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योग और साधना
होगी ?" मेरा तो इतना कहना था जैसे वह सोते से जागा । बड़ी ही शोचनीय दशा बनाकर बोला, "गुरू हमसे तो गलती हो गई और नुकसान भी हो गया।" 'मैंने पूछा, "क्या बात हो गयी ?" तो बोला, " मेरे भाग्य में ही नहीं था। तुमने तो मुझसे चलाकर पूछा था कि मुण्डे कितने प्रकार के होते हैं ? लेकिन मेरे दिमाग में ही भूसा भर गया था।"
. मैंने कहा, “पागल ! इसमें ऐसी क्या बात है ? मेरे पास कोई नम्बर थोड़े ही था क्योंकि अगर मैं कुछ कहता भी तो यही कहता, १५ मुण्डा ! जबकि मुण्डा एक से नौ तक ही तो होते हैं।"
" बस-बस ; अब और कुछ मत कहो। इतना ही कह देते तो काम बन जाता। १५ की इकाई ५ ही तो हुई वही पांच मुण्डा तो आया था।" बबुआ के इतने हिसाब किताब की बात जो मेरे मन में अभी तक किसी प्रकार से भी नहीं आयी थी। इसको सुनकर मैं भी अन्दर-अन्दर से रोमांचित हुये बगैर नहीं रह सका । तभी मुझे महात्मा गाँधी की वह तथाकथित मानसिक ओवाज जो उन्हें कभी-कभी आकर मार्ग प्रदर्शित किया करती थी, मुझे सत्य लगने लगी थी, क्योंकि महात्मा गाँधी ने भी तो अफ्रीका के समुद्र तट पर आश्रम बनाकर भारत के स्वतन्त्रता के आन्दोलन को हाथ में लेने से पहले सन्यासियों जैसा जीवन बिताकर अपने आपको तपा लिया था और तभी उन्हें अतमन की आवाज को पढ़ने की कला समझ में आ गयी होगी कि बुद्धि की आवाज कौनसी है तथा अर्तमन की कौनसी ? हमेशा ही मैंने आज तक बुद्धि के कला कौशल को अलमन के अनजाने से बिल्कुल असम्भव से दिखने वाले दो चार शब्दों के सामने हारते हुए पाया है। कितनी ही बार इस प्रकार की बातों के द्वारा प्रभावित होकर मेरे मित्रगण मुझ से प्रभावित होते रहे हैं ।
यहां कुछ बातें मैं साफ कर देना चाहता हूँ क्यों कि इस मार्ग से अनजान लोग ऐसी अप्रत्याशित बातों को किसी व्यक्ति विशेष से सुनकर उसे भगवान या ईश्वर पुत्र या पैगम्बर या सिद्ध, फकीर और न जाने क्या क्या मानने लग जाते है और ऐसा मानकर अनजान लोग अपने मन में यह धारणा बैठा लेते हैं कि सिद्ध इस संसार में जिस प्रकार से चाहे घटनातों को बदल सकते हैं लेकिन यह गलत है जबकि
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