Book Title: Yog aur Sadhana
Author(s): Shyamdev Khandelval
Publisher: Bharti Pustak Mandir

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Page 196
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुण्डलिनी जागरण ही समाधि द्वारा गुलाम की तरह संचालित होते हुए पाते हैं । नहीं होता है, जैसा कि की अवस्था में हमारा और जागृत अवस्था के चलती हुयी वृत्तियों के स्वप्न की अवस्था में हमारा मन स्वतन्त्र कर्ता के रूप में हमारा जागते हुये होता है, जबकि कुण्डलिनी के जागरण मन जो भी अनुभव करता है अनुभव के स्तर पर उसमें अनुभवों में रंचमात्र भी अन्तर उस समय तथा बाद में भी जब हम जागृति में आ जाते हैं करना कठिन होता है। क्योंकि उस समय सभी तरह से ऐसा नहीं लगता कि मैं जो भी कार्य अपने द्वारा होते हुए देख रहा हूँ, वे मेरे इस स्थूल शरीर के द्वारा ही तो हो रहे हैं । यही कमरा है जिसमें मैं ध्यान को बैठा था, अब मैं अपने शरीर के साथ जा रहा हूँ आ रहा हूँ या अनन्य कैसे भी अनुभव । १९३ इसलिए ध्यान रखें यह न तो जागृति की ही अवस्था है और न ही सुषुप्ति की ही अवस्था है और न ही तीसरी स्वप्न की अवस्था है । यह इन तीनों से अलग और अनूठी चौथी अवस्था है। जिसमें आधी जागृति है मन के रूप में और आधी सुषुप्ति है शरीर के रूप में । इसी अवस्था को हो हमारे आध्यात्म के अनुभवी पुरुषों ने तुर्या अवस्था कहा है । For Private And Personal Use Only इस तुरिया ( तुर्या ) अवस्था में आते ही हमारा मस्तिष्क जो कि अब तक इड़ा और पिघला से प्राप्त शक्ति के द्वारा संचालित हो रहा था । अब सुषमणा के द्वारा संचालित होने लगता है जिसके कारण से इसकी कार्य प्रणाली में अन्तर आकर इसकी तार्किक शक्ति नष्ट हो जाती है, तथा साथ ही इसका प्रभाव नरवस सिस्टम पर से भी हट जाता है जिसके कारण हमारे मस्तिष्क का सम्बन्ध हमारे स्थूल शरीर से समाप्त हो जाता है। सुषमणा नाड़ी जो, हमारे सूक्ष्म शरीर का आधार हैं, उसके द्वारा मस्तिष्क के प्रभावित होने के कारण ही अब हमारे मस्तिक का सम्बन्ध हमारे सूक्ष्म शरीर से जुड़ जाता है और इसी कारण से इस तुर्या के अनुभवों को वह अपने आप में इस प्रकार से अनुभव करता है जैसे कि जागृति की अवस्था में करता रहता है लेकिन जब तुर्या अवस्था से फिर हम जागृति में आते हैं। तब यह सोचकर कि हमारी देह तो इसी बन्द कमरे में ज्यों की त्यों पड़ी है जैसी वहीं अब भी उसी हालत छोड़ी थी कि हमने साधना में उतरने से पूर्व जिस जगह में मौजूद मिली हैं फिर कोनसा शरीर के बाहर और कैसे गया था ? उन अनुभवों में इस बन्द स्थान

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