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कुण्डलिनी का स्थान
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स्थित उस प्रधान कोष की शक्ति को ही हम कुण्डलिनी शमित कहते हैं इस शरीर के प्रत्येक कार्य कुण्डलिनी शक्ति के द्वारा ही सम्पन्न होते हैं । हमारे जीवन मरण से सम्बन्धित जितने भी स्थूल या भौतिक कार्य हैं, वे इस शक्ति के इड़ा और पिघला नाड़ी में प्रवेश से संचालित रहते हैं । जबकि इसके विपरीत यही कुण्डलिनी शक्ति जब इड़ा और पिघला से अपने प्रथम केन्द्र या कुण्डलिनी के स्थान पर वापिस लौट कर सुषमणा नाड़ी में प्रवेश करती है । तब हमारे सूक्ष्म शरीर के कार्य भी इसी शक्ति के द्वारा ही सम्पन्न होते हैं ।
PRICA
Ata
NATIN
COMRA
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