________________
होय ते छतां बीजाने कारभार सोंपे नहि, ने पोताथी काम थाय नहि तेथी केटलाक प्रकारनी देवद्रव्यनी हानि थाय ने पोतानुं दुर्गतिमा जयं थाय, आग्रहथी कारभार राख वो, कोई जोवा मांगे तो बताववो नहीं ए जिनशासननी मरजादथी उलटुं छे."
भरुचवाळा शेठ अनुपचंद मलुकचंदे उपरना शद्बो पोतानी लाक्षणिक शैलीमां बीजा मुंबई अधिवेशनमा उच्चारतां धमाढा खातांओना हिसाबो चोख्खा राखवानी आवश्यकता उपर खास भार मुक्यो हतो अने नीचेनो ठराव रजू को हतो..... १. “आपणां जैन धर्मनां सार्वजनिक खातांओ जेवां के देव-द्रव्य,
ज्ञान-द्रव्य अने साधारण द्रव्यसंबंधी खाताओ बहु ज चोस्ववटवाळा राखवां, २. चालु जमानाने अनुसरीने ते खातांओना आवकजावकना हिसाबो
अने सरवैयां प्रत्येक वर्ष बराबर तैयार करवां, ३. अने बनी शके तो ते खातांओनो हिसाब प्रगट करवा माटे दरेक
शहेरना तथा गामना जैन आगेवानोने आ कॉन्फरन्स स्वास सूचना करे छे."
आ ठराव पसार थया पछी घणी धार्मिक संस्थाओना वहीवटकर्ताओ आ बाबतमां सावचेत थई गया. उपदेशको मारफत पण हिसाब चोखा राखवानी फर न बाबत उपदेश आपवामां आवतो हतो. बाद कॉन्फरन्सनु चोथु अधिवेशन पाटण खाते मळ्यु. तेना दशमा टराव मुजब अने शेठ गोकळभाई दोलतराम अने शेठ
चुनीलाल नहानचंदनी उदारताथी जैन श्वेताम्बर संस्थाओना हिसाबनी तपासणी बाबत स्वतंत्र नवु खातुं उघाडवामां आव्यु
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org