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________________ सेवाना आ अबल भेखधारी ते जयपुरनिवासी श्री. गुलाबचंदजी ढढ़ा एम. ए. जेओ पाछळथी कोन्फरन्सना आद्यपिता तरीकेनुं मानवंतु बिरुद पाम्या हता अने जेमनुं नामस्मरण आजे पण जैन समाजमां एटलुंज आदरणीय गणाय छे. श्री ढहाजीना मगजमां जे विचारो घोळाया करता हता तेनो ज जाणे पडघो न होय तेम आज अरसामां भावनगरना " श्री. जैन धर्मप्रकाश" पत्रना विख्यात संपादक धर्मनिष्ठ शेठ कुंवरजी आणंदजीना दिलने पण समाजोत्थानना विचारोए हलबलावी मूक्युं हतुं. तेमणे पोताना पत्रमा “ जैन काँग्रेस भरवानी जरुर" नामनो लेख लख्यो अने " जैन समुदायनी एक मोटी सभा दरसाल एकठी थइ जात्युन्नति अने धर्मोन्नति करे" ए. बाबतनी जरुरियातनुं सारी रीते समर्थन कर्यु. संवत १९५० (सने १८९३ )ना कारतक सुद १५ना रोज भावनगरनी श्री जैन धर्मप्रचारक सभा तरफथी पालीताणामां यात्रोआमां पांच हजार हॅन्डबिल वहेंचवामां आव्यां. जेमां जुदी जुदी बाबतो उपरांत जैन समुदायनी महा सभा भरवानी पण सूचना हती. बीज दिवसे यात्रालुओनी सभा थइ. तेमां एम ठयु के श्री आणंदजी कल्याणजीनी मुख्य पेढी अमदावाद छे अने धर्मकार्यमां अमदावादना शेठियाओ अग्रपदे छे माटे कारतक वद १३ना रोज, काँग्रेसनी बेठक मेळवता पहेलां, एक प्राथमिक सभा बोलावत्री. देशना जुदा जुदा भागोमांना घणा सद्गृहस्थोए तेमां हाजरी आपवानो कॉल आप्यो. अमदावादमां नगरशेठने बंगले त्रण दिवस सभा थइ. घणी चर्चा-विचारणा पछी शेठ आणंदजी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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