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________________ जैन विद्वानो अने जैन श्रीमंतोने उद्देशीने आजथी पंचावन वर्ष उपर उच्चारायला आ शब्दो आजे पण केटला' साचा अने अर्थपूर्ण लागे छे ? आ अधिवेशनना मंडपमां पधारी परम पूज्य आचार्यश्री कमल विजयसूरिश्वरजीए प्रसंगने अनुसरतो उपदेश घणी ज असरकारक रीते आप्यो हतो अने मुनिश्री विनयविजयजीए संसारनी मोहमाया उपर भाषण कर्यु हतुं. __श्रीमंत महाराजा सयाजीराव अने आचार्य श्रीमद् विजयसूरिश्वरजीनी हाजरीए जेम अधिवेशनने गौरवतुं बनाव्यु हतुं त ज प्रमाणे प्रखर देशभक्त “ स्वराज्य मारो जन्मसिद्ध हक्क छे” ए सूत्रना प्रणेता श्री लोकमान्य बाळगंगाधर टिळकनी हाजरी अने तेमना विद्वतापूर्ण प्रवचने अधिवेशनने वधुं गौरवशाळी बनाव्यु हतुं. लोकमान्य टिळके कहयु : " जैनोनो शक महावीरथी चालतो आव्यो छे. इतिहास उपरथी धर्माचार्यना नामथी शक चलाववानी पहेल जैनोए करी छे." जैन धर्मनी अहिंसानी हिंदु धर्म उपरनी असर विषे बोलतां तेमणे जणाव्यु के, ___बे हजार वर्ष पहेलां ब्राह्मणो अने जैनो छुटथी एक धर्ममांथी बीजा धर्ममां जता हता, जो के ते वखते ब्राह्मण अने जैन धर्मनो मोटो झगडो हतो. ते वखते मीमांसक एटल यज्ञयाग करवाथी मुक्ति मळे, एवो ब्राह्मणमत चाल्यो हतो. मेघदूतमां पशुवधनुं वर्णन करतां कवि कालिदासे का छे के, नदीनुं पाणी पण वध थएलां प्राणीओना Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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