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________________ संयुकत प्रान्त, बंगाळ अने पंजाब, वगेरे प्रान्तोनी युनिवर्सिटीओने मुंबईनी युनिवर्सिटीनी जेम अर्धमागधीने स्थान आपवा खास भलामण करे छे अने जे कॉलेजोमां अर्धमागधीना अभ्यासनी व्यवस्था न होय त्यां त्यां तेनी व्यवस्था करवा कॉलेजना प्रिन्सिपालोने आ कॉन्फरन्स विनंती करे छे. आपणा जैन विद्यार्थीओ द्वितीय भाषा तरीके अर्धमागधी लइने भणे एम आ कॉन्फरन्स इच्छे छे अने जैनोना दानद्वारा चालती हाइस्कूलो अने कॉलेजोमां अर्धमागधीने स्थायी स्थान आपवा आ कॉन्फरन्स आग्रहपूर्वक भलामण करे छे. (३) अर्धमागधी भाषानो फेलावो थाय ते माटे आ कॉन्फरन्स जैन दानवीरोने तमज जैन धर्मनी बीजी मातबर संस्थाओने विनंती करे छे के तेओए योग्य स्कॉलरशीपो योजवी अने अर्धमागधीनो अभ्यास करता जैन तेमज जेनेतर विद्यार्थी ने मळे तेवी व्यवस्था करवी तेम ज अर्धमागधीना विद्यार्थीओने सरळता पडे ते माटे अभ्यास क्रममा चालतां पुस्तको शुद्ध अने सस्ता भावे प्रकट करवा आ कॉन्फरन्स जैन साहित्यनी प्रकाशन संस्थाओने आग्रहपूर्वक भलामण करे छे. (पंदरमुं निंगाळा अधिवेशन ठराव ८मो) - जैन समाज अर्धमागधीने अघरी धारी तेना अभ्यास प्रत्ये कदाच उदासीन रहे तोपण धर्मतत्त्वोथी अजाण तो न ज रहेवो जोइए एम विचारी कॉन्फरन्से बीजो पण ठराव कयौं छे: (३) जैन समाज संस्कृत के प्राकृतादि श्रमसाध्य भाषाओनो अभ्यास करी तेमां ग्रंथो वांचे एवो संभव धीमे धीमे दूर थतो जाय के. एटला माटे प्रचलित भाषामां मूळग्रंथो लखवालखाववानी आवश्यकता छे. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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