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सत्कार्यमां संपूर्ण सहकार आपवा छ सभ्योनी समिति नीमी हती. पू. मुनिश्री पुण्यविजयजी महाराजसाहेबे विद्वद् मंडळीना सहकार वडे लांबो समय जेसलमेरमा स्थिरता करी आ भंडारना पुस्तकोनुं संशोधन करी तेना संरक्षण माटेनं अत्यंत कपलं कार्य पूरुं कर्यु छे. आ कार्य माटे खर्च करवा कॉन्फरन्सने विविध संस्थाओ तथा व्यक्तिओ तरफथी लगभग रु. १७,०००, उपरांतनी रकम प्राप्त थई हती.
आ भंडारनी प्रतो अने प्राचीन कलाकारीगरीनी वस्तुओने ऊधईना पंजामाथी उगारी तेना संरक्षणार्थे योग्य पगलां भरवामां आव्यां छे. हस्तलिखित प्रतो सुरक्षित राखवा माटे कलकत्तामा एल्युमिनियमना ४१७ डाबडाओ बनाववामां आव्या छे. तदुपरांत लोखंडना दरवाजा-कबाटो बनाववानी व्यवस्था थई छ. प्रतोनी प्रेसकॉपी, फोटोकॉपी वगेरे तैयार थई गयेल छे. आ प्रवृत्तिद्वारा कॉन्फरन्से जैनोनी भूतकालीन संस्कृतिना संभारणाने जाळवी राखवामां घणा सुंदर फाळो आप्यो छे. पू. मुनिश्री पुण्यविजयजी महाराजसाहेबे अति परिश्रमथी जे महत्त्वन कार्य कर्यु छे तेनाथी तेओश्री पोते चिरतन यशना भागीदार बन्या छ, एटलुं ज नहि पण तेमणे जैनसंस्कृति अन साहित्यने आधुनिक जगतमां वधु आदरपात्र बनाव्यां छे अने तेना गौरवनो ख्याल अन्य विद्वद् समाजने कराव्यो छे. तेओश्रीनी महेनत अने विद्वत्तानी फलश्रुतिरुपे ग्रंथोनुं विगतवार विस्तृत सूचिपत्र प्रसिद्ध करवानी कॉन्फरन्से योजना करी छे. ते पण कॉन्फरन्सनी यशकलगीमां एक पीछं उमेरी जशे.. ' कॉन्फरन्स अने समग्र जैनसमाज पूज्य मुनिश्री पुण्यविजयजी महाराजनो ऋणी बन्यो छे.
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