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________________ माथादीठ बे रुपिया मुंडकावेरो लेवानो हक छे एवो जैन कोमने हडहडतो अने घोर अन्याय करतो चुकादो आप्यो. वीजळीनो आंचको लाग्यो होय तेम आखो जैन समाज खळभळी ऊठ्यो. जैन कोमनी प्रतिष्ठा, गौरव अने तेना मालकी हक्कने पडकारवामां आव्या हता. जैन समाजमां लोकमत केळवी आ पडकारने झीलवायोग्य प्रचार अने झुंबेश चलाववानी जरूर हती. कॉन्फरन्सनी फरज कॉन्फरन्स केम चूके ? तीर्थरक्षानो आ प्रश्न हल करवा, पालीताणा दरबारे अखत्यार करेला वलण संबंधमां जैन समाजनो संगठित अवाज रजू करवा अने उभी थयेली परिस्थितिने पहोंची वळवा योग्य उपायो योजवा, जैन कोमना जन्मसिद्ध चिरस्थापित हको पर थयेला आक्रमणना सख्त आघातथी समस्त कोमनी दुःखित लागणीने एकत्रित रीते जाहेर करवा अने ते संबंधी शीघ्र संतोषकारक परिणाम लाववानी आवश्यकता उपर ब्रिटिश सरकारनुं ध्यान खेंचवा कॉन्सफरन्सजें खास अधिवेशन ता. ३१ जुलाई अने १-२ ऑगस्ट, १९२६ना रोज मुंबई खाते बाबु बहादुरसिंह जी सिंघीना प्रमुखपदे मेळववामां आव्यु. तेमां पालीताणा दरबारना जैनो प्रत्येना वलणनी सखत झाटकणी काढता अने तेमना वेरो नाखवाना हक्कोने पडकारता ठरावो थया हता अने ते विरुद्ध समाजने जाग्रत करवा आंदोलन चलाववानुं नक्की थया मुजब सखत आंदोलन चलाववामां आव्युं हतुं. घणां अगत्यनां जैन तीर्थोनो सदीओथी सफलतापूर्वक वहीवट करती आपणी सुप्रसिद्ध अमदावादनी शेठ आणंदजी कल्याणजीनी पेढीने पण पालीताणा दरबार सामेनी लडतमां आथी घणुं बळ मळ्यु. परिणामे जैनोए पालीताणा दरबारने एकता, धैर्य अने शांतिपूर्वक सफळ लडत आपी. यात्रानो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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