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________________ ११६ जगतने मार्गदर्शिकानी गरज सारे तेम छे. पोतानो अभ्यास चालु राखवा क्यां क्यांथी मदद के स्कॉलरशिपो मळी शके तेम छे, क्यां रहेवांनी सगवड छे वगेरे हकीकतोथी आ पुस्तिका सभर भरेली छे. मां संस्थाओ विषे विगतवार माहिती आपवामां आवेली छे. आडकतरी रीते आ पुस्तिका समाज अने देशनी शिक्षणप्रगतिमां पण फाळारूप छे. तेनुं संपादन आपणा जाणीता लेखक अने अग्रणी समाजसेवक साहित्यवारिधि शतावधानी पंडित श्री धीरजलाल टोकरशी शाहे करेलुं छे. तेमां मुंबई, गुजरात, सौराष्ट्र, कच्छ, राजस्थान, महाराष्ट्र वगेरे विभागना ६३ छात्रालयो अने १६ छात्रवृत्ति आपती संस्थाओनी माहिती आपवामां आवी छे. प्रो. हीरालाल कापडियानुं — — The Jain Religion and Literature ' ए नामनुं पुस्तक पण प्रसिद्ध थये घणुं उपयोगी नीवडवा संभव छे. ते बहार पाडवा कॉन्फरन्स तरफथी तजवीज चालु छे. कॉन्फरन्से पुस्तकोद्धार, साहित्यसंशोधन अने प्रकाशन द्वारा संस्कृति अने धर्मरक्षानी जे यशस्वी प्रवृत्ति करी छे ते चिरस्मरणीय रहेवा अने कॉन्फरन्सना इतिहासनी एक सुवर्ण रेखा समी बनी जवा सर्जायेळी छे. ८. जेसलमेर ज्ञानभंडार संरक्षण जैन साहित्य अने संस्कृतिना अणमोल संग्रहसमान जेसलमेर ज्ञानभंडारना ग्रंथोना संशोधन, संरक्षण अने उद्धार माटे विद्वद्वर्य आगमप्रभाकर पूज्य मुनिश्री पुण्यविजयजी महाराजसाहेबे जे प्रवृत्ति उपाडी हती ते कॉन्फरन्सनी स्थायी समितिए सत्कारी ए Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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