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________________ ९८७ आपणो समाज मुख्यत्वे धंधादारी छे. तेथी कॉन्फरन्सना कार्यने अंगे भोग आपी शके, तेनी प्रवृत्तिओनी पाछळ मंड्या रहे, अने कॉन्फरन्सने ज पोतानुं जीवन समर्पण करे एवा कार्यकर्ताओनी आपणने कायम टांचप रही छे. जे नेतामां त्याग होय, समर्पण होय, दीर्घदृष्टि होय, समयज्ञता होय, संस्था माटे सर्व कांई करी छूटवानी अने तेने माटे फना थवानी तमन्ना होय अने समाजने बुद्धि अने डहापणपूर्वक दोरवानी, आवडत अने ऊंडी सूझ होय तेना प्रत्ये प्रजा घेली थाय छे. कॉन्फरन्सने आ कक्षाना नेताओनी हमेशा ऊणप रही छे अने तेथी तेनुं कार्य वखतोवखत शिथिल पड्युं छे. कॉन्फरन्स जेवी साराये समाजनी अखिल हिंदना धोरणे काम करती मातबर संस्थाना कार्यालयनी व्यवस्था पण तद्दन अद्यतन होवी जोईए. कार्यालयनी सुव्यवस्था उपर संस्था प्रत्येनो समाजनो आदर अमुक अंशे आधार राखे छे. वळी संस्था पासे जैन समाजने लगता तमाम प्रश्नो संबंधी छेल्लामां छेल्ली माहिती होवी जोईए अने ते हरकोईने सुलभ होवी जोईए. जैन समाज, तेनी संस्थाओ, तेनो इतिहास, तेनुं साहित्य, तेनां धर्मस्थानो, तेनी वस्ती, तेनी केळवणीसंस्थाओ, तेना धर्मगुरुओ, तेना प्रश्नो ढूंकमां जैनसमाजने. लगती हरकोई बाबतनी माहिती तेना कार्यालयमाथी मळी शके तेवो प्रबंध होवो जोईए. ___कॉन्फरन्सनु मुखपत्र तद्दन आधुनिक पद्धतिनी प्रचारशक्ति धरावतुं, नीडरताथी छतां संयमपूर्वक समाजना प्रश्नोने चर्चतुं, तंदुरस्त विचारोनो फेलावो करतुं, व्यापक दृष्टिवाळु, ध्येयनिष्ठ अने Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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