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________________ १५६ मुंबईमां भरायेला सुवर्ण जयंती अधिवेशने संस्थाना उद्देशमा महत्त्वनो फेरफार करी, .. ." जैनधर्म अने समाजनो उत्कर्ष थाय तेवा प्रयत्नो करवा अने तेवां सर्व प्रकारनां हितोनुं रक्षण थाय तेवा प्रयासो करवानो अने वखतोवखत समग्र जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाजना प्रतिनिधिओना समेलनो अथवा अधिवेशनो भरीने मजकूर समाजने स्पर्शता धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, शिक्षणविषयक अने अन्य जाहेर हितना सवालोनुं अवलोकन करी ते अंगे योग्य निर्णयो करवानो अने तेने अमलमा मूकवा प्रयासो करवा" , नो उद्देश स्वीकार्यो. वळी "जुदा जुदा फिरकाओ वच्चे भ्रातृभाव अने निकटता केळवाय तेवा प्रयासो करवा" नो उद्देशमा समावेश करवामां आव्यो अने ते रीते समस्त जैनसमाजमां संप अने संगठन फेलाववानी आ युगनी माग पूरी करवानी व्यापक दृष्टि अपनाववामां आवी. कोई पण संस्थान बंधारण ए समाजना विचारोमां थता परिवर्तननो पडघो छे. समाजना विचारो अने आदर्शो बदलाय तेनी साथे ते समाजमां काम करती संस्थानुं बंधारण पण अवश्य बदलावानु. जे संस्था जीवंत छे, चेतनवंती छे ते संस्थान बंधारण पण सतत प्रवाही ( flexible) अने परिवर्तनशील रहे छे. संस्थाए पोताना बंधारणना फेरफारद्वारा समाजना विचारोने अपनाववा ज पडे छे. वळी कार्य करता करता ऊभी थती मुश्केलीओ टाळवा पण बंधारणमां फेरफार करवानी जरूर ऊभी थाय छे. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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