी हाकल करी हती, परिणाम श्रीयुत भाईचंदभाई नगीनदास झवेरीए श्री विजयदेवसुरसंघ तरफथी जैन धर्म अंगेनुं सुंदर पुस्तक तैयार करवा अंगे गोडीजी ज्ञानसमिति तरफी रुपिया दश हजार खर्चवानी तेम ज पोताना स्वर्गस्थ पिताश्री भाईचंद मंछुभाईना ट्रस्टमाथी तेओश्रीना स्मरणार्थे जैन तीर्थोनी गाइड तैयार करवा रुपिया पांच हजार आपवानी जाहेरात करी हती. . आम आ ठराव कॉन्फरन्सनी रचनात्मक प्रवृत्तिओनी दिशामां एक कदम आगे उठावतो हतो. २०. सखावतो __ जैनसमाज सखावतो माटे मशहूर छे. धर्मने माटे तेणे लाखो रुपीया खा छे अने हजी खर्चे छे. परंतु लांबा काळ सुधी जैन For Personal & Private Use Only Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४३ समाजे सामाजिक प्रवृत्तिओ तरफ दुर्लक्ष सेव्यु हतुं अने तेथी समाजोत्थाननी प्रवृत्तिओ माटे दान करवा तरफ तेनुं लक्ष ओछु हतुं. कॉन्फरन्से पोताना जन्मकाळथी जैनसमाजना निराश्रित अने दुःखी भाईओने राहत माटे, तेमनामां केळवणीनो प्रचार थाय ते माटे अने तेओ व्यापारधंधे लागे ते माटे खूब जोरशोरथी प्रचार को अने त्यारथी सौने लाग्यु के दाननी आ दिशा तद्दन ऊवेखवा जेवी नथी. कॉन्फरन्से लगभग पोताना दरेक अधिवेशनमा जैन समाजनुं ध्यान आ प्रश्न परत्वे दोयु हतुं. परिणामे आज सुधीमां कॉन्फरन्सना मंच परथी सामाजिक कार्यो माटे लाखोनी सखावतो जाहेर थई छे, एटलुज नहि पण साराये जैन समाजे कॉन्फरन्सनो संदेश झीली आ प्रवृत्तिओनुं महत्त्व समजी ते माटे लाखो रूपिया खरच्या छे. धर्म अने समाज एटला बधा परस्पर अवलंबीने रहेला छे के बन्ने एकबीजाना अविभाज्य अंग जेवा छे. समाज सिझातो होय तो धर्म टकी शके नहि अने धर्म सिझातो होय तो समाज टकी शके नहि. धर्म अने समाजरुपी बे आंखमांधी कोई पण आंख ओछी कीमती नथी. बन्ने एकबीजानां पूरक छे. सुखी समाज धर्म करी शके छे अने साचो धर्म सुखी करी शके छे. - कॉन्फरन्सना सतत आंदोलनोन परिणामे जैनसमाज, धार्मिक प्रवृत्तिओ तरफ जराये उपेक्षा कर्या सिवाय, सामाजिक प्रवृत्तिओ पाछळ धनव्यय करवानुं शीख्यो ए तेनी जेवी सिद्धि न कहेवाय. जैनसमाजमां केळवणीने लगती तेम ज बीजी अनेक सामाजिक संस्थाओ आजे काम करी रही छे, तेनो यश आपणी आ महासभाने घटे छे. For Personal & Private Use Only Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकरण ५९ कॉन्फरन्सनुं बंधारण अने तेनो विकास - २. कॉन्फरन्सनी स्थापना थई ते वखते कॉन्फरन्सने कई बंधारण जेवं हतुं ज नहि. पहेला फलोधी अधिवेशने ठरावेलु के कॉन्फरन्सनुं तमाम कामकाज करवा माटे जनरल सेक्रेटरी तथा प्रांतिक सेक्रेटरीओनी निमणूक करवी ( ठराव ११मो). ते प्रमाणे फक्त सेक्रेटरीओथी ज कामनी शरुआत थएली. इन्डिया (भारतवर्ष )ने बे भागमां वहेंची नाखी अपर इन्डिया माटे एक जयपुरनिवासी श्री गुलाबचंदजी ढढ्ढा अने लोअर इन्डिया माटे एक अमदाबादनिवासी शेठ लालभाई दलपतभाई एम बे जनरल सेकेटरीओ नीमेला. ते उपरांत मुंबई, गुजरात, काठियावाड, दक्षिण, मध्य हिंद, मालवा, पंजाब, बंगाळ, ढूंढाड, मारवाड, राजपुताना अने मेवाड प्रान्तो माटे १४ प्रान्तिक सेक्रेटरीओ नीमवामां आवेला.. .. ___ बीजा मुंबई अधिवेशनमा चार जनरल सेक्रेटरीओ नीमवामां आवेला अने कॉन्फरन्सनी मुख्य ऑफिस मुंबईमां राखवान ठराववामां आव्युं हतुं. ते मुजब आजपर्यंत कॉन्फरन्सनी मुख्य ऑफिस मुंबई खाते ज छे अने त्यांथी आखा हिंदुस्तानमां कॉन्फरन्सनी प्रवृत्तिओ चलावे छे. मुंबई खाते निमायेला चारे जनरल सेक्रेटरीओ आ प्रमाणे हता. श्री गुलाबचंदजी ढढ्ढा, शेट लालभाई दलपतभाई, राय कुमारसिंह जी अने शेठ फकीरचंद For Personal & Private Use Only Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रेमचंद जे. पी. शेठ फकीरचंद प्रेमचद मुंबईमा रहेता होई तेमने रेसिडंट जनरल सेक्रेटरी ठराववामां आव्या हता. तेमना सिवायना त्रण जनरल सेक्रेटरीओनी अनुक्रमे (१) राजपुताना, मध्यप्रांत अने भाळवा, (२) सुरतथी पालणपुर सुधीना प्रदेशो, अने (३) बंगाळा, नॉर्थ-वेस्ट प्रोविन्सीस अने पंजाब माटे (१) जयपुर, (२) अमदावाद अने कलकत्ता ऑफिसो राखवामां आवी हती. रेसिडंट सेक्रेटरीना हाथ नीचे सुरतथी दक्षिणनो प्रदेश सोंपवामां आव्यो हतो. आ प्रमाणे पोतपोताना प्रदेशोनी वहेंचणी करीने चारे जनरल सेक्रेटरीओए अनुक्रमे (१) पुस्तकोद्धार अने निराश्रित, (२) केळवणी, (३) मंदिरोद्धार अने (४) जीवदयानां खाताओ वहेंची लीधा हता. बीजा मुंबई अधिवेशने "जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनी योजना" फत्तेहमंदीथी पार पाडवा माटे एक विद्वान पगारदार सेक्रेटरी नीमवानो, मोटा शहरोमां प्रान्तिक सेक्रेटरीओने बदले जोइन्ट सेक्रेटरीओ नीमवानो अने तेमनी देखरेख नीचे ते शहरोमां स्टेन्डिंग कमिटीओ स्थापवानो, जुदां जुदां गामो तथा शहेरोमां वॉलंटरी सेक्रेटरीओ नीमवानो, अने स्टेडिंग कमिटीए कॉन्फरन्सनी योजनाओ अमलमां मूकवा अने आसपासना गामोमां जागृति राखवा संबंधमा खर्चनी व्यवस्था पोताना शहेरमांथी करी लेवानो अने जॉइन्ट सेक्रेटरीओए तथा वॉलन्टरी सेक्रेटरीओए कॉन्फरन्स संबंधमां थयेला कामकाजनो रिपोर्ट जनरल सेक्रेटरीने मोकली आपवा, तथा ते उपरथी तैयार करेलो रिपोर्ट जनरल सेक्रेटरीए प्रत्येक कॉन्फरन्स वखते वांची जवा वगेरे बाबतो माटे ऊंचुं बंधारण करवा १. For Personal & Private Use Only Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माटे चार विद्वान जनरल सेक्रेटरीओ नीमवा ठराव्यु हतुं ( ठराव ७मो), जेमनां नाम उपर आपवामां आव्यां छे. वळी एक बीजा ठरावद्वारा जैनकॉन्फरन्सने लगतां पांचे खातांना फंडमां जे रकमो भराई तेनी व्यवस्था सर्वानुमतिथी अगर त्रणना एकमती करवा जनरल सेक्रेटरीओ, जेओने ट्रेझररो पण ठराववामां आव्या हता, तेमने सत्ता आपी हती (ठराव १०मो ). त्रीजी वडोदरा कॉन्फरन्स वखते मजबूत बंधारण माट मांग ऊठी हती तेम ज अत्यार सुधी मोटा बादशाही ठठेरा साथे अधिवेशनो मळतां हतां तेभा जे खर्च येतो हतो ते सामे पण टीकाओ शरु थई हती. दर वर्षे कॉन्फरन्सनुं अधिवेशन मेळववा बाबतमा पण मतभेद प्रवर्ततो हतो. सातमो ठराव रजू करतां शेठ लालभाई दलपतभाईए बंधारण बाबत जे उद्गारो काढेला ते ते वखते सौना मनमा चाली रहेली विचारणानो पडघो पाडे छे. " आपणे चार सेक्रेटरीओ नीमी काम चलावीए बीए तेमां घणा ज सुधारावधारा करवानी जरुर छे, पण ज्यां सुधी आ खातुं बाल्यावस्थामा छे त्यां सुधी तेम चलाववा सिवाय बीजो उपाय नथी. हवे आपणे दर वर्षे आ रीते एकठा थर्बु के नहि ए सवाल थाय छे. ए संबंधमां कहेवार्नु घणु ज छे. बीजा अने जीजा वर्षे तो आपणे आवो आडंबर करी कॉन्फरन्स भेगुं कयु पण दर वर्षे आम बनवू एमां घणो खर्च अने ते करतां बहु ज विकट महेनत रहेली छे. जो आ मुजब दर वर्षे कर्या गया तो लांबो वखत नभावी शकवाना नथी. आपणामां साधारण रिवाज के के, परोणा बेचार दिवसे जवाना होय तेमने मीठा मीठां भोजन पीरसवां पण जे घरना माणस होय अने जाथु रहेनार होय ते तो सार्दु जमण ज ले छे. कॉन्फरन्सने पण आपणे घरना माणस जेवू बनाववानी जरूर छे, नदि तो जाथु नभशे नहिं." For Personal & Private Use Only Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४७ आ अधिवेशनमां कॉन्फरन्सना ठरावोने पुष्टि आपवा मासिक काढवानो अने प्रथम वार डेलिगेटो माटे रु. २, बे फी लेवानो ठराव थयो हतो ( ठराव ७मो ). ते उपरांत वडोदरा अधिवेशनमा दरेक जनरल सेक्रेटरीने पोताना प्रांतमांनां दरेक कार्यो संभाळवानी सत्ता आपवामां आवी अने ते प्रमाणे जुदा जुदा जनरल सेक्रेटरीओनी मंजूरी अने अभिप्रायो मंगाववामां जे काळ व्यतीत थतो हतो ते दूर करी, दरेक जनरल सेक्रेटरीने पोताना विभागमा स्वतंत्र रीते कार्य करवानी सत्ता आपवामां आवी हती. सं. १९६२ना फागण मासमां पाटणखाते मळेली चोथी कॉन्फरन्स वखते ते वखतना जनरल सेक्रेटरीओने कामकाजमां मदद करवा अर्थे तेटली ज सत्ता साथे शेठ जीवणचंद धरमचंद, शेठ कुंवरजी आणंदजी अने शेठ माणेकलाल घेलाभाईनी आसिस्टन्ट जनरल सेक्रेटरीओ तरीके निमणूक करवामां आवी हती. शेठ फकीरचंद प्रेमचंद, जे. पी.ना अवसान पछी शेठ वीरचंद दीपचंद, सी. आई. ई.ने रेसिडन्ट जनरल सेक्रेटरी तरीके नीमवामां आव्या हता. सं. १९६३मां अमदावाद खाते भरायेला पांचमा अधिवेशनमां कॉन्फरन्सनुं बंधारण मजबूत बनाववा दरेक जैन पासेथी उघराणुं करवा, जेम बने तेम ओछा खर्चे अधिवेशन भरवा, कॉन्फरन्सना मुखपत्र जैन हॅरोल्डमां कॉन्फरन्स संबंधी कार्यनी खबरो उपरांत धार्मिक अने नैतिक विषयो योग्य प्रमाणमा दाखल करवा अने कॉन्फरन्सना ठरावोनो जुदै जुदे स्थळे अमल थाय ते माटे प्रान्तिक For Personal & Private Use Only Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४८ कॉन्फरन्सो भरवानो ठराव थयो हतो ( ठराव १३ मो ). वचारामां सेक्रेटरीओना जेटली ज सत्ता साथे शेठ चीमनभाई नगीनदास, शेठ कुंवरजी आनंदजी, श्री पूरणचंदजी सीतापचंदजी नाहर, बी. ए., बी. एल. अने श्री मोतीचंद गिरधरलाल कापडियाने आसिस्टन्ट जनरल सेक्रेटरीओ तरीके प्रत्येक ऑफिस वार नीमवामां आव्या हता. पाछळथी श्री मोतीचंद गिरधरलाल कापडियाने सोलिसिटरनी परीक्षा आपवानी होवाथी तेमणे राजीनामुं आपवाथी तेमनी जग्याए शेठ कल्याणचंद सौभाग्यचंद झवेरीने नीमवामां आव्या हता. ते सिवाय अढार प्रान्तिक सेक्रेटरीओ जुदां जुद्रां स्थळोए नीमवामां आव्या हता. सं. १९६४मां भावनगरमा भरायेला छठ्ठा अधिवेशनमां जनरल सेक्रेटरी तरीके झवेरी कल्याणचंद सौभाग्यचंद, मुंबई, शेठ चीमनलाल नगीनदास, अमदावाद, बाबु रायकुमारसिंहजी, कलकत्ता अने श्री गुलाबचंदजी ढड्ढा, जयपुरनानी अने आसिस्टन्ट जनरल सेक्रेटरी तरीके श्री मकनजी जूठाभाई, बी. ए., एल.एल.बी., मुंबई, बाबु पूरणचंदजी नाहर, बी.ए., बी.एल., अजीमगंज अने शाह कुंवरजी आणंदजी, भावनगरनी निमणूको करवामां आवी हती. शेठ चीमनलाल नगीनदासनुं सने १९०८ मां अवसान थवाथी तेमनी जग्याए रावबहादुर शेठ बाळाभाई मंछारामनी निमणूक करवामां आवी हती. भावनगर कॉन्फरन्स पछी प्रान्तिक सेक्रेटरीओ उपरांत जिल्लावार जिल्ला सेक्रेटरीओ नीमवामां आव्या हता. भावनगर कॉन्फरन्से जिल्लानी कक्षाए सेक्रेटरीओ नीमवानुं ठरावी बंधारणना विकासमा एक डगलुं आगळ म हतुं. For Personal & Private Use Only Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४९ :: कॉन्फरन्स हेड ऑफिसर्नु कार्य उत्तम पद्धतिथी चलाववा सारु ता. २३-५-१९०८ना रोज मुंबईमां वसता जुदा जुदा गृहस्थोनुं एक एडवाइझरी बोर्ड-सलाहकार मंडळ नीमवामां आव्यु हतुं. तेमां ११ ऑफिसियल मेम्बरो अने १० विभागी मेम्बरो हता. जे गृहस्थोए मुंबईनी ऑफिसने अंगे ऑनररी अगर पगारदार सेक्रेटरीओ तरीके कार्य बजावेलुं होय तेमने ऑफिसियल मेम्बरो गणवामां आवता हता अने हिंदुस्तानना जुदा जुदा विभागना मुंबईमां वसता बंधुओ पैकी दरेक विभागवार एक एक उत्साही अने लायक गृहस्थने विभागी सभ्य तरीके लेवामां आव्या हता. आ सलाहकार मंडळे पोताना माटे नियमो नक्की कर्या हता, तेम ज कॉन्फरन्से उपाडी लीधेलां कार्यो पैकी एक पछी एक कार्य हाथमां लईने तेनो जलदी अमल थवा दरेक कार्य दीठ एक एक सबकमिटी मुकरर करी हती. आ व्यवस्थाथी कॉन्फरन्सन कामकाज घणा ज उत्साहपूर्वक अने कार्यक्षमताथी चालतुं हतुं. सातमी जैन श्वेताम्बर कॉन्फरन्सन अधिवेशन पूना शहेरमा सं. १९६५ना जेठ मासमां भरवामां आव्युं हतुं. ते प्रसंगे जैनकोमनी केळवणीना सवाल प्रत्ये बहु लंबाणथी चर्चा करवामां आवी हती अने ते संबंधे एक लंबाण ठराव घडी काढवामां आव्यो हतो. ए ठरावमां बतावेली केळवणीने लगती अनेक बाबतोने व्यवहारु आकारमा मूकवा अने तेने माटे योजनाओ तैयार करवा एक केळवणी बोर्ड स्थापन करवानो निर्णय लवायो हतो. ते प्रमाणे श्री जैन एज्युकेशन बोर्डनी स्थापना थई. ए हकीकत रसप्रद छे के पितृसंस्था कॉन्फरन्स, पोतानुं व्यवस्थित बंधारण घडाता पहेलां For