Book Title: Yog aur Sadhana
Author(s): Shyamdev Khandelval
Publisher: Bharti Pustak Mandir

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Page 189
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Ah Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८६ योग और साधना हम कभी कभी अपने आपको एक दम से उत्साही तमा हल्का फुल्का महसूस करने लग जाते हैं तब हमें यह भी लगता है कि उस समय हमारा मन भी एक दम शान्त तथा प्रफुल्ल हो जाता हैं ऐसे समय में यदि कोई कमि है तो वह अच्छी कविताओं की रचना कर लेता है कोई चित्रकार है तो उसके हाथ की तूलिकायें निर्वाध रूप से चित्र-चित्रित करती ही जाती है । भले ही कोई मेहनतकमा मजदूर है उसे उस समय थकान परेशान नहीं करती है। इस तरह का अनुभव करीब करीव सभी को अक्सर होता रहता है। इसके विपरीत कभी हम शरीर से बिलकुल स्वस्थ होते हैं लेकिन दिमाग को खूब धक्का देने के बावजूद भी जिस गति से हम उसे चलाना चाहते हैं बल नहीं पाता है। इसके पीछे भी हमारे शरीर में एक गहन कारण है, वह हमारे नाक के अन्दर बलते हुए स्वर । नाक के दोनों स्वर बिलकुल बिता-मरोध के साफ मते हैं, केवल तब हो हम अपने आपको प्रफुल्ल, खिला हुआ फूल की तरह हल्का पाते हैं किसी भी पूर्व भाव के दवाब से सदा मुक्त । अगर हमारा कोई स्वर बन्द है तो ध्यान रखना, इस प्रकार की अवस्था में कोई भी कार्य तन्मयता से नहीं किया जा सकता है । इसलिए प्राणायाम 'पर बैठने से पूर्व हमें अपने स्वरों को अवश्य ख्याल में ले लेना चाहिये । अपने फेफड़ों के द्वारा तेज स्वांस प्रस्वास लेकर हम एक क्रिया करते हैं। आध्यात्म में इस क्रिया को भस्त्रिका के नाम से जानते हैं । इस क्रिया के बाद पहला फायदा यह होता है कि हम अपने प्राणायाम में ज्यादा देर तक स्वाँस को सेके रख सकते हैं और दूसरा फायदा यह होता हैं कि हमारे दोनों स्वर चालू हो जाते Sher _स्वरों को चालू करने के लिए दूसरी प्रक्रिया बड़ी आसान है जिसमें हम खुशबूदार धूप, अगरबत्तियों का प्रयोग करते हैं । इनकी सुगन्धी जब हमारे नसिका पुटों में जाती है तो स्वतः ही हमारे दोनों स्वर चल जाते हैं । इन दोनों प्रक्रियाओं के अलावा एक और तरीका है जिसमें हम अपने मन में धारणा करते हैं, प्रार्थना करते हैं, श्रद्धा से या स्वयं अपने आप पर सम्मोहन फेंकते हैं कि हमारी साधना के समय हमारा शरीर किसी भी प्रकार की बाधा न बने इस प्रकार अपनी मानसिक शक्ति के द्वारा भी अपने स्वरों को हम चालू कर सकते हैं। हमें नित्य प्रतिदिन For Private And Personal Use Only

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