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योग और साधना
एक कमरे में कोई व्यक्ति अन्दर बन्द है, बाहर से ताला लगा है । भूख और प्यास के कारण उसकी हालत अब मृत प्रायः हो चली है। वह बहुत ही धीमी गति से कराह रहा है । इस दृश्य को जब पीटर अपने मस्तिष्क पर जोर देकर देखने लगा तो चार दिन पहली तारीख बदल गयी तो वही आदमी उस कमरे के अन्दर बिल्कुल ठीक हालत में था और यही नर्स जिसने अभी मुंह साफ करने के लिये उसे अपना रूमाल दिया है उसको कमरे में बन्द करके माहर से उसके दरवाजे का ताला लगा रही है। कभी वह उस दृश्य में उपस्थित उस औरत को देखता, कभी अपने सामने साक्षात् खड़ी नर्स को ! इन दोनों में वह जरासा भी अन्तर नहीं कर पा रहा था। इसी कशमकश को लेकर जब पीटर उस नर्स के चेहरे को बार-बार ताक रहा था तो वह नर्स कुछ भयभीत सी हुयी। उसने जल्दी ही पीटर के हाथों में से अपना रूमाल लेकर अपनी जेब में रख लिया । रूमाल के पीटर की हाथों में से हटते ही उसे बह दृश्य दिखाई देना बन्द हो गया। लेकिन तब तक वह सारी स्थिति से वाफिक हो चुका था।
वह उस नर्स से बोला, "सिस्टर । दिखने में तो तुम बड़ी दयालु लग रही हो लेकिन तुम उस आदमी को उस कमरे में क्यों बन्द कर आयी हो ? बेचारा बस थोड़ी 'बहुत देर में अब मरने ही वाला है" इस बात को सुनकर वह नर्स हारकोस पर बहुत क्रोधित हुयी, बाद में तो उसने पीटर की शिकायत अपने सीनियर डाक्टर से भी कर दी । लेकिन डाक्टर इस नर्स की शिकायत सुनकर बोला, "सिस्टर आपको पता है, उसका सिर फट गया था । आज ही उसे होश आया है । हो सकता है कि बेचारा पगला गया हो ओर शायद इसी कारण से वह आपके साथ ठीक से पेश नहीं आ सका इसलिये आप घबरायें नहीं और जब तक वह शरीरिक रूप से स्वस्थ नहीं हो जाता है तब तक तो उसकी सेवा करनी ही पड़ेगी । फिर भले ही उसे हम पागलखाने के लिये स्थानान्तरित कर देंगे।" इतनी बात सुनकर वह नर्स उस डाक्टर के सामने से तो चली आयी लेकिन पीटर की बातों से वह स्वय बड़ी भयभीत हो गयी थी । इसलिये उसने अपना आकस्मिक युट्टी का प्रार्थना पत्र लिखा और छुटटी चली गयी।
दूसरे दिन डाक्टर ने अपने नियमित दौरे के समय उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया। हारकोस को तो फिर से दृश्य दिखाई देने शुरू हो गये। उस दृश्य में वह
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