Personal & Private Use Only Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५० तेना अंगरूप जैन एज्युकेशन बोर्डन रीतसर बंधारण सने १९०९थीं अमलमां आव्युं हतुं. __सं. १९७२-सने १९१६ सुधी कॉन्फरन्सने बंधारणना खरा अर्थमां बंधारण जेवू कंई हतुं नहि. परंतु साधारण कामचलाऊ कार्यपद्धति नक्की करी कॉन्फरन्सचें काम चलाववामां आवतुं हतुं. संस्थाने लायक सारं बंधारण बांधवानी जरूर प्रथमथी ज स्वीकारवामां आवी हती अने कॉन्फरन्सनो पायो जेम जेम दृढ थता गयो अने तेनुं कार्य विस्तृत थतुं गयुं तेम तेम तेनी जरूर वधारे ने वधारे जणाती हती. केटलोक वखत अनुभव लेवानी खातर कॉन्फरन्सनुं बंधारण नक्की करवानें काम मुलतवी राखवामां आव्युं हतुं. नवमी सुजानगढ़ कॉन्फरन्स वखते बंधारण नक्की करवा सारू खरडो तैयार करवाने एक खास कमिटी नीमवामां आवी हती. आ कमिटीए समाजमाथी बंधारण संबंधी अभिप्रायो मंगाव्या हता ते ऊपर विचार करी एक बंधारणनो खरडो दसमा मुंबई अधिवेशननी स्वागतसमितिनी पेटाकमिटीए तैयार करेलो अने ते बेठकमां रजू थयेलो. आम कॉन्फरन्सन रीतसरनुं बंधारण सं. १९७२-सने १९१६मां मुंबई खाते डॉ. बालाभाई मगनलाल नाणवटीना प्रमुखपदे मळेला दसमा अधिवेशने पास कर्यु हतुं (ठराव ११मो ). आ बंधारणमां कॉन्फरन्सनो उद्देश, तेनो कार्य विस्तार, प्रतिनिधिओनी लायकात, प्रतिनिधिओनुं प्रमाण, प्रतिनिधिनी फी, सबजेकट्स कमिटीमा जुदा जुदा प्रान्तोना प्रतिनिधिओनुं प्रमाण, कया ठरावो कॉन्फरन्समां रजू थई शके, स्टेन्डिग कमिटीनी निमणूक, तेनो कार्यप्रदेश, तेना प्रतिनिधिओनुं प्रमाण, जनरल सेक्रटरीओ, असिस्टन्ट जनरल For Personal & Private Use Only Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५१ सेक्रटरीओ, प्रान्तिक कमिटीओ, कॉन्फरन्सना प्रमुखनी निमणूकनी रीत, कॉन्फरन्सनी हेडऑफिस, रिपोर्ट, हिसाब, अधिवेशन वखते कामकाज चलाववाना कानूनो वगेरे बाबत विगतवार नियमो ठरावामां आव्या अने लगभग अणलख्या बंधारणनी जम्याए रीतसरनुं लेखी बंधारण आमलमां आव्युं. आ बंधारण प्रमाणे कॉन्फरन्सनो उद्देश " जैनने लगता केळवणीना प्रश्नो संबंधमां तेम ज धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, अने जैन कोम अने धर्मसंबंधी सवालो उपर विचार चलावी योग्य ठरावी करवानो अने ते ठरावोने अमलमां मूकवा माटे योग्य उपायो योजवानो " नक्की करवामां आव्यो हतो. प्रतिनिधि तरीके " कोई पण शहेरनो के गामनो संघ या सभा के मंडळ जे योग्य गृहस्थ ने प्रतिनिधि तर के नीमी मोकले ते, (२) ग्रेज्युएटो जेनी अंदर कोई पण युनिवर्सिटीना ग्रेज्युएटो तेम ज बेरिस्टर, हाईकोर्ट प्लीडर, डिस्ट्रक्ट प्लीडर, एन्जिनीअर अने सब - आसिस्टन्ट सर्जननो समावेश थाय छे, (३) जैन पेपर अने मासिकोना अधिपतिओ "ने लायक गणवामां आव्या हता. आम ग्रेज्युएटो अने तंत्रीओ कोई संस्था के संघ तरफथी चुंटाया न होय तोपण पोताना नाताथी व्यक्ति प्रतिनिधि तरीके अधिवेशनमां भाग लई शकता हता अने मत आपी शकता हता. एक ग्रेज्युएटने संस्था के संघ न चूंटी मोकले तेम छतां ते पोतानी पदवीनी लायकात उपर प्रतिनिधि बनी शके ए सिद्धांत लोकशाही बंधारणने अनुरूप हतो एम तो न जं कही शकाय; छतां केळवणी प्रत्येना आदरथी अने भणेलो वर्ग कॉन्फरन्समा रस ले ए उद्देशथी कॉन्फरन्से तेमना प्रत्ये ते बखते उदार वलण दाखव्युं होवुं जोईए एम लागे छे. For Personal & Private Use Only Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५२ - आ बंधारणथी प्रतिनिधिनी फी रु. ३, अने भोजनसहित रु.५, ठराववामां आवी हती. हेडऑफिस मुंबईमां ज राखवानी हती. अधिवेशन दर बे वर्षे भरवानी कलम बंधारणमां दाखल करवामां आवी हती. सं. १९८१मां मुंबईमां मळेला कन्वेन्शन संमेलने बंधारणमां केटलाक सुधारावधारा का. खास करीने कॉन्फरन्स अत्यार सुधी राजकीय प्रश्नोनी विचारणा हाथ धरी शकती नहोती. तेथी उद्देशमां " राजकीय" शब्द उमेरी जैनसमाजने स्पर्शता राजकीय प्रश्नो संबंधी विचारणा चलाववा बाबत कॉन्फरन्सना उद्देश विस्तृत करवामां आव्यो. न्यायना, संघना, महाजनना अने पंचना तकरारी विवादग्रस्त विषयो कॉन्फरन्स हाथ धरी शकशे नहि एम ठराववामा आव्यु. अधिवेशन बे वर्षने बदले दर वर्षे भरवान ठराववामां आव्यु. अधिवेशनमा प्रतिनिधि तरीके स्त्रीओ पण आवी शके ए रीते स्त्रीओने प्रतिनिधित्वनों अधिकार आपवामां आव्यो. दरेक ग्रेज्युएट प्रतिनिधि तरीके आवी शकतो हतो तेने बदले कॉन्फरन्स ऑफिसना रजिस्टरमा जेमनां नाम रजिस्टर कराव्यां होय तेवा ग्रेज्युएट्सनो ज प्रतिनिधित्वनो हक स्वीकारवामां आव्यो. स्टेन्डिग कमिटीना सभ्योनी वार्षिक फी रु. ५ ठराववामां आवी. जनरल सेक्रेटरीओनी संख्या चारने बदले पांचनी करवामां आवी. आसिस्टन्ट जनरल सेक्रेटरीओनी जग्या रद करवामां आवी. बीजा पण केटलाक नजीवा पण वहीवटनी दृष्टिए जरुरी एवा फेरफार करवामां आव्या हता. " बंधारण” हजी पण जोईए तेवं कार्यक्षम नथी एवं For Personal & Private Use Only Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५३ केटलाकने लागतुं हतुं. सं. १९८६मा जुन्नेर खाते मळेला तेरमा अधिवेशनना स्वागताध्यक्ष श्री राजुरीकरना शब्दोमां जोईए. तो-'' "आपणे बंधारणनो फरी विचार करी पाकुं अने प्रत्यक्ष कार्यकारी बनाव जोईए. मुख्य यंत्रागारमा चावी फेरववाथी जेम अनेक नानांमोटा यंत्रो एकीसाथे चालवा मांडे छे तेम आपणे आखा हिंदमां एवी योजना प्रेरवी जोईए के मुख्य हेड ऑफिसमां कोई ठराव थाय के तरत ज ते नो अमल आखा हिंदमां एकीसाथे थवो जोईए.". आ भावना प्रमाणे प्रतिनिधिनी लायकात माटे विशेषमा एकुं ठराववामां आव्युं के जेओए सुकृत भंडार फंडमां पोतानो फाळो दर वर्षे आप्यो हशे ते ज प्रतिनिधि थई शकशे. स्वागतसमितिना सभ्योने आपोआप प्रतिनिधि गणवान ठराववामां आव्यु. प्रतिनिधिना प्रमाणमां पण थोडो फेरफार करवामां आव्यो. सौथी महत्त्वनो सुधारो ए थयो के कार्यवाही समिति जेवू अत्यार सुधी कई हतुं नहि. फक्त जनरल सेक्रेटरीओ ज कामकाज चलावता हता. पूना अधिवेशने बंधारणमां ऑल ईन्डिया स्टेन्डिंग कमिटीअखिल हिंद समितिमां मुंबईमांथी चुंटायेला सभ्यो तथा सदर कमिटीना बीजा विभागोमाथी चुंटायेला सभ्यो जे मुंबईमा रहेता हशे अथवा हाजर हशे तओनी कार्यवाही समिति नीमवानुं ठराव्यु. कॉन्फरन्सन तेम ज स्थायी समितिने सोंपायेल दरेक कार्य कार्यवाही समितिए करवान अने स्थानिक मंत्रीओ (रेसिडेन्ट जनरल सेक्रेटरीओ) सदरहु समितिना मंत्रीओ गणाशे एम ठराव्यु. कार्यवाहक समितिने पोतानां कामकाज करवाना नियमो घडी काढवानो अधिकार आपवामां आव्यो. For Personal & Private Use Only Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५४ आ बंधारणे होद्देदारो तथा समितिओ माटेना अंग्रेजी शब्दो बदली देशी शब्दपर्यायो अपनाव्या. कॉन्फरन्सनुं बंधारण जोतां एक बात आगळ पडती तरी आवे छे के कार्यवाही समितिमां मुंबईमांथी चुंटायेला अने बीजा विभागोमांथी चुंटायेला जे सभ्यो मुंबइमां रहता हशे तेमनी ज कार्यवाही समिति रचवानुं ठराववामां आव्युं. भूतकाळना अनुभव उपरथी ए स्पष्ट जणातुं हतुं के मुंबई बहारना सभ्यो स्टेन्डिंग कमिटीनी बेठकोमा खास हाजरी आपता नहोता के जोइए तेवो रस लेता नहोता. जो कार्यवाही समितिमां बहारना सभ्यो लेवामां आवे तो तेओ मीटिंगोमा हाजर रहेशे नहिं अने पूरतो रस लेशे नहिं एवी बीकथी ज कार्यवाही समिति मुंबईवासीओनी ज रचवा बंधारणमां जोगवाइ करवामां आवी हती. मुंबई सिवायना विभागोमां कार्यकरो सामे आ एक जातनुं आडकतरुं तहोमतनामुं ज गणी शकाय. महाराष्ट्र प्रान्तिक समिति सिवाय बीजी प्रान्तिक समितिओए छेल्लां वर्षोमां पूरती जागृति बतावी नहोती ए हकीकत प्रत्ये आंखमींचामणां थई शके तेम नथी. महाराष्ट्रना स्थायी समितिना सभ्योए कॉन्फरन्सने चेतनवंती राखवा अने तेने प्राणवान बनाववामां अमूल्य फाळो आपेलो छे. सं. १९९०मां मुंबईमां मळेला चौदमा अधिवेशने बंधारणमां जूज फेरफार कर्या हता. खास करीने प्रान्तिक तथा स्थानिक समितिओ पोताना प्रांत या शहेर या गाममांथी सुकृत भंडार फंड उघरावे तेमांथी अडधी रकम पोताना खर्च माटे राखी अडधी रकम मुख्य ऑफिसे मोकलवानुं तेम ज प्रतिनिधिओनी फीमांथी पण एक For Personal & Private Use Only Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रुपियो मुख्य ऑफिसने तना सुकृत भंडार फंडमां आपवान ठराव्यु हतुं. सं. १९९७मां पंदरमा निंगाळा अधिवेशने वळी पाछा केटलाक सुधारा बंधारणमां कर्या अने अंग्रेजी शब्दो वपराया होय त्यां तेने लगता गुजराती शब्दो मूकवानं ठराव्यु. कॉन्फरन्सनुं अधिवेशन दर वर्षने बदले ‘साधारण रीते' दर वर्षे थशे एवो सुधारो कर्यो. कार्यवाही समिति शब्द रद करी स्थायी समिति नाम आपवामां आव्यू अने छेल्ला अधिबेशनना प्रमुख तेना प्रमुख तरीके कार्य करशे एम ठराव्यु. पांच जनरल सेक्रेटरीओ---महामंत्रीओने बदले मुंबईमां रहीने काम करी शके तेवा बे मुख्य मंत्रीओनी निमणूक बेठक वखते करवामां आवशे एवो सुधारो कर्यो. बंधारणमां शिस्तभंगनी एक नवी कलम दाखल करवामां आवी अने जे कोई स्थायी समितिनो सभ्य कॉन्फरन्सना हितविरुद्ध वर्ते छे के प्रवृत्ति करे छे एम मानवाने स्थायी समितिने कारण मळशे ते व्यक्तिने तेना सभ्य तरीके ते रद करी शकशे तेम ज कोई प्रान्तिक के स्थायी समिति के कोई जैनसंस्था, सभा के मंडळ तेवी प्रवृत्ति करे छे एम मानवा स्थायी समितिने कारण मळो तो ते तेवी समितिने अमान्य करी शकशे अने तेवी संस्था, सभा के मंडळनो प्रतिनिधि मोकलवानो हक्क स्थायी समिति रद करी शकशे एम ठराव्यु. मुंबईमां मळेला सोलमा अधिवेशने बंधारणमा योग्य सुधारावधारा करवा अने आगामी अधिवेशनमा बहाली माटे रजू करवा खास ठराव को हतो.. १८मा जूनागढ आधिवेशने कॉन्फरन्सना प्रमुखनी चूंटणी संबंधीनां धाराधोरणामां जूज फेरफार को हतो. For Personal & Private Use Only Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५६ मुंबईमां भरायेला सुवर्ण जयंती अधिवेशने संस्थाना उद्देशमा महत्त्वनो फेरफार करी, .. ." जैनधर्म अने समाजनो उत्कर्ष थाय तेवा प्रयत्नो करवा अने तेवां सर्व प्रकारनां हितोनुं रक्षण थाय तेवा प्रयासो करवानो अने वखतोवखत समग्र जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाजना प्रतिनिधिओना समेलनो अथवा अधिवेशनो भरीने मजकूर समाजने स्पर्शता धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, शिक्षणविषयक अने अन्य जाहेर हितना सवालोनुं अवलोकन करी ते अंगे योग्य निर्णयो करवानो अने तेने अमलमा मूकवा प्रयासो करवा" , नो उद्देश स्वीकार्यो. वळी "जुदा जुदा फिरकाओ वच्चे भ्रातृभाव अने निकटता केळवाय तेवा प्रयासो करवा" नो उद्देशमा समावेश करवामां आव्यो अने ते रीते समस्त जैनसमाजमां संप अने संगठन फेलाववानी आ युगनी माग पूरी करवानी व्यापक दृष्टि अपनाववामां आवी. कोई पण संस्थान बंधारण ए समाजना विचारोमां थता परिवर्तननो पडघो छे. समाजना विचारो अने आदर्शो बदलाय तेनी साथे ते समाजमां काम करती संस्थानुं बंधारण पण अवश्य बदलावानु. जे संस्था जीवंत छे, चेतनवंती छे ते संस्थान बंधारण पण सतत प्रवाही ( flexible) अने परिवर्तनशील रहे छे. संस्थाए पोताना बंधारणना फेरफारद्वारा समाजना विचारोने अपनाववा ज पडे छे. वळी कार्य करता करता ऊभी थती मुश्केलीओ टाळवा पण बंधारणमां फेरफार करवानी जरूर ऊभी थाय छे. For Personal & Private Use Only Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५७ ... भारत आझाद थया पछी देशने माटे लोकशाही बंधारण घडायु अने भारतनो राज्यवहीवट लोकशाही पद्धतिथी चालवा लाग्यो. लोकशाहीमां हमेशा बहुमतीना निर्णयने प्राधान्य अपाय छे. प्रजाना चूंटेला प्रधानो राजकारभार चलावे छे अने तेओ धारासभाने अने ते द्वारा प्रजाने जबाबदार होय छे. भारतना राजकीय जीवनमा पडेली लोकशाहीनी आ असरे आपणा समाजने पण