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________________ १७१ सदरहु युनिवर्सिटीमां जैन चर स्थापवा माटे गोठवण करवी अने एकत्रित एल फंडमांथी रु ४०,००० सदरहु युनिवर्सिटीना सत्ताचाळाओने सोंपवा ". ( तेरमुं जुन्नेर अधिवेशन ठराव १४मो ) १०. दीक्षा जे ठरावे जैन जगतमां अत्यंत ऊहापोह जगाव्यो ते ठराव आ रह्यो : "" दीक्षा संबंधी आ कॉन्फरन्सनो एवो अभिप्राय छे के दीक्षा लेनारने तेनां मातापिता आदि अंगत सगांओ तथा जे स्थळे दीक्षा आपवानी होय त्यांना श्री संघनी संमतिथी योग्य जाहेरात पछी दीक्षा आपवी". ( तेरमुं जुन्नेर अधिवेशन ठराव २१मो ) आठराव साथ संवत १९९०मां अमदावाद मुकामे मळेला " जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक साधुसंमेलननो दीक्षासंबंधी ठराव सरखावबो रसप्रद थइ पडशे. " आठथी सोळ वर्षे सुधी मातापितानी अथवा जे समये जे वाली होय तेनी रजा सिवाय दीक्षा आपी शकाय नहिं, कारणके त्यां सुधी " शिष्य निष्फेटिका " लागे छे. आठ वर्षथी सोळ वर्षवाळानी दीक्षामां, दीक्षा लेनारना माबाप अथवा तो वालीनी लेखित संमति लेवी. जे गाममां दीक्षा आपवानी होय, त्यांना स्थानिक प्रतिष्ठित बे श्रावको द्वारा लेखित संमति प्रमाणे, लेखित संमति आपनार दीक्षा लेनारनां खरां मातापिता अथवा तो वाली छे तेनो निर्णय, जे गामनो ते होय त्यां आदमी मोकली निर्णय करावे अने निर्णय थया पछी दीक्षा आपवी. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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