Book Title: Yatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Author(s): Jinprabhvijay
Publisher: Saudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
View full book text
________________
कोटि कोटि वन्दना रे...
यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रंथ : सन्देश वन्दन
अनुपम गुणों के धारक
1518
जो संत पुरुष होते हैं उनके जीवन का एक-एक क्षण मूल्यावान होता है। वे समय का सही मूल्यांकन करते हुए अपने और दूसरों के जीवन का निर्माण करते हुए परम श्रद्धेय बाल ब्रह्मचारी व्याख्यान वाचस्पति आचार्य देव श्रीमद् विजय यतीन्द्रसूरीश्वरजी म. सा. जाने-माने और सुविख्यात आचार्य देव थे। उन्होंने समाज को नई दिशा दी ।
समाज में उनके मार्गदर्शन में नवीन ज्योति प्रज्वलित हुई परिणाम स्वरूप उस दिव्य ज्योति के प्रकाश में समाज में विपरीत मार्ग का परित्याग कर सही मार्ग का अनुसरण किया। आपने समाज को सत्य ईमानदारी और नैतिकता के मार्ग का अनुसरण करने की प्रबल प्रेरणा प्रदान की। आपने अपनी अप्रतिम प्रतिभा और शुद्ध लेखनी से जैन साहित्य के भंडार में अपूर्व योगदान दिया। आपके सान्निध्य में रहते हुए अनुपम आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति होती थी।
प्रेषित
आप केवल साधक ही नहीं वरन साधकों के निर्माता भी थे। आपका जीवन अनुपम विशेषताओं का भंडार था आपकी स्मृति में होने वाले स्मृति ग्रंथ की सफलता के लिए मैं अपनी मंगल कामनाएं प्रेषित करता हूं और आपके श्रीचरणों में कोटि-कोटि वंदना प्रस्तुत करता हूं।
LÍTE À Up Te than USÌ PESE FISH
ਸਿਰ ਦੇ ਕਈ ਸੌ ਨੀ ਓਸ
॥ श
प्रति,
ज्योतिषाचार्य मुनि श्री जयप्रभविजयजी 'श्रमण ' श्री मोहनखेड़ा तीर्थ
प्रधान सम्पादक
श्री यतीन्द्रसूरि दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रंथ
Jain Education International
डीकि डीक
www for
WET GESTES TSOs mens ges
NENENEMEREREREREREREREREREREREDEREREDERE (46) REREREREREDEDEDEDEDEDEDEDEDEDEDEDEDEDEDE
For Private & Personal Use Only
आनन्दीलाल धाड़ीवाल विधीकारक श्री मोहनखेड़ा तीर्थ
www.jainelibrary.org