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________________ " यतीम जैन बंधु और निराश्रित श्रावकोंको आश्रय देनेके वास्ते योग्य गोठवण होनी चाहिये" आटला ढूंका ठरावमां पण पिडाती जैन समाजनी आरजूनो पडघो पडतो हतो अने दुःखीओना दुःखनिवारणनी तमन्नानां तेमां दर्शन थतां हतां. बीजी मुंबई कॉन्फरन्से एक डगलुं आगळ भरी तेमने सारा उद्योगे लगाडवा उपर भार मूकी सारा जेवू फंड एकत्र कर्यु हतुं. पांचमा अमदावाद अधिवेशने नीचेनो ठराव पसार कर्यो हतो: "मरणांते पण याचना नहि करनार श्रावकश्राविकाओ तेमना बाळबच्चा साथे के ई स्थळे सिझाय नहि अने दीनहीन हालतमा धर्मान्तर करतां अटके ते माटे १. निराश्रित जैनोने धंधे लगाडवानी, २. माबाप विनानां अनाथ बाळकोने तथा अनाथ जैन विधवा ओने आश्रय आपवानी तथा बाळाश्रम स्थापवानी, ३. जन्मपर्यंतना असाध्य रोगोथी पिडाता निराश्रित रवधर्मी बंधुओने माटे आश्रयस्थान स्थापवानी आ कॉन्फरन्स खास आवश्यकता स्वीकारे छे अने सर्व जैन बंधुओने तथा श्रीमान् शेठियाओने आ बाबत उपर खास लक्ष आपवा विनंती करे छे". आ ठरावोना सक्रिय अमल माटे मुंबईमां सने १९०३मां एक उद्योगशाळा उघाडवामां आवी हती जे पाछळथी बंध करवामां आवी हती. आ सालमां रजपूतानामां दुकाळना संकटमां आवी पडेला जैनो माटे रु. १,००० मोकलवामां आव्या हता अने Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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