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________________ ५८ आ अधिवेशने जुदा जुदा ठरावोद्वारा जैनबाळकोने धार्मिक शिक्षण आपवा उपर तम ज व्यावहारिक शिक्षणमा हुन्नर उद्योगर्नु शिक्षण आपवा उपर भार मूक्यो. श्रावकश्राविकाक्षेत्रना उत्कर्ष माटेनुं फंड विस्तृत करवा उपर झोक आप्यो. राष्ट्रोन्नतिना काममां जैनोए वधु ने वधु भाग लेवा अनुरोध को. ते उपरांत संस्कृतिरक्षण अंगेनो, जैनधर्म अपनावनार कोइ पण देश, वर्ण के ज्ञातिनी व्यक्तिने जैन गणवानो अने जैन तरीकना हक्को आपवा बाबतनो बंधारणमां फेरफार करवानो, केसरियाजी तीर्थनी बोली तथा श्वेतांबर समाजना हक्को बाबतमां रिपोर्ट करवा समिति नीमवानो, जैन समाजना तमाम फिरकाओना संगठननो वगेरे ठरावों थया हता. सुवर्ण जयंती अधिवेशननी कार्यवाही पण कॉन्फरन्सना इतिहासमा सुवर्ण युग लावनारी नीवडशे एवी आगाहीओ थती हती. सुवर्ण जयंती अधिवेशनना प्रमुख श्री अमृतलाल कालिदास दोशीए पाछळथी १९५३मां राजीनामु आप्युं हतुं. तेमना स्थाने जाणीता समाजसेवक, प्रखर वकता अने महान देशभक्त पुनानिवासी श्री पोपटलाल रामचंद्र शाह, एम.एल.ए.नी निमणूक करवामां आवी हती अने पछीन अधिवेशन मळता सुधी तेओ चालु रह्या हता. चार वर्षनी पोतानी प्रमुख तरीकेनी कारकिर्दीमा तेमणे गामे गाम फरी पोतानी अद्भुत वक्तृत्वशक्तिथी अने कॉन्फरन्स प्रत्येनी अगाध भक्तिथी कॉन्फरन्सना संदेशने लोकहृदय सुधी पहोंचाडवा समर्थ प्रयत्न कर्यो हतो. वीसमुं अधिवेशन-मुंबई कॉन्फरन्सनुं वीसमुं अधिवेशन ता. २९-३० जून अने १ जुलाई, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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