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________________ ११८ ९. बनारस हिंदु युनिवर्सिटीमां जैन चॅर संवत १९७४मा बंगालमां कलकत्ता खाते मळेली कॉन्फरन्सनी बेठक वखते बनारस हिंदु युनिवर्सिटीमां "जैन चर' स्थापवान विचारायुं हतुं अने तेने मूर्त स्वरुप आपवा माटे एक फंड ऊभु करवामां आव्युं हतुं. आ चॅर स्थापवानो मुख्य उद्देश विद्यार्थीओ जैन तत्त्वज्ञान अने न्यायनो अभ्यास करी शके अने ए रीते ते विषयमा निष्णात विद्वानो तैयार थाय, तेमनी परंपरा चालु रहे अने जैनशासनने उपकारक नीवडे ए ज हतो. तेथी जैन चॅरनी स्थापनानी एक मुख्य शरत ए हती के, " आखो वखत काम करे तेवा एक प्रोफेसर नी निमणूक करवी अने आर्ट अने शास्त्रीना प्रथम वर्षना वर्गाथी मांडी ऊंचामां ऊंची परीक्षा पर्यंत जैन अभ्यासक्रम दाखल करवो.” आ बाबत घणो पत्रव्यवहार थया बाद छेवटे युनिवर्सिटीना वाइस-चेन्सेलर पंडित मदनमोहन मालवियाजी साथे कमिटीना सभ्यो श्री मकनजी जे. महेता, श्री मोतीचंद कापडीआ, श्री मोहनलाल बी. झवेरी, श्री रणछोडमाई रायचंद झवेरी अने श्री लल्लुभाई करमचंद दलाले मळी छेवटना पत्रनो ड्राफ्ट घडी रु. ५२,०००नी फेस वॅल्युनी गवर्नमेन्ट प्रोमिसरी नोटो युनिवर्सिटीना सत्ताबाळाओने मोकली आपी हती. चर स्थपाया पछी एक भाईने त्यां अध्यापक तरीके मोकल्या पण चरनुं तंत्र डामाडोळ थई गयु. तेथी कटोकटी आवतां पोते गुजरात विद्यापीठ अने गुजरात छोडी बहार जवा तैयार नहिं, छतां Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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