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योग और साधना
निष्ठापूर्वक बहुत ही गहन रुप से उस पर अपना ध्यान जारी रखा अथवा उस पर ध्यान रखते हुए हमें नींद नहीं आयी तो एक समय ऐसा भी आयेगा, जब हमें स्वाँस लेने की आवश्यकता भी नहीं रहेगी और इसकी गति अपने आप रूक जायेगी।
इस अवस्था में हमने अपना स्वांस रोका नहीं था बल्कि वह स्वतः ही रुक गया था। प्राणायाम में तो हम स्वास को रोकते हैं जो कि इस साधना का पहला
और स्थूल भाग था लेकिन इस दूसरे सूक्ष्म भाग की क्रियाओं में हमें स्वयं को कुछ स्थूल रूप से नहीं करना पड़ता है हमें तो बस पूर्ण रूपेण होश पूर्वक चाक चौबन्द होकर दृष्टा बने रहना पड़ता है ।
इस क्रिया को क्रियान्वित करने से पहले हमें कुछ बातों को अपनी जानकारी में आवश्यक रूप से ले लेना चाहिये । जो निन्न प्रकार हैं:----
१--ऐसे स्थान पर बै. जहां ध्यान की इस क्रिया में बैठे बैठे आप यदि लुड़क जायें
तो-शरीर को कोई चोट न पहुँचे ।
२+ ऐसे आसन पर बैठे जिस पर आप काफी देर तक स्थिर बैठे रह सकें ।
जिसको साधना के मध्य में बदलना नहीं पड़े। ३-चूंकि इसमें घन्टों लगते हैं, इसलिये ऐसा समय अपनी साधना का
चुनें जिसके बीच आपको आपके व्यापार, नौकरी, गृहस्थी के काम धन्धे
अथवा निद्रा से आने वाली झपकियाँ परेशान न करें। ४-स्वच्छ, साफ, हवादार, न गर्म, न ठण्डा, शोर गुल से रहित बन्द स्थान होना
चाहिये ।
५- केवल ऐसी अगरबत्तियाँ ही लें जिनकी खुशबू आपको पसन्द आती हो ।
६-आँखें वन्द रखनी चाहिये।
इन बातों के साथ साथ अन्तिम और जो गहरी बात हैं वह भी आप हमेशा ख्याल रख कि इस साधना को करते समय आप अपनी साधना को पूर्णता को आज ही प्राप्त करलेंगे,
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