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________________ १५१ सेक्रटरीओ, प्रान्तिक कमिटीओ, कॉन्फरन्सना प्रमुखनी निमणूकनी रीत, कॉन्फरन्सनी हेडऑफिस, रिपोर्ट, हिसाब, अधिवेशन वखते कामकाज चलाववाना कानूनो वगेरे बाबत विगतवार नियमो ठरावामां आव्या अने लगभग अणलख्या बंधारणनी जम्याए रीतसरनुं लेखी बंधारण आमलमां आव्युं. आ बंधारण प्रमाणे कॉन्फरन्सनो उद्देश " जैनने लगता केळवणीना प्रश्नो संबंधमां तेम ज धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, अने जैन कोम अने धर्मसंबंधी सवालो उपर विचार चलावी योग्य ठरावी करवानो अने ते ठरावोने अमलमां मूकवा माटे योग्य उपायो योजवानो " नक्की करवामां आव्यो हतो. प्रतिनिधि तरीके " कोई पण शहेरनो के गामनो संघ या सभा के मंडळ जे योग्य गृहस्थ ने प्रतिनिधि तर के नीमी मोकले ते, (२) ग्रेज्युएटो जेनी अंदर कोई पण युनिवर्सिटीना ग्रेज्युएटो तेम ज बेरिस्टर, हाईकोर्ट प्लीडर, डिस्ट्रक्ट प्लीडर, एन्जिनीअर अने सब - आसिस्टन्ट सर्जननो समावेश थाय छे, (३) जैन पेपर अने मासिकोना अधिपतिओ "ने लायक गणवामां आव्या हता. आम ग्रेज्युएटो अने तंत्रीओ कोई संस्था के संघ तरफथी चुंटाया न होय तोपण पोताना नाताथी व्यक्ति प्रतिनिधि तरीके अधिवेशनमां भाग लई शकता हता अने मत आपी शकता हता. एक ग्रेज्युएटने संस्था के संघ न चूंटी मोकले तेम छतां ते पोतानी पदवीनी लायकात उपर प्रतिनिधि बनी शके ए सिद्धांत लोकशाही बंधारणने अनुरूप हतो एम तो न जं कही शकाय; छतां केळवणी प्रत्येना आदरथी अने भणेलो वर्ग कॉन्फरन्समा रस ले ए उद्देशथी कॉन्फरन्से तेमना प्रत्ये ते बखते उदार वलण दाखव्युं होवुं जोईए एम लागे छे. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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