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________________ १८८ आदर्श होवु जोईए अने तेनो फेलावो बहोळो होवो जोईए. कॉन्फरन्स, मुखपत्र वखतोवखत बंध पडयुं छे त्यारे कॉन्फरन्से घणुं सहन कर्यु छे. मुखपत्र जेवु लोकसंपर्क जाळववानुं बीजुं एक पण प्रबळ साधन आ युगमां नथी. कॉन्फरन्स, मुखपत्र केवळ विद्वद्भोग्य न होवू जोईए. सामान्य माणस समजी शके, तेनी कल्पनाने उत्तेजित करी शके अने तेनी प्रगति अने आगेकूचना मार्गमां दीवादांडीरुप बनी शके एवा सरळ भाषामा व्यक्त थएला विचारोवाळु होवू जोईए. जैनधर्मना सिद्धांतोने वफादार रही जैनधर्मनी प्रभावना करे एवं असाम्प्रदायिक अने विशाळ दृष्टिबिन्दुवाळु मुखपत्र एबुं होय के जेना विचारो हरकोई बाबतमा जैन के जैनेतरोमां प्रमाणभूत (authoritative) गणाय. लोकभोग्यता अने विद्वद्भोग्यतानो समन्वय करवानी तेनामां ताकात होवी जोईए. आq मुखपत्र कॉन्फरन्सनी शक्ति अने प्रतिष्ठा बनेमां वधारो करी जैनसमाजने माटे अद्भुत संजीवनी बनी रहे. वखतोवखत कॉन्फरन्सनां मुखपत्रो बंध पडवाथी अने घणी वखत उच्च धोरण नहि जळवावाथी पण कॉन्फरन्सने सहन करवू पडयुं छे. नियमित अधिवेशनो भराय ए पण कॉन्फरन्समां चैतन्य अने स्फूर्ति जाळवी राखवा आवश्यक छे. अधिवेशनो ओछामा ओछा खर्चे अने ओछामा ओछा आडंबरथी भिन्न भिन्न प्रदेशोमां भरावां जोईए. अधिवेशन भरावानुं छे एवा समाचार पण समाजमां एक जातनो उत्साह प्रेरे छे अने जे प्रदेशमां भराय छे तेनी आजुबाजुनी वस्तीमा जागृतिनां पूर वहेवा लागे छे. अधिवेशनो न भराय तो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005582
Book TitleJain Shwetambar Conferenceno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagkumar Makatai
PublisherSohanlal Madansinh Kothari
Publication Year1960
Total Pages216
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size14 MB
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