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________________ त्रीकमलाल पारेख सीधेसीधा आमवर्गमांथी आवता हता, अने ए रीते एक नवीन चीलो पाडयो हतो. पंदरमुं अधिवेशन होइ शणगारेला पंदर बळदना रथमां प्रमुखनु सरघस स्टेशनेथी उतारे गयुं हतुं. हाथी, मोटर के बगाने बदले पंदर वृषभोथी खेंचातो प्रमुखनो रथ ग्रामअधिवेशनने वधारे बंधबेसतो हतो. आ अधिवेशनमां भावनगरना दीवानश्री अनंतराय पटणीए खास हाजरी आपी प्रतिनिधिओना उत्साहमां वधारो को हतो. स्वागतप्रमुख श्री भगवानदास हरखचंद शाहे समाजना विकास माटे संपनी जरुरियात तरफ ध्यान खेंच्यु हतुं. प्रमुखश्रीए पोताना भाषणमा जणाव्यु के " कॉन्फरन्सनी हस्ती जूनां तथा नवां बळोना जरुरी मिश्रणनी प्रतीकरुप होवाथी एना विषे अनादर, उपेक्षा के विरोध धारण कर वो कोई पण जैनने माटे योग्य नथी." तेमणे सुधारकवर्ग अने स्थितिचुस्तवर्गने मध्यस्थ दृष्टि केळवबा अने उदासीनवर्गने उदासीनतानो त्याग करवा अने त्रणेए खभेखभा मिलावी समाजसेवाना काममा लागी जवा अनुरोध को हतो. ____ आ आधिवेशने करेला ठरावो पैकी शेठ कान्तिलाल इश्वरलाले कॉन्फरन्सने रुपिया पचीस हजारनी रकम केळवणीप्रचार माटे आपेली ते बदल तेमने अभिनंदन आपी आ योजना चालु राखबानो ठराव महत्त्वनो हतो. बीजो अगत्यनो ठराव बेकारीनिवारण अंगेनो हतो. ते उपरांत जैन बँक, अर्धमागधी शिक्षणनो प्रचार, स्वतंत्र शिक्षणसंस्थानी जरुरियात, छात्रालयोनी जरुरियात वगेरे प्रश्नोने लगता ठरावो थया हता. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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