प्रभावित कर्यो अने कॉन्फरन्सनुं बंधारण संपूर्ण लोकशाही बनाववानो अवाज ऊठ्यो. १९मा सुवर्ण जयंती आधिवेशने संस्थानुं बंधारण नवेसर घडवा श्री खीमजीभाई एम. भुजपुरिया, जे. पी. श्री चीनुभाई लालभाई शेठ सोलिसिटर, श्री धीरजलाल टोकरसी शाह अने श्री ताराचंद एल. कोठारी तथा कॉन्फरन्सना मुख्य मंत्रीओनी एक समिति नीमी बंधारणना खरडा उपर जाहेर अभिप्रायो मेळवी मोडामां मोडा ता. ३०-९-५२ सुधीमां स्थायी समिति उपर मोकली आपवा अने स्थायी समितिए ते अखिल भारत जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्स समितिनी मंजूरी माटे ता. ३१-१२-'५२ सुधीमां रजू करवा अने आ प्रमाणे जे बंधारण मंजूर थाय ते बंधारण तरत ज अंमलमां आवशे एवो ठराव को. - उपरना ठराव अनुसार जे बंधारण अमलमां आव्युं तेमां वळी सं. २०१३ सने १९५७मां मुंबईमां भरायेला वीसमा अधिवेशने थोडा फेरफार कर्या. ते मुजब महत्त्वनो फेरफार ए थयो के सुवर्ण जयंती अधिवेशनना ठराव मुजब पुनः अस्तित्वमा आवेली कार्यवाहक समिति नीमवानी पद्धतिमा फेरफार करी संस्थाना प्रमुखने कार्यबाहक समितिना सभ्यो नीमवानो अधिकार आपवामां आव्यो अने पहेली ज वखत केबीनेट पद्धतिथी कार्यवाहक समितिनी निमणूकनी पद्धति अखत्यार करवामां आवी. संस्थाना प्रमुख, बे For Personal & Private Use Only Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५८ मुख्य मंत्रीओ अने ते सिवाय बीजा १८ सभ्यो आखिल भारत जैन तर कॉन्फरन्स स्थायी समितिमांथी प्रमुखनी पसंदगीना मळी २१ सभ्योनी कार्यवाही समिति नीमवानुं नक्की करवामां आव्युं. एक ज विचार अने अक ज मतना सभ्यो होय तो संस्थानुं काम वधारे सारु अने कार्यक्षम रीते चाली शके ए दृष्टिए प्रमुखने पोतानी पसंदगीनी कार्यवाही समिति नीमवानो अधिकार आपवामां आव्यो. ग्रेज्युएटोनो व्यक्तिगत प्रतिनिधित्वनो हक्क रद करवामां आव्यो. संस्थाना मुरब्बी के आजीवन सभासद न होय तेत्रा तमाम प्रतिनिधिओ चुटाएला होवा जोईए ए तत्त्वनो स्वीकार करवामां आव्यो. आ रीते वीसमा अधिवेशने बंधारणने पूरेपूरुं लोकशाही स्वरूप आप्यं. " " कॉन्फरन्सना बंधारणनुं आम लगभग लोकशाहीकरण थया छतां जैनसमाजनी केटलीक विशिष्टताओना कारणे तेने पोताना केटलाक जूना अंशो साचवी राखवा पड्या छे. दाखला तरीके, प्रत्येक शहेर अने गामना जैनसमाजना बंधारणनुं केन्द्र " संघ छे. तेथी कोई शहर के गामनी सभा, मंडळ अथवा संस्था माटे प्रतिनिधि मोकलवानो अधिकार प्राप्त थया पूर्वे पांच रुपिया आपी मुख्य कार्यालयमा नोधाववानी आवश्यकता राखी छे, तेवी " संघ माटे राखवामां आवी नथी. आ रीते " संघ " नुं महत्त्व कॉन्फरन्से तेनी शरुआतथी ज स्वीकार्य छे अने तेना छेल्ली ढबना बंधारणमां पण तेनुं महत्त्व अने प्रभुत्व साचवी राखवामां आव्युं छे. कॉन्रफन्सना संपूर्ण लोकशाहीकरणमा आ तत्त्व मर्यादारुप होवा छतां " संघ ” शक्तिना स्वीकारमां ज कॉन्फरन्सनुं बळ रहेलुं छे ए हकीकतने स्वीकार्या सिवाय चाले तेम नथी. For Personal & Private Use Only Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकरण ६ढ़ कॉन्फरन्सना अगत्यना ठरावोनुं विहंगावलोकन कॉन्फरन्स साराये भारतवर्षना जैनसमाजनुं प्रतिनिधित्व धरावनारी संस्था छे. आखाये समाजना नामे बोली शके तेवी बीजी कोई संस्था जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाजमां नथी. तेनो उज्ज्वळ भूतकाळ अने सत्तावन वर्षनी समाजहितनी सुदीर्घ कार्यवाही तेना आ दावाने टेको आपे छे. साराये समाजनी संस्था तरीके तेणे साराये समाजनुं हित लक्ष्यमा राखवु जरुरी छ अने राख्यु पण छे. तेणे समाज पासे जे विचारो मूक्या छे, जे ठरावो कर्या छ अने समाजने जे दोरवणी आंपी छे तेनुं मूल्य तेनी आ समस्त समाजलक्षी व्यापकताने नजर समक्ष राखी मूलवq घटे छे. समाजमां जुदा जुदा विचारोवाळी अनेक व्यक्तिओ वसे छे; समाजमां अनेक परिबळो कार्य करी रहेलां होय छे. परस्परविरोधी तत्त्वो, आदर्शनी अथडामणो, काळबळथी थता फेरफारो अर्थात् द्रव्य, क्षेत्र, काल अने भावना संयोगानुसारनां परिवर्तनो ए सर्व बच्चेथी मार्ग काढी सौनो समन्वय साधी कॉन्फरन्स जेवी संस्थाओए आगळ वधवान होय छे. तेथी तेना विचारो के ठरावो कदि उग्र तो कदि मोळा पण लागे. सुधारकने तेमां जूनवाणीपणुं लागे अने जूनवाणीने तेमां उग्रता लागे. धर्म अने समाज वच्चेनो नाजुक संबंध, स्थाषित हितोनी पकड, समाजनुं साहजिक रुढिचूस्तपणुं अने नवयुगनां प्रगतिशील बळोनी दोड, पश्चिमनी केळवणीथी For Personal & Private Use Only Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० परंपरागत श्रद्धा उपर पडेला घा अने बुद्धिनी प्राधान्यता आ सर्वना आघातो अने प्रत्याघातो कॉन्फरन्सनी विचारसरणी उपर पड्या छे. वळी जे ते वखतना समाजनी जागृति के नवळाइना पडघा पण तेना ठरावोमां ऊठे छे. आ बधुं लक्ष्यमा राखी कॉन्फरन्सना ठरावोन हार्द समजवामां आवशे तो तेनी पाछळनो आशय सहज स्पष्ट थई जशे. ... कॉन्फरन्सना केटलाक ठरावो कोई पण प्रकारना विवादी पर रह्या छे तो केटलाक उग्र विवादनो विषय बन्या छे. आम छतां ते दरेकनी पाछळ कॉन्फरन्सनी दृष्टि समाज अने धर्मनी सेवानी ज रहेली हती ए न भूलQ जोईए. आपणे तेना केटलाक अगत्यना ठरावो तपासी जईशं. १. केळवणी धार्मिक तथा व्यावहारिक ____ कॉन्फरन्सनी स्थापना थई ते समये जैनसमाजनी आर्थिक जाहोजलालीनो हास शरु थइ चूक्यो हतो. तेनो व्यापारधंधो पडी भागवा मांड्यो हतो. तेम छतां व्यापारप्राधान्य जीवनने कारणे जैनसमाज केळवणीमा पछात रह्यो हतो. जैन समाजे अन्य समाजोनी हरोळमां पोतानुं स्थान टकावी राखवा केळवणीमा आगळ वधq जोईए ए सत्य समाजना नायकोने बराबर समजायुं हतुं. तेथी कॉन्फरन्सना स्थापनाकाळथी ज तेणे केळवणी उपर भार भूक्यो हतो. ... "अपनी जैनकोम केलवणी संबंधमें बहुत पीछे है इस खाते में इसको आगे बढाने के लिये जैनवर्गके आगेवान गृहस्थो को योग्य प्रयास । करना चाहिये. (फलोधी अधिवेशन, ठराव ३जो ). For Personal & Private Use Only Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६१ ... व्यावहारिक केळवणीनी साथे साथे तेणे धार्मिक शिक्षण उपर पण तेटलो ज भार मूक्यो. "सांसारिक विद्या के साथ बाल्यावस्था से ही धार्मिक शिक्षा के दिये जाने की आवश्यकता है. इसके लिये योग्य प्रयत्न करना मुनासिब है. (फलोधी अधिवेशन, ठराव ४थो). मुंबई अधिवेशने आ बनेनो समन्वय कर्यो. ......“धर्मप्रमुख चारे पुरुषार्थो सिद्ध करवाने शक्तिमान थवा सारु स्त्रीवर्ग अने पुरुषवर्गमां व्यावहारिक तथा धार्मिक ऊंची केळवणीनो प्रचार करवा माटे तथा प्राथमिक केळवणी पण केटलेक स्थळे लेवामा नथी. आवती तेने माटे (१) बनी शके तो फरजियात प्राथमिक केळवणी दाखल करवा तथा तेने माटेनी स्कूलो, (२) मोटा शहेरोमां हाइस्कूलो, (३) पोतानी गरीब स्थितिने लीधे ऊंचो अभ्यास करता अटकी पडता जैन विद्यार्थीओ माटे बोर्डिंगो तथा योग्य स्कॉलरशीपो, (४) संस्कृत तथा मागधी पाठशाळाओ, (५) कन्या तथा श्राविकाशाळाओ, (६) जैन लायब्रेरीओ, (७) वेपारसंबंधी ज्ञान मेळववा माटे वर्गो तथा स्कूलो वगेरे खातां स्थापवा अने धार्मिक विषयो पर सस्तु साहित्य तथा विद्वत्ताभरेलां तेम ज बोधदायक लखाणोवाळां जैनपत्रो तथा मासिको प्रगट करवा माटेनी आ कॉन्फरन्स घणी ज अगत्य जुए छे.. (बीजं मुंबई अधिवेशन, ठराव ४थो ). वडोदरा अधिवेशने एक पगलु आगळ भर्यु : ( ६ ) " जैनसाहित्यनो प्रचार थवा माटे घटता उपायो लेवा, (७) जैनी वांचनमाळा तैयार थाय तेने माटे योग्य प्रबंध करवो, ११ . For Personal & Private Use Only Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ ( ८ ) जैनसमुदायमां व्यापार अने उद्योगनी वृद्धि थवा माटे हुन्नरकळानो प्रवेश कराववो. "" ( बीजुं वडोदरा अधिवेशन, ठराव ६ठ्ठामांथी ). पांचमी अमदावाद कॉन्फरन्से एक डगलुं आगळ वधी व्यावहारिक अने धार्मिक केळवणी साथै शारीरिक केळवणी आपवा पण अनुरोध कर्यो. ८. जैन बाळकोनी शारीरिक संपत्ति योग्य रीते खीलववा माटे हाल चालती तथा हवे पछी स्थपाती जैनशाळाओमां तथा जैनबोर्डिगोमां शारीरिक केळवणीनी गोठवण " करवी. "" ( पांचमु अमदावाद अधिवेशन, ठराव ३जामांथी ). पूना अधिवेशने जैन एज्युकेशन बोर्डनी निमणूक करी अने दशमा मुंबई अधिवेशने तेना कार्यक्षेत्र बाबत रुपरेखा दोरी आपी. ( १ ) “ जैनोमां हस्ती धरावती धार्मिक तेम ज व्यावहारिक केळवणीनी संस्थाओं संबंधी विगतवार हकीकत भेळववी अने ते सारा पाया उपर मुकाय तेवा प्रयासो करवा; ( २ ) दरेक धार्मिक पाठशाळामां एक ज जातनो अभ्यास चलाववामां आवे तेवी गोठवण करवी; ( ९ ) जैन तीर्थस्थळो वगेरेमांथी जैनोने आपवानी पहोंचनी बूकमां जैन केळवणी माटेनुं एक जुटुं कॉलम राखवा माटे प्रयत्न करवो, तेम ज बीजी अनेक रीते केळवणीनुं फंड एकटुं करवा प्रयास करवो. " ( दशमं मुंबई अधिवेशन, ठराव ३जामांथी ). तीर्थ स्थळोमां आ भलामगनो स्वीकार थयो लागतो नथी. For Personal & Private Use Only Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरमुं जुन्नर अधिवेशन आगळनां अधिवेशनोना ठरावोथी जरा आगळ गयु. “मानवजातिनी दरेक प्रकारनी उन्नतिनो पायो सुसंस्कारवाळी केळवणी छे ते माटे, (क) दरेक जैन कन्या तथा कुमारने धार्मिक संस्कारचं शिक्षण तथा प्राथमिक केळवणी फरजियात आपी छेवट सुधीनी उच्च केळवणी आपवा अने ते अर्थे, (ख) पाठशाळाओ माटे धार्मिक पाठ्यपुस्तको अने युनिवर्सिटीना अध्ययनने योग्य प्राकृत अने संस्कृत जैन साहित्यग्रंथो तैयार कराववा, आगळना सूत्रग्रंथो तथा बीजा प्रामाणिक ग्रंथोना हिंदी वगेरे लोकभाषामां संशोधन साथे अनुवाद तैयार कराववा, प्राकृत मागधी भाषानो उद्धार करवा अने पाठशाळाओ स्थापवा, (ग) शिष्यवृत्तिओ अने इनामो स्थापन करवा, (घ) अनाथ विद्यार्थीगृहो, पुस्तकालयो, विद्यार्थीभुवनो, अभ्यासगृहो, गुरुकुळो अने केळवणीनी संस्थाओ खोलवा, आ कॉन्फरन्स अत्यंत आग्रहपूर्वक भलामण करे के अने एज्युकेशन बोर्डने भलामण करे छे के अन्य कोमोनी साथे सरखामणीमां जैनकोम केळवणीमां वधु प्रगति करी शके तेवो एक पांच वर्षनो प्रोग्राम छ मासमां घडवो अने ते प्रोग्रामने अमलमां मूकवा दरेक प्रयासो करवा." . ( तेरमुं जुन्नेर, अधिवेशन ठराव २मांथी ) आम जुनेरे पंचवार्षिक योजनानी भलामण करी. चौदमा मुंबई अधिवेशने For Personal & Private Use Only Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ “ जैनसमाजनी जे जे संस्थाओ छे ते दरेकमां गृह उद्योगो तथा वेपारधंधान शिक्षण आपवा माटे प्रबंध करवानुं ते ते संस्थाना संचालकोने आग्रहपूर्वक भलामण" करी. (चौदमुं मुंबई अधिवेशन, ठराव २मांथी ) निंगाळा अधिवेशने स्वतंत्र शिक्षणसंस्था माटे भलामण करी. " आपणी जैन व्यापारी कोमने बंधबेसती थाय तेवी व्यापारी, धार्मिक अने औद्योगिक केळवणी सारी रीते थाय ते माटे वर्धायोजनाने ध्यानमा राखीने स्वतंत्र शिक्षणसंस्थानी योजना आ कॉन्फरन्स स्वीकारे छे, अने ते मुजब प्रयत्न करवा दरेक जैन भाईओने भलामण करे छे." (पंदरमुं निंगाळा अधिवेशन, ठराव ५मो) २. जीर्ण पुस्तकोद्धार अने ज्ञानभंडारो बीजा अगत्यना ठरावोमा जीर्ण पुस्तकोद्धार अने ज्ञानभंडारो बाबतना ठरावो आपणुं ध्यान खेंचे छे. ___ "गुजरात, मारवाड, दक्षिण आदि प्रदेशोमां जुदे जुदे स्थळे परमोपकारी महान पूर्वाचार्योए रचेला शास्त्रग्रंथोना आपणा ज्ञानभंडारो छे, जे दिन प्रतिदिन जीर्णावस्थाने पामता जाय छे, तेथी करीने ते अनुपम शास्त्रग्रंथोनी थती आशातना दूर करवा माटे तथा तेमना रक्षणार्थे (१) ते भंडारोना ग्रंथोनी टीप, (२) तथा तेनो जीर्णोद्धार बनती त्वराए करवानी आवश्यकता स्वीकारे छे." (बीजुं मुंबई अधिवेशन, ठराव ३जो) " हस्तलिखित ग्रंथो ज्या ज्यां होय त्यां त्यांनी विगतवार टीप करवानी, तथा न मळी शके तेवा प्राचीन ग्रंथोनी नकलो कराववानी For Personal & Private Use