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________________ जे शुभ कार्यनां बीज आ तीर्थ भूमि पर वाववामां आव्यां के ते हमेशां कायम रही तरेहतरेहना उत्तम अने रंगतदार वृक्षोमां परिणमशे. आ अधिवेशनमां नीचे प्रमाणे ठरावो पसार करवामां आव्या हता: (१) आ सभानुं नाम जैन कॉन्फरन्स राखंq. (२) आ कॉन्फरन्सनुं अधिवेशन अनुकूळ स्थळे वर्षमां एक वार जरुर भरवू. (३) आपणी जैन कोम केळवणीना संबंघमां बहु पछात छे तेथी ते बाबत आगळ वधारवा जैन वर्गना आगेवान गृहस्थोए योग्य प्रयास करवो जोइए. (४) सांसारिक केळवणीनी साथे बाल्यावस्थामांथी ज धार्मिक शिक्षण आपq. (५) अनाथ जैन बंधुओ अने निराश्रित श्रावकोने आश्रय आपवा वास्ते योग्यं गोठवण थवानी आवश्यकता छे.' (६) जे जे तीर्थ अथवा परचूरण जैन मंदिर जीर्ण स्थितिमा आवी गयां होय तेनुं एक लिस्ट तैयार करावी योग्य रीति अनुसार जीर्णोद्धार माटे योग्य प्रबंध करवो. (७) फलोधी तीर्थना मंदिरनी गैरव्यवस्था तथा आशातना दूर करवी. (८) ज्यां ज्यां आपणा पुस्तकभंडारो आवेला छे त्यां त्यांना पुस्तकोनी यादी पुस्तकोनी स्थितिसह आ कॉन्फरन्स तरफथी करावीने छपाववी जोइए. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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