Book Title: Sthananga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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स्थान ५ उद्देशक २
३९ 000000000000000000000000000000000000000000000000000 दसणट्ठयाए, चरित्तट्ठयाए, आयरियउवझायाण वा से वीसुंभेजा, आयरिया उवझायाण वा बहिया वेयावच्चं करणयाए॥१५॥
कठिन शब्दार्थ - उहिट्ठाओ - सामान्य रूप से कही हुई, गणियाओ - गिनाई हुई, वियंजियाओप्रकट की गई, महण्णवाओ - समुद्र के समान महान्, अंतोमासस्स - एक महीने में, दुक्खुत्तो - दो बार, तिक्खुत्तो - तीन बार, उत्तरित्तए - उतरना, संतरित्तए - बार-बार उतरना, भयंसि - भय से, दुभिक्खंसि- दुर्भिक्ष-दुष्काल में, एग्जमाणंसि - बाढ़ आ जाने पर, पढमपाउसंसि - प्रथम वर्षाकाल में, वीसुभेजा - मरणादि अथवा रोगादि कारण से।
भावार्थ - साधु अथवा साध्वियों को सामान्य रूप से कही हुई, गिनाई हुई नाम लेकर प्रगट की गई, समुद्र के समान महान् अथवा समुद्र में मिलने वाली गङ्गा, यमुना, सरयू, ऐरावती और मही इन पांच महानदियों को एक महीने में दो बार अथवा तीन बार भुजाओं से तैर कर उतरना अथवा एक बार उतरमा और बारबार उतरना नहीं कल्पता है किन्तु पांच कारणों से इन उपरोक्त नदियों को तैर कर पार करना कल्पता है यथा - राजा आदि के भय से, दुर्भिक्ष यानी दुष्काल पड़ जाय तो, कोई पुरुष नदी में "गिरा देवे तो, जल का महान् वेग आ जाय तो यानी बाढ़ आ जाय तो अथवा अनार्य म्लेच्छ लोगों का उपद्रव हो जाय तो, इन पांच कारणों से अपवाद मार्ग में उपरोक्त पांच महानदियों को तैर कर पार करना कल्पता है। साधु और साध्वी को प्रथम वर्षाकाल में यानी चातुर्मास प्रारम्भ होने से सम्वत्सरी तक अर्थात् भादवा सुदि पांचम तक ग्रामानुग्राम विहार करना नहीं कल्पता है किन्तु पांच कारणों से कल्पता है यथा - राजा आदि का भय होने पर अथवा दुष्काल पड़ जाने पर अथवा कोई राजा आदि वहाँ से निकाल दे अथवा बाढ़ आ जाय अथवा अनार्य म्लेच्छ आदि का उपद्रव हो जाय तो वहां से विहार करना कल्पता है। वर्षाकाल में एक जगह ठहरे हुए साधु और साध्वी को ग्रामानुग्राम विहार करना नहीं कल्पता है किन्तु पांच कारणों से कल्पता है यथा-ज्ञान के लिए, दर्शन के लिए, चारित्र के लिए, अथवा आचार्य उपाध्याय के मरणादि एवं रोगादि कारण से अथवा क्षेत्र से बाहर रहे हुए आचार्य उपाध्याय की वैयावृत्य करने के लिए, इन पांच कारणों से अपवाद मार्ग में चातुर्मास में विहार करना कल्पता है।
विवेचन - पांच महानदियों को एक मास में दो बार अथवा तीन बार पार करने के पाँच कारण.. उत्सर्ग मार्ग से साधु साध्वियों को पांच महानदियों (गंगा, यमुना, सरयू, ऐरावती और मही) को एक मास में दो बार अथवा तीन बार उतरना या नौकादि से पार करना नहीं कल्पता है। यहाँ पाँच महानदियां गिनाई गई हैं पर शेष भी बड़ी नदियों को पार करना निषिद्ध है। ..
परन्तु पाँच कारण होने पर महानदियाँ एक मास में दो बार या तीन बार अपवाद रूप में पार की जा सकती है।
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