Only Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६५ तेम ज जे पुस्तक छपावी प्रसिद्ध करवामां बाध न आवतो होय ते प्रसिद्ध कराववानो तेम ज हालना विद्यमान जैनग्रंथो मळी शके तेटला बधा एक मोटा पुस्तकालयमा एकत्र करवानी आवश्यकता स्वीकारे छे." (पांचमुं अमदावाद अधिवेशन, ठराव मांथी) तेरमी जुन्नेर कॉन्फरन्से आ बाबतमां वधु स्पष्टीकरण करतो उराव कर्यो. " जैनोनी प्राचीन स्थिति महापूर्वजो अने तेमना साहित्य, स्थापत्य आदि प्रत्ये फाळो वगेरेनो इतिहास समाज पासे यथार्थ स्वरूपे सिलसिलाबंध मूकी शकाय तेटला माटे अतिहासिक साधनो जेवां के शिलालेखो, धातुप्रतिमालेखो, नकशा अने दरेक भंडारोमा रहेला ग्रंथो आदि सुरक्षित राखवानी अने प्रसिद्ध करवानी जरुर छ एम आ कॉन्फरन्सनो चोकस मत छे अने तेथी खास भलामण करे छे. (क) सर्वलेखोने उतरावी पुस्तकाकारे प्रसिद्ध कराववा; (ख) ग्रंथभंडारोनी टीप, तिहासिक स्थळो अने साधनोनी शोधखोळ करवी अने कराववी; (ग) ग्रंथभंडारोने देशना जैनवस्तीवाळा मोटा मोटां शहेरोमां एकत्रित करीने "क्युरेटर" आदिना प्रबंधवाळा एक “ फायरप्रूफ' मकानमा राखवा जोईए के जेथी आखा देशमां कोई पण अभ्यासीने या प्रकाशकने अमुक शरते कोई पण कृति मळी शके तथा ते ज प्रमाणे, (घ) उपयोगी अतिहासिक जाणवायोग्य वस्तुओनो संग्रह, एक 'म्युझियमना आकारमा सारा मकानमां करवो." (तेरमुं जुन्नेर अधिवेशन, ठराव ८मो) For Personal & Private Use Only Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३. जैन डिरेक्टरी. बीजा मुंबई अधिवेशननो जैन डिरेक्टरी बाबतनो ठराव पण अगत्यनो छे. ( १ ) आपणा जैन समुदायनी वस्ती केटली छे, ( २ ) जिनमंदिरो, (३) जिनप्रतिमा, (४) ज्ञानभंडारो, (५) पाठशाळाओ, (६) पूर्वाचार्यो प्रणीत ग्रंथो, (, ) जैन सभा अने मंडळो केला छे ते विगेरे आपणा जैन समुदाय संबंधी उपयोगी बाबतनी पूरती माहिती मेळवावा माटे, तेवी विगोतोथी भरपूर एक उपयोगी ग्रंथ ( जैन डिरेक्टरी) तैयार थवानी आ कॉन्फरन्स बहु ज आवश्यकता विचारे छे. ( बीजुं मुंबई अधिवेशन ठराव ८मो ).. ४. जैन चैत्योद्धार त्रीजा वडोदरा कॉन्फरन्सना नचिना जीर्ण चैत्योद्धार अने जीवदयाना ठरावो पण ध्यान खेंचे छे. १६६ cc संसारदावानळथी तप्त थएला जीवोने शांति आपनार विश्वोपकारी तीर्थकर महाराजानी चरणरजथी पवित्र थएल अने तेमनी याद लावनार तीर्थोनो तथा मंदिरोनो उद्धार करवा माटे तथा त्यां थती आशातनाओ दूर करवा माटे विशेष प्रकारे प्रयत्न करवानी जरुर आ कॉन्फरन्स स्वीकारे छे. " ( त्रीजुं वडोदरा अधिवेशन ठराव १० मो ). ५. जविदया " अहिंसा परमो धर्म " ए सिद्धान्तनुं सर्व लोको पालन करे, निरपराधी जीवोने अभयदान मळे, हिंसा ओकी थाय, अने घातकीपणं For Personal & Private Use Only Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६७ अटकी जनावरो सुखी थाय तेवी विविध योजनाओ शोधी काढी अमलमां मूकवानो आ कॉन्फरन्स सर्वने आग्रह करे छे. ( त्रीजुं वडोदरा अधिवेशन ठराव १३मो ). ६. निराश्रितोने सहाय निराश्रीत जैनोने आश्रय बाबतनो अमदावाद कॉन्फरन्सनो ठराव पण तेटलो ज अगत्यनो छे. " मरणांते पण याचना नहिं करनार श्रावक श्राविकाओ तेमनां बालबच्चां साथ कोई स्थळे सिझाय नहि अने दीनहीन हालतमां धर्मान्तर थतां अटके ते माटे ( १ ) निराश्रित जैनोने धंधे लगाडवानो, ( २ ) माबाप विनानां अनाथ बाळकोने तथा अनाथ विधवाभोने आश्रय आपवानी तथा बाळाश्रम स्थापवानी, (३) जन्मपर्यंतना असाध्य रोगोथी पिता निराश्रित स्वधर्मी बंधुओने माटे आश्रयस्थान स्थापवानी आ कॉन्फरन्स खास आवश्यकता स्वीकारे छे. ७. मागधी भाषानो उद्धार ( पांचमुं अमदावाद अधिवेशन ठराव ११मो ) . मागधी भाषाने जैनोनी राष्ट्रभाषा के धर्मभाषा कही शकाय. भगवान महावीरना पवित्र मुखेथी उच्चारायेली ते वखतनी लोकभाषामा आपणा आगमो रचायेलां छे. जैनधर्म, तत्त्वज्ञान अने 'संस्कृतिनुं साधुं ज्ञान मूळभाषा जाणवाथी ज आवी शके छे. कॉन्फरन्स तेने पण केम भूलें ? 66 आपणा शास्त्रीनी भाषा मागधी ( प्राकृत ) होवाथी ते यथार्थ समजी शकाय ते मदे तेने सजीवन राखवानी अति आवश्यकता छे माटे For Personal & Private Use Only Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८ (१) मागधी भाषानो सरळ अभ्यास. थई शके तेने माटे मागधी (प्राकृत) भाषानो कोश तैयार कराववा तमाम जैनोर्नु लक्ष आ कॉन्फरन्स खेंचे छे, तथा . (२) मागधी भाषानुं संपूर्ण व्याकरण सरळ पद्धतिए तैयार करवानी अतिजरुर आ कॉन्फरन्स स्वीकारे छे अने आ बाबतमा जे प्रयास अत्यार सुधीमां थयो छे तेने माटे धन्यवाद आपी ते दिशामां वधारे प्रयास करवा खास भलामण करे छे. (३) जैनो हस्तक चालती संस्कृत पाठशाळाओमां तेम ज ऊंची जैन धार्मिक शाळाओमां मागधी भाषानुं खास शिक्षण आपg जोईए एवो आ कॉन्फरन्स आग्रह करे छे. (४) हिन्दुस्ताननी जुदी जुदी युनिवर्सिटीओमां मागधी भाषा बीजी भाषा तरीके जैन विद्यार्थीओ लई शके तेने माटे प्रयास करवा जैन साक्षरो तथा संस्थाओने आ कॉन्फरन्स आग्रहपूर्वक भलामण करे छे." _ (दसमुं मुंबई अधिवेशन ठराव ५मो). तेवो ज बीजो ठराव आ रह्यो. (१) आर्यभाषाना विकासनो इतिहास जाणवा जाटे अर्धमागधी अगत्यनी भाषा छे तेम ज भारतवर्षना आर्य दर्शनोमां गहत्त्वना गणाता जैन दर्शनने समजवा माटे पण अर्धमागधी एक आवश्यक भाषा छे. तेथी ज मुंबई युनिवर्सिटीए पोताना अभ्यासक्रममा उच्चमां उच्च वर्गो सुधी अर्धमागधीने दाखल करी के. ए माटे तेम ज जे जैन के अजैन संस्थाओए पोताना अभ्यासक्रममा अर्धमागधी भाषाने अपनावी छे ते माटे ते सर्व प्रत्ये आ कॉन्फरन्स आभारनी लागणी प्रदर्शित करे छे तेम ज For Personal & Private Use Only Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संयुकत प्रान्त, बंगाळ अने पंजाब, वगेरे प्रान्तोनी युनिवर्सिटीओने मुंबईनी युनिवर्सिटीनी जेम अर्धमागधीने स्थान आपवा खास भलामण करे छे अने जे कॉलेजोमां अर्धमागधीना अभ्यासनी व्यवस्था न होय त्यां त्यां तेनी व्यवस्था करवा कॉलेजना प्रिन्सिपालोने आ कॉन्फरन्स विनंती करे छे. आपणा जैन विद्यार्थीओ द्वितीय भाषा तरीके अर्धमागधी लइने भणे एम आ कॉन्फरन्स इच्छे छे अने जैनोना दानद्वारा चालती हाइस्कूलो अने कॉलेजोमां अर्धमागधीने स्थायी स्थान आपवा आ कॉन्फरन्स आग्रहपूर्वक भलामण करे छे. (३) अर्धमागधी भाषानो फेलावो थाय ते माटे आ कॉन्फरन्स जैन दानवीरोने तमज जैन धर्मनी बीजी मातबर संस्थाओने विनंती करे छे के तेओए योग्य स्कॉलरशीपो योजवी अने अर्धमागधीनो अभ्यास करता जैन तेमज जेनेतर विद्यार्थी ने मळे तेवी व्यवस्था करवी तेम ज अर्धमागधीना विद्यार्थीओने सरळता पडे ते माटे अभ्यास क्रममा चालतां पुस्तको शुद्ध अने सस्ता भावे प्रकट करवा आ कॉन्फरन्स जैन साहित्यनी प्रकाशन संस्थाओने आग्रहपूर्वक भलामण करे छे. (पंदरमुं निंगाळा अधिवेशन ठराव ८मो) - जैन समाज अर्धमागधीने अघरी धारी तेना अभ्यास प्रत्ये कदाच उदासीन रहे तोपण धर्मतत्त्वोथी अजाण तो न ज रहेवो जोइए एम विचारी कॉन्फरन्से बीजो पण ठराव कयौं छे: (३) जैन समाज संस्कृत के प्राकृतादि श्रमसाध्य भाषाओनो अभ्यास करी तेमां ग्रंथो वांचे एवो संभव धीमे धीमे दूर थतो जाय के. एटला माटे प्रचलित भाषामां मूळग्रंथो लखवालखाववानी आवश्यकता छे. For Personal & Private Use Only Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७० (४) तहन बेल्ली अने नवी उपयोगी विवेचनात्मक पद्धतिए मूळ पुस्तको छपाववां. (५) पसंद करेला खास पुस्तकोनो लोकभाषामा अनुवाद करवो. (६) प्राचीन अने अर्वाचीन साहित्यना उंडा अभ्यासथी महत्त्वपूर्ण नव साहित्य प्रचलित भाषामां रच. ८. जन दर्शनना रहस्योनो एक जग्रंथ (चौदमुं मुंबई अधिवेशन ठराव १८मांथी ) आ अधिवेशने एवो पण ठराव कर्यो के, - "आपणामां एके पारिभाषिक कोश नथी जेनी सहायथी जिज्ञासुओ आपणा धर्मग्रंथो तथा दार्शनिक ग्रंथोनो सरळताथी अभ्यास फरी शंके; माटे तेवो ग्रंथ तेम ज गुजराती, हिंदी आदि देशी भाषामां एक एवो संपूर्ण ग्रंथ नथी के जे एक ज ग्रंथना वांचनथी जिज्ञासु जैन दर्शननां रहस्यो योग्य रीते समजी शके; माटे तेवो ग्रंथ विद्वानो पासे लखावी प्रकट करवानी अति आवश्यकता छे." . ( चौदमुं मुंबई अधिवेशन ठराव १८मांथी) ९. बनारस विश्वविद्यालय अने जैन चॅर . कॉन्फरन्सना अगत्यना ठरावोमां जैन संस्कृतिनी रक्षा अर्थेनो जैन चरनो ठराव अति अगत्यनो कही शकाय. ............ " बनारस हिंदु युनिवर्सिटीमा जैन चर स्थापवा माटे कलकत्तानी बेठक वखते थएला ठराव तथा स्टेडिंग कमिटीए नीमेली पेटाकमिटी. ..:. ओना रिपोर्ट अने सदरहु युनिवर्सिटी साथे थयेल पत्रव्यवहार वगेरे ध्यानमां लई आ कॉन्फरन्स ठरावे छे के निश्चित थयेछी शरतो प्रमाणे For Personal & Private Use Only Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७१ सदरहु युनिवर्सिटीमां जैन चर स्थापवा माटे गोठवण करवी अने एकत्रित एल फंडमांथी रु ४०,००० सदरहु युनिवर्सिटीना सत्ताचाळाओने सोंपवा ". ( तेरमुं जुन्नेर अधिवेशन ठराव १४मो ) १०. दीक्षा जे ठरावे जैन जगतमां अत्यंत ऊहापोह जगाव्यो ते ठराव आ रह्यो : "" दीक्षा संबंधी आ कॉन्फरन्सनो एवो अभिप्राय छे के दीक्षा लेनारने तेनां मातापिता आदि अंगत सगांओ तथा जे स्थळे दीक्षा आपवानी होय त्यांना श्री संघनी संमतिथी योग्य जाहेरात पछी दीक्षा आपवी". ( तेरमुं जुन्नेर अधिवेशन ठराव २१मो ) आठराव साथ संवत १९९०मां अमदावाद मुकामे मळेला " जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक साधुसंमेलननो दीक्षासंबंधी ठराव सरखावबो रसप्रद थइ पडशे. " आठथी सोळ वर्षे सुधी मातापितानी अथवा जे समये जे वाली होय तेनी रजा सिवाय दीक्षा आपी शकाय नहिं, कारणके त्यां सुधी " शिष्य निष्फेटिका " लागे छे. आठ वर्षथी सोळ वर्षवाळानी दीक्षामां, दीक्षा लेनारना माबाप अथवा तो वालीनी लेखित संमति लेवी. जे गाममां दीक्षा आपवानी होय, त्यांना स्थानिक प्रतिष्ठित बे श्रावको द्वारा लेखित संमति प्रमाणे, लेखित संमति आपनार दीक्षा लेनारनां खरां मातापिता अथवा तो वाली छे तेनो निर्णय, जे गामनो ते होय त्यां आदमी मोकली निर्णय करावे अने निर्णय थया पछी दीक्षा आपवी. For Personal & Private Use Only Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७२ ... दीक्षा लेनारनी योग्यतानी परीक्षा सामान्य रुपे पोते कर्या पछी, वधारे संमतिने माटे दरेक गच्छवाळाए पोताना संघाडा शिवायना बीजा संघाडाना बे आचार्यों अथवा तो वडिलोनी पासे योग्यतानी परीक्षा करावी, ते पछी दीक्षा आपवी. जे गच्छ के समुदायमां बीजा संघाडा न होय तेमणे पोताना समुदायना बे योग्य साधुओनी पासे योग्यतानी परीक्षा करावी संमति मेळवी दीक्षा आपवी. दीक्षा प्रशस्त स्थानमा जाहेर रीते शुभ मूहूर्ते आपवी. ___ सोळ वर्ष पछीनी दीक्षामां शास्त्रोक्त “शिष्य निष्फेटिका" लागती नथी, तोपण हालतुं आ आय बंधारण केटलाक अंशे थएल अनि. च्छनीय वातावरणने लईने ठरावरुपे बांधवामां आव्युं छे. तेने ज अनुसरतुं ठराववामां आवे छे के-सोळ थी अढार वर्ष सुधीना दीक्षा लेनारने पण तेना वालीनी रजा सिवाय हालमां दीक्षा आपवी नहि. अढार वर्ष पछीनी उम्मरवाळो दीक्षा लेनार माता, पिता भत्रीजा, भाई वगेरे जे निकट संबंधी होय तेनी अनुमती मेळववा माटे ते ते प्रयत्नो कर्या छतां पण अनुमति न मळे तो दीक्षा लई शके छे." जुन्नेर कॉन्फरन्सना ठरावनो ए ज सार हतो, के दीक्षा लेनारने पोताना माता, पिता आदि संबंधीओनी तथा ज्यां दीक्षा लेवानी होय त्यांना श्री संघनी संमतिथी योग्य जाहेरात कर्या पछी दीक्षा अपावी र्जाईए. ___ साधुसंमेलननो ठराव तो तेथी घणो आगळ वध्यो छे. मा, बाप, वालीनी अने संघनी संमति ऊपरांत दीक्षा लेनारनी योग्यतानी खातरी संघाडाना बे आचार्यो के वडीलो पासे कराव्या बाद जाहेर रीते दीक्षा आपवानुं ते फरमान करे छे. For Personal & Private Use