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________________ फंड करवामां आव्युं जे रूपिया एक लाख सुधी पहोंची गयु. सने १९५१मां जूनागढ अधिवेशनमां आ योजनाने वधु वेग मळ्यो अने तेने विकसाववा त्यां रु. ४३,००० लगभगनुं फंड थवा पाम्यु.. त्यारबाद सने १९५२ना जून मासमां मुंबईमां कॉन्फरन्सन १९९ सुवर्ण जयंती अधिवेशन मळ्यु. तेमां रु. १,६४,६३५-०-० लगभग आ फंडमां लखाया. त्यारबाद पूज्यपाद स्व. जैनाचार्य श्रीमद् विजयवल्लभसूरिश्वरजी महाराजसाहेबे आ फंडने विकसावी पांच लाख सुधी लई जवा प्रतिज्ञा करी जेना परिणामे श्री खीमजी हेमराज छेडा अने अन्य भाईबहेनोए ते प्रतिज्ञा पूर्ण करवा प्रयत्नो करतां कुल रु. ४,४९,४४५-१४-३नां वचनो मेळव्यां. आ फंडना उपयोग अंगे नीचे प्रमाणेनी योजना घडी काढवामां आवी हती: १. समग्र भारतमा जैन भाईबहेनोने नाना नाना गृह उद्योगो शीखववा माटे उद्योगकेन्द्रो उघाडवा प्रबंध करवो. २. रेशनराहत आपवानी व्यवस्था करवी. ३. जीवननिर्वाहनी वस्तुओ सस्ती अने सहेलाईथी मळी शके ते माटे स्टोर्मोनी योजनाने शक्य होय त्यां मदद करवी. ४. मॅट्रिक सुधीना विद्यार्थीओने पुस्तको अने स्कूल-फी आपवानी व्यवस्था करवी. ५. आ उपरांत तद्दन निराधार अने अशक्त भाईबहेनोने व्यक्तिगत आर्थिक सहायता पहोंचाडवानी बाबतनो पण स्थायी समितिना निर्णयानुसार उपरोक्त योजनामा समावेश करवामां आव्यो. ___ उपर्युक्त फंडने श्री श्रावकश्राविका उत्कर्ष फंड एq नाम Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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