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अध्याय १२
सात चक्र
. . मैं पहले भी बता चुका हूँ कि यह थक्ति हमारे शरीर में काम केन्द्र के पास भी हमारे शरीर में प्रथम कोष से बने निर्वात को भरे हुए रहती है। जिस प्रकार एक.म रिजली घर से सारे शहर में बिजली आवंटित करने के लिए अलग-अलग पीहर जगह-जगह पर स्थापित किये जाते हैं और प्रत्येक क्षेत्र की जरूरत के अनुरूप किलीपर से सीधे हाई वोल्टेज की विद्युत उन फीडरों को आपूर्ति की जाती है, ठीक उनमे प्रकार से हमारे शरीर में भी कुण्डलिनी शक्ति को हमारे सम्पूर्ण शरीर में भली-भांति प्रवाहित करने के लिए जगह-जगह उनकी जरूरत के अनुरूप फीडर स्थापिका किये हुये हैं, जिन्हें हम आध्यात्म की भाषा में "चक्र" शब्द से जानते हैं। जो इस सापूर्ण शरीर में जगह-जगह स्थापित हैं । मैडीकल साइंस वाले इतकी इस जगहों पर ढूढते हैं कोई अवयव या यन्त्र अक्वा कोई ट्रान्सफारमर तरह की बीज की शक्ल में । लेकिन वो उनको कैसे मिल सकती है । प्रथम बात तो यह है कि अभी उन्होंने नरवस सिस्टम पर केवल अटकाल पच्ची ही जानी है, शरीर के विज्ञान में सब ज्यादा अगर किसी ने परेशान उनको किया है तो वह हमारे शरीर का खन्तु कोषमा नरबस सिस्टम ही है, जिसके कारण हमारे शरीर में दिखाई देने वाली प्रत्येक हरकत क्रियात्मक स्वरूप से मस्तिष्क से मिले आदेशानुसार स्वचलित होती है। यह बड़ा जटिल मामला है क्योंकि इनके तन्तु इतने बारीक होते है शिवकी क्लह से अभी तक हमारे शरीर विशानी इनके द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को ठीक से नहीं समझ पाये हैं ।
मा में शरीर के इन सत चक्रों के बारे में. आपको कुछ बोड़ा सा और .. बसाना चाहता हूँ क्योंकि प्राणायाम करते समय इन स्थानों पर आपको वोडा-पोसा
अवरोध पैदा होगा, क्योंकि मापने इससे पहले तो का उपयोग किया महाँका इसलिए मैदान्तिक रूप से इसकी जानकारी या शरीर में इनका स्थान हमें पता
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