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बंधुओ, आवा मेळावडा, आगळ एक जुदी ज पद्धति उपर आपणा जैन तीर्थोमां थता हता अने तेओ संघने नामे ओळखाता हता; ते जमानानां साधनो अने आजनां साधनो जुदा प्रकारनां छे. आजे रेलवे वगेरेथी बहु सुगमता थई पडी छे अने सुधरेली ढब उपर सभाओ भरवानां साधनो अने रीतरिवाजो आजे ऊभा थया छे. ते नो लाभ लेवानो आजे शुभ प्रसंग मळ्यो छे ते खरेखर आनंद पामवा जेवो छे. जे तीर्थ उपर जात्रारुपे संघ एकठो थाय छे ते अमुक देशनो अथवा वर्गनो होय छे, पण बंधुओ, जेम एक मोटा दूधना जथ्थामांथी साररुपे माखण-वी काढवामां आवे छे, ते सुजब आखा हिंदुस्ताननी आपणी जैनवस्तीमांथी जुदां जुदां शहेरो अने गामोमांथी आप सर्वे चूंटाईने आव्या छो, तो खरूं जोतां अहीं बिराजेश संख्याबंध प्रतिनिधिओ, जैनोनी पंदर लाख माणसनी वस्तीना प्रतिनिधि तरीके छो. '
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कॉन्फरन्सना उद्देश विषे तेमणे कह्यं के,
“ कॉन्फरन्स अथवा महान सभानो हेतु एकसंप थवानो छे... एकदिलथी संप करीने आपणुं अने आपणा जैन भाईओनुं भलु करवानो छे; पवित्र जैनधर्मनी उन्नति करवानो छे; ज्ञानभंडार तथा तीर्थोनुं रक्षण करवानो छे.
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आपणा साक्षरवर्य स्व. श्री मोहनलाल दलीचंद देशाईना तैलचित्रना अनावरणविधिप्रसंगे विद्वदूवर्य पंडित सुखलालजीए प्रमुखस्थानेथी कॉन्फरन्सना दृष्टिबिन्दु विषे पोतानी लाक्षणिक भाषामा जणान्युं हतुं के—
" हुं जाणुं हुं त्यां लगी श्वेतांबर मूर्तिपूजक परंपरानी बीजी कोई पण संस्था करतां कॉन्फरन्पतुं दृष्टिविन्दु अने बंधारण उदार
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