Book Title: Yog aur Sadhana
Author(s): Shyamdev Khandelval
Publisher: Bharti Pustak Mandir

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Page 211
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २०६ योग और साधना बन्द ही रहता था, बाद में जब मैं निर्मल मन होता तब वह फिर से होने "लगता । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेरे सामने बड़ी मुश्किल यह थी कि इस समाज में रहकर दिनभर मैं • सैकड़ों लोगों से मिलता कहीं न कहीं, किसी न किसी तरह से सत्संग छिड़ ही जाता और फिर वे बातें स्वतः ही बाहर निकलने लगतीं और यह जानते हुए भी कि फिर परेशानी होगी लेकिन मैं तो सदां असफल ही रहा। हालांकि मैंने बहुत अच्छी तरह से यह भी पढ़ रखा था कि इन बातों को प्रकृति का रहस्य समझकर प्रगट नहीं करना चाहिए, अन्यथा इन शक्तियों के खोये जाने की ही सम्भावना होती है। इस प्रकार के अनुभव होने के पश्चात मेरे मस्तिष्क में इस आध्यात्म के बारे में जितने भी संशय वे सब समाप्त ही हो गये क्योंकि मैंने स्वयं अपने शरीर से बाहर निकल कर कितनी ही बार देख लिया था और इसकी वजह से ही हमारे भारतीय संस्कृति के जितने भी स्तम्भ हैं मेरे सामने स्वतः ही स्पष्ट हो चुके थे उनमें चाहे पुनर्जन्म का सिद्धान्त हो या मरने के पश्चात वे अन्य किसी प्रकार की योनियों में जीव के विद्यमान रहने का | आज भी सत्य निकलती हैं लेकिन एक शंका अवश्य उन दिनों मुझे रही थी, कि जब कुण्डलिनी जागृत अवस्था में है नाना प्रकार से मुझे देवताओं के भी दर्शन हो चुके हैं अपने शरीर से निकल कर कभी बहुत दूर ऊसर तक यात्रा की है तो कभी तेजी के साथ वहीं लेटे'लेटे उस तख्त में से नीचे पार होकर जमीन के अन्दर भी समा गया, इसके साथसाथ ध्यान की परिपक्व अवस्था में आई हुई बातें लेकिन मैं न तो किसी भी अन्य दूसरे सूक्ष्म शरीर को देख सकता हूँ और न ही किसी दूसरी आत्मा से सम्पर्क साध सका हूँ, इसके जबाब में मैंने अब अपने मन में विचार किया तब उन दिनो मेरे मन में से दो उत्तत उभरे थे । एक तो यह कि अभी मैं गृहस्थी हैं और दूसरी आत्माओं से अगर सम्पर्क साधा गया तो वे मेरे गृहस्थ में उपद्रव ही करेंगी । शायद इस भावना की वजह से ही उन अनुभवों के दौरान दूसरी आत्माओं से उस समय में दूर ही रहा होऊँगा, दूसरा कारण शायद यह था कि अपनी साधना के लिए शुरू से आखिर तक में दो घण्टे से ज्यादा कभी भी समय नहीं दे पाता था । जब ये बातें मेरे समझ आयीं तो इन दोनों बातों में -गृहस्थी एक ऐसी कड़ी थी कि मुझे अपनी साधना को आगे बढ़ाने में बाधक बन For Private And Personal Use Only

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