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________________ समाजनी छिन्नभिन्न अवस्था जोईने, समाजनी अंदर कुसंपनी होळी जोईने अने ककळती आंतरडीओना ककळाटने जोईने तेमनो दुःखी आत्मा पोकारी उठ्यो के सात सात वर्षोथी, “समाजनी अंदर घेरघेर क्लेश, कुसंप अने सत्यानाशीना पाया रोपवामां अने ते पायाने पाणी पाइने मजबूत बनावी मोटी इमारतो चणवामां जेणे जेणे अग्रभाग लीधो हशे, जेणे जेणे सीधी या आडकतरी रीते उत्तेजन आप्यु हशे, अने जेणे जेणे आ विद्रोहने अने ज्वाळाओने सतेज राखवाना प्रयत्नो कर्या हशे अने हजु भविष्यमां करशे ( मारा सुद्धांने ) तेने तेने जरुर कदाच आ जन्ममां तो नहि, पण परलोकमां तो पोतानां कृत्योनो जवाब जरुर आपवो ज पडशे." युवकसंघोने टकोर करतां तेमणे कह्यु के, ___ " जेनी अंदर समाजनो मोटो भाग तमाराथी विमुख रहे तेम लागतुं होय तो, तेवा प्रश्नो भविष्यने वास्ते रहेवा द्यो; हाल तो जेटलु कार्य सहेलाइथी, समाजना मोटा भागने साथे राखीने थइ शकतुं होय, तेटलं ज कार्य हाथ धरो.” तेवी ज रीते बीजा पक्षने चीमकी आपतां तेमणे कह्यं के, “शासनपक्षने पण हुं एटलं तो जरूर कहीश अने विनंतिथी कहीश के, जो आपना मनमा एम होय के, अमारा सिवाय बीजो कोई जैन अत्यारे धर्मना सिद्धान्तोनुं पालन करतो नथी, अमारे लीधे ज अत्यारे जैनधर्म टकी रह्यो छे, अमे ज जैनधर्मने टकावी राखनारा स्तंभो छीए, अमे ज श्री महावीर प्रभुना साचा पुत्रो छीए, तो अस्तुः तेम मानवानो तमने पूरेपूरो हक अने अधिकार छे; पण ते मान्यता बीजाओनी अंदर ठसाववाना तमारा प्रयत्नोमां एवं कांई पण तत्त्व हशे के जेथी समाजनी थोडीघणी रहेली शांतिनो पण भंग थशे तो, तेना जवाबदार तमे गणाशो." Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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