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योग और साधना
यहाँ फुटपाथ पर उसकी सहायता के लिये न तो कोई सरकारी कर्मचारी ही था और न ही उसका कोई मित्र.। उसमें स्वयं में तो. उठने बैठने की शक्ति न थी। जिस प्रकार से अस्पताल वालों ने उसे उल्टा सीधा फुटपाथ पर डाल दिया था वह वैसा ही वहां पड़ा हुआ था। कुछ लोग भिखारी समझकर उसके पास सिक्के डाल जाते, तो कुछ लोग बड़ी दया भरी नजरों से उसे देखते निकल जाते थे ।उसे सम्पूर्ण होथ अपने बारे में उस समय था लेकिन शारीरिक कमजोरी ही उसकी तमाम परे. शानी का कारण थी।
___ इसी अवस्था में पड़े-पड़े जब उसे ६-७ घन्टे गुजर गये और शाम ढलने को आयी तब एक दयालु व्यक्ति उसके पास आया, उसने अपने थैले में से कुछ डबल रोदियाँ एवं कुछ बिस्कुट उसके हाथ में रखे । जैसे ही उस व्यक्ति का हाथ पीटर के हाथों में आया, पीटर अपनी उसी दुनिया में चला गया, जिसमें से अनन्य प्रकार के दुश्य वह देखा करता था। वह क्या देखता है कि इस व्यक्ति के घर पर एक अन्य व्यक्ति काफी देर से उसका इन्तजार करते-करते थक गया है इसलिये अब वह उठकर जाना ही चाहता है । इसकी पत्नी उस व्यक्ति को अब और ज्यादा देर तक रोकने में अपने आपको असमर्थ पा रही है क्योंकि, वह कह रहा है कि, "अब तो पता नहीं, कब आयेगे ? मैं चलता हूँ ।" इतना दश्य देखने के बाद पीटर उस बिस्कुट लाने वाले व्यक्ति से बोला, "कृपया आप एक भी सैकेण्ड बर्बाद किये बगैर सीधे अपने घर जायें क्योंकि वहां कोई बड़ा ही महत्वपूर्ण व्यक्ति आपका काफी देर में इन्तजार कर रहा है । आपकी पत्नी अब उसे और अधिक देर तक रोके रखने में सफल नहीं हो पा रही है, इसके अलावा मैं यह भी सोचता है कि उससे आपकी मिलना बहुत ही जरूरी है । जाइये जिस बात का आप बहुत दिनों से इन्तजार कर रहे थे, आज उसका समय आ गया है ।" पीटर ने उस आगन्तुक की शक्ल-सूरत के बारे में भी बता दिया। वह व्यक्ति कुछ आश्चर्य के से भाव लिये वहाँ से जल्दी ही चला गया ।
- करीब एक घंटे भर बाद वह व्यक्ति फिर वापिस पीटर के पास लौटा वापिस आने के बाद उसने बहुत गर्म जोशी के साथ पीटर को धन्यवाद दिया और पूछने लगा, "आपने यह सब कैसे जाना ? पीटर इस बात पर कहाँ से और किस प्रकार से प्रकाश डालता । वह केवल इतना ही कह सका, “जन किसी का हाथ या
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