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________________ १०१ ___ आ खाताए लगभग पंदर वर्ष सुधी समाजनी सतत सेवा बजावी हती. हालमां बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट अॅक्ट अमलमां आवबाथी हिसाबो चोख्खा राखवानुं अने ऑडिट कराववानुं लगभग फरजियात जेवू बनी गयु छे. परंतु ते वखतमां कॉन्फरन्से पोते ज आ पायानुं काम घणी सफळ रीते बजाव्यु हतुं. ६. तीर्थरक्षा: जैनतीर्थो साराये भारतवर्षना विस्तीर्ण प्रदेशमा आवेला छे. मोटां भागनां तीर्थोमां जैनोनी वस्तीनो अभाव होय छे. तीर्थो बाबत श्वेतांबर-दिगंबर बच्चे, जैनो अने अजैनो वच्चे तेम ज आपणा समाज अने सरकार बच्चे पहेलेथी ज झगडाओ अने घर्षण चाल्या करे छे. तेथी तीर्थरक्षानो प्रश्न जैन समाजनो एक महत्त्वनो अने जटिल प्रश्न छे. ज्यार ज्यारे तीर्थरक्षा माटे जरुर पडी त्यारे त्यारे कॉन्फरन्से आगेवानी लीधी छे अने जैनसमाजनी एक मुख्य संस्था तरीकेनी पोतानी फरज बजावी समाजने दोरवणी आपी छे. वाटाघाटो करवी पडे त्यां वाटाघाटो करी छे, विरोध नोंधाक्वानो होय त्यां विरोध नोंधाव्यो छे अने लडत आपी पडे त्यां लडत पण आपी छे. शेठ आणंदजी कल्याणजीनी पढी के जे जैन तीर्थव्यवस्थानो मोटो बोज वहन करे छे अने आपणा समाजनी मान्य संस्था छ तेना सहकारमा तेम ज स्वतंत्ररीत तेणे तीर्थरक्षणना प्रश्नने उकेलवा सबळ प्रयत्नो कर्या छे. . पालीताणाना दरबार तरफी वारंवार आपणा महान तीर्थ शत्रुजय उपर आशातना थती हती. शेठ आणंद जी कल्याणजीनी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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