________________
६८
मारफते ज करवानु राखेखें छे. आ धोरण आप स्वीकारशो तो मने आशा छे के आ कॉन्फरन्स जैन श्वेतांबर कोमना संघोना संघ (Parliament of Sanghas)नी स्थिति उपर लावी शकीशुं."
कॉन्फरन्से पोताना बंधारणमां आ धोरण अपनाव्युं छे, अने दरेक स्थळना संघो अधिवेशनमां पोताना प्रतिनिधिओ मोकली शके छे. संघोने कॉन्फरन्से प्रथमथी ज मानभर्यु स्थान आपेलं होई संघोनी पार्लमेन्टनुं तेने आपवामां आवेलु बिरुद सार्थक लागे छे. आ कॉन्फरन्सनुं दृष्टिबिन्दु अने ध्येय समस्त जैनकोमनी सेवार्नु अने तेनु कार्यक्षेत्र समाजना धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, शिक्षणविषयक अने अन्य जाहेर हितना सवालोमा व्याप्त थयेलुं छे. पहेला अधिवेशनथी मांडीने वीसमा अधिवेशन सुधीना तेना ठरावोनी परंपरा पाछळ आ मुख्य दृष्टि रहेली छे.
पोताना सिझाता बंधुओना उद्धारनी साथे साथे कॉन्फरन्स जैनधर्म, तेनुं साहित्य अने तेना तत्त्वज्ञाननी विशिष्टताओ दुनिया समक्ष मूकवा मागे छे. अहिंसानी साची ताकातथी विश्व परिचित थाय एम इच्छे छे. प्रभावनाना साचा अर्थमां ते जैनधर्मनी "प्रभावना" करवा मागे छे. आ युग, सर्व धर्मोमां जे श्रेष्ठ तत्त्वो होय ते सहानुभूतिपूर्वक समजवा अने स्वीकारवानी मनोदशा धरावे छे. आ महान तकनो उपयोग कॉन्फरन्स त्यारे ज करी शके ज्यारे तेनी पाछळ पूरतुं पीठबळ होय. कॉन्फरन्स समाजना कोई वर्गनी के चतुर्विध संघना कोई अंगनी द्वेषी नथी. सौनी सर्वदेशीय उन्नति ए एनुं ध्येय छे. गामेगामना नाना नाना संघो बीजी रीते एकत्र थई शके तेम नथी. तेमनो कार्यप्रदेश जे ते गाम के शहर पूरतो अने
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org