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________________ ४४ ठरावो कर्या हता. आ उपरांत आ अधिवेशने “ सकळसंघ "नी व्याख्याने विस्तृत करतो ठराव कर्यो अने “संघमां” जुदा जुदा हेतुंथी काम करती सामाजिक, धार्मिक अने साहित्यिक संस्थाओनो समावेश थाय छे एम ठराव्यु. आ ठरावना गर्भितार्थनी अत्यार सुधी कोईए खास नोंध लीधी नथी परंतु आ ठरावथी 'संघ'ना प्रणालिकागत ख्यालमां तद्दन पलटो आवे छे. बंधारणनी केटलीक कलमोमां फेरफार करी आ ऐतिहासिक अधिवेशन पूरुं थयुं हतुं. __ आ अधिवेशननी कार्यवाही उपरथी एम स्पष्ट जणाय छे के " अनैक्य अने कुसंपनां माठां परिणामोनुं सौने भान थवा लाग्यु हतुं अने तेथी चर्चाओमां एक जातनो संयम, सौहार्द अने विचारशांति देखाती हती अने " ऐक्य" थवामां बाध आवे एवी कार्यवाही हाथ धरवी नहि के भाषाथी पण वातावरण बगाडनूं नहि एवी सौना हृदयमां स्वयंस्फुरणा थई हती. पंदरमुं अधिवेशन-नींगाळा ___ मुंबई अधिवेशन पछी लगभग सात वर्षे सं. १९९७मां नींगाळा :( सौराष्ट्र )मां पंदरमुं अधिवेशन ता. २५-२६-२७ डिसेम्बर, १९४०ना दिवसोमां मळ्यु. ___ आ सात वर्षो दरम्यान दरियानां घणां पाणी वही गयां हता. जैनसमाजनी मनोदशा उपर पण काळनी अंधाण जणाती हती. क्लेश अने पक्षापक्षीनी उग्रता ओसरवा लागी हती. शांतिनी खंजरी बजी रही हती. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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