Only Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७३ . आजे दीक्षाना प्रश्ननी उग्रता चाली गई छे अने कॉन्फरन्से ऐक्यनी खातर पोतानो अति “नम्र" उराव पण फालना अधिवेशनमां परत खेंची लीधो छे त्यारे तटस्थ विचारक माटे आ प्रश्न केवल ऐतिहासिक अगत्यनो ज बनी रहे छे. ११. शुद्धि अने संगठन. "जेनोए पोतानो असली जैन धर्म छोडी अन्य धर्म स्वीकार्यो होय तेमने पुनः जैन धर्ममा लाववा, स्वेच्छापूर्वक जैन धर्म स्वीकारनारने जैन तरीके ग्रहण करवा, तेमने स्वामिवच्छल, नवकारशी जेवा जमणमा तेम ज जैन संस्थाओनो तथा संघना बधा व्यवहार अने साधनोनो लाभ आपवा आ कॉन्फरन्स भलामण करे छे. (चौदमुं मुंबई अधिवेशन ठराव ठो) १२. लग्नक्षेत्र "जैनोमां ओशवाळ, पोरवाड, श्रीमाळी, दशा, वीशा, वगेरे ज्ञातिभेदी होवाथी अने स्थानिक घोळ, वाडा के वर्तुळो होवाथी लमक्षेत्र घणुं संकुचित थयुं छे अने योग्य लग्न करवामां केटलेक ठेकाणे घणी मुश्केली ऊभी थाय छे ए दुःखदायक छे; तो जैनोमां उपरोक्त भेद काढी नाखी अरसपरस जैनोमां गमे त्यां कन्या लेवडदेवड करी शकाय ए इष्ट छे एम आ कॉन्फरन्स माने छे अने एवा भेदो काढी नांखी लग्नक्षेत्र विस्तृत करवानी आग्रहपूर्वक भलामण करे छे". (चौदमुं मुंबई अधिवेशन ठराव. ८मो) १३. केळवणीसंस्थाओगें संगठन अने परस्पर सहकार ___“एवी स्थिति जोवाय छे के जुदी जुदी संस्थाओ स्वतंत्र रीते कार्य करवाथी केटलाकने वधु पडती मदद ने सगवड मळी जाय For Personal & Private Use Only Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७४ छे अने घणा मदद वगर रही जाय छे; वळी केटली अने कई संस्थाओ विद्यमान छे ते पण घणा अभ्यासार्थीओने खबर न होवाथी तेनो लाभ तेओ लई शकता नथी. सर्वेने योग्य अने जरुर जेटली मदद अने सगवड मळी शके ते माटे ए जरुरंनुं छे के : ( १ ) स्कॉलरशिप आपता बधा खाताओनुं " फेडरेशन " थवुं जोइए अने ते " फेडरेशन” नियत करेला नियमानुसार सर्वे खाताना धोरण मुंजब स्कॉलरशिपनी वहेंचणी करे. ए जो न बनी शके तो ते खातु एकबीजाना सहकारथी एक ज धोरणे अने व्यवस्थाथी कार्य करे. (२) जे जे छात्रालयो आदि शिक्षणसंस्थाओ छे, तेओ पोतानुं संमेलन भरी पोतानुं संगठन करे अने समाजमां वधुमां वधु विद्यार्थीओने लाभ मळे अने तेंमनुं चारित्र्य आदर्शरुप थाय ते माटे घटता नियम करे. (३) एक संस्था के खातानो लाभ लेनार बीजी संस्था के खातानो लाभ अणघटती रीते न ले, अने एक संस्थामांथी आवेलने बीजी संस्था लाभ आपे ए व्यवहार राखवो. ( ४ ) सर्वे संस्थानुं संगठन साधे निरीक्षण थई सुधारावधारा सूचवाय तथा दरेकनी माहिती पूरी पाडवामां आवे एवो प्रबंध करवो. ( चौदमुं मुंबई अधिवेशन ठराव १४मो ) १४. स्वदेशी 66 आ कॉन्फरन्स दरेक जैन भाई तथा बहेनने खास आग्रह करें के के शुद्ध खादी अगर तो स्वदेशी कापड तथा जरुरियातनी बधी 99 देशमा बनेली चीजो तेमणे वापर वी. "" ( चौदमुं मुंबई अधिवेशन ठराव २१मो ) For Personal & Private Use Only Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७५ १५. द्रव्यव्ययना साचा प्रकारोनुं दिशासूचन जैन समाज अनेक धनाढ्यो धरावे छे अने तेमां दान निमित्ते पुष्कळ द्रव्यनो प्रवाह वहे छे. परंतु ते जे मार्गे वहे छे तेथी समाजनुं पूरेपूरु हित साधी शकातुं नथी. माटे ते प्रवाह जुदा अने समाजने ऊपयोगी मार्गे वहेतो रहे तो बीजा समाजो करतां जैन समाजनी प्रगती सर्व प्रकारे टपी जाय. आटला माटे ए इष्ट अने आवश्यक छ के :(१) श्रीमंतो अने परोपकार वृत्तिवाळा भाईबहेनो पोताना द्रव्यनो व्यय उत्पादक, कार्यसाधक, अने समाजनी स्थिति सुधारवाना मार्गे करे; दा. त. मोटी वस्तीवाळा शहेरमां श्रावकश्राविका माटे सस्ता भाडानी चालीओ, मफत के ओछा खर्चे दवा वगेरेनां साधन मळे तेवां दवाखाना, सुवावडखाता, अनाथगृहो, आरोग्यगृहो, तथा स्कूलो, हाईस्कूलो, विद्यामंदिरो, छात्रालयो, व्यायामशाळा वगेरेना स्थापनमा व्यय करवाथी समाजने हितकारक थई पडशे. (२) साधारण द्रव्यमांथी दरेक खातामां जरुर. प्रमाणे व्यय करी शकाय छे. तेथी दरेक जैने साधारण खाताने पुष्टि आपवा खास लक्ष्य आपq एवी आ कॉन्फरन्स भलामण करे छे. (३) घणे स्थळे एम जोवाय छे के देवद्रव्य वगर जामीनगीरीए अंग उधार धीरवामां आवे छे ए प्रथा योग्य नथी तो देघद्रव्यनां नाणां साधारण खातांने तथा जैनोने योग्य जामीनगीरी ऊपर ब्याजबी व्याजे धीरवा घटे." (चौदमुं मुंबई अधिवेशन ठराव २२मो) For Personal & Private Use Only Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७६ १६. जैन शास्त्रीय शिक्षण . .... आ कॉन्फरन्सनो एवो पाको मत छे के जेम बीजा क्षेत्रमा तेम शास्त्रीय क्षेत्रमा पण जैन परंपराए आ युगना विकसित मानस साथे पूर्णपणे मेळ खाय तेवु अने उच्च विद्याधामोमां पोतानुं प्रतिनिधित्व करी शके तेवं मानस धरावनारी व्यक्तिओ तैयार करवानी जरूर छे. वेथी आ कॉन्फरन्स ठराव करे छे के जैन शास्त्रनुं उच्चतर अने उच्चतम शिक्षण आपवा-अपाववानी घटती समर्थ एवी बधी सगवड करवी ते माटे थोडा पण अधिकारी उमेदवारो जेमां मुख्यपणे संस्कृत शिक्षण लीधेल पंडितो अने मुख्यपणे कॉलेजनुं शिक्षण लीधेल स्नातकोनो समावेश थाय छे तेमने पसंद करवा अने. तेमने विद्याभ्यास माटे जरूरी एवी बधी सगवड पूरी पाडवी. (पंदरमुं निंगाळा अधिवेशन, ठराव छठ्ठो) १७. बेकारीनिवारण. "बेकारीनिवारणने माटे नीचेनी बाबतो उपर आ कॉन्फरन्स जैन समाजनुं ध्यान खेंचे छ :(१) स्थायी समितिना आश्रय नीचे एक एवी बेकारीनिवारण मध्यवती संस्था (Central Bureau) ऊभी करवी, ज्यां नोकरी रहेवा इच्छनार अने नोकरी राखवा इच्छनारनी संपूर्ण विगतवार नोंधो राखवामां आवे अने बन्नेनो सहयोग मेळवी आपवानी गोठवण करी आपवामां आवे. (२) ने जैन गृहस्थो हस्तक मोटां कारखानांओ, पेढीओ के ऑफिसो चालतां होय तेनी एक यादी स्थायी समितिए तैयार कराववी अने तेओ मारफत बने तेटला जैनोने गोठववानी हिलचाल स्थायी समितिए हाथ धरवी. For Personal & Private Use Only Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७७ .. (३) आजे गृह उद्योग ग्राम्य उद्योगने बने तेटलं उत्तेजन आपवानी खास जरुर छे अने आ दिशाए योग्य फंड मळ्येथी कॉन्फरन्सनी स्थायी समितिने घटती योजनाओ करवानी भलामण करवामां . .. .. भावे के, (पंदरमुं निंगाळा अधिवेशन, ठराव ९मो) २८. जैनबँक जैनबँकनी जे योजना गत अधिवेशनमा मंजूर करवामां आवी छ, ते तरफ जैनसमाजनुं ध्यान खेंचवामां आवे छे अने ते अंगे घटतुं .. करवा स्थायी समितिने भलामण करवामां आवे छे. (पंदरमुं निंगाळा अधिवेशन, ठराव १०मो) १९. पंचायत फंड " आ कॉन्फरन्स पारसी पंचायत फंड जेवू एक विशाळ अने ___ सर्वसामान्य जैन पंचायत फंड ऊभुं करवानी जरुरियात स्वीकारे छे. ते फंडनो उपयोग व्यावहारिक तेम ज धार्मिफ केळवणीनो प्रचार, बेकारीनिवारण तेम ज निराश्रित भाईबहेनोने बनती मदद वगेरे ... सामाजिक कार्योमा करवो अने ते फंडनो वहीवट फंडमां नाणां भर... नाराओ करे.” (पंदरमुं निंगाळा अधिवेशन, ठराव ११मो) २०. जैन विद्यामंदिर " जैन आगमतत्त्वज्ञान, न्याय, व्याकरण, काव्य, अलंकार, विज्ञान आदि विषयोना तुलनात्मक पद्धतिए अभ्यास माटे धार्मिक ... हस्तलिखित प्रतो, पुस्तको, पोथीओ तेम ज सर्व विषयना आधुनिक . . ढबना प्रमाणभूत ग्रंथोनी लायब्रेरी साथेनुं अभ्यासीओ माटे सर्व सगवड .. .१२ For Personal & Private Use Only Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७८ साथेनुं एक विद्यामंदिर जेमा पुरातत्त्व- तेम ज शोधखोळर्नु (Research) कार्य थई शके ते तथा युनिवर्सिटीना अर्धमागधी अभ्यासक्रम माटे सहाय मळे अने जेमां अभ्यासीओना अभ्यास दरम्यान तेम ज अभ्यास पछीना निर्वाहनी योजनापूर्वक ऊच्च अभ्यास माटे संस्कारी वातावरण होय तेम ज जेनी द्वारा गुजराती, हिन्दी, प्राकृत, संस्कृत, पुरातन तेम ज अद्यतन साहित्यनो संग्रह, प्रचार अने प्रकाशन थाय तथा तत्त्वज्ञान, इतिहास अने क्रियानी रुचिकर चर्चा तथा व्याख्यानो थाय तेवू एक सुंदर केन्द्रस्थ स्थान कोई महान ज्योतिर्धरना ..... नाम साथे जोडाई स्थपाय ए आवश्यक छ एम आ कॉन्फरन्स माने छे." __(सोळमुं मुंबई अधिवेशन, ठराव ८मो) २१. जैन साहित्य “ विशिष्ट संस्कृत, प्राकृत जैन साहित्यने सादा आकारमा प्रकट - करवा तेम ज प्राचीन जैन साहित्य (रासो, स्तवनो, सज्झायो, पदो, लावणीओ, गहुलीओ, ढाळो, पूजाओ, प्रभातियांओ वगेरे ) ने व्यवस्थित -रीते छपाववा, तेमां ग्रंथकारना उपलब्ध चरित्रनी नोंध करवी अने साहित्यनो विस्तार बताववा ग्रंथकारवार, सैकावार, विषयवार, साहित्य पर नोंध कराववानी आवश्यकता तरफ आ कॉन्फरन्स खास ध्यान खेंचे के अने जैन साहित्यनो इतिहास दरेक भाषामा प्रकट करी ते नी विपुलता पर विद्वद्वर्गर्नु ध्यान खेंचे तेवी साधनसामग्री जनता तरफ घरवानी आवश्यकता अ। कॉन्फरन्स स्वीकारे छे अने प्राथमिक पगला तरीके पंडित बीरविजयजीनी सकल कृतिओना संग्रहयोग्य समालोचनावाळी प्रस्तावना साथे प्रकट करवो अने त्यार पछी उत्तरोत्तर तेवा प्रकारचें साहित्य प्रकट करवा अने ते कार्यनो अमल करवा धार्मिक साहित्यना पांच ऊंडा अभ्यासीओनी प्रकाशन समिति नीमवा स्थायी समितिने भलामण करे छे. ( सोळमुं मुंबई अधिवेशन, ठराव ९मो) For Personal & Private Use Only Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२. आक्षेप-प्रतिकार जैनो तेम ज जैन धर्म उपर अवारनवार आक्षेपो थाय के तेनो योग्य जवाब आपवा एक कायमी समिति नीमवा आ कॉन्फरन्म स्थायी समितिने भलामण करे छे. (सोळमुं मुंबई अधिवेशन, ठराव १४मो ) २३. यात्रालुओने सगवड ____ आपणा तीर्थोमां तथा शहेरोमा जता यात्रालुओने धर्मशाळाना मुनिमो तुरत उतारा आपे अने जोईती सर्व सगवड वगर विलंबे पूरी पाडे माटे आ कॉन्फरन्स वहीवटकर्ताओने भलामण करे छे." (सोळमुं मुंबई अधिवेशन, ठराव १५मो) २४. जैन जनरल हॉस्पिटल तथा प्रसूतिगृह " मुंबई तेम ज जैनोनी मोटी वस्तीवाळा अन्य शहरोमा जैनो माटे जैन जनरल हॉस्पिटलोनी आवश्यकता के अने तेवी हॉस्पिटलो ज्यां ज्यां बनी शके त्यां तुरत योग्य फंड करी स्थापवी अने तेमां सगवड प्रमाणे जैनेतरोने पण लाभ आपवो. जे स्थळोमां जनरल हॉस्पिटल स्थापवी शक्य न होय ते ते स्थळे प्रसूतिगृहो स्थापवानी. योग्य व्यवस्था करवा आ कॉन्फरन्स भलामण करे छे." ( सोळमुं मुंबई अधिवेशन, ठराव १६मो) २५. संगठन “जैनोनी केटलीक जातिओ जेवी के सराक, पल्लीवाल, अग्रवाल वगेरे जैन धर्म पाळती हती, तेओ तथा आपणा केटलाक धर्मबंधुओ उपदेश तथा संपर्कना अभावे धर्मविमुख थता जाय छे तेने जैन धर्ममां स्थिर करवा तथा अपनाववानी आवश्यकता पर आ कॉन्फरन्स खास भार मूके के." (सोळमुं मुंबई अधिवेशन, ठराव १९मो) For Personal & Private Use Only Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८० २६. व्यायाम "जैन समाजमा व्यायाम तथा शारीरिक विकास तरफ अत्यंत दुर्लक्ष सेववामां आवे छे ते दूर थाय अने समाजनां बाळकोर्नु स्वास्थ्य सुधरे तेम ज तेओमां स्वरक्षण करवानी शक्ति विकास पामे ए अर्थे आ कॉन्फरन्स स्थळे स्थळे व्यायामशाळाओ स्थापवा तेम ज तालीमवर्गो खोलवां जैन समाजने आग्रह करे छे." (सोळमुं मुंबई अधिवेशन, ठराव २१मो) २७. देवद्रव्य " देवद्रव्य निमित्ते जे रकमो अगर मिलकतो होय तेम ज हवे पछी ते माटे आपवामां आवे तेनो उपयोग जिनमूर्ति अने जिनमंदिरो माटे ज थई शके तेम आ कॉन्फरन्स भारपूर्वक जाहेर करे छे अने जैन संघमांनी कोई पण व्यक्ति आनी विरुद्ध मंतव्य रजू करे अथवा प्रचार करे ते जैन धर्मना मृळभूत सिद्धांतोने आघात करनार के एम आ कॉन्फरन्स माने छे." __ (सत्तर, फालना अधिवेशन, ठराव ३जो) २८. मध्यमवर्गने राहत __" हालमां उपस्थित थयेली विषम परिस्थितिने कारणे जैनसमाजनो मध्यमवर्ग अने खास करीने तेना नीचला थरो ओछी आवक अने दिन प्रतिदिन वधती मोघवारीने लइने अत्यंत मुश्केल स्थितिमा मुकाया छे, अने तेमने माटे जीवननिर्वाह करवो लगभग अशक्य थई पड्यो छे तेथी तेमने पगभर करवा तथा हुन्नर उद्योगना अनेक क्षेत्रोमां कार्ये लगाडवा अने तेमनी स्थिति सुधारवा तुरत अमलमां मूकी शकाय तेवी नीचे दर्शावेली योजनाओ सूचववामां आवे छे. आ माटे जैन.: समाजने योग्य करवा अपील करवामां आवे छे: For Personal & Private Use Only Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८१ (१) जीवन निर्वाहनी जरुरी वस्तुओ वगेरे ओछा दरे ( Subsidised rate ) थी पूरी पाडवा स्टोरी स्थळे स्थळे खोलवा अने ते माटे जरुरी फंड ऊभुं करी स्थानिक समितिओद्वारा काम उपाडवु. 