SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 181
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७२ ... दीक्षा लेनारनी योग्यतानी परीक्षा सामान्य रुपे पोते कर्या पछी, वधारे संमतिने माटे दरेक गच्छवाळाए पोताना संघाडा शिवायना बीजा संघाडाना बे आचार्यों अथवा तो वडिलोनी पासे योग्यतानी परीक्षा करावी, ते पछी दीक्षा आपवी. जे गच्छ के समुदायमां बीजा संघाडा न होय तेमणे पोताना समुदायना बे योग्य साधुओनी पासे योग्यतानी परीक्षा करावी संमति मेळवी दीक्षा आपवी. दीक्षा प्रशस्त स्थानमा जाहेर रीते शुभ मूहूर्ते आपवी. ___ सोळ वर्ष पछीनी दीक्षामां शास्त्रोक्त “शिष्य निष्फेटिका" लागती नथी, तोपण हालतुं आ आय बंधारण केटलाक अंशे थएल अनि. च्छनीय वातावरणने लईने ठरावरुपे बांधवामां आव्युं छे. तेने ज अनुसरतुं ठराववामां आवे छे के-सोळ थी अढार वर्ष सुधीना दीक्षा लेनारने पण तेना वालीनी रजा सिवाय हालमां दीक्षा आपवी नहि. अढार वर्ष पछीनी उम्मरवाळो दीक्षा लेनार माता, पिता भत्रीजा, भाई वगेरे जे निकट संबंधी होय तेनी अनुमती मेळववा माटे ते ते प्रयत्नो कर्या छतां पण अनुमति न मळे तो दीक्षा लई शके छे." जुन्नेर कॉन्फरन्सना ठरावनो ए ज सार हतो, के दीक्षा लेनारने पोताना माता, पिता आदि संबंधीओनी तथा ज्यां दीक्षा लेवानी होय त्यांना श्री संघनी संमतिथी योग्य जाहेरात कर्या पछी दीक्षा अपावी र्जाईए. ___ साधुसंमेलननो ठराव तो तेथी घणो आगळ वध्यो छे. मा, बाप, वालीनी अने संघनी संमति ऊपरांत दीक्षा लेनारनी योग्यतानी खातरी संघाडाना बे आचार्यो के वडीलो पासे कराव्या बाद जाहेर रीते दीक्षा आपवानुं ते फरमान करे छे. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy