________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
इडा पिंघला और सुषमणा नाड़ियों का अस्तित्व तथा प्रभाव
१६७
से उसका साक्षात होता है। जब तक उसकी छतरी नहीं खुलती तब तक उनके ऊपर क्या बीतती है उस अनुभव के दौरान उसकी अपनी बुद्धि की क्षमता बढ जाती है जिसके कारण से वह नित्य प्रति वह कार्य करके भी घबड़ाता नहीं है, बेहोश नहीं हो जाता है । इसी प्रकार के बहुत से कार्य इस दुनियां में हो सकते हैं, जिनमें आदमी को मृत्यु से दो टूक बातें करने के अवसर आते हैं । उन क्षणों को हम यदि होशपूर्वक अपनी बुद्धि की उपस्थिति में झेल जाते हैं तो ध्यान रखना ये ही क्षण हमारे शरीर की क्षमताओं में असीमित बृद्धि कर देते हैं। मुझे याद आती है गौमुख की एक घटना, जिसमें मेरा मृत्यु से इतने सम से सामना हुआ जिसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था।
___मेरे एक मित्र हैं नरेन्द्र पाराशर, मैंने अपने जीवन की ज्यादातर पवित्र स्थलों की यात्रायें इन्हीं के साथ की हैं । हम दोनों अपनी-अपनी पत्नी तथा बच्चों के साथ थे । मेरे साथ मेरे माता-पिता भी थे । उन दिनों मेरे पास एक पुरानी एम्बेसडर थी जिसको मैं स्वयं चलाकर उस यात्रा पर ले गया था । याराशर जी तो चलाना नहीं जानते थे । ड्राईवर कोई साथ नहीं ले गया था। हम कुल मिलाकर छः व्यक्ति तो बड़े तथा दो छोटे बच्चे थे । हम केदारनाथ एवं बद्रीनाथ के दर्शन करने के पश्चात गंगोत्री पहुंचे। हम सभी बीबी-बच्चों सहित सुबह ११ बजे के लगभग गंगोत्री पहुंच गये थे। सरकारी पर्यटक विश्राम गृह में हमें स्थान मिल गया । हमने अपना सारा सामान तथा सभी को वहाँ पहुँचा दिया। पिताजी की उम्र करीब सत्तर वर्ष की उन दिनों रही होगी। हम दोनों की उम्र २५ और ३० वर्ष के लगभग होगी यानि पाराशर जी मुझसे पांच वर्ष बड़े होंगे। हम जब बाजार में खाना खा रहे थे तो हमने वैसे ही जानकारी के लिए उस ढावे बाले से पूछा कि गंगा की धारा यहाँ से किस प्रकार से निकलती है । हमारा मतलब है किसी प्रपात (झरना) में से या बर्फ से ग्लैश्यिरों के पिघलने के कारण ? वह बोला, साहब लगता है। आप पहली बार आये हैं । यहाँ तो केवल गंगोत्री का मन्दिर है, गंगा तो यहाँ से सत्रह किलोमीटर दूर "गौमुख से निकलती है।" उसके इस जवाब ने हमें आश्चर्य में डाल दिया क्योंकि हम तो यह सोच रहे थे कि गंगा गंगोत्री से ही निकलती होगी। इसके बाद प्रत्युत्तर में हमने प्रश्न किया कि "वहाँ कैसे पहुंचेंगे; "पूछने पर उसने बताया, कि वहाँ पर जाने का कोई साधन नहीं है।" सिवाय अपनी स्वयं की टाँगों के । इसके साथ ही कुछ दिक्कतें और हैं, रस्ते
For Private And Personal Use Only