________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
योग और साधना
करना है तो फिर उनसे भयभीत होकर मैं अपना मुह क्यों चुराऊँ।"
जहाँ तक इस मायावी संसार से मुक्ति का प्रश्न है उसके लिए तो यह ज़रूरी है कि हमें अपनी सभी प्रकार की वृत्तियों पर चाहे वे तामसी, राजसी या सात्विकी किसी भी प्रकार के गुण से प्रभावित क्यों न हो, उनसे छुटकारा पाना ही पड़ेगा । जिस प्रकार समुद्र के किनारे कोई नाव कई एक लंगरों के बँधी रहती है, उसके एक लंगर को छोड़कर सभी लंगरों को उठा लेने के पश्चात भी वह समुद्र में नहीं जा सकती है, ठीक इसी प्रकार हमारे तामसी और राजसी गुणों से ओतप्रोत वृत्तियों के मिट जाने के पश्चात भी जब तक सात्विकी गुणों से ओत-प्रोत वृत्तियाँ मौजूद हैं, चाहे वे मनुष्य जाति के प्रति करुणा के स्तर पर भी क्यों न हों; हमारी स्वयं की यात्रा इस संसार से भवसागर की ओर किस प्रकार से शुरू हो सकती है ? क्योंकि अभी सत्व का लंगर किनारे पर पड़ा है । हालांकि भवसागर का वेग इस कमजोर से लंगर से पीछा छुड़ाने में भी इस समय काफी सहयोग देता हुआ मालुम देता है । लेकिन सही अर्थों में यथार्थ स्थिति तो यही है कि राजसी
और तामसी गुणों से छुटकारा पाने के पश्चात हमें सात्विकी गुणों से भी छुटकारा पाना ही पड़ेगा । अन्यथा मुक्ति की तरफ अपनी यात्रा अभी अधर में ही रहेगी, नहीं तो ऐसे गहन साधक शरीर त्यागने के पश्चात भी इस संसार से ही जुड़े रहते हैं । भले ही करुणावश ही सही । आप यदि इस संसार से करुणावश भी जुड़े हैं । तब भी बन्धन तो है ही। जंजीर लोहे की हो अथवा सोने की क्या फर्क पड़ता है । शरीर तो दोनों ही प्रकार को जंजीरों से जकड़ा जा सकता है।
__ अभी पिछले दिनों मैंने, एक पत्रिका के रहस्य रोमांच विशेषांक में पढ़ा था कि हमारे देश की फौज की एक टुकड़ी दुश्मन के इलाके में रास्ता भूल जाने के कारण भटक गयी थी। अँधेरी रात थी। कदम-कदम पर बारूदी सुरंगों के बिछी होने का अंदेशा था । और यदि इसी इलाके में दिन निकल आया तो दुश्मन वैसे भी जिन्दा छोड़ने वाला नहीं था । तभी उस टुकड़ी को एक कैप्टन अपनी ही फौज का मिला । उसने चुपचाप बिना बोले केवल इशारे से अपने पीछे चले आने को कहा । करीब एक घण्टे बाद उस कैप्टन के बताए मार्ग के द्वारा वे अपनी मंजिल पर पहुंच गये थे। लेकिन तभी उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा कि वह कैप्टन उनकी आँखों के सामने से उनके देखते-देखते गायब हो गया था। इस बात का
For Private And Personal Use Only