4 ( २ ) नाना हुन्नर उद्योगने मदद करवा सारी केपिटल साथेना सहकारी मंडळो ऊभा करवा, तेम ज तेवा उद्योगो शिखववा जरुरी शिक्षणसंस्था स्थापवा. ( ३ ) नाना नाना हुन्नर उद्योगो तेम ज गृहउद्योगो शीखववा तथा चलाववा उद्योगमंदिर ( इन्डस्ट्रियल होम ) स्थापवुं. ४) स्त्री उपयोगी गृह उद्योगो शिवण, भरत, गूंथण, चित्रकाम आदिनुं शिक्षण आपनारी संस्था स्थापवी. ( ५ ) ते ऊपरांत कॉन्फरन्स माने छे के जैनोना मध्यमवर्गने धंधारोजगारमां सहाय आपवा अने तेमने व्यापार अने ऊद्योगना साधननी अनुकूळता करी आपवा माटे सहकारी अने अन्य धोरणे औद्योगिक अने नाणांकीय संस्था स्थापवी जरुरी छे अने तेथी आ अधिवेशन कॉन्फरन्सना प्रमुखश्रीने ऊपरोक्त कार्य माटे कमिटी नीमवा अने योजना वढी काढवा अधिकार आपे छे, तेम ज आ योजनाने सत्वर मूर्तस्वरूप आपना आग्रह करे छे.' ( सत्तरमुं फालना अधिवेशन, ठराव मो ) २९. जैन संस्कृतिकेन्द्र " अखिल भारतीय जैन संस्कृतिकेन्द्र निर्माण करी ते द्वारा शिक्षणशास्त्र अने मनोविज्ञानशास्त्र पर अवलंबित जैन साहित्यना धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक विशाळ भावनाथी भरेला पाठ्य पुस्तकोनुं संपादन For Personal & Private Use Only Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૮૨ कार्य थवानी आवश्यकता छे. ते माटे पूज्य श्रमण संघ, जैनसंस्थाओ ert विद्वानो संपूर्ण सहकार आपे एवी आ अधिवेशननी भलामण छे. ' ( सत्तरमुं फालना अधिवेशन, ठराव १६ मो ) ३०. श्री महावीर जन्मकल्याणक "" 'अहिंसाना महान प्रवर्तक परमोपकारी जगतवंद्य चरम तीर्थंकर श्रमण भगवान श्री महावीरना जन्मकल्याणक दिवसने जाहेर तहेवार ( पब्लिक होलीडे ) तरीके मान्य राखवा मध्यस्थ सरकारने आ कॉन्फ-रन्स आग्रहपूर्वक विनंती करे छे अने आ माटे योग्य कार्यवाही करवानी सत्ता कार्यवाही समितिने आपे छे. आ तमाम ठरावो उपरथी जणाशे के कॉन्फरन्स समाजना सर्वांगी विकासने शंखे छे अने ते माटे तेणे समाजने स्पर्शता विविध प्रश्नो उपर तलस्पर्शी विचारणा चलावी अनेक महत्त्वना ठरावो कर्या छे. जो आ तमाम ठरावोनो बराबर अमल थई शक्यो होत तो जैन समाजनुं आखुं कलेवर बदलाई गयुं होत अने ते पोतानी पूर्व जाहोजलाली भोगवतो होत. For Personal & Private Use Only a Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकरण अमुं. कॉन्फरन्सना विकासमां वेग अने मंदताना कारणोनी संक्षिप्त समीक्षा कॉन्फरन्से पोताना सत्तावन वर्षना दीर्घ जीवनमा अनेक लीलीसूकी जोई छे. कोई वखते तेनो सूर्य मध्याहे तपतो देखाय छे तो कोई वखते आथमता सूर्य जेवी तेनी आमा जणाय छे.... पांचमी अमदावाद कॉन्करन्सना स्वागतप्रमुख नगरशेठ चीमनभाई लालभाईए पोताना स्वागत प्रवचनमां कडं हतुं तेम, "आ कॉन्फरन्स ए प्राचीन अने नवीन बन्नेना संगमरूप छे. जूनामां जे आवकारदायक होय ते राखी, नवामां जे इष्ट होय तेनुं ग्रहण करी आगळ वधवामां ज आपणी उन्नति समायेली छे." कॉन्फरन्से ज्यारे ज्यारे आ नवाजूना वच्चेनी समतुला गुमावी छे त्यारे त्यारे तेने आचको लागेलो छे. : शरूआतना वर्षोमां फलोधीथी मांडी लगभग पुना अधिवेशन सुधी कॉन्फरन्स, कार्य पुरबहारमा चाल्यु. तेणे समाजमां नवजागृति आणी. विचारवातावरणमा मोटो फेरफार कर्यो. समाजनी समस्याओ अने सळगता प्रश्नो उपर तेणे साराये समाजनुं ध्यान केन्द्रित कयु. आखा भारतवर्षनो जैनसमाज एक थवो जोईए, एक होवो जोईए एवी विशिष्ट भावनाने तेणे जन्म आप्यो. संघबळy महत्त्व तेणे समजाव्यु. समाजना अभ्युदय माटे शुं जरूरी छे तेनो For Personal & Private Use Only Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८४ स्पष्ट ख्याल आप्यो. आखाये जैन समाजमा विचारात्मक, भावात्मक अने क्रियात्मक एकता लाववा प्रयत्न कर्यो. तेणें गुजरात, काठियावाड, मारवाड, मेवाड, राजस्थान, पंजाब, संयुक्त प्रांत, बंगाळ, महाराष्ट्र वगेरेने एक सामान्य मंच उपर एकठा कर्या. तेणे सामान्य सुखदुःखना प्रश्नो उपर सौने विचारता कर्या. आपत्ति प्रसंगे देशना हरकोई भागना पोताना बंधुने मदद करवानी पोतानी फरज छ ए भाव उत्पन्न कर्यो. जैन संस्कृति, जैन साहित्य, जैन शिल्प, स्थापत्य, ज्ञानभंडारो वगैरे तरफ तेणे समाजनुं ध्यान दोर्यु. केळवणी अने सिझाता बंधुओना प्रश्नो समाजना प्राणप्रश्नो छे एम तेणे समाजने समजाव्यु. तेणे समाजने पद्धतिसर अने व्यवस्थित काम करवानी दिशा बतावी. मध्यम वर्गना बंधुओने समाजप्रगतिमां अने सामाजिक खाताओमां हित छे एम बतावी आप्यु. कॉन्फरन्स आ बधुं करवा केम शक्तिशाळी बनी तेना कारणो जोतां जणाय छे के:(१) शरूआतमां तेने भारतवर्षना तमाम प्रदेशना आगेवानोनो उमळकाभर्यो सहकार सांपड्यो हतो. (२) जैनपुरी अमदावाद शहेर के जेने जैन समाजनुं हृदय कही शकाय त्यांना नगरशेठसहितना तमाम आगेवानो तेने विकसाववामां तनमनधनथी फाळो आपता हता. (३) सौ नाना नाना मतभेदो भूली जई सर्वसामान्य भूमिका उपर खमेखभो मिलावी काम करता हता. ... (४) कॉन्फरन्सने नाणांनी सहाय सारी मळती हती. For Personal & Private Use Only Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८५ ( ५ ) तेना जनरल सेक्रेटरीओ अने प्रान्तिक सेक्रेटरीओ कॉन्फरन्सना कार्यने वेग आपवा तनतोड महेनत करता हता अने सारो आत्मभोग आपता हता. (६) तेणे जीवदया, पुस्तकोद्धार, जीर्णोद्धार, निराश्रित मदद, केळवणीसहाय, भंडारोनी टीप, जैन डिरेक्टरी, उपदेश, हिसाब तपासणी, वगेरे समाजना प्राणप्रश्नांने उकेलवा सारो प्रयत्न कर्यो हतो. (७) उपदेशको, प्रचारको अने जैन हैरोल्ड द्वारा तेणे समाजसंपर्क जाळवी राख्यो हतो. (८) शरूआत मां मोटा आकर्षक अने भमकादार अधिवेशनों थयां हतां अने तेणे साराये समाजनुं चित्ताकर्षण कर्यु हतुं. (९) कॉन्फरन्स एक नूतन प्रकारनी नवयुगने अनुरूप संस्था होइ ते प्रत्ये लोको सारी रीते खेंचाता हता. (१०) कॉन्फरन्सनुं नेतृत्व एवी व्यक्तिओना हाथमां हतुं के जे समाजमां भारे प्रतिष्ठा अने मोभो धरावती हती अने जेमनी लागवग सरकार दरबारमां पण सारी हती. धीमे धीमे लोकोनो उत्साह मंद पडतो गयो तेम तेम कॉन्फरन्सना कार्यमा शिथिलता आवती गई. केटलांक स्थळोएथी अंदरखानथी संस्थानी उपयोगिता ओछी करवानो प्रयास शुरूआतथी ज चाली रह्यो हतो. केटलांक स्थापित हितो तेना तरफ शंकानी नजरथी जोतां हतां, केटलाक तेनी प्रगतिमां पोतानो उत्कर्ष अटकी जतो. 2 For Personal & Private Use Only Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८६ जोइ रह्या हता. केटलाक मध्यम वर्गनी सत्ताप्राप्तिमा संघना गौरवने हानि मानता हता. केटलाक लोकोने 'कॉन्फरन्सनी शरूआतथी तेनुं कार्यक्षेत्र धणुं विशाळ थवाने परिणामे पाछळथी दर वर्षे बहु नूतनता न जणाई. दरेक व्यक्ति पोते काम करवाने बदले कॉन्फरन्स शुं कार्य करे छे ते जोवाने उत्सुक रही. कॉन्फरन्सनी कटोकटीनी पळे ज्यारे तेनी हस्ती ज भयमां आवी पडी हती त्यारे सने १९२५मां कन्वेन्शन मळ्युं ते पहेला तेमा चर्चवाना विषयो नक्की करवा सोळ प्रश्नो तैयार करी विचारशील समाजहितैषीओ उपर मोकलवामां आव्या हता. तेना जवाबो उपरथी कॉन्फरन्सनी नबळाईनां कारणो श्री मोहनलाल दलाचंद देसाइ वगेरे चार जणानी कमिटीए तारवी काढेलो ते आजे पण विचारबा जेवां छे :.. (१) कार्यवाहकोनी खामी. (२) व्यवस्थानी खामी. (३) कॉन्फरन्सना मुखपत्रनुं बंध पडवू. । (४) नियमित अधिवेशनोनो अभाव. (५) प्रांतिक सेक्रेटरीओनो अनुत्साह अने निष्क्रियपणुं. (६) नाणांनो प्रवाह जोईता प्रमाणमां वहेतो न रहेवो. , (७) कॉन्फरन्सना ठरावोनो अमल कराववा माटे जोईते। .. पुरुषार्थ, प्रयत्नोनी खामी. : (८) विवादग्रस्त विषयो अने ठरावो. . .. आ कारणोनुं आपणे स्थूळ अवलोकन करी जईए: For Personal & Private Use Only Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९८७ आपणो समाज मुख्यत्वे धंधादारी छे. तेथी कॉन्फरन्सना कार्यने अंगे भोग आपी शके, तेनी प्रवृत्तिओनी पाछळ मंड्या रहे, अने कॉन्फरन्सने ज पोतानुं जीवन समर्पण करे एवा कार्यकर्ताओनी आपणने कायम टांचप रही छे. जे नेतामां त्याग होय, समर्पण होय, दीर्घदृष्टि होय, समयज्ञता होय, संस्था माटे सर्व कांई करी छूटवानी अने तेने माटे फना थवानी तमन्ना होय अने समाजने बुद्धि अने डहापणपूर्वक दोरवानी, आवडत अने ऊंडी सूझ होय तेना प्रत्ये प्रजा घेली थाय छे. कॉन्फरन्सने आ कक्षाना नेताओनी हमेशा ऊणप रही छे अने तेथी तेनुं कार्य वखतोवखत शिथिल पड्युं छे. कॉन्फरन्स जेवी साराये समाजनी अखिल हिंदना धोरणे काम करती मातबर संस्थाना कार्यालयनी व्यवस्था पण तद्दन अद्यतन होवी जोईए. कार्यालयनी सुव्यवस्था उपर संस्था प्रत्येनो समाजनो आदर अमुक अंशे आधार राखे छे. वळी संस्था पासे जैन समाजने लगता तमाम प्रश्नो संबंधी छेल्लामां छेल्ली माहिती होवी जोईए अने ते हरकोईने सुलभ होवी जोईए. जैन समाज, तेनी संस्थाओ, तेनो इतिहास, तेनुं साहित्य, तेनां धर्मस्थानो, तेनी वस्ती, तेनी केळवणीसंस्थाओ, तेना धर्मगुरुओ, तेना प्रश्नो ढूंकमां जैनसमाजने. लगती हरकोई बाबतनी माहिती तेना कार्यालयमाथी मळी शके तेवो प्रबंध होवो जोईए. ___कॉन्फरन्सनु मुखपत्र तद्दन आधुनिक पद्धतिनी प्रचारशक्ति धरावतुं, नीडरताथी छतां संयमपूर्वक समाजना प्रश्नोने चर्चतुं, तंदुरस्त विचारोनो फेलावो करतुं, व्यापक दृष्टिवाळु, ध्येयनिष्ठ अने For Personal & Private Use Only Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८८ आदर्श होवु जोईए अने तेनो फेलावो बहोळो होवो जोईए. कॉन्फरन्स, मुखपत्र वखतोवखत बंध पडयुं छे त्यारे कॉन्फरन्से घणुं सहन कर्यु छे. मुखपत्र जेवु लोकसंपर्क जाळववानुं बीजुं एक पण प्रबळ साधन आ युगमां नथी. कॉन्फरन्स, मुखपत्र केवळ विद्वद्भोग्य न होवू जोईए. सामान्य माणस समजी शके, तेनी कल्पनाने उत्तेजित करी शके अने तेनी प्रगति अने आगेकूचना मार्गमां दीवादांडीरुप बनी शके एवा सरळ भाषामा व्यक्त थएला विचारोवाळु होवू जोईए. जैनधर्मना सिद्धांतोने वफादार रही जैनधर्मनी प्रभावना करे एवं असाम्प्रदायिक अने विशाळ दृष्टिबिन्दुवाळु मुखपत्र एबुं होय के जेना विचारो हरकोई बाबतमा जैन के जैनेतरोमां प्रमाणभूत (authoritative) गणाय. लोकभोग्यता अने विद्वद्भोग्यतानो समन्वय करवानी तेनामां ताकात होवी जोईए. आq मुखपत्र कॉन्फरन्सनी शक्ति अने प्रतिष्ठा बनेमां वधारो करी जैनसमाजने माटे अद्भुत संजीवनी बनी रहे. वखतोवखत कॉन्फरन्सनां मुखपत्रो बंध पडवाथी अने घणी वखत उच्च धोरण नहि जळवावाथी पण कॉन्फरन्सने सहन करवू पडयुं छे. नियमित अधिवेशनो भराय ए पण कॉन्फरन्समां चैतन्य अने स्फूर्ति जाळवी राखवा आवश्यक छे. अधिवेशनो ओछामा ओछा खर्चे अने ओछामा ओछा आडंबरथी भिन्न भिन्न प्रदेशोमां भरावां जोईए. अधिवेशन भरावानुं छे एवा समाचार पण समाजमां एक जातनो उत्साह प्रेरे छे अने जे प्रदेशमां भराय छे तेनी आजुबाजुनी वस्तीमा जागृतिनां पूर वहेवा लागे छे. अधिवेशनो न भराय तो For Personal & Private Use Only Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८९ संस्था निष्क्रिय बनी गई छे एवी मान्यता लोकोमां घर घाले छे.. अखिल हिंद अधिवेशनो दर बे वर्षे भराय तोपण खोटुं नथी. परंतु प्रान्तिक अने स्थानिक अधिवेशनो वर्षमां निदान एक