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प्रमुखसाहेबे पण समाजने स्पर्शता अनेक प्रश्नो उपरांत "ऐक्य" उपर पोताना भाषणमा खास भार मूकी एक कविना शब्दो टांक्या के,
न जातिप्रेम हो जिसमें, मोहब्बत हो न भाईकी । वह मुंर्दा कोम है, जिसमें न बू हो एकताईकी ।
आ अधिवेशने अनेक ठरावोद्वारा हुन्नर, उद्योग अने वेपारधंधाना शिक्षण उपर भार मूक्यो, तीर्थोना रक्षण माटे एक सर्वग्राही ठराव कर्यो, बेकारीनिवारण माटे मार्गदर्शन आप्यु, नवकारशीमां कच्छी भाईओने आमंत्रण आपवान ठराव्यु, शुद्धि अने संगठन अने एक ज संप्रदायमां तेम ज फीरकाफीरका वच्चेना ऐक्य उपर भार मूक्यो, ज्ञातिओ पूरतुं ज लग्नक्षेत्र मर्यादित राखवाने बदले तमाम जैनो पूरतुं विस्तृत करवा अनुरोध को अने सार्वजनिक खाताओनी सुव्यवस्था बावत मार्गदर्शन आप्यु. वळी श्री केसरियाजी तीर्थना संरक्षण बाबत योगीराज श्री शांतिसूरिजी महाराजे करेला उपवास बदल तेमना प्रत्ये भक्ति प्रकट करतो अने ध्वजादंडनो हक्क, पंड्याओना त्रास तेम ज केसरियाजी तीर्थनी जैन श्वेतांवर संघनी मालकी बाबत योग्य इन्साफ आपवा उदयपुरना महाराणाने अनुरोध करतो, केसरियाजी तीर्थपर बोली न बोलवा बाबत, बिहार धरतीकंपथी संकटमां आवी पंडेली प्रजाने सहायता बाबत, केळवणी संस्थाओना संगठन अने स्कॉलरशिपो आपतां खातांओर्नु “ फेडरेशन" रचवा बाबत, श्री आणंद जी कल्याणजीनी पेढीना बंधारणमां समयानुकूल फेरफार करवा बाबत, साधुसंमेलने सर्वानुमतीथी करेला ठरावो बदल अभिनंदन आपवा वगेरे बाबत
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