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योग और साधना
दूर-दूर की यात्राएँ वर की तलाश के लिए उन्हें करनी ही पड़ती थी। इसी प्रकार एक बार राजकुमारी के लिए योग्य वर ढूंढ़ने के लिये निकलने वाले लोग बड़े परेशान होकर एक पेड़ के नीचे विश्राम के लिए बैठे थे उसी पेड़ पर एक सुन्दर सा लड़का अपनी कुल्हाड़ी के द्वारा धुन में मस्त होकर जिस डाल पर बैठा था उसी डाल को काटे जा रहा था। इन दरबारियों का ध्यान जैसे ही उधर,गया उसको पुकार कर नीचे उतार लिया। लड़का बोला, “कहिए क्या काम है ? वे बोले, “पागल है क्या ? जिस डाली पर बैठा है. उसी को काट रहा है । डाली के कटकर गिरने के साथ-साथ तू भी उसके साथ नीचे गिरकर मर जाता और उल्टे हमी से पूछ रहा है कि क्या काम है ?
जब यह बात उस लड़के ने समझी तो वह उन लोगों से बहुत प्रभावित हआ । उनमें से एक दरबारी ने दूसरे से कहा, "इस लड़के को ही ले चलो, 'राजकुमारी के लिए । अब और कोई तो मिलता नहीं है । देखने में यह खूबसूरत भी है। दूसरे ने भी उसकी बात का समर्थन किया। इतना आपसी विचार विमर्श करने के पश्चात उन्होंने उस मूर्ख लड़के से कहा, "हम तुम्हारा विवाह अपनी राजकुमारी से करवा सकते हैं लेकिन हमारी एक शर्त है, कोई तुमसे कितना भी कहे या कुछ भी पूछे, तुम्हें अपना मुह बन्द रखना पड़ेगा। यानि तुम एक शब्द भी नहीं बोलोगे, जब तक कि तुम्हारा उस राजकुमारी से विवाह नहीं हो जाता ।
अच्छी तरह से समझाकर राजदरबार में वे दरबारी उस लड़के को ले आए । जब राजकुमारी को पता चला कि उसके साथ विवाह करने की गरज से कोई उम्मीदवार आया है तो उसकी परीक्षा लेने के लिए स्वयं भी दरबार में पहुँच गयी । उस लड़के की सुन्दरता को देखकर एक बार तो वह भी हतप्रभ रह गयी । कितना सुन्दर गठीला शरीर है इसके पास, वह मन ही मन कुछ नरम हो गयी थी उसके प्रति । इस बात को इस राजकुमारी की भूल कहले या उसका भाग्य । खैर वह उसके सामने ही बैठ गयी ।
लड़के ने तो आज तक इस प्रकार की परिस्थिति की स्वप्न में भी कल्पना तक नहीं की थी। उस बेचारे को अनुभव तो होता ही कहाँ से ? वह तो संकोच से अपने आप में सिकुड़ कर दोहरा हो गया था । इस बात को उस राजकुमारी ने भी भाँप लिया था। इस बात को जानकर उनमें से मुख्य दरबारी
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