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________________ १५८ मुख्य मंत्रीओ अने ते सिवाय बीजा १८ सभ्यो आखिल भारत जैन तर कॉन्फरन्स स्थायी समितिमांथी प्रमुखनी पसंदगीना मळी २१ सभ्योनी कार्यवाही समिति नीमवानुं नक्की करवामां आव्युं. एक ज विचार अने अक ज मतना सभ्यो होय तो संस्थानुं काम वधारे सारु अने कार्यक्षम रीते चाली शके ए दृष्टिए प्रमुखने पोतानी पसंदगीनी कार्यवाही समिति नीमवानो अधिकार आपवामां आव्यो. ग्रेज्युएटोनो व्यक्तिगत प्रतिनिधित्वनो हक्क रद करवामां आव्यो. संस्थाना मुरब्बी के आजीवन सभासद न होय तेत्रा तमाम प्रतिनिधिओ चुटाएला होवा जोईए ए तत्त्वनो स्वीकार करवामां आव्यो. आ रीते वीसमा अधिवेशने बंधारणने पूरेपूरुं लोकशाही स्वरूप आप्यं. " " कॉन्फरन्सना बंधारणनुं आम लगभग लोकशाहीकरण थया छतां जैनसमाजनी केटलीक विशिष्टताओना कारणे तेने पोताना केटलाक जूना अंशो साचवी राखवा पड्या छे. दाखला तरीके, प्रत्येक शहेर अने गामना जैनसमाजना बंधारणनुं केन्द्र " संघ छे. तेथी कोई शहर के गामनी सभा, मंडळ अथवा संस्था माटे प्रतिनिधि मोकलवानो अधिकार प्राप्त थया पूर्वे पांच रुपिया आपी मुख्य कार्यालयमा नोधाववानी आवश्यकता राखी छे, तेवी " संघ माटे राखवामां आवी नथी. आ रीते " संघ " नुं महत्त्व कॉन्फरन्से तेनी शरुआतथी ज स्वीकार्य छे अने तेना छेल्ली ढबना बंधारणमां पण तेनुं महत्त्व अने प्रभुत्व साचवी राखवामां आव्युं छे. कॉन्रफन्सना संपूर्ण लोकशाहीकरणमा आ तत्त्व मर्यादारुप होवा छतां " संघ ” शक्तिना स्वीकारमां ज कॉन्फरन्सनुं बळ रहेलुं छे ए हकीकतने स्वीकार्या सिवाय चाले तेम नथी. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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