वार भरवां जोईए अने तेमणे प्रान्तना अने स्थानिक प्रश्नो चर्चवा जोइए. आवां अधिवेशनो बे दिवसना के एक दिवसनां पण होई शके. महाराष्ट्रना आपणा बंधुओए आ प्रथा ठीक ठीक जाळवी राखी छे. कॉन्फरन्सनां अधिवेशननोनी अनियमितता पण कॉन्फरन्सनी लोकप्रियतामां घटाडो थवामां कारणभूत बनेल छे. प्रान्कि सेक्रटरीओ जो निरुत्साही होय तोपण संस्थानुं काम सारी रीते चालतुं नथी. कोई पण संस्थाना हाथपग प्रान्तिक समितिओ अने स्थानिक समितिओ होय छे. आ हाथपग काम करता बंध पडे तो आखुं शरीर लकवाग्रस्त बनी जाय छे. आपणे त्यां प्रान्तिक समितिओ अने स्थानिक समितिओनी संख्या अति अल्प छे. लगभग दरेक प्रान्तमां एक प्रान्तिक समिति अने मोटा शहर के गाममां स्थानिक समिति होवी जोइए अने तेना कामगीरीना रिपोर्टो नियमित मुख्य कार्यालयमां पहोंचवा जोइए. मुख्य कार्यालय के अग्रिम कार्यकर्ताओं उपर ज आधार राखी हंमेशां बेसी रहेवाय नहि. समाजना दरेक अंगे पोतानो फाळो समाजकल्याणमां आपको जोइए. अधिवेशन योग्य ठरावो करी मार्गदर्शन आपी शके ते ठरावानो अमल करवानुं तंत्र मजबूत अने व्यवस्थित होवु जोइए. आपणा समाजमा ठरावानो अमल करवानी वृत्तिनो अभाव के उदासीनता मालम पडे. छे. कॉन्फरन्स पोतानां अधिवेशनामां वो द्वारा जैनसमाजने सामान्य भलामण के अपील करे छे. " परंतु सौने For Personal & Private Use Only Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भलामण ए कोइने भलामण नहि एबुं" परिणाम आवे छे अने ते काम उपाडी लेवा कोई बंधायेलं होतुं नथी. तेथी कॉन्फरन्से ज प्रान्तिक अने स्थानिक समितिओनी एक व्यवस्थित हारमाला ऊभी करवी जोइए जे कॉन्फरन्सना. ठरावोनो अमल करवा पूरतो परिश्रम करे. कॉन्फरन्सना ठरावोनो अमल न थाय तो एनी प्रगति शी रीते संभवे ? कोई पण संस्थाना सुचारु संचालन माटे संस्थानी आर्थिक ..सद्धरता जरूरी छे. नाणांनो प्रवाह वहेतो नथी तेथी कॉन्फरन्सनी स्थिति संगीन बनती नथी अने स्थिति संगीन नथी माटे नाणांनो प्रवाह वहतो नथी. आ एक विषचक्र छे. संस्थान कार्य वेगी चाले अने कार्य चाले छे ए समाजना ध्यान उपर आवे तो नाणां जरूर मळवानां छे. निष्ठावान कार्यकरोने नाणांनी तूट कदी पडती नथी. केवळ श्रीमंतो उपर ज संस्थाओनो बोजो न पडवो जोईए अगर श्रीमंतो उपर ज आधार राखती कोई पण संस्था न बनवी जोईए. विशाळ मध्यम वर्गनी दानशक्ति अने भावनाने पण तक आपवी जरूरी छे. चेतनवंती अने चिरायु बनवा मागती संस्थाओ माटे आम जनतानुं विशाळ दानक्षेत्र अणखेडायलुं रहेवू न जोइए. केळवणीप्रचार अने बेकारीनिवारणनी योजनाओ अमलमां आवी त्यारथी स्थानिक समितिओए आ क्षेत्रनो लाभ लेया मांड्यो छे ए आनंदनो विषय छे. विवादग्रस्त विषया अने ठरावो पण संस्थाना विकासनी आडे आवे छे. परंतु केटलीक वखते एबुं बने छ के विषयो के ठरावो विवादग्रस्त नथी होता छतां तेने हित धरावता पक्षो विवादग्रस्त For Personal & Private Use Only Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९१ बनाची दे छे. दरेक समाजमा एक वर्ग एवो होय छे ज के जे संस्था प्रत्ये असूया राखे अने तेन तोडी पाडवा विरुद्ध प्रचार करे। धर्मने नामे लोकोने उश्केरवा ए घणी सहेली बाबत छे. जैन समाज कई तेमां अपवादरूप नथी. वळी साधुसंस्था ए जैन समाजनी विशिष्ट संस्था छे. तेना आशीर्वाद जे संस्था उपर ऊतरे, ते संस्था फूलेफाले, बीजीनो विकास रूंधाय, साधुओना अंदरोअंदरना पक्षभेदने लीधे श्रावकवर्गमां पण पक्षभेद अने फूट पडे छे अने तेना प्रत्याघातो संस्थाओ उपर पडे छे. कॉन्फरन्सने श्रमणसंघनो सहकार नथी सांपड्यो एम तो न ज कही शकाय पण जोईए ते प्रमाणमां नथी सांपड्यो. वळी समय साथे समाजनी कूच इच्छनारो सुधारक वर्ग अने जूनुं ते सोनुं एम माननारो रूढिचूस्त वर्ग बनेना घर्षणे कॉन्फरन्सना विकासनी गति धीमी पाडी छे.. जैन समाजना युवानवर्गमां अने नवी पेढीमा सामाजिक संस्थाओना कार्यमां रस लेवानी वृत्ति, उत्साह, जोम, अने सेवाभावनी जे प्रमाणमां तमन्ना होवी जोईए तेटला प्रमाणमां नथी. हमेशा संस्थाओमां नवं लोही आववं जोईए अने देशदाझनी जेम समाजसेवानी दाझ युवकोना दिलमां होवी जोईए. शरूआतना वर्षोमां कॉन्फरन्सनो दोर श्रीमंतवर्गना हाथमा हतो. ते धीमे धीमे मध्यम वर्गना हाथमा सरकवा लाग्यो. एक वर्ग आगळ आवे एटले बीजो वर्ग पाछळ पडे ए स्वाभाविक छे. आ प्रक्रियाथी पण कॉन्फरन्सनी चालमां मंदता आवी. मध्यम वर्गे दोर हाथमां लीधो ए एक पडकार जेवू हतुं, परंतु पडकार देनारे जे जुस्सो, आत्मत्याग, आत्मश्रद्धा अने आत्मबळ बताववां जोइए ते ते न बतावी शक्यो, For Personal & Private Use Only Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एटलुज नहि पण अमुक काळे ते निःसहाय दशा भोगवतो होय एचो देखाव कर्यो. परिणामे कॉन्फरन्स पण निःसहाय दशाने पामी. है। समाजमा ऐक्यनी, संपनी अने संगठननी खामी छे तेम छतां पंण कॉन्फरन्स रचनात्मक कार्यक्रम वधु ने वधु अपनावे अने पूरतो लोकसंपर्क जाळवे तो कॉन्फरन्सर्नु भावि उज्ज्वळ छे एमा शंका नथी. समाजे पण ऐक्यतुं महत्त्व समजी समाजना सर्वदेशीय अभ्युदय माटे कॉन्फरन्सने बळवान बनावधानी जरूर छे कारण के आजे विश्वमा तेमज देशभरमां विज्ञाननी नवी नवी सिद्धिओना कारणे, राजकीय प्रवृत्तिओ अने पलटाओना कारणे, नवा नवा कायदाओना नियंत्रगोने कारणे, तेमज जमानाओ अने युगोथी चाच्या आवता सामाजिक माळखा, रहेणीकरणी अने आदर्शो उपर थई रहेला कुठाराघातोना कारणे जे जब्बर परिवर्तननां बळो कार्य करी रहेला छ तेनाथी कोई पण समाज अलिप्त रही शके तेम नथी. ते बधानी वच्चे टकवा माटे समाज सुव्यवस्थित अने सुसंगठित होवो जोई शे. खास करीने अल्पसंख्यक जैन समाज माटे आ खूब ज जरुरी छे: अतिविशाळ अनुयायीओ धरावतो बौद्ध धर्म भारतमाथी नाश पामी गया, त्यारे प्रमाणमां अल्प संख्या धरावतो जैन धर्म टकी रह्यो तेनुं कारण तेनी संघशक्ति, ऐक्य अने द्रव्य,क्षेत्र, काळ, भाव अर्थात् समयने धनुरूप पलटनशक्ति छे. आजे जैन समाजने माटे पुन: ए शक्तिओ बतायवानो समय आवी लाग्यो छे, अने सर्व रीते कॉन्फरन्स ज तेनुं वाहन थवाने योग्य छे, कारण के साराये समाजना प्रश्नो माटे अन्य कोई :अखिल भारतीय संस्था नथी. तेनी केटलीक नबळी कडीओ For Personal & Private Use Only Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९३ छतां हजु तेनुं स्थान जैन समाजमां अद्वितीय अने अनोखुं छे. ऐक्यथी आपणे टकी शकीशुं अने भागलाथी नाश पामीशुं ए सौना हृदयमां ऊगवुं जोईए. आपणे टकवुं छे ए सौ कोई स्वीकारता होय तो ऐक्य ज तेनुं एक मात्र निदान छे. For Personal & Private Use Only Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकरण ८मुं: कॉन्फरन्सना घडवैयाओ. संस्था एटले व्यक्तिओनो समूह, कोई पण संस्था फूलेफाले छ अने प्रगति करे छे त्यारे तेनी पाछळ अनेक व्यक्तिओनो आत्मभोग, सेवावृत्ति, अने स्वार्पणनो इतिहास पडेलो होय छे. कोई एक व्यक्तिथी संस्था बनी शकती नथी. वळी समय समये कोई ने कोई व्यक्तिओ एवी नीकळी आवे छ के जेः संस्थानी आगेकूचमां साथ आपती होय छे. दीर्घदृष्टिवाळा, ऊंडी समजशक्तिवाळा, समयने पिछानी शकनारा, काळबळ साथे ताल मिलावी चालनारा, जूनानवा बच्चे कडीरूप बननारा, सेवाना रंगे रंगायेला अने संस्थाने पोतीकी गणी तेना माटे मरी फीटनारा सेवको ज संस्थान नाव आगळ हंकारी जाय छ कॉन्फरन्सन नाव पण आवा सेवको अने सुकानीओए आज सुधी सहीसलामत हंकार्यु छे. भूतकाळमां डोकियुं करीए छीए तो तेनी स्थापनाकाळथी आज सुधीमां आवा आलबेल करनारा महाजनो याने कॉन्फरन्सना घडवैयाओनी एक लांबी यशस्वी वणझार आपणी नजरे पडे छे. ___ सौथी पहेलो राजपूती दिमागनो, फूटती मूछो अने ऊगती दाढीवाळो एक तेजस्वी युवान नजरे पडे छ. तेनुं नाम श्री गुलाबचंदजी ढढ़ा. कॉन्फरन्सना तेओ जन्मदाता. पूरा पचास वर्ष सुधी तेमणे कॉन्फरन्सनी एकनिष्ठापूर्वक अने अनन्य भक्तिभावी सेवा करी. साराये जैनसमाजने तेमणे एक व्यासपीठ उपर एकत्र को अने मझहब अने कोमनी सेवानो गुरु " मंत्र" आप्यो. For Personal & Private Use Only Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . कोई पण महान कार्य एकले हाथे थई शकतुं नथी. श्री ढट्ठाजीए जैन समाज उपर ठीक ठीक वर्चस्व भोगवनारा अमदावादना शेठियाओनो साथ मळ्यो. ____अमदावादनिवासी शेठ लालभाई दलपतभाईए श्री ढहाजी साथे कॉन्फरन्सना जनरल सेक्रेटरी तरीकेनो बोज उपाड्यो हतो अने गौरवपूर्वक वहन करी तेने मान, प्रतिष्ठा अने पैसा अपाव्या हता. ते उपरांत अमदावादना अन्य श्रेष्ठिओ-नगरशेठ चीमनभाई लालभाई, शेठ करमचंद प्रेमचंद, शेठ भगुभाई प्रेमचंद, भावनगर अधिवेशनना प्रमुख शेठ दलपतभाई भगुभाई, शेठ जेसंगभाई हठासींग, जनरल सेक्रेटरी शेठ चीमनलाल नगीनदास वगेरेए तेना विकासमां सुंदर फाळो आप्यो हतो.. फलोधी कॉन्फरन्सना प्रमुख जोधपुरना धर्मप्रेमी शेठ बखतावरमलजी महेता, मुंबईना जाणीता शाह सोदागर अने दानवीर शेठ प्रेमचंद रायचंदना सुपुत्र अने कॉन्फरन्सना जनरल सेक्रेटरी शेठ फकीरचंद प्रेमचंद जे. पी., झवेरी माणेकलाल घेलामाई, जैन संस्कृति अने तत्त्वज्ञानना प्रखर पुरस्कर्ता अने जैन धर्मप्रकाशना तंत्री शेठ कुंवरजी आणंदजी, ग्वालीअरना शेठ नथमल जी गोलेच्छा, पुनाना शेठ नानचंद भगवानदास, पुना अधिवेशनना प्रमुख इन्दोरना शेठ लक्ष्मीचंदजी सियाणी, लाहोरना शेठ जशवंतराय जैनी, कलकत्ताना झवेरी माताचद लाभचंद, जयपुरना शेठ सुजाणमल ललवाणी, अजमेरना शेठ हीराचंद. सचेती, उदयपुरना पुंजावत मगनलालजी, वगेरेए शरूआतना वर्षोमां कॉन्फरन्सने मजबूत बनाववा भारे जहेमत उठावी हती. For Personal & Private Use Only Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... बीजा मुंबई अधिवेशनना प्रमुख कलकत्तानिवासी राय बद्रीदास बहादुर, एक वखतना जनरल सेक्रेटरी कलकत्तानिवासी बाबु रायकुमारसिंहजी मुक्कीम, त्रीजा, चोथा अने पांचमा अधिवेशनना प्रमुखो-अजिमगंजनिवासी रायबहादुर बुद्धिसिंहजी दूधेडीआ, मुंबईनिवासी शेठ वीरचंद दीपचंद, सी.आई.ई., अने रायबहादुर सितापचंदजी नहार, सुरतना शेठ चुनीलाल छगनचंद शराफ, खंभातना शेठ पोपटभाई अमरचंद, कपडवणजना शेठ वाडीलाल जमनादास, अमदावादना शेठ भगुभाई फतेचंद कारभारी, जयपुरना रायबहादुर शोभागमलजी ढहा, - मालेगामना साहित्यचंद्र श्री बालचंद हीराचंद चांदवडकर (जेओ वृद्ध वये हजी पण कॉन्फरन्सनी सेवा एकधारी रीते करी रह्या छे), रतलामना शेठ चांदमलजी पटवा, भरूचना शेठ अनुपचंद मुलुकचंद, वडोदराना वैद्य मगनलाल चुनीलाल, वकील नंदलाल लल्लभाई, झवेरी फतेमाई अमीचंद अने दशमा अधिवेशनना प्रमुख डॉ. बालाभाई मगनलाल नाणावटी, पादराना बकील मोहनलाल हेमचंद-आ सौए कॉन्फरन्सचें कार्य हृदयपूर्वक उपाडी लई तेना मूळ ऊंडा नाखवा सतत जलसिंचन कर्यु हतुं. कोईए प्रान्तिक सेक्रेटरी तरीके तो कोईए बीजी रीते कॉन्फरन्सने सेवा समी हती. केटलोक वखत मुंबईनिवासी झवेरी कल्याणचंद शोभाग्यचंद तथा शेठ बालाभाई मंछारामे जनरल सेक्रेटरी तरीके अने मुंबईना बॅरिस्टर श्री मकनजी जूठाभाई अने अजीमगंजना बाबु पूरणचंदजी नाहर, बी.ए., बी.एल., एमणे आसिस्टंट जनरल सेक्रेटरी तरीकेनुं स्थान संभाळ्यु हतुं. दक्षिणमा येवलाना शेठ दामोदर बापुशा, For Personal & Private Use Only Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९७ प्रतापगढना शेठ लक्ष्मीचंद घीआ, कच्छमां अंजारना शेठ नाथाभाई लवजी, बरमारंगूनमा शेठ मनसुखभाई दोलतचंद, मोलमीनमा शेठ मनसुखलाल रतनचंद वहोरा अने मांडलेमां शा. जमनादास उमेदचंद जिल्ला सेक्रेटरीओ तरीके काम करता हता. आ उपरथी जणाशे के कॉन्फरन्सनो संदेशो हिंदुस्तानना खूणे खूणे अने परदेशमां ठेठ रंगून सुधी पहोंच्यो हतो अने त्यां पण तेनु कार्य अत्यंत व्यवस्थित रीते चालतुं हतुं. मुंबई खाते शेठ लल्लुभाई करमचंद दलाल, श्री अमरचंद पी. परमार, श्री उमेदचंद दोलतचंद बरोडीआ, श्री मनसुखलाल कीरतचंद महेता, श्री न्यालचंद लक्ष्मीचंद सोनी, बी.