Book Title: Yog aur Sadhana
Author(s): Shyamdev Khandelval
Publisher: Bharti Pustak Mandir

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Page 208
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुण्डलिनी जागरण ही समाधि २०५ यही सोचकर मैं दूसरे दिन फिर से तैयार था अपनी साधना में उतरने के लिए, लेकिन एक परिवर्तन अब मैंने अपने कार्यक्रम में कर दिया था जिस कारण से अब मैं शुरू के प्राणायामों को करने की बजाय अब सीधे ही ध्यान में उतरने के लिए शवासन में लेट गया था, आती जाती स्वांस पर ध्यान राम नाम के साथ कब तक चलता रहा, कब बह बन्द हो गया यह मेरे ख्याल में नहीं रह सका। बहते हुए पानी के द्वारा चुबुक-चुबुक को सी आवाज आयो तब मुझे पता चला कि फिर वही कल की सी स्थिति हो रही है लेकिन आज भारी शोर नहीं था बल्कि आज एक नई बात हुई थी। कल मेरुदण्ड के अन्दर होकर जिस चीज ने ऊपर की ओर दबाव के साथ चढ़ने की कोशिश की थी, वह आज बड़े आराम से बहुत ही शीघ्र बिना किसी दबाव के मेरुदण्ड से ऊपर की ओर जाकर मेरी खोपड़ी में भर गयो इतना सब होने में मुझे किसी भी प्रकार की तीक्ष्णता या मुश्किल नहीं आयी जिसके कारण मुझे अब तक सब कुछ सामान्य सा ही लग रहा था। शुरू में जो पानी के बहने की आवाज मेरे शरीर में हो रही थी अब उसका स्थान एक विचित्र सी सनसनाहट ने ले लिया था । थोड़ी सी देर बाद ही वह सनसनाहट वहुत तेज महसूस होने लगी, बस इसमें तेजी आने के साथ ही मैंने चमरकार स्वरूप महसूस किया कि मैं तख्त पर बिछे हुए बिस्तर पर लेटी हुई अवस्था में से ही उठकर कमरे की छत से टकराने से अपने आपको किस प्रकार से रो। इतना सोच ही रहा था कि तेजी से मैं उसी अवस्था में छत में से पार निकलकर खुले आसमान में आ गया था। छत में से ऊपर निकलने का मुझे बड़ा भारी ताज्जुब हो रहा था इसके थोड़ी देर बाद ही मैंने अपने आपको कमरे के अन्दर उसी तख्त से दो फुट ऊपर हवा में अधर पाया । थोड़ी देर तक मैं उसी अधर अवस्था में शवासन की स्थिति में रहा । फिर बहुत धीरे-धीरे मैं दो फुट नीचे तख्त पर उतर गया। जैसे ही मैं तख्त पर उतरा ठीक उसी समय मेरी बन्द आँखें खुल गयीं और तब ही मैंने अपनी स्वांस और हृदय की धड़कन को शुरू होते महसूस किया मेरी आँखों के खुलने में और धड़कतों के शुरू होने के बीच में समय का कोई अन्तर नहीं था । मैं यह अपने होश में उस समय नहीं रम सका कि मेरे सूक्ष्म शरीर धारण करके हवा में ऊपर उठने के पश्चात मेरा तख्त पर पड़ा हुआ स्थूल शरीर उस अनुभव के दौरान किस For Private And Personal Use Only

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