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अधिवेशनना प्रमुख तरीके शेठ श्री अमृतलाल कालिदास दोशीनी वरणी पण तद्दन सुयोग्य हती. जेमनामां श्री अने सरस्वतीनो संयोग थएलो होय एवी विरल व्यक्तिओमांना तेओश्री एक हता. जैन धर्मना तत्त्वोनी ऊंडी समज, साहित्यनी उपासना अने सेवा, अने समाजनी साची नाड पारखवानी तेभनी सूक्ष्म दृष्टि आ वगेरे गुणोथी तेओ आ अधिवेशनना योग्य कर्णधार तरीके साबित थया हता. तेमना विद्वत्तापूर्ण अने मननीय व्याख्यानमा तेमनां आ लक्षणोनी बराबर छाप उठती हती.
जैनसमाज माटे पोतानुं सर्वस्व न्योछावर करनार, समाजउत्कर्षनी हरहमेश चिंता करनार, समाजमां शिक्षणप्रचार अने मध्यमवर्गनी सहाय माटे झझूमनार आचार्य श्रीमद् विजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराजे, फालना पछी बीजी वार आ अधिवेशनने पोतानी हाजरीथर्थी पावन कर्यु हतुं. तमणे समाजना दीनहीनो माटे सक्रिय कार्य करी बताववा अन नाणांकोथळीनी दोरी छोडी नाखवा सौने अनुरोध को हतो. लेभनी प्रेरणाथी मध्यमवर्गना उत्कर्ष माटेना फंडमां आ अधिवेशनमा रु. १,६४,६३५-१२-० लखाया हता. मध्यमवर्गना उत्कर्षनो प्रश्न एटलो मोटो छे के आचार्यश्रीने आ रकम घणी नानी लागी. तेमणे आ फंडने विकसाववा माटे प्रतिज्ञा करी जेना परिणामे कुल रु. ४,४९,४४२१४-३नी रकमनां वचनो मळ्यां हता. आचार्यश्रीनी धगश अने तेमना पुण्यप्रभावथी कॉन्फरन्सना कार्यने घणो वेग मळ्यो अने सुवर्ण जयंती अधिवेशन सूरश्विरजीना सुप्रभावे थयेली सुवर्णवर्षाथी सफळ थयु.
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