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________________ १३५ ६. बाळलन, ७. वृद्धविवाह, वगेरे रिवाजो कोमने अवनतिना रस्ते लई जनार होई ते बंध करवा अनुरोध को हतो, एटलं ज नाहिं पण लोको आ ठरावनी पाछळ रहेलं हार्द समजी तेनी नागचूडमांथी मूक्त थाय ते माटे उपदेशकोद्वारा पण लोकमत केळववा प्रयत्न कर्यो हतो. त्रीजी वडोदरा कॉन्फरन्से तेम ज पांचमी अमदावाद कॉन्फरन्से पण आ रिवाज़ो बंध करवा खास ठराव कर्यो हतो. कॉन्फरन्सना नेजा नीचे वखतोवखत भराती महिला परिषदो पण आ बाबतमां घटता ठरावो करती हती. आ बधाना परिणामे लोकोनी आंखो खूलवा लागी हती अने समाजजीवनने पायमाल करनार रिवाजो दूर करवा तरफनी धीमी छतां मक्कम प्रक्रिया चालु थई हती. . तेरमा जुन्नेर अधिवेशने पण जे हानिकारक प्रथाओ कोमर्नु जीवन चूसी रही हती ते दूर करवा जोशपूर्वक काम करवा, पुत्रने १८ वर्षनी नीचे अने पुत्रीने चौद वर्षनी नीचेनी ऊमरे नहि परणाववा, ४५ वर्षनी वय पछी कोई पण गृहस्थे लग्न नहि करवा, एक ऊपर. बीजी स्त्री करवा ऊपर प्रतिबंध मूकवा, मरण तेम ज सीमंत पाछळ भृतां जमणो बंध करवा तेम ज लग्नादि नातवरा तेम ज फरजियात खर्चा बंध अगर ओछा करवा, कन्याविक्रय के वरविक्रयनी प्रथा बंध करवा अने लगादि प्रसंगे वेश्याना नाच न कराववा बाबत खास ठरावो करी प्रजाने ते प्रमाणे अमल करवा आवाहन कर्यु हतुं. : आ रीते कॉन्फरन्से जैनसमाजने कोरी खाती बदीओ दूर करी जैनोनु सामाजिक जीवन तंदुरस्त, ताजगीभर्यु अने ऊर्ध्वगामी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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