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या ए प्रकारना साहित्यिक इतिहासनो अति अल्प पण महत्त्वनो पायो श्री मोहनभाईए नाख्यो " ( पंडित सुखलालजी ) श्री मोहनलाल देशाईए पोतानी तबियतनी पण परवा कर्या विना एकले हाथ आ ग्रंथो माटे जे अमूल्य सामग्री एकत्र करी हती अने तेनी पाछळ तेमणे जे लोहीनुं पाणी कर्यु हतुं तेनो सामान्य माणसाने एकदम ख्याल आवत्रो मुश्केल छे. परंतु वर्षोनी जहमत, उजागरा, अने सतत अध्ययनना परिपाकरुपे आ ग्रंथो तैयार थरला छे. तैयार भोजननी पतराळी उपर बेसनारने रांधनारनी तकलीफनो ख्याल भाग्ये ज आवे छे. कॉन्फरन्से आ अमूल्य ग्रंथो प्रकट करीने साहित्यजगतनी अने जैन संस्कृतिनी अनुपम सेवा बजावी छे. आ ग्रंथो उपरथी सहज ख्याल आवे छे के गुजराती साहित्यमां जैनोए शुं अने केटलो विपुल फाळो आपेलो के.
१०. सन्मतितर्क
श्री सिद्धसेन दिवाकरनी आ अमूल्य कृतिना उपोद्घातनुं अंग्रेजी अवतरण छे अने एज्युकेशन बोर्डे प्रकाशित करेल छे. २१. प्राकृत मार्गोपदेशिका - प्राकृत प्रवेश.
प्राकृत भाषानुं शिक्षण सहेलुं करवाना अने युनिवर्सिटीमां पाठ्यपुस्तक पूरुं पाडवाना उद्देशथी आ पुस्तक आपणा बहुश्रुत पंडित श्री बहे चरदास दोशी पासे तैयार कराववामां आव्युं हतुं. १२. छात्रालय अने छात्रवृत्तिओ
जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाजनां छात्रालयो अने छात्रवृत्ति आपती संस्थाओनो समुयच्च परिचय आपती आ पुस्तिका विद्यार्थी
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