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________________ २५ नगरशेठ चिमनलाल लालभाइए पोताना स्वागत प्रवचनमां रजू करेली नीचेनी हकीकत आजे पण केटली अद्यतन अने आदरणीय लागे छे ! “बंधुओ, राजनगरमा जुदाजुदा गच्छो होवानो संभव छे; तो पण १५५८मां इंग्लांड उपर अजितसेना ( Invincible Armada) सहित चढाइ करनार स्पेइनना लोकोने हराववाने रोमन केथोलिक अने प्रोटेस्टन्ट नामना बे विरोधी धार्मिक पंथो एकत्र थया हता, ते माफक भिन्न भिन्न विचारवाळा कोमना आगेवानो कुरिवाजोरुपी शत्रूनी सेनानो संहार करवाने, धर्मनो उद्योत करवाने, अने आ कॉन्फरन्सनो विजयवावटो फरकाववाने एकमेक थया छे, ते बनावनी नोंध लेतां मने अति आनंद थाय छे. आ प्रसंग अमदावादना जैनोना इतिहासमां सुवर्णाक्षरे कोतराशे. . . आपणे इच्छीए के अमदावादना जैनो भूतकाळनो भव्य सुवर्णाक्षरी इतिहास पुनः सर्जे, अने कॉन्फरन्सनो विजयवावटो फरकतो राखवाने भिन्न भिन्न विचारसरणीवाळाओने पुनः एकत्र बेसाडी समाजने आदर्श पूरो पाडे. .. प्रमुख साहेबे पण “संपमां जय छे” ए महान सूत्रनी भेट पोताना विद्वताभर्या वक्तव्यमां आपी हती. __ आ अधिवेशन प्रसंगे कॉन्फरन्सना मंडपमा महिला परिषद योजवामां आवी हती जेना सेक्रेटरी श्री अनसूया साराभाई हतां अने प्रमुखस्थाने शेठाणी शृंगार शेठ जेसंगभाई हठीसींगनां पत्नी बिराज्यां हता. आ परिषदमां स्त्रीओने लगता खास प्रश्नोनी चर्चाविचारणा थई महत्वना ठरावो करवामां आव्या हता. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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