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________________ वीरविजयजी, पाटणमां मुनिश्री कान्तिविजयजी, भावनगरमां शेट कुंवरजी आणंदजी, वहोरा अमरचंदजी जशराजजी, वकील मूल. चंदजी नाथुभाई तथा श्री मोतीचंद गीरधर कापडिया वगेरेए कॉन्फरन्सना विचारने अनुमोदन आप्यु. आथी श्री ढढाजीमां हिंमत आवी अने तेमने लाग्युं के पोताना जीवननी भावना साकार बनशे खरी. पालीताणामां एक, शेठ जमनादास भगुभाईना प्रमुखपदे अने बीजी मुनिश्री दानविजयजीना अध्यक्षपणा नीचे तेमणे बे सभाओ करी. बीजी सभामां लगभग दोढसो जेटला साधुसाध्वीओ हाजर हता. श्री ढवाजी उपरांत श्रीलालन, मुनिश्री कपूरविजयजी, मुनिश्री केसरविजयजी, मुनिश्री मणिविजयजी, वगेरेए कॉन्फरन्सनी जरुरियात उपर भार मूक्यो. त्यांथी तेओ अमदावाद आव्या. अहीं मुनिश्री नेमिविजयजीना प्रयत्नथी नगरशेठने बंगले मोटी सभा थई, जेमां शेठ लालभाई दलपतभाई, शेठ मनसुखभाई भगुभाई वगरे अमदावादना अग्रगण्य शेठियाओ हाजर हता. श्री ढहा जीए भारपूर्वक जणाव्यु के अमदावादना शेठियाओ धर्ममां अग्रेसर छे तेथी कॉन्फरन्स बोलाववानुं मान अमदावादने मळे ए सर्व रीते योग्य छे. परंतु आ सभामां कई निर्णय लेवायो नहि. छेवट आधिवेशन बीजे मळे तो अमदावादना शेठियाओना सह कारनी खातरी मेळवी जयपुर आव्या बाद आ जवामर्दै जरापण नाहिंमत ना थतां श्रीफलोधीतीर्थमां कॉन्फरन्स बोलाववानो निर्णय कर्यो. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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