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इडा पिंपला और सुषमणा नाड़ियों का अस्तित्व तथा प्रभाव
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कुण्डलिनी शक्ति जब अपनी शक्ति को इड़ा और पिंपला में डाल देती है तब ये दोनों इड़ा और पिंपला जो कि सम्पूर्ण शरीर के प्रत्येक कोष तक पहुंचती है, उन में जीवनी शक्ति का संचार करती रहती हैं, जिसकी वजह से हम जीवित रहते है। लेकिन यदि यह शक्ति इन दोनों नाड़ियों से निकल जावे तो सारा का सारा पारीर मृत प्रायः उसी क्षण हो जावेगा । इस स्थूल शरीर को यदि हम जीवित अवस्था में देखते हैं तो उसका कारण है इन दोनों नाड़ियों का समूह जाल जो कुन्डलिनी शक्ति के द्वारा हमें जो शक्ति प्राप्त होती है उसके लिए आधार बनता है यदि कोई अंग विशेष मत प्रायः दिखने लगे तो समझना चाहिये कि कुन्डलिनी शक्ति तो मौजद है जो दूसरे अंगों को तो पहुँच रही है लेकिन उस विशेष अंग को जाने वाली नाड़ियों के समूह में कहीं किसी प्रकार से कोई रुकावट आ जाने के कारण से वह अंग मृत प्रायः हो गया है । कुछ लोग कहते हैं कि वहाँ खून का संचार ठीक नहीं रहा होगा लेकिन यह गलत है । वह अंग बिलकुल स्वस्थ लगता है कटने पर रक्त भी निकलता है । शारीरिक रूप से वहाँ सभी कुछ मौजूद है। यानि स्थूल रूप से सब सामान वहाँ उपलब्ध हैं लेकिन सूक्ष्म रूप से प्राणों को प्रभावित करने वाली नाड़ियाँ खराब हो जाती हैं । तो इस बात का खयाल रखें कि हम इन इडा पिघला नाड़ियों, में अवरोध आ जाने पर जीवित होते हुये मृत दिखाई देते हैं । ऐसा अनुभव हमारे समक्ष इस दुनिया में भी देखने को मिलता है कभी आंशिक रूप से मृत और कभी पूर्ण रूप से मृत लोगों में इस प्रकार के अनेक उदाहरण शरीर विज्ञानियों के पास फाईलों में हैं कि फलाँ आदमी मृत घोषित कर दिया था लेकिन बाद में जीवित हो गया और कुछ देर बाद फिर मर गया ।
इस प्रकार का एक उदाहरण स्वयं मेरी स्मृति में है। डीग (भरतपुर) के पुजारी पं० बाबू लाल के पिता जो बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के बुजुर्ग थे उनकी मृत्यु के समय उन्हें (चार पाँच घण्टों के भीतर ही) तीन चार बार जमीन पर ले लिया गया था, होता इस तरह था कि जब वे निष्प्राण हो जाते उनको जमीन पर उतार लेते लेकिन कुछ देर बाद ही उनमें चेतन्यता लौट आती साँस चलने लगती, हृदय की धड़कन शुरू हो जाती तब उनको फिर से चारपाई पर ले लेते । इस तरह अन्तिम मृत्यु से पहले वे तीन बार मरे और जीवित हुये थे। तो मेरा कहने का मतलब सिर्फ यहाँ इतना है कि जब तक कुन्डलिनी शक्ति इडा पिघला में रहती है हम जीवित रहते हैं, क्रियाशील रहते हैं। इसके विपरीत यह शक्ति इन दोनों नाड़ियों
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