ए., एलएल.बी., वगेरे सक्रिय सेवाओ द्वारा कॉन्फरन्सन कार्य आगळ धपावी रह्या हता. आठमा अधिवेशनना प्रमुख शेठ पन्नालाल जोहरी अने नवमा अधिवेशनना प्रमुख शेठ मोतीलाल मूलजी, जे. पी.नी सेवाओ भूली शकाय तेम नथी. शेठ मोतीलाल मूलजीए कॉन्फरन्सनी कटोकटीना समये कॉन्फरन्सना रेसिडेन्ट जनरल सेक्रेटरीनो होदो संभाळयो हतो. ज्यारे कॉन्फरन्सनी हस्ती भयमां आवी पडी हती अने कॉन्फरन्सना पाया हचमचवा लाग्या हता त्यारे शेठ मोहनलाल हेमचंद झवेरी, श्री मोतीचंद गिरधरलाल कापडीआ सोलिसिटर, साक्षरवर्य श्री मोहनलाल दलीचंद देसाई अने श्री मकनजी जूठाभाई महेता बॅरिस्टर अने शेठ देवकरण मूळजीए हिंमतपूर्वक आ नाजुक परिस्थितिनो सामनो करी शेठ कस्तुरभाई लालभाईना प्रमुखपणे कन्वेन्शन बोलावी कॉन्फरन्सनो डगमगतो पग स्थिर कर्यो हतो. शेठ कस्तुरभाई लालभाईए कॉन्फरन्सनी कटो For Personal & Private Use Only Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कटीना समये हमेशां तेने सध्यारो आप्यो छे. खास कन्वेन्शनप्रमुखपद स्वीकारीने तेमज फालना अने जूनागढ • अधिवेशनोनुं उद्घाटन करीने तेमणे कॉन्फरन्स प्रत्येनी पोतानी निष्ठानी प्रतीति करावी छे. ... रेसिडेन्ट जनरल सेक्रेटरी तरीके अमदावादनिवासी शेठ. अमृतलाल काळीदास अने गुजरानवालाना बाबु कीर्तिप्रसाद जी जैने महामंत्रीओ तरीके कॉन्फरन्सनी सारी सेवा बजावी हती. शेट अमृतलाल कालीदासे चौदमा मुंबई अधिवेशनना स्वागतप्रमुख तरीके जैन समाजमा ऐक्य थाय ते. माटे तनतोड प्रयत्नो कर्या हता.. शेठ रणछोडभाई रायचंद मोतीचंद झवेरी, अने श्री मोहनलाल भगवानदास, बी.ए., एलएल.बी., सोलिसिटरनी रसिडेन्ट जनरल सक्रेटरीओ तरीके अने डॉ. पुनशीभाई हीरजी मैशेरी, एफ.सी. पी.एस., एल.एम. अॅन्ड एस., जे.पी.नी चीफ सेक्रेटरी तरीकेनी. सेवाओ पण एटली ज जाणीती हती. ____ दीक्षाना प्रश्नना खडक साथे कॉन्फरन्सनुं नाव भांगीने भुक्को थई जशे एम सौ मानता हता. ते वखते महाराष्ट्रना कार्यकर्ताओए रंग राख्यो हतो. कॉन्फरन्सना चीफ सेक्रेटरी श्री मोतीलाल वीरचंद, जाणीता देशभक्त श्री पोपटलाल रामचंद्र शाह, जुन्नेर कॉन्फरन्सना स्वागताध्यक्ष श्रीयुत चुनीलाल स्वरूपचंद राजुरीकर, श्री बालचंद हीराचंद वगेरे कॉन्फरन्सना एकनिष्ठ कार्यकरो आगळ आव्या हता अने कॉन्फरन्सना नावने सहीसलामत हंकार्यु हतुं एटलं ज नहि पण समाजने तेमणे बताची आप्यु के दृढ निश्चय अने लोखंडी मनोबळ पासे गमे तेवी मुसीबतो पण ओसरी जाय छे. For Personal & Private Use Only Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९९ कलकत्ता, सादडी अने शंत्रुजयना प्रश्न बाबत मळेला खास अधिवेशनना प्रमुख अनुक्रमे शेठ खेतसी खीयसी. जे. पी., लाला दोलतराम नहार अने बाबु बहादुरसिंहजी सिंघीने केम भूली शकाय ? जुन्नेर अधिवेशनना प्रमुख रावसाहेब रवजी सोजपाल, जे. पी., सोळमा मुंबई अधिवेशनना प्रमुख शेठ मेघजीभाई सोजपाल, निंगाळा अधिवेशनना प्रमुख शेठ छोटालाल त्रीकमलाल पारेख, ओगणीसमा अधिवेशनना प्रमुख शेठ अमृतलाल कालीदास दोशी, बी.ए., अने वीसमा अधिवेशनना प्रमुख शेठ मोहनलाल लल्लभाई शाहनी सेवाओ पण वीसरी शकाय तेवी नथी. ु सं. १९९० पछी कॉन्फरन्सनुं खराबे चढेलुं नाव खरा राह पर लाववानो यश तो शेठ कान्तिलाल ईश्वरलाल, जे. पी. ने फाळे जाय छे. तेमणे कॉन्फरन्सनी कटोकटीनी पळे केळवणी अने बेकारीनिवारणना प्रश्नो प्रत्ये समाजनुं ध्यान केन्द्रित करें एटलं ज नहि पण पोते उदार सखावतनी पहेल करी रचनात्मक रीते प्रश्नोनो उकेल करवानो मार्ग समाजने चींधी बताव्यो. तेना परिणामे अनेक स्थानिक समितिओ स्थळे स्थळे काम करती थई अने अतिजरूरी एवा लोकसंपर्कनो मार्ग मोकळा कर्यो. कॉन्फरन्सना सेक्रेटरी तरीके फालना अने जूनागढ अधिवेशनाना प्रमुख तरकि अने होदा सिवाय पण कॉन्फरन्सने आपली सतत दोवणी अने सहकार माटे तेमनी सेवाओं चिरस्मरणीय रहेशे. छल्ला वर्षोमां कॉन्फरन्सना मुख्यमंत्री अने उपप्रमुख शेठ फूलचंद शामजी, तेमज बीजा मुख्यमंत्रीओ - श्री भाईचंद नगीनभाई झवेरी, श्री चंदुलाल वर्धमान शाह, श्री नाथालाल डी. परीख, " For Personal & Private Use Only Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०० श्री चंदुलाल टी. शाह, श्री मोहनलाल दीपचंद चोकसी, श्री पुंजालाल नाथालाल शाह ए सौए कॉन्फरन्सने पुष्ट करवा घणा सबळ प्रयत्नो कर्या छे. खास करीने श्री मोहनलाल दीपचंद चोकसी अने श्री अमृतलाल कालीदास दोशी, बी.ए.ना राजीनामा पछी निमायेला प्रमुख श्री पोपटलाल रामचंद्र शाहे साराये देशमा प्रवास अने पर्यटनो द्वारा जैन समाजने जागृत करवामां कीमती फाळो आप्यो छे. वर्तमानमां मुख्यमंत्रीओ श्री सोहनलाल एम. कोठारी अने श्री जयंतिलाल आर. शाह कॉन्फरन्सनुं सुकान संभाळी रह्या छे. . कॉन्फरन्सने टकाववामां अने तेनो विकास साधवामां जैन समाजनी अनेक जाणीती अने अजाणी व्यक्तिओए फाळो आप्यो छे. सौनो नामनिर्देश करवो के सौना कार्योनी नोंध लेवी ए लगभग अशक्य छे. आर्थिक सहाय द्वारा पण अनेक महानुभावोए कॉन्फरन्सनी प्रवृत्तिओ चालु राखवामां महत्त्वनो फाळो आपेलो छे. जैन समाजना त्यागी वर्गमांथी एक महान व्यक्तिए कॉन्फरन्सने प्रेरणा आपवामां, तेनो उत्साह टकावी राखवामां, तेनो विकास साधवामां अने तेनी आर्थिक मूंझवण दूर करवामां पोताना आशीर्वाद सतत वरसाव्या छे. तेमनुं नामस्मरण कर्या विना न ज चाले. ते छे स्व. युगवीर आचार्य पंजाबकेसरी श्री विजयवल्लभसूरीश्वरजी. आ नीडर अने दीर्घदृष्टिवाळा आचार्य- ऋण कॉन्फरन्स कदी भूली शके तेम नथी. . समाजनी जे जं व्यक्तिओए कॉन्फरन्सनी मशाल सळगती राखी छे अने तेनो झंडो फरकतो राख्यो छे ते सौ धन्यवादने पात्र छे. For Personal & Private Use Only Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकरण ९ मुं अंतिम भावना जैन समाजमा जाहेर जुस्सो उत्पन्न करी तेने टकावी राखवा कॉन्फरन्स जेवुं बीजुं एक पण प्रबळ साधन नथी. आपणा पवित्र तीर्थ श्री समेतशिखरजी उपर युरोपियनो माटे बंधावाता बंगलाओ जेवा तेमज शत्रुंजय मुंडकाप्रकरण जेवा असाधारण सवालो वखते साराये जैन समाजनुं प्रतिनिधित्व घरावती आ महान संस्था शुं करी शके छे, तेनामां केटलं सामर्थ्य छे अने तेनो अवाज केटलो जोरदार छे ते जैन समाजे जोयुं छे. संयुक्त पीठबळवाळी संस्थानी मागणी उवेखवी अघरी होय छे. नानी नानी सभाओ के मंडळोथी जे न थई शके ते समग्र समाजनुं प्रतिनिधित्व धरावती अखिल भारतीय संस्था आसानीथी करी शंक छे. कॉन्फरन्से दरेक जैनना हृदयमा पोताना कर्तव्यनुं मान कराव्युं छे. दरेक वीरपुत्रना मन, वचन अने कायाने थोडेघणे अंशे आपणी प्राचनि जाहोजलाळी पुनः प्राप्त करवा उत्तेजित करी शके अने सौना चित्तने आकर्षी शके एवी कोई पण संस्था होय तो ते कॉन्फरन्स ज छे. जैन संस्कृतिना रक्षण माटे अने जैन धर्मनी प्रभावना माटे नवयुगना मानसने समजनारी अने नवा जूना बच्चे सांकळरूप आ एक ज़ संस्था छे. कॉन्फरन्स रचनात्मक कार्य हाथ उपर ले तेम छतांये ते मुख्यत्वे विचारो आपनारी, सूचनाओ करनारी अने मार्गदर्शन For Personal & Private Use Only Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०२ करावनारी संस्था रहेवानी छे. तेणे निर्देशेलं कार्य करवानी फरज समाजनी हरकोई नानीमोटी व्यक्तिओनी, समाजसेवार्थे स्थपायेलां जैन मंडळोनी अने गामेगाम अने शहरेशहेरना संघोनी छे. समाजनी जागृतिनो के सुषुप्तिनो पडघो कॉन्फरन्स उपर पडे छे. जे समाजने आगळ वधवं छे, उत्क्रान्तिने मार्गे प्रयाण करवू छे तेणे सदा चेतनवंता रहेQ जोईशे, नवी नवी विचारधाराओ झीलवी पडशे अने आगळ बधता विश्वनी कूच साथे कदम मिलावबा पडशे. Survival of the fittest ए न्याये जैन समाजे जीववा माटे बलवत्तर बनवू पडशे. जैन धर्मना मूळभूत सिद्धान्तोने बाध न आवे ए रीते देश, काळ प्रमाणे परिवर्तनशील रहेQ पडशे. वहेतां पाणी ज स्वच्छ रहे छे. विचार अने कार्यनी गतिशीलता ज जैन समाजने स्वच्छ राखी शकशे. .. आपणो समाज प्रगतिने पंथे विचरवा मागे छे. प्रगति शिथिलताथी के निष्क्रियताथी नथी सधाती. तेने माटे सतत जागति अने प्रवृत्तिनी जरूर छे. जैन समाज आगळ वधq हशे तो केवळ पोताना प्राचीन पूर्वजोना भूतकालीन वारसाना गौरव के जोर पर आगळ नहिं वधी शकाय. तेणे पोतानो वर्तमानकाळ पण एटलो ज भव्य बनाववो पडशे. श्री हरिभद्रसूरि, श्री सिद्धसेन दिवाकर, श्री हेमचंद्राचार्य, कुमारपाळ, भामाशा, वस्तुपाळ के तेजपाळ, ए सौने माटे आपणे अभिमान लईए परंतु तेटलं बस नथी. आपणे एवी ज महान व्यक्तिओ वर्तमानकाळमां पण प्रकटाववी जोईए जेथी आपणी इतिहासपरंपरा अने आपणी संस्कृतिनी ज्योत झळहळती रहे. सामुदायिक प्रयत्नी अने हृदयनी विशाळताथी. For Personal & Private Use Only Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०३ आपणे सर्व काई साध्य करी शीशुं अने जैन संस्कृतिनी सुवास साराये जगतमा फेलावी शकशिं. जैन समाजना सर्वदेशीय अभ्युदय माटे कॉन्फरन्सने मजबूत बनाववानी जरूर छे. संप अने संगठन द्वारा आपणे तेने एवी मजबूत बनाववी जोईए के जैन समाजने माथे आफत तोळाती होय त्यारे तेनी हाकले नवजुवानो आहुति आपवा दोडी आवे. ते दिवसे ताकात नथी कोईनी के कॉन्फरन्सना बोलने अवगणी शके. कॉन्फरन्सने माटे अने जैन समाजने माटे ते दिन सुवर्णनो हशे. ___ कॉन्फरन्से छेल्ला सत्तावन वर्षमा कर्यु छे तेथी वधु घणुं बधुं करवानुं छे. संभव छे के आपणा मार्गमां कांटा, कांकरा आवे, आशा ने निराशानी पळो आवे, छतां आपणे आपणुं कर्तव्य कर्ये जवानुं छे. फळनी अपेक्षा राख्या सिवाय फरज बजाववानो, पुरुषार्थ करवानो अधिकार आपणो छे. परिणामनी चिंता राखवानी जरूर नथी. Let us be then up and doing, With a heart for any fate, Still achieving, still pursuing, Learn to labour and to wait. For Personal & Private Use Only Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For Personal & Private Use Only Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०६ १४. मुंबई बाबु निर्मलकुमारसिंहजी नवलखा १९९० १५. निंगाळा शेठ छोटालाल त्रिकमलाल पारेख ' १९९७ १६. मुंबई ,, मेघजीभाई सोजपाळ २००१ १७. फालना : , कांतिलालं ईश्वरलाल, जे. पी. २००६ १८. जुनागढ ,, कांतिलाल ईश्वरलाल, जे. पी. २००७ १९. मुंबई (सुवर्ण जयंति ) ,, अमृतलाल कालीदास दोशी,बी.ए.२००८ . बाद में : श्री पोपटलाल रामचंद्र शाह ] २०. मुंबई शेठ मोहनलाल लल्लुचंद शाह २०१३ For Personal & Private Use Only Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट १ कॉन्फरन्स अधिवेशनोनी संक्षिप्त यादी प्रमुख १९६४ १९६५ अधिवेशन स्थळ अधिवेशन संवत 1. फलोधी ( मारवाड) शेठ बख्तावरमल महेता १९५८ २. मुंबई राय बद्रिदास बहादुर १९५९ ३. वडोदरा (गुजरात) रायबहादुर बुद्धिसिंहजी दुधेडिया १९६१ ४. पाटण (गुजरात) शेठ वीरचंद दीपचंद, सी. आई. ई. १९६२ ५. अमदावाद (गुजरात) रायबहादुर सितापचंदजी नहार १९६३ ६. भावनगर (सौराष्ट्र) शेठ मनसुखभाई भगुभाई ७. पुना (महाराष्ट्र) , नथमल गोलेच्छा ८. मुलतान (पंजाब) , पन्नालाल जोहरी ९. सुजानगढ (राजपुताना ) ,, मोतीलाल मुलजी, जे. पी. १९७१ १०. मुंबई डॉ. बालाभाई मगनलाल नाणावटी १९७२ ११. कलकत्ता (बंगाल) शेठ खेतसी खीअसी, जे. पी. १९७४ १२. सादही (मारवाड) लाला दोलतराम नहार १९७६ कन्वेन्शन सम्मेलन, मुंबई . शेठ कस्तुरभाई लालभाई १९८१ खास अधिवेशन मुंबई ... बाबु बहादुरसिंहजी सिंघी (शत्रुजयका प्रश्न) . १९८२ १३. जुन्नेर (महाराष्ट्र) रावसाहेब रवजी सोजपाळ, जे. पी. १९८६ १९६९ For Personal & Private Use Only Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ F ull विद्यादान तीर्थरक्षा मध्यमवर्ग उत्कर्ष (वुडकट चित्रकार :-सुमन शाह) For Personal & Private Use Only