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________________ १८४ स्पष्ट ख्याल आप्यो. आखाये जैन समाजमा विचारात्मक, भावात्मक अने क्रियात्मक एकता लाववा प्रयत्न कर्यो. तेणें गुजरात, काठियावाड, मारवाड, मेवाड, राजस्थान, पंजाब, संयुक्त प्रांत, बंगाळ, महाराष्ट्र वगेरेने एक सामान्य मंच उपर एकठा कर्या. तेणे सामान्य सुखदुःखना प्रश्नो उपर सौने विचारता कर्या. आपत्ति प्रसंगे देशना हरकोई भागना पोताना बंधुने मदद करवानी पोतानी फरज छ ए भाव उत्पन्न कर्यो. जैन संस्कृति, जैन साहित्य, जैन शिल्प, स्थापत्य, ज्ञानभंडारो वगैरे तरफ तेणे समाजनुं ध्यान दोर्यु. केळवणी अने सिझाता बंधुओना प्रश्नो समाजना प्राणप्रश्नो छे एम तेणे समाजने समजाव्यु. तेणे समाजने पद्धतिसर अने व्यवस्थित काम करवानी दिशा बतावी. मध्यम वर्गना बंधुओने समाजप्रगतिमां अने सामाजिक खाताओमां हित छे एम बतावी आप्यु. कॉन्फरन्स आ बधुं करवा केम शक्तिशाळी बनी तेना कारणो जोतां जणाय छे के:(१) शरूआतमां तेने भारतवर्षना तमाम प्रदेशना आगेवानोनो उमळकाभर्यो सहकार सांपड्यो हतो. (२) जैनपुरी अमदावाद शहेर के जेने जैन समाजनुं हृदय कही शकाय त्यांना नगरशेठसहितना तमाम आगेवानो तेने विकसाववामां तनमनधनथी फाळो आपता हता. (३) सौ नाना नाना मतभेदो भूली जई सर्वसामान्य भूमिका उपर खमेखभो मिलावी काम करता हता. ... (४) कॉन्फरन्सने नाणांनी सहाय सारी मळती हती. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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